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- |चित्र का नाम=जगत प्रकाश नड्डा |पूरा नाम=जगत प्रकाश नड्डा ...12 KB (118 शब्द) - 08:11, 30 जुलाई 2022
- |चित्र का नाम=लाला जगत नारायन |पूरा नाम=लाला जगत नारायन ...10 KB (42 शब्द) - 09:05, 11 मार्च 2024
पृष्ठ पाठ मिलान
- ...परन्तु बाद में उसने अपनी इच्छा से स्वयं को जगत-रूप में उत्पन्न किया। वही 'जगत-रस' अर्थात् आनन्द है। ...2 KB (14 शब्द) - 07:54, 7 नवम्बर 2017
- ...ं भी देवस्वरूप है, इसलिये इसे त्रिलोकी का कर्त्ता माना गया है। यह सम्पूर्ण जगत् अहंकार स्वरूप है, इसलिये यह अभिमन्ता कहा जाता है। ...विकारों के कारण रूप अहंकार का ही स्वरूप है। वह अहंकार ही अपने तेज से सारे जगत् को रजोमय (भोगों का इच्छुक) बनाता है। ...4 KB (18 शब्द) - 13:50, 30 जून 2017
- ...्नता दर्शाई गयी है। सूर्य और आत्मा, ब्रह्म के ही रूप हैं। सूर्य के तेज़ से जगत की उत्पत्ति होती है। इसमें सूर्य की स्तुति, उसका सर्वात्मक ब्रह्मत्त्व और उ *सूर्यदेव समस्त जड़-चेतन जगत की आत्मा हैं। सूर्य से समस्त प्राणियों का जन्म होता है। सूर्य से ही आत्मा क ...3 KB (22 शब्द) - 13:46, 13 अक्टूबर 2011
- ...दयालु महात्मा महर्षि कश्यप के पुत्र हैं। प्रभो ! आप कुपित न हों। सम्पूर्ण जगत् पर उत्तम दया का विस्तार करें। आप ईश्वर हैं, अतः शान्ति धारण करें और हम सबक ...6 KB (17 शब्द) - 11:17, 1 अगस्त 2017
- ...ह भी [[ब्रह्मा]] जी के मानस पुत्र माने जाते हैं। इनके जीवन का मुख्य लक्ष्य जगत् को अधिकाधिक सुख, शान्ति व समृध्दि दिलाना है। ब्रह्मा जी ने इन्हें सृष्टि क ...न्य ग्रंथों में मिलता है। लगातार जप, तप करने में लीन रहने वाले पुलह ऋषि ने जगत् को आध्यात्मिक, आधिदैविक और आधिभौतिक शान्ति प्रदान करने का कार्य किया। ...3 KB (11 शब्द) - 13:54, 30 जून 2017
- ...िविध चरणों और मात्राओं का विवेचन करते हुए अव्यक्त परमात्मा के व्यक्त विराट जगत् का उल्लेख किया गया है। परमात्मा के 'निराकार' और 'साकार' दोनों स्वरूपों की *यह सम्पूर्ण जगत् 'ब्रह्म-रूप' है।'आत्मा' भी ब्रह्मा का ही स्वरूप है। 'ब्रह्म' और 'आत्मा' चा ...5 KB (50 शब्द) - 14:04, 30 जून 2017
- *जो जगत् को प्रकाश देने वाला है, नित्य प्रकाश स्वरूप हे, वह समस्त जगत् का साक्षी, निर्मल आकृति वाला सभी का 'आत्मा' है। वह ज्ञान और सत्य-रूप में अ ...3 KB (25 शब्द) - 11:44, 3 अगस्त 2017
- |चित्र का नाम=लाला जगत नारायन |पूरा नाम=लाला जगत नारायन ...10 KB (42 शब्द) - 09:05, 11 मार्च 2024
- |चित्र का नाम=जगत प्रकाश नड्डा |पूरा नाम=जगत प्रकाश नड्डा ...12 KB (118 शब्द) - 08:11, 30 जुलाई 2022
- ==जगत अकाली दल की स्थापना== ...के कारण अकाली दल छोड़ दिया और [[21 जनवरी]] [[1992]] को अपनी खुद की पार्टी "जगत अकाली दल" की स्थापना की। बाद में उन्होंने [[फ़रवरी]] [[1998]] में अपनी पार् ...6 KB (29 शब्द) - 06:34, 5 नवम्बर 2024
- | [[जगत प्रकाश नड्डा]] | [[चित्र:J-P-Nadda.jpg|80px|center|जगत प्रकाश नड्डा]] ...4 KB (82 शब्द) - 10:35, 30 जुलाई 2022
- ...अनुभव होता है, किन्तु वह अंश परमात्मा नहीं है। वह उससे दूर है। वह सम्पूर्ण जगत में प्रतिभासित होते हुए भी उससे दूर है। ...मा ही परब्रह्म के रूप में समस्त प्राणियों में विद्यमान है। सम्पूर्ण चर-अचर जगत में तत्त्व-रूप में वह संव्याप्त है। वही ब्रह्म है। वही आत्मतत्त्व के रूप मे ...6 KB (55 शब्द) - 13:43, 13 अक्टूबर 2011
- '''शुक्लकृष्णे गती ह्रोते जगत: शाश्वते मते ।'''<br/> क्योंकि जगत् के ये दो प्रकार के – शुक्ल और कृष्ण अर्थात् देवयान और पितृयान मार्ग सनातन ...4 KB (168 शब्द) - 09:39, 5 जनवरी 2013
- नित नव मंगल गृह बसै लहे जगत् सन्मान॥ ...5 KB (58 शब्द) - 11:40, 3 अगस्त 2017
- ...ें जब यह पृथ्वी जलमग्न हो गयी तब विष्णु को पुन: जगत सर्जन का विचार हुआ। वह जगत की विविध विचित्र रचना का विषय सोचते हुए योगनिद्रा का अवलम्बन कर जल में सो र ...4 KB (24 शब्द) - 07:36, 7 नवम्बर 2017
- ...ते हैं-'हे सत्वगुण स्वरूप, नेत्रों के प्रकाशक और सर्वत्र हज़ारों किरणों से जगत् को आभायुक्त करने वाले सूर्यदेव! हमें असत से सतपथ की ओर ले चलों, हमें अन्धक ...परब्रह्म को देखते हुए शान्ति और सुख से रहें। आत्मा-परमात्मा के अतिरिक्त इस जगत् में अन्य किसी का आभास न हो, इसी को 'योग' कहते हैं। इस योगकर्म को समझते हुए ...4 KB (29 शब्द) - 13:51, 30 जून 2017
- ...र प्रवाहमान द्रष्टव्य है। भारत चिरकाल से एक दर्शन प्रधान देश रहा है। भौतिक जगत् का मिथ्यात्व तथा निराकार ब्रह्म का सत्य एवं सर्वव्यापकता यहाँ सदैव विचार क *[[पिप्पलाद]] की कथा ब्रह्म जीव, जगत् पर प्रकाश डालती है। ...5 KB (23 शब्द) - 13:54, 30 जून 2017
- * [[2018]] - [[रीता भादुड़ी]] - हिन्दी सिने जगत की जानीमानी अभिनेत्री थीं। * [[1979]] - [[लालमणि मिश्र]] - [[संगीत|भारतीय संगीत]] जगत के ऐसे मनीषी थे, जो अपनी कला के समान ही अपनी विद्वता के लिए भी जाने जाते थे ...5 KB (39 शब्द) - 06:25, 15 अगस्त 2022
- ...ने कहा- महर्षियों! अब मैं तीसरे उत्तम गुण (सत्त्वगुण) का वर्णन करूँगा, जो जगत् में सम्पूर्ण प्राणियों का हितकारी और श्रेष्ठ पुरुषों का प्रशंसनीय धर्म है। ...ाव, शान्ति कर्म में शुद्ध भाव से प्रवृत्ति, उत्तम बुद्धि, आसक्ति से छूटना, जगत् के भोगों से उदासीनता, ब्रह्मचर्य, सब प्रकार का त्याग, निर्ममता, फल की कामन ...7 KB (27 शब्द) - 14:20, 30 जून 2017
- ...हैं कि [[वृन्दावन]] अधीश्वर श्री कृष्ण ही एकमात्र सर्वेश्वर हैं। वे समस्त जगत् के आधार हैं। वे प्रकृति से परे और नित्य हैं। उस सर्वेश्वर श्री कृष्ण की आह *यह शक्ति जगत् की कारणभूता सत, रज, तम के रूप में बहिरंग होने के कारण जड़ कही जाती है। अवि ...5 KB (26 शब्द) - 14:29, 6 जुलाई 2017