वैजयिकी-ज्ञान कला
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जयमंगल के मतानुसार चौंसठ कलाओं में से यह एक कला है। विजय प्राप्त करने की विद्या अर्थात् शस्त्रविद्या जानने की कला। पैर आदि अंगों के विशिष्ट संचालनपूर्वक (पैतरा बदलते हुए) शस्त्रों का लक्ष्य स्थिर करना और उनका चलाना कला है।