"ई" के अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) |
गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 40: | पंक्ति 40: | ||
* [[ईंधन]] | * [[ईंधन]] | ||
* [[ईठना]] | * [[ईठना]] | ||
+ | ==ई की मात्रा 'ी' का प्रयोग== | ||
+ | {| class="bharattable-pink" | ||
+ | |- | ||
+ | | क + ी = की | ||
+ | |- | ||
+ | | ख + ी = खी | ||
+ | |- | ||
+ | | ग + ी = गी | ||
+ | |- | ||
+ | | घ + ी = घी | ||
+ | |- | ||
+ | | ड़ + ी = ड़ी | ||
+ | |- | ||
+ | | च + ी = ची | ||
+ | |- | ||
+ | | छ + ी = छी | ||
+ | |- | ||
+ | | ज + ी = जी | ||
+ | |- | ||
+ | | झ + ी = झी | ||
+ | |- | ||
+ | | ञ + ी = ञी | ||
+ | |- | ||
+ | | ट + ी = टी | ||
+ | |- | ||
+ | | ठ + ी = ठी | ||
+ | |- | ||
+ | | ड + ी = डी | ||
+ | |- | ||
+ | | ढ + ी = ढी | ||
+ | |- | ||
+ | | ण + ी = णी | ||
+ | |- | ||
+ | | त + ी = ती | ||
+ | |- | ||
+ | | थ + ी = थी | ||
+ | |- | ||
+ | | द + ी = दी | ||
+ | |- | ||
+ | | ध + ी = धी | ||
+ | |- | ||
+ | | न + ी = नी | ||
+ | |- | ||
+ | | प + ी = पी | ||
+ | |- | ||
+ | | फ + ी = फी | ||
+ | |- | ||
+ | | ब + ी = बी | ||
+ | |- | ||
+ | | भ + ी = भी | ||
+ | |- | ||
+ | | म + ी = मी | ||
+ | |- | ||
+ | | य + ी = यी | ||
+ | |- | ||
+ | | र + ी = री | ||
+ | |- | ||
+ | | ल + ी = ली | ||
+ | |- | ||
+ | | व + ी = वी | ||
+ | |- | ||
+ | | श + ी = शी | ||
+ | |- | ||
+ | | ष + ी = षी | ||
+ | |- | ||
+ | | स + ी = सी | ||
+ | |- | ||
+ | | ह + ी = ही | ||
+ | |- | ||
+ | | क्ष + ी = क्षी | ||
+ | |- | ||
+ | | त्र + ी = त्री | ||
+ | |- | ||
+ | | ज्ञ + ी = ज्ञी | ||
+ | |} | ||
14:29, 26 नवम्बर 2016 का अवतरण
ई
| |
विवरण | ई देवनागरी वर्णमाला का चौथा स्वर है। |
भाषाविज्ञान की दृष्टि से | तालव्य, दीर्घ ('इ' का दीर्घ रूप), अग्र, अवृत्तमुखी, संवृत और घोष है। |
अनुनासिक रूप | 'ईँ' है। जैसे- ईँट, छीँट, झीँगुर परन्तु शिरोरेखा की ऊपर की मात्रा के कारण, मुद्रण आदि में सुविधा के लिए, इसे ‘ई’ भी लिखा जाता है। (जैसे- ईंट, छींट, झींगुर)। |
मात्रा | 'ी' (जैसे- की, जी, टी, पी, सी) |
व्याकरण | [ संस्कृत अ (=विष्णु) + ङीष् ] स्त्रीलिंग- लक्ष्मी, माया, शांति। |
संबंधित लेख | अ, आ, इ, ओ, औ |
ई देवनागरी वर्णमाला का चौथा स्वर है। भाषाविज्ञान की दृष्टि से यह तालव्य, दीर्घ ('इ' का दीर्घ रूप), अग्र, अवृत्तमुखी, संवृत और घोष है।
- विशेष-
- 'ई' का अनुनासिक रूप 'ईँ' है। जैसे- ईँट, छीँट, झीँगुर परन्तु शिरोरेखा की ऊपर की मात्रा के कारण, मुद्रण आदि में सुविधा के लिए, इसे ‘ई’ भी लिखा जाता है। (जैसे- ईंट, छींट, झींगुर)।
- ‘ई’ की मात्रा ‘ी’ है जो व्यंजन के दाहिनी ओर लगती है। जैसे- की, जी, टी, पी, सी।
- [ संस्कृत अ (=विष्णु) + ङीष् ] स्त्रीलिंग- लक्ष्मी, माया, शांति।
ई अक्षर वाले शब्द
ई की मात्रा 'ी' का प्रयोग
क + ी = की |
ख + ी = खी |
ग + ी = गी |
घ + ी = घी |
ड़ + ी = ड़ी |
च + ी = ची |
छ + ी = छी |
ज + ी = जी |
झ + ी = झी |
ञ + ी = ञी |
ट + ी = टी |
ठ + ी = ठी |
ड + ी = डी |
ढ + ी = ढी |
ण + ी = णी |
त + ी = ती |
थ + ी = थी |
द + ी = दी |
ध + ी = धी |
न + ी = नी |
प + ी = पी |
फ + ी = फी |
ब + ी = बी |
भ + ी = भी |
म + ी = मी |
य + ी = यी |
र + ी = री |
ल + ी = ली |
व + ी = वी |
श + ी = शी |
ष + ी = षी |
स + ी = सी |
ह + ी = ही |
क्ष + ी = क्षी |
त्र + ी = त्री |
ज्ञ + ी = ज्ञी |
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख