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+कर्मधारय | +कर्मधारय | ||
-द्विगु | -द्विगु | ||
{'गीतांजलि' के रचयिता कौन हैं? | |||
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-[[महादेवी वर्मा]] | |||
-[[प्रेमचंद]] | |||
+[[रबीन्द्रनाथ ठाकुर]] | |||
-कल्हण | |||
||[[चित्र:Rabindranath-Tagore.gif|रबीन्द्रनाथ टैगोर|100px|right]]'गीतांजलि' का [[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]] अनुवाद प्रकाशित होने के एक सप्ताह के अंदर लंदन से प्रकाशित होने वाले प्रसिद्ध साप्ताहिक 'टाइम्स लिटरेरी सप्लीमेंट' में रबीन्द्रनाथ ठाकुर की समीक्षा प्रकाशित हुई थी और बाद में आगामी तीन माह के अंदर तीन समाचार पत्रों में भी उसकी समीक्षा प्रकाशित हुई।{{point}} अधिक जानकरी के लिए देखें:-[[रबीन्द्रनाथ ठाकुर]] | |||
{[[चाय]] किस भाषा का शब्द है? | {[[चाय]] किस भाषा का शब्द है? | ||
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+भाववाचक संज्ञा | +भाववाचक संज्ञा | ||
-अव्यय | -अव्यय | ||
{उत्तर [[भारत]] में [[भक्ति]] का प्रसार करने का श्रेय किसे प्राप्त है? | {उत्तर [[भारत]] में [[भक्ति]] का प्रसार करने का श्रेय किसे प्राप्त है? | ||
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-[[शंकराचार्य]] | -[[शंकराचार्य]] | ||
-[[रामानुजाचार्य]] | -[[रामानुजाचार्य]] | ||
+[[रामानंद]] | +[[स्वामी रामानंद]] | ||
-[[मध्वाचार्य]] | -[[मध्वाचार्य]] | ||
||वैष्णवाचार्य स्वामी रामानंद का जन्म 1299 ई. में प्रयाग में हुआ था। इनके विचारों पर गुरु राघवानंद के विशिष्टा द्वैत मत का अधिक प्रभाव पड़ा। अपने मत के प्रचार के लिए इन्होंने भारत के विभिन्न तीर्थों की यात्रा कीं।{{point}} अधिक जानकरी के लिए देखें:-[[स्वामी रामानंद]] | |||
{आचार्य शुक्ल के अनुसार [[हिन्दी]] साहित्य का आविर्भाव कब से माना जा सकता है? | {[[आचार्य रामचंद्र शुक्ल|आचार्य शुक्ल]] के अनुसार [[हिन्दी]] साहित्य का आविर्भाव कब से माना जा सकता है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-प्राकृत से | -प्राकृत से | ||
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{[[जयशंकर प्रसाद]] की काव्य-भाषा कौन-सी है? | {[[जयशंकर प्रसाद]] की काव्य-भाषा कौन-सी है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-अवधी | -[[अवधी भाषा|अवधी]] | ||
-मगही | -[[मगही भाषा|मगही]] | ||
-मैथिली | -[[मैथिली भाषा|मैथिली]] | ||
+खड़ी बोली | +[[खड़ी बोली]] | ||
||खड़ी बोली नाम सर्वप्रथम हिंदी या हिंदुस्तानी की उस शैली के लिए दिया गया जो उर्दू की अपेक्षा अधिक शुद्ध हिंदी (भारतीय) थी और जिसका प्रयोग [[संस्कृत]] परम्परा अथवा भारतीय परम्परा से सम्बंधित लोग अधिक करते थे।{{point}} अधिक जानकरी के लिए देखें:-[[खड़ी बोली]] | |||
{'तुम विद्युत बन आओ पाहुन, मेरे नयनों पर पग धर-धर' पंक्ति है? | {'तुम विद्युत बन आओ पाहुन, मेरे नयनों पर पग धर-धर' पंक्ति है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+महादेवी वर्मा की | +[[महादेवी वर्मा]] की | ||
-मीरा की | -[[मीरा]] की | ||
-श्री नरेश मेहता की | -श्री नरेश मेहता की | ||
-लीलाधर जगूड़ी की | -लीलाधर जगूड़ी की | ||
||[[चित्र:Mahadevi-verma.png|महादेवी|100px|right]]महादेवी जी ने भाषा को अद्भुत मृदुता और मधुरता प्रदान की है। भाव और लय का मनोहारी संगम प्रस्तुत करने में आपकी भाषा का भी महत्त्वपूर्ण योगदान है। लाक्षणिकता महादेवी जी की शब्द चित्रकारिता में सहायक तूलिका कही जाय तो अनुचित नहीं होगा। शब्द से कहाँ- क्या अर्थ ध्वनित होना है, इसे उनकी भाषा मर्मज्ञता भली-भाँति जानती है।{{point}} अधिक जानकरी के लिए देखें:-[[महादेवी वर्मा]] | |||
{भारत-विभाजन और सांप्रदायिकता की घटनाओं से संबंधित कौन-सी कहानी है? | {[[भारत]]-विभाजन और सांप्रदायिकता की घटनाओं से संबंधित कौन-सी कहानी है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-सुभान खाँ | -सुभान खाँ | ||
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+मलवे का मालिक | +मलवे का मालिक | ||
{भाषा के शुद्ध रूप का ज्ञान किससे होता है? | {[[भाषा]] के शुद्ध रूप का ज्ञान किससे होता है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-लिपि | -[[लिपि]] | ||
+व्याकरण | +[[व्याकरण]] | ||
-लिखित भाषा | -लिखित भाषा | ||
-इनमें से कोई नहीं | -इनमें से कोई नहीं | ||
||जिस विद्या से किसी [[भाषा]] के बोलने तथा लिखने के नियमों की व्यवस्थित पद्धति का ज्ञान होता है, उसे 'व्याकरण' कहते हैं। व्याकरण वह विधा है, जिसके द्वारा किसी भाषा का शुद्ध बोलना या लिखना जाना जाता है। व्याकरण भाषा की व्यवस्था को बनाये रखने का काम करते हैं।{{point}} अधिक जानकरी के लिए देखें:-[[व्याकरण]] | |||
{निम्नलिखित में से कौन-सी रचना [[रामधारी सिंह 'दिनकर']] की है? | |||
{निम्नलिखित में से कौन-सी रचना रामधारी सिंह 'दिनकर' की है? | |||
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+उर्वशी | +उर्वशी | ||
-पल्लव | -[[पल्लव]] | ||
-अंधा युग | -अंधा युग | ||
-नीहार | -नीहार | ||
{मैथिली का विकास किस अपभ्रंश से माना जाता है? | {मैथिली का विकास किस अपभ्रंश से माना जाता है? | ||
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-रश्मि रथी | -रश्मि रथी | ||
{जहाँ उपमेय में अनेक उपमानों की शंका होती है वहाँ कौन-सा अलंकार होता है? | {काव्य क्षेत्र में 'प्रवन्ध शिरोमणि' की उपाधि किसे दी गई है? | ||
|type="()"} | |||
-[[सूर्यकांत त्रिपाठी निराला|सूर्यकांत त्रिपाठी]] | |||
-[[हरिवंशराय बच्चन]] | |||
+[[मैथिलीशरण गुप्त]] | |||
-हरिऔध | |||
||[[चित्र:Maithili-Sharan-Gupt.jpg|मैथिलीशरण|100px|right]]मैथिलीशरण गुप्त को काव्य क्षेत्र का शिरोमणि कहा जाता है। मैथिलीशरण जी की प्रसिद्धी का मूलाधार भारत–भारती है। भारत–भारती उन दिनों राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम का घोषणापत्र बन गई थी। साकेत और जयभारत, दोनों महाकाव्य हैं। साकेत रामकथा पर आधारित है, किन्तु इसके केन्द्र में [[लक्ष्मण]] की पत्नी [[उर्मिला]] है।{{point}} अधिक जानकरी के लिए देखें:-[[मैथिलीशरण गुप्त]] | |||
{जहाँ उपमेय में अनेक उपमानों की शंका होती है वहाँ कौन-सा [[अलंकार]] होता है? | |||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-यमक | -[[यमक अलंकार|यमक]] | ||
-श्लेष | -[[श्लेष अलंकार|श्लेष]] | ||
-भ्रांतिमान | -भ्रांतिमान | ||
+संदेह | +संदेह |
10:38, 19 अक्टूबर 2011 का अवतरण
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