"आरंग" के अवतरणों में अंतर
फ़ौज़िया ख़ान (चर्चा | योगदान) |
फ़ौज़िया ख़ान (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{पुनरीक्षण}} | {{पुनरीक्षण}} | ||
− | '''आरंग''' [[छत्तीसगढ़]] राज्य के [[रायपुर ज़िला|रायपुर ज़िले]] में स्थित है। आरंग नामक वृक्ष के नाम पर ही इस स्थान का नामकरण हुआ जान पड़ता है क्योंकि इस भूभाग में इस प्रकार के स्थाननाम अनेक हैं। | + | '''आरंग''' [[छत्तीसगढ़]] राज्य के [[रायपुर ज़िला|रायपुर ज़िले]] में स्थित एक नगर है। आरंग नामक वृक्ष के नाम पर ही इस स्थान का नामकरण हुआ जान पड़ता है क्योंकि इस भूभाग में इस प्रकार के स्थाननाम अनेक हैं। |
;मंदिर | ;मंदिर | ||
आरंग में एक भव्य जैन मंदिर और महामाया का एक प्राचीन महत्त्वपूर्ण मन्दिर स्थित है। इसका सभामण्डल नष्ट हो चुका है। मन्दिर की छत सपाट है। ज़िला रायपुर के आसपास के प्रदेश में 11वीं-12वीं शती में शाक्त और तांत्रिक संप्रदायों का बाहुल्य था। यह मन्दिर इसी समय का प्रतीत होता है। इसको [[वास्तुकला]] से भी यही सिद्ध होता है। आरंग के मूर्ति-[[अवशेष|अवशेषों]] में भी [[शिव]] के तांत्रिक रूपों की अनेक कृतियाँ उपलब्ध हुई हैं। योगमाया के मन्दिर के सामने ही सैकड़ों [[वर्ष]] प्राचीन एक महान वृक्ष है जिसके बारे में अनेक किंवदंतियां प्रचलित हैं। आरंग में कई [[अभिलेख]] भी प्राप्त हुए हैं। जिनमें से एक 601 ई. का है और इसमें राजर्षि तुल्यकुल नामक राजवंश का उल्लेख है।<ref>देखें मध्य प्रदेश का इतिहास, पृ. 22</ref> यदि इस वंश की राजधानी आरंग में ही थी तो इस स्थान का इतिहास उत्तर [[गुप्त काल]] तक जा पहुँचता है। | आरंग में एक भव्य जैन मंदिर और महामाया का एक प्राचीन महत्त्वपूर्ण मन्दिर स्थित है। इसका सभामण्डल नष्ट हो चुका है। मन्दिर की छत सपाट है। ज़िला रायपुर के आसपास के प्रदेश में 11वीं-12वीं शती में शाक्त और तांत्रिक संप्रदायों का बाहुल्य था। यह मन्दिर इसी समय का प्रतीत होता है। इसको [[वास्तुकला]] से भी यही सिद्ध होता है। आरंग के मूर्ति-[[अवशेष|अवशेषों]] में भी [[शिव]] के तांत्रिक रूपों की अनेक कृतियाँ उपलब्ध हुई हैं। योगमाया के मन्दिर के सामने ही सैकड़ों [[वर्ष]] प्राचीन एक महान वृक्ष है जिसके बारे में अनेक किंवदंतियां प्रचलित हैं। आरंग में कई [[अभिलेख]] भी प्राप्त हुए हैं। जिनमें से एक 601 ई. का है और इसमें राजर्षि तुल्यकुल नामक राजवंश का उल्लेख है।<ref>देखें मध्य प्रदेश का इतिहास, पृ. 22</ref> यदि इस वंश की राजधानी आरंग में ही थी तो इस स्थान का इतिहास उत्तर [[गुप्त काल]] तक जा पहुँचता है। | ||
पंक्ति 12: | पंक्ति 12: | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
− | + | {{छत्तीसगढ़ के नगर}} | |
− | |||
− | |||
− | |||
− | |||
− | {{छत्तीसगढ़ | ||
[[Category:छत्तीसगढ़ राज्य]] | [[Category:छत्तीसगढ़ राज्य]] | ||
[[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]] | [[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]] | ||
− | [[Category:छत्तीसगढ़ | + | [[Category:छत्तीसगढ़ के नगर]] |
+ | [[Category:भारत_के_नगर]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ | ||
__NOTOC__ | __NOTOC__ |
06:41, 14 दिसम्बर 2011 का अवतरण
इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव" |
आरंग छत्तीसगढ़ राज्य के रायपुर ज़िले में स्थित एक नगर है। आरंग नामक वृक्ष के नाम पर ही इस स्थान का नामकरण हुआ जान पड़ता है क्योंकि इस भूभाग में इस प्रकार के स्थाननाम अनेक हैं।
- मंदिर
आरंग में एक भव्य जैन मंदिर और महामाया का एक प्राचीन महत्त्वपूर्ण मन्दिर स्थित है। इसका सभामण्डल नष्ट हो चुका है। मन्दिर की छत सपाट है। ज़िला रायपुर के आसपास के प्रदेश में 11वीं-12वीं शती में शाक्त और तांत्रिक संप्रदायों का बाहुल्य था। यह मन्दिर इसी समय का प्रतीत होता है। इसको वास्तुकला से भी यही सिद्ध होता है। आरंग के मूर्ति-अवशेषों में भी शिव के तांत्रिक रूपों की अनेक कृतियाँ उपलब्ध हुई हैं। योगमाया के मन्दिर के सामने ही सैकड़ों वर्ष प्राचीन एक महान वृक्ष है जिसके बारे में अनेक किंवदंतियां प्रचलित हैं। आरंग में कई अभिलेख भी प्राप्त हुए हैं। जिनमें से एक 601 ई. का है और इसमें राजर्षि तुल्यकुल नामक राजवंश का उल्लेख है।[1] यदि इस वंश की राजधानी आरंग में ही थी तो इस स्थान का इतिहास उत्तर गुप्त काल तक जा पहुँचता है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ देखें मध्य प्रदेश का इतिहास, पृ. 22
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख