ग्राम पंचायत

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प्रत्येक ग्राम सभा क्षेत्र में ग्राम पंचायत का प्रावधान किया गया है। ग्राम पंचायत ग्राम सभा की निर्वाचित कार्यपालिका है। ग्राम पंचायत का निर्वाचन प्रत्यक्ष रूप से होता है। प्रत्येक पंचायत को उसकी पहली बैठक की तारीख़ से 5 वर्ष के लिए गठित किया जाता है। पंचायत को विधि के अनुसार इससे पहले भी विघटित किया जा सकता है। यदि ग्राम पंचायत 5 वर्ष से 6 माह पूर्व विघटित कर दी जाती है तो पुनः चुनाव आवश्यक होता है। नई गठित पंचायत का कार्यकाल शेष अवधि के लिए होगा। ग्राम पंचायत की माह में एक बैठक आवश्यक है। बैठक की सूचना कम से कम 5 दिन पूर्व सभी सदस्यों को दी जाएगी। प्रधान तथा उसकी अनुपस्थिति में उप प्रधान किसी भी समय पंचायत की बैठक को बुला सकता है। यदि पंचायत के 1/3 सदस्य किसी भी समय हस्ताक्षर कर लिखित रूप से बैठक बुलाने की मांग करते हैं तो प्रधान को 15 दिनों के अन्दर बैठक आयोजित करनी होगी। यदि बैठक को प्रधान द्वारा आयोजित नहीं किया जाता है तो निर्धारित अधिकारी, सहायक अधिकारी या पंचायत बैठक बुला सकता है। ग्राम पंचायत की बैठक के लिए कुल सदस्यों की संख्या का 1/3 सदस्यों की उपस्थिति गणपूर्ति (कोरम) के लिए आवश्यक होती है। यदि गणपूर्ति के अभाव में बैठक नहीं होती है तो दोबारा सूचना देकर बैठक बुलाई जा सकती है। इसके लिए गणपूर्ति की आवश्यकता नहीं होती है। ग्राम पंचायत की बैठक की अध्यक्षता ग्राम प्रधान तथा उसकी अनुपस्थिति में उप प्रधान करता है। इन दोनों की अनुपस्थिति में प्रधान द्वारा लिखित रूप से मनोनीत सदस्य अध्यक्षता करेगा। यदि प्रधान ने किसी सदस्य के मनोनीत नहीं किया है तो बैठक में उपस्थित सदस्य बैठक की अध्यक्षता करने के लिए किसी सदस्य का चुनाव कर सकता है।

ग्राम न्यायालय

12 अप्रैल, 2007 को केन्द्र सरकार के द्वारा एक निर्णय के अनुसार देश में ग्रामीण अंचलों के निवासियों को पंचायत स्तर पर ही न्याय उपलब्ध कराने के लिए प्रत्येक पंचायत स्तर पर एक ग्राम न्यायालय की स्थापना की जाएगी। ये न्यायालय त्वरित अदालतों की तर्ज पर स्थापित होंगे। इस पर प्रत्येक वर्ष 325 करोड़ रुपये ख़र्च किए जाएंगे। केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकारें तीन वर्ष तक इन न्यायालयों पर आने वाला ख़र्च वहन करेंगी। ग्राम न्यायालयों की स्थापना से अधीनस्थ अदालतों में लंबित मुक़दमों की संख्या कम करने में मदद मिलेगी।

ग्राम पंचायतों का निर्वाचन

सभी स्तर के पंचायतों के सदस्यों का निर्वाचन वयस्क मतदाताओं द्वारा प्रत्येक पाँचवें वर्ष किया जाता है। यह चुनाव राज्य निर्वाचन आयोग के द्वारा कराये जाते हैं। ग्राम पंचायत के प्रत्येक पद हेतु चुनाव लड़ने की न्यूनतम आयु 21 वर्ष है तथा ऐसा व्यक्ति सरकार के अधीन किसी लाभ के पद पर नहीं होना चाहिए। वह किसी भी प्रकार की सेवा से दुराचार के कारण पदच्युत न किया गया हो तथा वह पंचायत सम्बन्धी किसी अपराध के लिए दोषी न हो। ज़िला परिषदों, ज़िला पंचायतों, पंचायत समितियों और ग्राम पंचायतों के निर्वाचन का अधिकार 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 के तहत प्रत्येक राज्य/संघ राज्य क्षेत्रों में गठित राज्य निर्वाचन आयोग को प्राप्त हैं। यह आयोग भारत निर्वाचन आयोग से स्वतंत्र है।

अध्यक्ष का निर्वाचन

ग्राम स्तर पर अध्यक्ष का निर्वाचन प्रत्यक्ष रूप से ग्राम सभा के सदस्यों के द्वारा किया जाता है। जबकि मध्यवर्ती (खण्ड) एवं ज़िला स्तर पर अध्यक्षों का निर्वाचन अप्रत्यक्ष प्रणाली के आधार पर किया जाता है। इन स्तरों पर निर्वाचित सदस्य अपने में से अध्यक्ष का निर्वाचन कर सकते हैं। ग्राम पंचायत के सदस्यों के द्वारा अपने में से एक उप-प्रधान का निर्वाचन किया जाता है। यदि उप-प्रधान का निर्वाचन नहीं किया जा सका हो तो नियत अधिकारी किसी सदस्य को उप-प्रधान नामित कर सकता है।

पदमुक्ति

ग्राम प्रधान एवं उप-प्रधान को 5 वर्ष के उसके निर्धारित कार्यकाल की समाप्ति के पूर्व भी पदमुक्त किया जा सकता है। प्रधान या उप-प्रधान को असमय पदमुक्त करने के लिए पदमुक्त सम्बन्धी अविश्वास प्रस्ताव पर ग्राम पंचायत के आधे सदस्यों के हस्ताक्षर द्वारा एक लिखित सूचना ज़िला पंचायत राज अधिकारी को दी जाएगी। इस प्रकार के अविश्वास प्रस्ताव में पदमुक्त करने सम्बन्धी सभी कारणों का उल्लेख होना चाहिए। प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने वालों में से तीन सदस्यों को ज़िला पंचायत राज अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत होना होगा। सूचना प्राप्त होने के 30 दिन के भीतर ज़िला पंचायत राज अधिकारी ग्राम पंचायत की बैठक बुलाएगा तथा बैठक की सूचना कम से कम 15 दिन पूर्व दी जाएगी। बैठक में उपस्थित तथा वोट देने वाले सदस्यों के 2/3 बहुमत से प्रधान एवं उप-प्रधान को पदमुक्त किया जा सकता है। प्रधान एवं उप-प्रधान को असमय पदमुक्त करने के लिए कोई बैठक उसके चुनाव के एक वर्ष के भीतर नहीं बुलायी जा सकती। यदि अविश्वास प्रस्ताव सम्बन्धी बैठक गणपूर्ति के अभाव में नहीं हो पाती है अथवा प्रस्ताव 2/3 बहुमत से पारित नहीं हो पाता है तो उसी प्रधान/उप-प्रधान को हटाने के लिए दोबारा बैठक एक वर्ष तक नहीं बुलायी जा सकती है। प्रधान को असमय हटाये जाने पर उसका कार्यभार उप-प्रधान को तथा उप-प्रधान को हटाये जाने पर प्रधान को सौंपा जा सकता है। यदि एक ही समय में दोनों का पद रिक्त हो जाता है तो इस दशा में ज़िला मजिस्ट्रेट द्वारा किसी सदस्य को प्रधान का कार्य करने के लिए नामित किया जाएगा।

ग्राम पंचायत के कार्य

  • कृषि सम्बन्धी कार्य
  • ग्राम्य विकास सम्बन्धी कार्य
  • प्राथमिक विद्यालय, उच्च प्राथमिक विद्यालय व अनौपचारिक शिक्षा के कार्य
  • युवा कल्याण सम्बन्धी कार्य
  • राजकीय नलकूपों की मरम्मत व रख-रखाव
  • हेडपम्पों की मरम्मत एवं रख-रखाव
  • चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सम्बन्धी कार्य
  • महिला एवं बाल विकास सम्बन्धी कार्य
  • पशुधन विकास सम्बन्धी कार्य
  • समस्त प्रकार के पेंशन को स्वीकृत करने व वितरण का कार्य
  • समस्त प्रकार की छात्रवृत्तियों को स्वीकृति करने व वितरण का कार्य
  • राशन की दुकान का आवंटन व निरस्त्रीकरण
  • पंचायती राज सम्बन्धी ग्राम्य स्तरीय कार्य आदि।

ग्राम पंचायत का बजट

  • प्रत्येक ग्राम पंचायत एक निश्चित समय में एक अप्रैल से प्रारम्भ होने वाले वर्ष के लिए ग्राम पंचायत की अनुमानित आमदनी और ख़र्चे का हिसाब-किताब तैयार करना।
  • हिसाब-किताब पंचायत की बैठक में उपस्थित होकर वोट देने वाले सदस्यों के आधे से अधिक वोटों से पास किया जाएगा।
  • बजट पास करने के लिए बुलाई गई ग्राम पंचायत की बैठक का कोरम कुल संख्या का आधा होगा।
ग्राम पंचायतों की समितियाँ
क्रम संख्या समिति गठन कार्य
1 नियोजन एवं विकास समिति सभापति-प्रधान, छह अन्य सदस्य अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, महिला एवं पिछड़े वर्ग का एक-एक सदस्य अनिवार्य ग्राम पंचायत की योजना का निर्माण करना, कृषि, पशुपालन और ग़रीबी उन्मूलन कार्यक्रमों का संचालन करना
2 निर्माण कार्य समिति सभापति ग्राम पंचायत द्वारा नामित सदस्य, छह अन्य सदस्य (आरक्षण उपर्युक्त की भाँति) समस्त निर्माण कार्य करना तथा गुणवत्ता निश्चित करना
3 शिक्षा समिति सभापति, उप-प्रधान, छह अन्य सदस्य, आरक्षण उपर्युक्त की भाँति, प्रधानाध्यापक सहयोजित, अभिवाहक-सहयोजित प्राथमिक शिक्षा, उच्च प्राथमिक शिक्षा, अनौपचारिक शिक्षा तथा साक्षरता आदि सम्बन्धी कार्य
4 प्रशासनिक समिति सभापति-प्रधन, छह अन्य सदस्य (आरक्षण उपर्युक्त की भाँति) कमियों/ख़ामियों सम्बन्धी प्रत्येक कार्य
5 स्वास्थ्य एवं कल्याण समिति सभापति ग्राम पंचायत द्वारा नामित सदस्य, छह अन्य सदस्य (आरक्षण पूर्ववत्) चिकित्सा स्वास्थ्य, परिवार कल्याण सम्बन्धी कार्य और समाज कल्याण योजनाओं का संचालन, अनुसूचित जाति/जनजाति तथा पिछड़े वर्ग की उन्नति एवं संरक्षण
6 जल प्रबन्धन समिति सभापति ग्राम पंचायत द्वारा नामित, छह अन्य सदस्य (आरक्षण उपर्युक्त की भाँति) प्रत्येक राजकीय नलकूप के कमाण्ड एरिया में से उपभोक्ता सहयोजित राजकीय नलकूपों का संचालन पेयजल सम्बन्धी कार्य

ग्राम पंचायत के आय के स्रोत

  • भू-राजस्व की धनराशि के अनुसार 25 प्रतिशत से 50 प्रतिशत तक पंचायत कर।
  • प्रान्तीय सरकार अथवा स्थानीय अधिकारियों द्वारा अनुदान।
  • मनोरंजन कर।
  • गाँव के मेले, बाज़ारों आदि पर कर।
  • पशुओं तथा वाहनों आदि पर कर।
  • मछली तालाब से प्राप्त आय।
  • नालियों, सड़कों की सफ़ाई तथा रोशनी के लिए कर।
  • कूड़ा-करकट तथा मृत पशुओं की बिक्री से आय।
  • चूल्हा कर।
  • व्यापार तथा रोज़गार कर।
  • सम्पत्ति के क्रय-विक्रय पर कर।
  • पशुओं का रजिस्ट्रेशन फ़ीस।
  • दुग्ध उत्पादन कर आदि।

ग्राम पंचायत के कर्मचारी

  • पंचायत सचिव- पंचायत के सहायतार्थ नियुक्त किया जाता है।
  • ग्राम सेवक (ग्राम विकास अधिकारी)- विकास के लिए पंचायतों का परामर्शदाता तथा नीतियों को लागू करने में सहायक।
  • चौकीदार- न्याय तथा शान्ति व्यवस्था के लिए पंचायत का सहायक।

ग्राम पंचायत निधिकोष

प्रत्येक ग्राम पंचायत के लिए एक ग्राम कोष होता है। ग्राम पंचायत के वार्षिक आय-व्यय का लेखा-जोखा एवं अनुमान की सीमा के अन्दर ग्राम सभा या ग्राम पंचायत या उसके किसी समिति के कर्तव्यों का पालन करने के लिए धन ख़र्च किया जाता है। सम्बन्धित खातों का संचालन ग्राम प्रधान व ग्राम पंचायत विकास अधिकारी के संयुक्त हस्ताक्षर से किया जाता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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