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*अमृता का जन्म भले ही हंगरी में हुआ, लेकिन उनकी पेंटिंग्स भारतीय संस्कृति और उसकी आत्मा का बेहतरीन नमूना हैं। | *अमृता का जन्म भले ही हंगरी में हुआ, लेकिन उनकी पेंटिंग्स भारतीय संस्कृति और उसकी आत्मा का बेहतरीन नमूना हैं। | ||
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*उनकी पेंटिंग 'यंग गर्लस' को [[पेरिस]] में 'एसोसिएशन ऑफ द ग्रैंड सैलून' तक पहुंचने का मौका मिला। यहां तक पहुंचने वाली वह पहली एशियाई महिला चित्रकार रहीं। | *उनकी पेंटिंग 'यंग गर्लस' को [[पेरिस]] में 'एसोसिएशन ऑफ द ग्रैंड सैलून' तक पहुंचने का मौका मिला। यहां तक पहुंचने वाली वह पहली एशियाई महिला चित्रकार रहीं। | ||
*यह गौरव हासिल करने वाली वह सबसे कम उम्र की महिला चित्रकार भी थीं। | *यह गौरव हासिल करने वाली वह सबसे कम उम्र की महिला चित्रकार भी थीं। |
15:20, 11 जुलाई 2011 का अवतरण
- अमृता शेरगिल, इस ख़ूबसूरत चित्रकार की कूची ने कैनवास पर भारत की एक नई तस्वीर उकेरी है। अपनी पेंटिंग्स के बारे में अमृता का कहना था- 'मैंने भारत की आत्मा को एक नया रूप दिया है। यह परिवर्तन सिर्फ विषय का नहीं, बल्कि तकनीकी भी है।'
- अमृता का जन्म भले ही हंगरी में हुआ, लेकिन उनकी पेंटिंग्स भारतीय संस्कृति और उसकी आत्मा का बेहतरीन नमूना हैं।
- इनको धरोहर मानकर दिल्ली की 'नेशनल गैलेरी में सहेजा गया है।
- अमृता जितनी ख़ूबसूरत थीं, उतनी ही उनकी पेंटिंग्स में नफासत थी।
- उनकी पेंटिंग 'यंग गर्लस' को पेरिस में 'एसोसिएशन ऑफ द ग्रैंड सैलून' तक पहुंचने का मौका मिला। यहां तक पहुंचने वाली वह पहली एशियाई महिला चित्रकार रहीं।
- यह गौरव हासिल करने वाली वह सबसे कम उम्र की महिला चित्रकार भी थीं।
- 1933 में पेरिस के 'एसोसिएशन ऑफ द ग्रैंड सैलून' में अमृता शेरगिल की प्रदर्शनी लगी थी।
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