एक्स्प्रेशन त्रुटि: अनपेक्षित उद्गार चिन्ह "०"।

"संदीप पांडेय" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
'''डॉ संदीप पाण्डेय''' जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय के राष्ट्रीय समन्वयक हैं, लोक राजनीति मंच के राष्ट्रीय अध्यक्षीय मंडल के सदस्य हैं, और 'रमन मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित सामाजिक कार्यकर्ता हैं। [[बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय]] के इस छात्र ने कॅलिफोर्निया से पी.एच.डी. की डिग्री लेने के बाद आइ.आई.टी. में अध्यापन का कार्य किया।
+
{{सूचना बक्सा सामाजिक कार्यकर्ता
==सामाजिक कार्यकर्त्ता==
+
|चित्र=Sandeep-Pandey.PNG
*बाद में पूरा समय सामाजिक सेवा में लगाने के भाव से यह पद भार छोड़ दिया।  
+
|चित्र का नाम=संदीप पाण्डेय
*सन् 2002 में '[[रमन मैगसेसे अवार्ड]] से सम्मानित आई.आई.टी.,[[कानपुर]] के पूर्व प्रोफेसर डॉ. संदीप पाण्डेय को गरीबों के उत्थान और गरीब बच्चों के लिए शिक्षा सहायता की पहल के लिए प्रतिबद्ध नेता और सामाजिक कार्यकर्त्ता के रूप में देखा जाता है। *गांधीवाद को मानने वाले डॉ. संदीप ने [[लखनऊ]] के पास लालपुर में 'आशा' नामक स्वयंसेवी संस्था की स्थापना की।  
+
|पूरा नाम=संदीप पाण्डेय
*प्रजातंत्र को मजबूत करने की दिशा में सभी नागरिकों को 'सूचना का अधिकार' मिले इसके लिए भी उन्होंने कार्य किया।  
+
|अन्य नाम=
*स्थानीय क्षेत्रों में सरकारी भ्रष्टाचार ,जातिवाद ,दलित शोषण के खिलाफ उन्होंने मुहिम चलायीं।
+
|जन्म=[[22 जुलाई]], [[1965]]
*[[2005]] में उन्होंने [[दिल्ली |दिल्ली]] [[भारत]] से [[मुल्तान]] [[पाकिस्तान]] तक 'मैत्री यात्रा' भी की।  
+
|जन्म भूमि=
*1999 में पोखरन से [[सारनाथ]] तक की पैदल यात्रा '''परमाणु निरस्त्रीकरण''' के लिए एक सन्देश थी।  
+
|मृत्यु=
 +
|मृत्यु स्थान=
 +
|मृत्यु कारण=
 +
|अविभावक=
 +
|पति/पत्नी=
 +
|संतान=
 +
|स्मारक=
 +
|क़ब्र=
 +
|नागरिकता=भारतीय
 +
|प्रसिद्धि=सामाजिक कार्यकर्ता, प्राध्यापक
 +
|पद=
 +
|भाषा=
 +
|जेल यात्रा=
 +
|विद्यालय=[[बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय]], कॅलिफोर्निया विश्वविद्यालय
 +
|शिक्षा=पी.एच.डी. 
 +
|पुरस्कार-उपाधि=[[रेमन मैगसेसे पुरस्कार]]
 +
|विशेष योगदान= 'आशा फॉर एजुकेशन' नामक अशासकीय संस्था चलाते हैं।
 +
|संबंधित लेख=
 +
|शीर्षक 1=
 +
|पाठ 1=
 +
|शीर्षक 2=
 +
|पाठ 2=
 +
|अन्य जानकारी=
 +
|बाहरी कड़ियाँ=
 +
|अद्यतन={{अद्यतन|19:53, 6 जनवरी 2014 (IST)}}
 +
}}
 +
'''संदीप पाण्डेय''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Sandeep Pandey'', जन्म: [[22 जुलाई]], [[1965]]) [[भारत]] के सामाजिक कार्यकर्ता हैं। इन्हें [[रेमन मैगसेसे पुरस्कार]] से सम्मानित किया गया था। वे डॉ. दीपक गुप्ता और वीजेपी श्रीवास्तव के साथ 'आशा फॉर एजुकेशन' नामक अशासकीय संस्था चलाते हैं। सम्प्रति वे [[भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (बी.एच.यू.) वाराणसी|भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, वाराणसी]] में प्राध्यापक हैं। जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय के राष्ट्रीय समन्वयक हैं, लोक राजनीति मंच के राष्ट्रीय अध्यक्षीय मंडल के सदस्य हैं।
 +
==संक्षिप्त परिचय==
 +
* संदीप पाण्डेय का जन्म [[22 जुलाई]], [[1965]] को हुआ था।
 +
*[[बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय]] के इस छात्र ने कॅलिफोर्निया से पी.एच.डी. की डिग्री लेने के बाद आई.आई.टी. में अध्यापन का कार्य किया। बाद में पूरा समय सामाजिक सेवा में लगाने के भाव से यह पद भार छोड़ दिया।  
 +
*सन् [[2002]] में '[[रमन मैगसेसे अवार्ड]] से सम्मानित आई.आई.टी., [[कानपुर]] के पूर्व प्रोफेसर डॉ. संदीप पाण्डेय को ग़रीबों के उत्थान और गरीब बच्चों के लिए शिक्षा सहायता की पहल के लिए प्रतिबद्ध नेता और सामाजिक कार्यकर्त्ता के रूप में देखा जाता है।  
 +
*गांधीवाद को मानने वाले डॉ. संदीप पाण्डेय ने [[लखनऊ]] के पास लालपुर में 'आशा' नामक स्वयंसेवी संस्था की स्थापना की।  
 +
*प्रजातंत्र को मजबूत करने की दिशा में सभी नागरिकों को '[[सूचना का अधिका]]र' मिले इसके लिए भी उन्होंने कार्य किया।  
 +
*स्थानीय क्षेत्रों में सरकारी भ्रष्टाचार, जातिवाद, दलित शोषण के खिलाफ उन्होंने मुहिम चलायीं।
 +
*[[2005]] में उन्होंने [[दिल्ली]], [[भारत]] से [[मुल्तान]], [[पाकिस्तान]] तक 'मैत्री यात्रा' भी की।  
 +
*[[1999]] में पोखरन से [[सारनाथ]] तक की पैदल यात्रा '''परमाणु निरस्त्रीकरण''' के लिए एक सन्देश थी।  
 
*आजकल वे आधुनिक शिक्षा प्रणाली के विरोध और परमाणु निरस्त्रीकरण के पक्ष में आन्दोलन करने के कारण चर्चित हैं।
 
*आजकल वे आधुनिक शिक्षा प्रणाली के विरोध और परमाणु निरस्त्रीकरण के पक्ष में आन्दोलन करने के कारण चर्चित हैं।
  
  
{{लेख प्रगति|आधार=आधार1|प्रारम्भिक= |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
+
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
<references/>
 
<references/>
 
 
==बाहरी कड़ियाँ==
 
==बाहरी कड़ियाँ==
 
*[http://www.liveaaryaavart.com/2011/02/blog-post_5776.html संदीप पांडे ने सम्मान सरकार को लौटाया]
 
*[http://www.liveaaryaavart.com/2011/02/blog-post_5776.html संदीप पांडे ने सम्मान सरकार को लौटाया]
 
+
*[http://www.ashanet.org/pandey/visit2005/bio.html Biography of Sandeep Pandey]
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
 
{{रेमन मैग्सेसे पुरस्कार}} {{सामाजिक कार्यकर्ता}}
 
{{रेमन मैग्सेसे पुरस्कार}} {{सामाजिक कार्यकर्ता}}

14:23, 6 जनवरी 2014 का अवतरण

संदीप पांडेय
संदीप पाण्डेय
पूरा नाम संदीप पाण्डेय
जन्म 22 जुलाई, 1965
नागरिकता भारतीय
प्रसिद्धि सामाजिक कार्यकर्ता, प्राध्यापक
विद्यालय बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, कॅलिफोर्निया विश्वविद्यालय
शिक्षा पी.एच.डी.
पुरस्कार-उपाधि रेमन मैगसेसे पुरस्कार
विशेष योगदान 'आशा फॉर एजुकेशन' नामक अशासकीय संस्था चलाते हैं।
अद्यतन‎

संदीप पाण्डेय (अंग्रेज़ी: Sandeep Pandey, जन्म: 22 जुलाई, 1965) भारत के सामाजिक कार्यकर्ता हैं। इन्हें रेमन मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वे डॉ. दीपक गुप्ता और वीजेपी श्रीवास्तव के साथ 'आशा फॉर एजुकेशन' नामक अशासकीय संस्था चलाते हैं। सम्प्रति वे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, वाराणसी में प्राध्यापक हैं। जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय के राष्ट्रीय समन्वयक हैं, लोक राजनीति मंच के राष्ट्रीय अध्यक्षीय मंडल के सदस्य हैं।

संक्षिप्त परिचय

  • संदीप पाण्डेय का जन्म 22 जुलाई, 1965 को हुआ था।
  • बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के इस छात्र ने कॅलिफोर्निया से पी.एच.डी. की डिग्री लेने के बाद आई.आई.टी. में अध्यापन का कार्य किया। बाद में पूरा समय सामाजिक सेवा में लगाने के भाव से यह पद भार छोड़ दिया।
  • सन् 2002 में 'रमन मैगसेसे अवार्ड से सम्मानित आई.आई.टी., कानपुर के पूर्व प्रोफेसर डॉ. संदीप पाण्डेय को ग़रीबों के उत्थान और गरीब बच्चों के लिए शिक्षा सहायता की पहल के लिए प्रतिबद्ध नेता और सामाजिक कार्यकर्त्ता के रूप में देखा जाता है।
  • गांधीवाद को मानने वाले डॉ. संदीप पाण्डेय ने लखनऊ के पास लालपुर में 'आशा' नामक स्वयंसेवी संस्था की स्थापना की।
  • प्रजातंत्र को मजबूत करने की दिशा में सभी नागरिकों को 'सूचना का अधिकार' मिले इसके लिए भी उन्होंने कार्य किया।
  • स्थानीय क्षेत्रों में सरकारी भ्रष्टाचार, जातिवाद, दलित शोषण के खिलाफ उन्होंने मुहिम चलायीं।
  • 2005 में उन्होंने दिल्ली, भारत से मुल्तान, पाकिस्तान तक 'मैत्री यात्रा' भी की।
  • 1999 में पोखरन से सारनाथ तक की पैदल यात्रा परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए एक सन्देश थी।
  • आजकल वे आधुनिक शिक्षा प्रणाली के विरोध और परमाणु निरस्त्रीकरण के पक्ष में आन्दोलन करने के कारण चर्चित हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख