बिलग्राम का युद्ध

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बिलग्राम का युद्ध मुग़ल बादशाह हुमायूँ और सूर साम्राज्य के संस्थापक शेरशाह के मध्य हुआ था।

  • यह युद्ध वर्ष 1540 ई. में लड़ा गया था।
  • इस युद्ध के परिणामस्वरूप हुमायूँ शेरशाह सूरी द्वारा पराजित हुआ।
  • बिलग्राम का युद्ध जीतने के बाद शेरशाह ने हुमायूँ को भारत छोड़ने के लिए विवश कर दिया।
  • उत्तर भारत में द्वितीय अफ़ग़ान साम्राज्य के संस्थापक शेरशाह द्वारा बाबर के चंदेरी अभियान के दौरान कहे गये ये शब्द अक्षरशः सत्य सिद्ध हुए कि- "अगर भाग्य ने मेरी सहायता की और सौभाग्य मेरा मित्र रहा, तो मै मुग़लों को सरलता से भारत से बाहर निकाला दूँगा।"


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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