नेह के जो कुछ निमंत्रण पाये मैंने -शिवकुमार बिलगरामी
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कवि
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शिवकुमार 'बिलगरामी'
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जन्म
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12 अक्टूबर, 1963
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जन्म स्थान
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गाँव- महसोनामऊ, हरदोई, उत्तर प्रदेश
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मुख्य रचनाएँ
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'नई कहकशाँ’
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विधाएँ
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गीत एवं ग़ज़ल
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अन्य जानकारी
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शिवकुमार 'बिलगरामी' की रचनाओं में अनूठे बिम्ब और उपमाएं देखने को मिलती हैं। इनकी छंद पर गहरी पकड़ है जिसके कारण इनके गीतों और ग़ज़लों में ग़ज़ब की रवानी देखने को मिलती है।
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इन्हें भी देखें
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कवि सूची, साहित्यकार सूची
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शिवकुमार 'बिलगरामी' की रचनाएँ
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नेह के जो कुछ निमंत्रण पाये मैंने
नेह के जो कुछ निमंत्रण पाये मैंने
राम राने किसलिए ठुकराये मैंने
प्रेम में संवेदना के स्वर कहीं मध्यम लगे
और कहीं पर भाव मुझको प्रीति के कुछ कम लगे
आत्म के सौंदर्य में ही मैं निरन्तर नत रहा
रूप के श्रृंगार सारे व्यर्थ के टम-टम लगे
प्रेम के मानक कठिन अपनाये मैंने। नेह...
मैं न समझा प्रेम में प्रतिबोध होता ही नहीं
भावना के ज्वार में गतिरोध होता ही नहीं
मैं नहीं स्वीकार पाया प्रेम के इस तत्त्व को
दृष्टि के संवाद में गतिरोध होता ही नहीं
प्रेम के संकेत सब झुठलाये मैंने। नेह...
तेल में व्यंजन बने जो वो मुझे घी के लगे
घृत पके स्वादिष्ट व्यंजन भी मुझे फीके लगे
प्रेम के कटु सत्य को भी मैं समझ पाया नहीं
नीम के पत्ते मुझे कुछ रोज तुलसी के लगे
प्रेम के नवगीत यूँ ही गाये मैंने
नेह के जो कुद निमंत्रण पाये मैंने।
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