प्रमोचन यान एक विशाल रॉकेट है जो उपग्रह, रोबॉटिक अंतरिक्ष यान और मानव सहित अंतरिक्ष यान को अंतरिक्ष में ले जाने का कार्य करते हैं। ये अभिवर्धकों के रूप में भी जाने जाते हैं। प्रक्षेपण यान में तीन या चार चरण होते हैं। ये सभी चरण एक दूसरे के ऊपर सज्जित होते हैं, कभी-कभी "स्ट्रैप-ऑन मोटर" कहलाने वाला रॉकेटों का एक समूह, प्रमोचन यान के पहले चरण को घेरते हैं। पृथ्वी की सतह से उत्थापन के बाद प्रमोचन यान एक उपग्रह/अंतरिक्ष यान को उसकी अपेक्षित कक्षा में स्थापित करने के लिए दस से तीस मिनट के बीच में का समय लेता है।
कार्यक्रम की शुरुआत
भारत में प्रमोचन यानों के विकास कार्यक्रम की शुरुआत 1970 दशक के प्रारंभ में हुई। प्रथम प्रायोगिक प्रमोचन यान (एसएलवी-3) 1980 में विकसित किया गया। इसका एक संवर्धित संस्करण, एएसएलवी का प्रमोचन 1992 में सफलतापूर्वक किया गया। उपग्रह प्रमोचन यान कार्यक्रम में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए ध्रुवीय उपग्रह प्रमोचन यान (पीएसएलवी) और भूतुल्यकाली उपग्रह प्रमोचन यान (जीएसएलवी) के प्रचालनीकरण के साथ भारत ने प्रमोचन यान प्रौद्योगिकी में ज़बरदस्त प्रगति की है।
पीएसएलवी इसरो द्वारा प्रचालनात्मक यान को अभिकल्पित और विकसित करने के प्रयास को निरूपित करता है, जिसे कक्षा अनुप्रयोज्य उपग्रह के रूप में प्रयोग किया जा सके। जहाँ एसएलवी-3 ने भारत का स्थान अंतरिक्ष में प्रवीण राष्ट्रों के समुदाय में सुरक्षित किया, एएसएलवी ने इसरो की प्रमोचन यान प्रौद्योगिकी को आगे बढ़ने की प्रक्रिया प्रदान की। और पीएसएलवी के साथ एक नए वैश्विक-स्तर के यान का आगमन हुआ। पीएसएलवी ने विविध कक्षाओं में 48 उपग्रहों/अंतरिक्षयानों के (22 भारतीय और 26 अंतर्राष्ट्रीय ग्राहकों के लिए) प्रमोचन द्वारा बार बार अपनी विश्वसनीयता और बहुविज्ञता को सिद्ध किया है।
प्रमोचन यान विकास में ऐतिहासिक उपलब्धियाँ
- पीएसएलवी ने 19 प्रमोचनों में से 18 निरंतर सफल उड़ानें भरी है।
- पीएसएलवी का, उसकी बहु-उपग्रह प्रमोचन क्षमता का प्रदर्शन करते हुए, वाणिज्यिक समझौतों के अधीन विदेशी ग्राहकों के लिए कुल 26 उपग्रहों के प्रमोचन के लिए उपयोग किया गया है।
- पीएसएलवी की बहुविज्ञता प्रमाणित करते हुए अंतरिक्ष कैप्सूल पुनःप्राप्ति परीक्षण (एसआरई-1), चंद्रयान-1 और इसरो के विशिष्ट मौसमविज्ञानीय उपग्रह, कल्पना-1 के प्रमोचन के लिए उसका उपयोग किया गया।
- जीएसएलवी 7 प्रमोचनों में 4 सफल उड़ानों सहित भू-तुल्यकाली अंतरण कक्षा (जीटीओ) में 2 से 2.5 टन भार के उपग्रह प्रमोचित कर सकता है।
- 15 नवंबर, 2007 को देश में विकसित निम्नतापीय ऊपरी चरण सफल परीक्षण।
- कुछ प्रमोचन यान
- उपग्रह प्रमोचन यान-3 अथवा एसएलवी-3
- संवर्धित उपग्रह प्रमोचन यान अथवा एएसएलवी
- ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान अथवा पीएसएलवी
- भूतुल्यकाली उपग्रह प्रक्षेपण यान अथवा जीएसएलवी
- भूतुल्यकाली उपग्रह प्रमोचन यान मार्क III अथवा जीएसएलवी मार्क III
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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