अरहर

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अरहर भारत में उगायी जाने वाली लगभग सभी दालों में अपना विशिष्ट स्थान रखती है। इसका उत्पादन देश के सभी भागों में होता है, किन्तु इसका उपभोग गुजरात और दक्षिण भारत में सबसे अधिक होता है। अरहर की दाल को 'तूअर' भी कहा जाता है। यह ज्वार, बाजरा, रागी आदि अन्य अनाजों के साथ बोयी जाती है। यह मई से जुलाई तक बोई जाती है तथा इसकी फ़सल 6 से 8 महीने में पक कर तैयार हो जाती है, अर्थात् दिसम्बर से मार्च तक।

मुख्य उत्पादक राज्य

उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, बिहार, आन्ध्र प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश अरहर की दाल के मुख्य उत्पादक राज्य हैं। इन राज्यो में अरहर के अन्तर्गत 95 प्रतिशत क्षेत्रफल पाया जाता है। ये ही राज्य देश का लगभग 85 प्रतिशत अरहर उत्पादित करते हैं। अरहर के उत्पादन की दृष्टि से देश में महाराष्ट्र का प्रथम, उत्तर प्रदेश का द्धितीय तथा कर्नाटक का तृतीय स्थान है।

  1. उत्तर प्रदेश - उत्तर प्रदेश में अरहर के मुख्य उत्पादक क्षेत्र वाराणसी, झांसी, आगरा, इलाहाबाद और लखनऊ ज़िले हैं।
  2. मध्य प्रदेश - छिंदवाड़ा, पूर्वी नीमाड़, सीधी और भिंड ज़िले मध्य प्रदेश में अरहर पैदा करने वाले मुख्य ज़िले हैं।
  3. महाराष्ट्र - अरहर की पैदावार महाराष्ट्र राज्य में मुख्य रूप से यवतमाल, वर्धा, अमरावती, अकोला, नागपुर, बीड़, उस्मानाबाद और परभनी में की जाती है।

उत्पादन एवं क्षेत्र=

भारत में वर्ष 2008-2009 में कुल 39 लाख हेक्टेअर क्षेत्र में अरहर बोई गई, जिसमें कुल 31 लाख टन अरहर का उत्पादन हुआ। इस वर्ष देश में अरहर प्रति हेक्टेअर उत्पादन 731 किग्रा रहा। अरहर के अतिरिक्त उत्तर पश्चिमी एवं दक्षिणी भारत में प्रायः खरीफ की फसल में उड़द, मूंग, मोंठ एवं चैला की दालों की उपज भी होती है। माँग की तुलना में दालों की उपज में वृद्धि की दर कम रही है। दालों की कमी एवं उनके मूल्यों में वृद्धि का यही सबसे प्रमुख कारण रहा है। देश में 2008-2009 में दालों का उत्पादन 147 लाख टन हुआ। दालों के उत्पादन में महाराष्ट्र (20.46 प्रतिशत) का स्थान प्रथम, मध्य प्रदेश (16.6 प्रतिशत) का दूसरा स्थान तथा आन्ध्र प्रदेश (11.52 प्रतिशत) का तृतीय स्थान है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ


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