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'''कृष्ण निरंजन सिंह''' ([[अंग्रेज़ी]]:''Krishna Niranjan Singh''; जन्म- [[1 सितंबर]], [[1908]], [[देहरादून]], मृत्यु- [[31 जनवरी]], [[2000]]) भारतीय सिनेमा के खलनायक अभिनेता थे। के. एन.सिंह ने लगभग 250 फ़िल्मों में धमाकेदार उपस्थिति दर्ज करायी है।
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==संक्षिप्त परिचय==  
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{{main|के. एन. सिंह का जीवन परिचय}}
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के. एन. सिंह का जन्म [[1 सितंबर]], [[1908]] को [[देहरादून]] में हुआ था। उनके पिता चंडी दास एक जाने-माने [[वकील]] (क्रिमिनल लॉएर) थे और [[देहरादून]] में कुछ प्रांत के राजा भी थे। इन्हें के. एन. सिंह के नाम से भी जाना जाता है। कृष्ण निरंजन भी उनकी तरह बकील बनना चाहते थे लेकिन अप्रत्याशित घटना चक्र उन्हें फ़िल्मों की ओर खींच ले आया। मंजे हुए अभिनय के बल पर के. एन. सिंह एक चरित्र अभिनेता बने व विलेन के रूप में स्थापित हुए। सुनहरा संसार (1936) उनकी पहली फ़िल्म थी। बागवान (1936) में उनका नेगेटिव रोल था। जनता को यह भूमिका बहुत भायी व लंबे समय तक विलेन के रूप में उनके नाम पर मोहर लग गई।
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== फ़िल्मी सफ़र ==
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{{main|के. एन. सिंह का फ़िल्मी सफ़र}}
<quiz display=simple>
के. एन. सिंह  को अपने पिता द्वारा अपनी जागीर का [[ब्रिटिश सरकार]] से समझौता पसंद नहीं आया। तभी वे वकालत से मुंह मोड़कर [[खेल]] के मैदान में उतर गये। [[1936]]
 
के बर्लिन ओलंपिक्स के लिये वह जेवलिन थ्रो व शॉट पुट स्पर्धाओं के लिये भारतीय टीम के लिये चुन लिये गये थे। तभी एन मौके पर उन्हें बहिन की आंख के ऑपरेशन के लिये [[कलकत्ता]] जाना पड़ा। क्योंकि उनके जीजा [[लंदन]] गये हुए थे। कलकत्ता में उनकी मुलाकात फेमिली फ्रेंड [[पृथ्वी राज कपूर|पृथ्वी राजकपूर]] से हुई। इन्हीं ने के. एन. सिंह को देबकी बॉस से मिलाया। देबकी ने अपनी फ़िल्म सुनहरा संसार (1936) में सहायक की भूमिका दी। यहां से के. एन. सिंह फ़िल्मों में ऐसे रमें कि [[खेल]] का मैदान व सेना में भर्ती का विचार उड़न छू हो गया।
{[[भारतीय संविधान]] को निम्नलिखित में से कौन-सी अनुसूची राज्यसभा में स्थानों के आवंटन से संबंधित है?
==प्रमुख फ़िल्में ==
|type="()"}
{{main|के. एन. सिंह की प्रमुख फ़िल्में}}
-[[भारत का संविधान- तीसरी अनुसूची |तीसरी अनुसूची]]
[[1936]] से [[1982]] तक के.एन. सिंह ने लगभग 250 फ़िल्में हुमायूं ([[1944]]), बरसात ([[1949]]), सज़ा व आवारा ([[1951]]), जाल व आंधियां ([[1952]]), शिकस्त व बाज़ ([[1953]]), हाऊस नं. 44 व मेरीन ड्राईव ([[1955]]), फंटूश व सी0आई0डी0 ([[1956]]), हावड़ा ब्रिज व चलती का नाम गाड़ी ([[1958]]) आदि की।
+[[भारत का संविधान- चौथी अनुसूची|चौथी अनुसूची]]
==निधन==
-[[भारत का संविधान- पांचवीं अनुसूची|पांचवीं अनुसूची]]
के. एन. सिंह का देहांत [[31 जनवरी]], [[2000]] में हुआ था।
-[[भारत का संविधान- छठी अनुसूची|छठीं अनुसूची]]
||[[भारतीय संविधान]] की चौथी अनुसूची [[राज्य सभा]] में स्थानों के आवंटन से संबंधित है।
 
 
{'पैकेज डील' का संबंध है: (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-121,प्रश्न-25
|type="()"}
-[[भारत]]-[[चीन]] वार्ता से
-[[भारत]]-[[पाक]] वार्ता से
+[[संयुक्त राष्ट्र संघ]] की सदस्यता से
-कॉमनवेल्थ की सदस्यता से
||पैकेज डील का संबंध संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता से था।
 
 
 
{सर आइवर जेनिंग्स द्वारा लिखित पुस्तक कौन नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-205,प्रश्न-34
|type="()"}
-सम कैरेक्टरस्टिक्स ऑफ़ दि इंडियन कांस्टीट्यूशन
-दी लॉ एंड दी कांस्टीट्यूशन
+माडर्न कांस्टीट्यूशन
-कैबिनेट गवर्नमेंट
||'मॉडर्न कांस्टीट्यूशन' नामक पुस्तक के.सी. व्हीयर द्वारा लिखी गई है। शेष पुस्तकों को सर आइवर जेनिंग्स द्वारा लिखा गया है।
 
{यदि राज्य सभा किसी संविधान संशोधन विधेयक पर लोक सभा से असहमत हो तो ऐसी स्थिति में-(नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-141,प्रश्न-25
|type="()"}
+संशोधन विधेयक पारित नहीं माना जाता
-दोनों सदनों की संयुक्त बैठक द्वारा इसका निर्णय होगा
-लोक सभा द्वारा दो-तिहाई बहुमत से यह विधेयक पारित कर दिया जाएगा
-लोक सभा राज्य सभा के मत को अस्वीकृत कर देगी
||संविधान संशोधन विधेयक संसद के दोनों सदनों द्वारा अलग-अलग विशेष बहुमत से स्वीकृत किया जाना आवश्यक है। दोनों सदनों में असहमति की स्थिति में विधेयक अंतिम रूप से समाप्त हो जाएगा क्योंकि संविधान संशोधन के प्रस्ताव पर विचार करने के लिए संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक की संविधान में कोई व्यवस्था नहीं हैं।
</quiz>
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12:56, 17 मार्च 2018 के समय का अवतरण

1 भारतीय संविधान को निम्नलिखित में से कौन-सी अनुसूची राज्यसभा में स्थानों के आवंटन से संबंधित है?

तीसरी अनुसूची
चौथी अनुसूची
पांचवीं अनुसूची
छठीं अनुसूची

2 'पैकेज डील' का संबंध है: (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-121,प्रश्न-25

भारत-चीन वार्ता से
भारत-पाक वार्ता से
संयुक्त राष्ट्र संघ की सदस्यता से
कॉमनवेल्थ की सदस्यता से

3 सर आइवर जेनिंग्स द्वारा लिखित पुस्तक कौन नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-205,प्रश्न-34

सम कैरेक्टरस्टिक्स ऑफ़ दि इंडियन कांस्टीट्यूशन
दी लॉ एंड दी कांस्टीट्यूशन
माडर्न कांस्टीट्यूशन
कैबिनेट गवर्नमेंट

4 यदि राज्य सभा किसी संविधान संशोधन विधेयक पर लोक सभा से असहमत हो तो ऐसी स्थिति में-(नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-141,प्रश्न-25

संशोधन विधेयक पारित नहीं माना जाता
दोनों सदनों की संयुक्त बैठक द्वारा इसका निर्णय होगा
लोक सभा द्वारा दो-तिहाई बहुमत से यह विधेयक पारित कर दिया जाएगा
लोक सभा राज्य सभा के मत को अस्वीकृत कर देगी