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+[[ख़ानदेश]] | +[[ख़ानदेश]] | ||
-[[जौनपुर]] | -[[जौनपुर]] | ||
||[[तुग़लक़ वंश]] के पतन के समय [[फ़िरोज़शाह तुग़लक़]] के सूबेदार 'मलिक अहमद राजा फ़ारूक़ी' ने [[नर्मदा नदी]] एवं [[ताप्ती नदी]] के बीच 1388 ई. में [[ख़ानदेश]] की स्थापना की और साथ ही [[फ़ारूक़ी वंश]] की नींव रखी। इसका नाम ख़ानदेश इस लिए पड़ा, क्योंकि यहाँ के सभी सुल्तानों ने 'ख़ान' की उपाधि ग्रहण की और शासन किया। | ||[[तुग़लक़ वंश]] के पतन के समय [[फ़िरोज़शाह तुग़लक़]] के सूबेदार 'मलिक अहमद राजा फ़ारूक़ी' ने [[नर्मदा नदी]] एवं [[ताप्ती नदी]] के बीच 1388 ई. में [[ख़ानदेश]] की स्थापना की और साथ ही [[फ़ारूक़ी वंश]] की नींव रखी। इसका नाम ख़ानदेश इस लिए पड़ा, क्योंकि यहाँ के सभी सुल्तानों ने 'ख़ान' की उपाधि ग्रहण की और शासन किया।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ख़ानदेश]] | ||
{प्रसिद्ध 'विरुपाक्ष मंदिर' कहाँ अवस्थित है? | {प्रसिद्ध 'विरुपाक्ष मंदिर' कहाँ अवस्थित है? | ||
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+[[हम्पी]] | +[[हम्पी]] | ||
-श्रीकालहस्ति | -श्रीकालहस्ति | ||
||[[चित्र:Virupraksha-Temple-Hampi.jpg|right|100px|विरुपाक्ष मन्दिर]]'विरुपाक्ष मंदिर' को 'पंपापटी मंदिर' भी कहा जाता है, यह हेमकुटा पहाड़ियों के निचले हिस्से में स्थित है। [[हम्पी]] के कई आकर्षणों में से यह मुख्य है। 1509 में अपने अभिषेक के समय [[कृष्णदेव राय]] ने 'गोपुड़ा' का निर्माण करवाया था। भगवान 'विठाला' या भगवान [[विष्णु]] को यह मंदिर समर्पित है। 15वीं शताब्दी में निर्मित यह मंदिर बाज़ार क्षेत्र में स्थित है। यह नगर के सबसे प्राचीन स्मारकों में से एक है।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[हम्पी]] | |||
{[[अकबर]] द्वारा | {[[अकबर]] द्वारा बनवाई गई कौन-सी इमारत का नक्शा [[बौद्ध विहार]] की तरह है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+पंचमहल | +पंचमहल | ||
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-[[बुलंद दरवाजा]] | -[[बुलंद दरवाजा]] | ||
{गुलबदन बेगम पुत्री | {'गुलबदन बेगम' निम्न में से किसकी पुत्री थीं? | ||
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+[[बाबर]] | +[[बाबर]] | ||
-[[हुमायूँ]] | -[[हुमायूँ]] | ||
-[[शाहजहाँ]] | -[[शाहजहाँ]] | ||
-[[औरंगज़ेब]] | -[[औरंगज़ेब]] | ||
||[[चित्र:Babar.jpg|बाबर|100px|right]] | ||[[चित्र:Babar.jpg|बाबर|100px|right]]14 फ़रवरी, 1483 ई. को फ़रग़ना में 'ज़हीरुद्दीन मुहम्मद बाबर' का जन्म हुआ था। [[बाबर]] अपने पिता की ओर से [[तैमूर]] का पाँचवा एवं माता की ओर से [[चंगेज़ ख़ाँ]] ([[मंगोल]] नेता) का चौदहवाँ वंशज था। उसका परिवार तुर्की जाति के 'चग़ताई वंश' के अन्तर्गत आता था। बाबर अपने पिता 'उमर शेख़ मिर्ज़ा' की मृत्यु के बाद 11 वर्ष की आयु में शासक बना था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बाबर]] | ||
{'गोविन्द महल', जो [[हिन्दू]] वास्तुकला का अप्रतिम उदाहरण है, कहाँ स्थित है? | |||
{गोविन्द महल, जो [[हिन्दू | |||
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+दतिया | +दतिया | ||
-[[खजुराहो]] | -[[खजुराहो]] | ||
-[[ओरछा]] | -[[ओरछा]] | ||
-[[ग्वालियर]] | -[[ग्वालियर]] | ||
{किस [[ | {किस [[सिक्ख]] [[गुरु]] ने [[गुरु नानक]] की जीवनी लिखी थी? | ||
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-[[गुरु अंगद देव]] ने | -[[गुरु अंगद देव]] ने | ||
-गुरु रामदास ने | -गुरु रामदास ने | ||
-गुरु अमरदास ने | -गुरु अमरदास ने | ||
+गुरु अर्जुनदेव ने | +गुरु अर्जुनदेव ने | ||
{दक्षिण अफ़्रीका में [[महात्मा गाँधी]] द्वारा प्रकाशित पत्रिका का नाम क्या था? | |||
{दक्षिण | |||
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-नवजीवन | -नवजीवन | ||
+इंडियन ओपिनियन | +इंडियन ओपिनियन | ||
-हरिजन | -हरिजन | ||
- | -अफ़्रीकन न्यूज | ||
{कवि | {कवि [[मोहम्मद इक़बाल]], जिन्होंने 'सारे जहाँ से अच्छा' लिखा, [[भारत]] के किस स्थान से संबंधित हैं? | ||
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-[[दिल्ली]] | -[[दिल्ली]] | ||
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-[[पंजाब]] | -[[पंजाब]] | ||
+[[कश्मीर]] | +[[कश्मीर]] | ||
||[[चित्र:Kashmir-Valley.jpg|कश्मीर की घाटी|100px|right]][[किंवदंती]] है कि महर्षि [[कश्यप]] [[श्रीनगर]] से तीन मील दूर हरि-पर्वत पर रहते | ||[[चित्र:Kashmir-Valley.jpg|कश्मीर की घाटी|100px|right]][[किंवदंती]] है कि, महर्षि [[कश्यप]], [[श्रीनगर]] से तीन मील दूर 'हरि-पर्वत' पर रहते थे, जहाँ आजकल [[कश्मीर की घाटी]] है। वहाँ अति प्राचीन प्रागैतिहासिक काल में एक बहुत बड़ी [[झील]] थी, जिसके पानी को निकालकर महर्षि कश्यप ने इस स्थान को मनुष्यों के बसने योग्य बनाया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कश्मीर]] | ||
{वर्ष 1919 में [[जलियाँवाला बाग़]] हत्याकांड कहाँ पर हुआ? | {वर्ष 1919 ई. में [[जलियाँवाला बाग़]] हत्याकांड कहाँ पर हुआ? | ||
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+[[अमृतसर]] | +[[अमृतसर]] | ||
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-[[चंडीगढ़]] | -[[चंडीगढ़]] | ||
-[[कलकत्ता]] | -[[कलकत्ता]] | ||
||[[चित्र:Golden-Temple-Amritsar-3.jpg|स्वर्ण मंदिर, अमृतसर|100px|right]]अमृतसर अनेक त्रासदियों और दर्दनाक घटनाओं का गवाह रहा है। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का सबसे बड़ा नरसंहार अमृतसर के जलियांवाला बाग़ में ही हुआ था। इसके बाद [[भारत]]-[[पाकिस्तान]] के बीच | ||[[चित्र:Golden-Temple-Amritsar-3.jpg|स्वर्ण मंदिर, अमृतसर|100px|right]]अमृतसर अनेक त्रासदियों और दर्दनाक घटनाओं का गवाह रहा है। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का सबसे बड़ा नरसंहार [[अमृतसर]] के [[जलियांवाला बाग़]] में ही हुआ था। इसके बाद [[भारत]]-[[पाकिस्तान]] के बीच जिस समय बंटवारा हुआ, उस समय भी अमृतसर में बड़ा नर संहार व हत्याकांड हुआ था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अमृतसर]] | ||
{[[काकोरी काण्ड|काकोरी ट्रेन डकैती कांड]] के नायक कौन थे? | {[[काकोरी काण्ड|'काकोरी ट्रेन डकैती कांड']] के नायक कौन थे? | ||
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+[[राम प्रसाद बिस्मिल]] | +[[राम प्रसाद बिस्मिल]] | ||
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-[[बटुकेश्वर दत्त]] | -[[बटुकेश्वर दत्त]] | ||
-बरकतुल्ला | -बरकतुल्ला | ||
||[[चित्र:Ram-Prasad-Bismil.jpg|राम प्रसाद बिस्मिल|100px|right]]पंडित रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ का जन्म [[उत्तर प्रदेश]] के [[शाहजहाँपुर]] ज़िले में | ||[[चित्र:Ram-Prasad-Bismil.jpg|राम प्रसाद बिस्मिल|100px|right]]पंडित रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ का जन्म [[उत्तर प्रदेश]] के [[शाहजहाँपुर]] ज़िले में 11 जून, 1897 को हुआ। यह वह समय था, जब देश में राष्ट्रीय आन्दोलन ज़ोरों पर था। देश में ब्रिटिश हुक़ूमत के ख़िलाफ़ एक ऐसी लहर उठने लगी थी, जो पूरे [[अंग्रेज़]] शासन को लीलने के लिए बेताब हो चली थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[राम प्रसाद बिस्मिल]] | ||
{उपन्यास 'दुर्गेश नन्दनी' के लेखक हैं? | {उपन्यास 'दुर्गेश नन्दनी' के लेखक कौन हैं? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[रवीन्द्र नाथ टैगोर]] | -[[रवीन्द्र नाथ टैगोर]] | ||
-स्वर्ण कुमारी | -स्वर्ण कुमारी | ||
+[[बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय]] | +[[बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय]] | ||
-तारकनाथ गंगोपाध्याय | -तारकनाथ गंगोपाध्याय | ||
||[[चित्र:Bankim-Chandra-Chatterjee.jpg|बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय|100px|right]]बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय के दूसरे उपन्यास 'कपाल कुण्डली', 'मृणालिनी', 'विषवृक्ष', 'कृष्णकांत का वसीयत नामा', 'रजनी', 'चन्द्रशेखर' आदि प्रकाशित हुए। राष्ट्रीय दृष्टि से '[[आनंदमठ]]' उनका सबसे प्रसिद्ध उपन्यास है। इसी में सर्वप्रथम '[[वन्दे मातरम्]]' गीत प्रकाशित हुआ था। ऐतिहासिक और सामाजिक तानेबाने से बुने हुए इस उपन्यास ने देश में राष्ट्रीयता की भावना जागृत करने में बहुत योगदान दिया।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय]] | ||[[चित्र:Bankim-Chandra-Chatterjee.jpg|बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय|100px|right]]'बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय' के दूसरे उपन्यास 'कपाल कुण्डली', 'मृणालिनी', 'विषवृक्ष', 'कृष्णकांत का वसीयत नामा', 'रजनी', 'चन्द्रशेखर' आदि प्रकाशित हुए। राष्ट्रीय दृष्टि से '[[आनंदमठ]]' उनका सबसे प्रसिद्ध उपन्यास है। इसी में सर्वप्रथम '[[वन्दे मातरम्]]' गीत प्रकाशित हुआ था। ऐतिहासिक और सामाजिक तानेबाने से बुने हुए इस उपन्यास ने देश में राष्ट्रीयता की भावना जागृत करने में बहुत योगदान दिया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय]] | ||
{चरक किसके राज-चिकित्सक थे? | {चरक किसके राज-चिकित्सक थे? |
09:49, 23 जुलाई 2011 का अवतरण
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