"गुर्जर प्रतिहार वंश" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
पंक्ति 2: पंक्ति 2:
  
 
==गुर्जर-प्रतिहार वंश के शासक==
 
==गुर्जर-प्रतिहार वंश के शासक==
*[[नागभट्ट प्रथम]] 730 - 756 ई.
+
*[[नागभट्ट प्रथम]] (730 - 756 ई.)
*[[वत्सराज]] 783 - 795 ई.
+
*[[वत्सराज]] (783 - 795 ई.)
*[[नागभट्ट द्वितीय]] 795 - 833 ई.
+
*[[नागभट्ट द्वितीय]] (795 - 833 ई.)
*[[मिहिरभोज]] (भोज प्रथम) 836 - 889 ई.
+
*[[मिहिरभोज]] (भोज प्रथम) (836 - 889 ई.)
*[[महेन्द्र पाल]] 890 - 910 ई.
+
*[[महेन्द्र पाल]] (890 - 910 ई.)
*[[महिपाल]] 914 - 944 ई.
+
*[[महिपाल]] (914 - 944 ई.)
 
*[[भोज द्वितीय]]
 
*[[भोज द्वितीय]]
 
*[[विनायकपाल]]
 
*[[विनायकपाल]]

13:24, 16 फ़रवरी 2011 का अवतरण

अग्निकुल के राजपूतों में सर्वाधिक प्रसिद्ध 'प्रतिहार वंश' को गुर्जर प्रतिहार वंश इसलिए कहा गया, क्योंकि ये गुर्जरों की शाखा से सम्बन्धित थे, जिनकी उत्पत्ति गुजरात व दक्षिण-पश्चिम राजस्थान में हुई थी। प्रतिहारों के अभिलेखों में उन्हे श्रीराम के अनुज लक्ष्मण का वंशज बताया गया है, जो श्रीराम के लिए प्रतिहार (द्वारपाल) का कार्य करता था। कन्नड़ कवि 'पम्प' ने महिपाल को 'गुर्जर राजा' कहा है। 'स्मिथ' ह्वेनसांग के वर्णन के आधार पर उनका मूल स्थान आबू पर्वत के उत्तर-पश्चिम में स्थित भीनमल को मानते हैं। कुछ अन्य विद्वानों के अनुसार उनका मूल स्थान अवन्ति था।

गुर्जर-प्रतिहार वंश के शासक

इन्हें भी देखें: गुर्जर प्रतिहार साम्राज्य एवं गुर्जर


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

संदर्भ

संबंधित लेख