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गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
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-सूर्यो | -सूर्यो | ||
{तीर का | {तीर का [[पर्यायवाची शब्द]] क्या है? | ||
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+तार | +तार | ||
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{<poem>मुझे तोड़ लेना वनमाली, उस पथ में देना तुम फेंक | {<poem>मुझे तोड़ लेना वनमाली, उस पथ में देना तुम फेंक | ||
मातृभूमि पर शीश चढाने, जिस पथ जावें वीर अनेक।</poem> | मातृभूमि पर शीश चढाने, जिस पथ जावें वीर अनेक।</poem> | ||
प्रस्तुत | प्रस्तुत पंक्ति के रचयिता हैं? | ||
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-सत्यनारायण पाण्डेय | -सत्यनारायण पाण्डेय | ||
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||वीर रस से ही [[अदभुत रस]] की उत्पत्ति बतलाई गई है। वीर रस का 'वर्ण' 'स्वर्ण' अथवा 'गौर' तथा [[देवता]] [[इन्द्र]] कहे गये हैं। यह उत्तम प्रकृति वालो से सम्बद्ध है तथा इसका '''स्थायी भाव''' ‘उत्साह’ है।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[वीर रस]] | ||वीर रस से ही [[अदभुत रस]] की उत्पत्ति बतलाई गई है। वीर रस का 'वर्ण' 'स्वर्ण' अथवा 'गौर' तथा [[देवता]] [[इन्द्र]] कहे गये हैं। यह उत्तम प्रकृति वालो से सम्बद्ध है तथा इसका '''स्थायी भाव''' ‘उत्साह’ है।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[वीर रस]] | ||
{'मधुशाला' के लेखक हैं? | {'[[मधुशाला]]' के लेखक हैं? | ||
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-[[सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला]] | -[[सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला]] | ||
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-सूरदास | -सूरदास | ||
-[[पद्मावत]] | -[[पद्मावत]] | ||
+साकेत | +[[साकेत (महाकाव्य)|साकेत]] | ||
-[[कवितावली]] | -[[कवितावली]] | ||
|| साकेत राष्ट्रकवि [[मैथिलीशरण गुप्त]] की वह अमर कृति है। इस कृति में [[राम]] के भाई [[लक्ष्मण]] की पत्नी [[उर्मिला]] के विरह का जो चित्रण गुप्त जी ने किया है वह अत्यधिक मार्मिक और गहरी मानवीय संवेदनाओं और भावनाओं से ओत-प्रोत है।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[साकेत (महाकाव्य)|साकेत]] | |||
{'ठेले पर हिमालय' किसकी रचना है? | {'ठेले पर हिमालय' किसकी रचना है? | ||
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-निर्मल वर्मा | -निर्मल वर्मा | ||
-शरद जोशी | -शरद जोशी | ||
||[[चित्र:Dr.Dharamvir-Bharati.jpg|धर्मवीर भारती|100px|right]]धर्मवीर भारती ने शोधकार्य पूरा करने के बाद वहीं विश्वविद्यालय में हिन्दी के प्राध्यापक के रूप में नियुक्ति हो गई। देखते ही देखते बहुत लोकप्रिय अध्यापक के रुप में उनकी प्रशंसा होने लगी। उसी दौरान 'नदी प्यासी थी' नामक 'एकांकी नाटक संग्रह' और 'चाँद और टूटे हुए लोग' नाम से कहानी संग्रह छपे। 'ठेले पर हिमालय' नाम से ललित रचनाओं का संग्रह छपा और शोध प्रबंध ' | ||[[चित्र:Dr.Dharamvir-Bharati.jpg|धर्मवीर भारती|100px|right]]धर्मवीर भारती ने शोधकार्य पूरा करने के बाद वहीं विश्वविद्यालय में हिन्दी के प्राध्यापक के रूप में नियुक्ति हो गई। देखते ही देखते बहुत लोकप्रिय अध्यापक के रुप में उनकी प्रशंसा होने लगी। उसी दौरान 'नदी प्यासी थी' नामक 'एकांकी नाटक संग्रह' और 'चाँद और टूटे हुए लोग' नाम से कहानी संग्रह छपे। 'ठेले पर हिमालय' नाम से ललित रचनाओं का संग्रह छपा और शोध प्रबंध 'सिद्ध साहित्य' भी छप गया।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[धर्मवीर भारती]] | ||
{सबसे प्राचीन कौन सी वीरता है। | {सबसे प्राचीन कौन सी वीरता है। |
15:25, 30 सितम्बर 2011 का अवतरण
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