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− | राजू भर्तन की कहानी पर आधारित राजिंदर बेदी, नवेंदु घोष एवं ब्रजेश चटर्जी द्वारा लिखी इस पटकथा पर | + | राजू भर्तन की कहानी पर आधारित राजिंदर बेदी, नवेंदु घोष एवं ब्रजेश चटर्जी द्वारा लिखी इस पटकथा पर ऋषिकेश मुखर्जी के कुशल निर्देशन में बनी यह अत्यधिक लोकप्रिय हुई थी। पुरुष का अहम, उसका प्रेम, परिवार, भावनाओं से भी ऊपर होता है। पत्नी-पति से किसी भी क्षेत्र में प्रगति कर रही हो, यह बात पुरुष का अहम स्वीकार नहीं कर पाता। जीवन की इसी वास्तविकता को केंद्र बिन्दु बनाकर ऋषिकेश मुखर्जी ने इस संवेदनशील का निर्देशन किया था। |
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− | मजरूह सुल्तानपुरी के लिखे गीत, सचिनदेव बर्मन के सिद्धहस्त संगीत से सजे तथा किशोर कुमार, लता मंगेशकर और मोहम्मद रफ़ी द्वारा गए सुमधुर गीतों ने | + | मजरूह सुल्तानपुरी के लिखे गीत, सचिनदेव बर्मन के सिद्धहस्त संगीत से सजे तथा किशोर कुमार, लता मंगेशकर और मोहम्मद रफ़ी द्वारा गए सुमधुर गीतों ने की लोकप्रियता में चार चाँद लगा दिए थे। |
==कथानक== | ==कथानक== | ||
− | + | फ़िल्म की कहानी में सुबीर एक गायक (अमिताभ बच्चन) है जो अपनी गायकी के कारण बहुत लोकप्रिय है और लड़कियां उसकी दीवानी हैं। इस दुनिया में उसकी एक मुहं बोली मौसी (दुर्गा खोटे)है, उसके अतिरिक्त उसका कोई अपना नहीं। शहर में चंदू (असरानी) के साथ वह रहता है, जो उसका हितैषी और उसका सचिव भी है। किसी विशेष कार्यवश सुबीर को मौसी के गाँव जाना पड़ता है जहाँ वह सदानंद (ऐ.के. हंगल) की बेटी उमा (जया बच्चन) का मधुर गीत सुन कर प्रभावित होता है, सादगी की प्रतिमूर्ति उमा से मौसी उसकी शादी करा देती है। शहर में आकर एक समारोह में दोनों साथ गाते हैं और यहीं पर सुबीर भविष्य में उमा के साथ गाने का निर्णय करता है। | |
− | यहीं से कहानी नया मोड़ लेती है। उमा शास्त्रीय संगीत में निपुण है तथा अधिक प्रतिभाशाली होने के कारण उसकी लोकप्रियता तथा मांग सुबीर से अधिक बढ़ने लगती है, पुरुष का अहम् चोटिल होता है स्थिति यहाँ तक पहुँचती है कि जया अवसादग्रस्त हो अपने गाँव लौट आती है तथा अपने गर्भस्थ शिशु को भी खो देती है। अंतत सुखांत | + | यहीं से कहानी नया मोड़ लेती है। उमा शास्त्रीय संगीत में निपुण है तथा अधिक प्रतिभाशाली होने के कारण उसकी लोकप्रियता तथा मांग सुबीर से अधिक बढ़ने लगती है, पुरुष का अहम् चोटिल होता है स्थिति यहाँ तक पहुँचती है कि जया अवसादग्रस्त हो अपने गाँव लौट आती है तथा अपने गर्भस्थ शिशु को भी खो देती है। अंतत सुखांत में नायक नायिका का मधुर मिलन होता है और दोनों के युगल गीत के साथ का समापन होता है। |
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10:01, 13 दिसम्बर 2012 का अवतरण
अभिमान फ़िल्म सन 1973 में बनी हुई है। यह फ़िल्म ऋषिकेश मुखर्जी की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्मों में से एक है। फ़िल्म में मुख्य भूमिका अमिताभ बच्चन, जया बच्चन और असरानी ने निभाई थी। इस फ़िल्म का संगीत प्रसिद्ध संगीतकार सचिन देव बर्मन ने तैयार किया था। 'अभिमान' फ़िल्म के सभी गीतों ने भारतीय दर्शकों पर अपनी गहरी छाप अंकित की थी। फ़िल्म के गीत आज भी लोगों की जुबान पर आते रहते हैं।
पटकथा
राजू भर्तन की कहानी पर आधारित राजिंदर बेदी, नवेंदु घोष एवं ब्रजेश चटर्जी द्वारा लिखी इस पटकथा पर ऋषिकेश मुखर्जी के कुशल निर्देशन में बनी यह अत्यधिक लोकप्रिय हुई थी। पुरुष का अहम, उसका प्रेम, परिवार, भावनाओं से भी ऊपर होता है। पत्नी-पति से किसी भी क्षेत्र में प्रगति कर रही हो, यह बात पुरुष का अहम स्वीकार नहीं कर पाता। जीवन की इसी वास्तविकता को केंद्र बिन्दु बनाकर ऋषिकेश मुखर्जी ने इस संवेदनशील का निर्देशन किया था।
संगीत
मजरूह सुल्तानपुरी के लिखे गीत, सचिनदेव बर्मन के सिद्धहस्त संगीत से सजे तथा किशोर कुमार, लता मंगेशकर और मोहम्मद रफ़ी द्वारा गए सुमधुर गीतों ने की लोकप्रियता में चार चाँद लगा दिए थे।
कथानक
फ़िल्म की कहानी में सुबीर एक गायक (अमिताभ बच्चन) है जो अपनी गायकी के कारण बहुत लोकप्रिय है और लड़कियां उसकी दीवानी हैं। इस दुनिया में उसकी एक मुहं बोली मौसी (दुर्गा खोटे)है, उसके अतिरिक्त उसका कोई अपना नहीं। शहर में चंदू (असरानी) के साथ वह रहता है, जो उसका हितैषी और उसका सचिव भी है। किसी विशेष कार्यवश सुबीर को मौसी के गाँव जाना पड़ता है जहाँ वह सदानंद (ऐ.के. हंगल) की बेटी उमा (जया बच्चन) का मधुर गीत सुन कर प्रभावित होता है, सादगी की प्रतिमूर्ति उमा से मौसी उसकी शादी करा देती है। शहर में आकर एक समारोह में दोनों साथ गाते हैं और यहीं पर सुबीर भविष्य में उमा के साथ गाने का निर्णय करता है।
यहीं से कहानी नया मोड़ लेती है। उमा शास्त्रीय संगीत में निपुण है तथा अधिक प्रतिभाशाली होने के कारण उसकी लोकप्रियता तथा मांग सुबीर से अधिक बढ़ने लगती है, पुरुष का अहम् चोटिल होता है स्थिति यहाँ तक पहुँचती है कि जया अवसादग्रस्त हो अपने गाँव लौट आती है तथा अपने गर्भस्थ शिशु को भी खो देती है। अंतत सुखांत में नायक नायिका का मधुर मिलन होता है और दोनों के युगल गीत के साथ का समापन होता है।
अभिनय
फ़िल्म में जया का अभिनय तो संवेदनशील भोली लडकी, समर्पित व विरहग्रस्त गृहणी के रूप में प्रशंसनीय है ही, अमिताभ ने भी अपने किरदार को जीवंत बनाया है। असरानी का हास्य, दुर्गा खोटे, हंगल, डेविड सभी ने अपनी भूमिका से न्याय किया है। बिन्दु ने अपनी पूर्व भूमिकाओं से अलग भूमिका निभायी है। मनोहर कामत, ललिता कुमारी व मास्टर राजू की संक्षिप्त भूमिकायें यथायोग्य हैं।
फ़िल्म के सभी प्रमुख गीत
गीत | गायक | समय |
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मीत ना मिला रे मन का | किशोर कुमार | 4:56 |
नदिया किनारे | लता मंगेशकर | 4:05 |
तेरी बिंदिया रे | लता मंगेशकर, मोहम्मद रफ़ी | 4:32 |
लूटे कोई मन का नगर | लता मंगेशकर, मनहर उधास | 3:04 |
अब तो है तुमसे हर ख़ुशी अपनी | लता मंगेशकर | 4:25 |
पिया बिना पिया बिना | लता मंगेशकर | 4:12 |
तेरे मेरे मिलन की ये रैना | किशोर कुमार, लता मंगेशकर | 5:49 |
हलके -फुल्के हास्य से युक्त यह ऋषिकेश मुखर्जी की यह सर्वकालिक कही जा सकती है|
रोचक बातें
- इस में जया को अपने श्रेष्ठ अभिनय के लिए प्रतिष्ठित ्फयेर पुरूस्कार मिला था।
- बिंदु भी अपनी पूर्व छवि से अलग भूमिका कुशलता से निभाने के कारण अन्य भूमिकाओं में इस के बाद आयीं।
- अमिताभ व जया इस के दौरान ही पति -पत्नी के रिश्ते में बंधे।
- जया ने इस के बाद बहुत लम्बे समय तक किसी में काम नहीं किया।
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