"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/3": अवतरणों में अंतर
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||'पद्मावत' मसनवी शैली में रचित एक प्रबंध काव्य है। इस [[महाकाव्य]] में कुल 57 खंड हैं। [[मलिक मुहम्मद जायसी|जायसी]] ने अपने इस श्रेष्ठ महाकाव्य की रचना [[दोहा]]-[[चौपाई|चौपाइयों]] में की है। जायसी [[संस्कृत]], [[अरबी भाषा|अरबी]] एवं [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]] के ज्ञाता थे, फिर भी उन्होंने अपने [[ग्रंथ]] की रचना ठेठ [[अवधी भाषा]] में की। इसी भाषा एवं शैली का प्रयोग बाद में [[गोस्वामी तुलसीदास]] ने अपने ग्रंथरत्न '[[रामचरित मानस]]' में किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[पद्मावत]] | ||'पद्मावत' मसनवी शैली में रचित एक प्रबंध काव्य है। इस [[महाकाव्य]] में कुल 57 खंड हैं। [[मलिक मुहम्मद जायसी|जायसी]] ने अपने इस श्रेष्ठ महाकाव्य की रचना [[दोहा]]-[[चौपाई|चौपाइयों]] में की है। जायसी [[संस्कृत]], [[अरबी भाषा|अरबी]] एवं [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]] के ज्ञाता थे, फिर भी उन्होंने अपने [[ग्रंथ]] की रचना ठेठ [[अवधी भाषा]] में की। इसी भाषा एवं शैली का प्रयोग बाद में [[गोस्वामी तुलसीदास]] ने अपने ग्रंथरत्न '[[रामचरित मानस]]' में किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[पद्मावत]] | ||
{"ऊधव मोहिं | {"ऊधव मोहिं ब्रज बिसरावत नाहीं" में कौन-सा [[रस]] है? | ||
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+श्रृंगार रस | +श्रृंगार रस |
06:31, 9 दिसम्बर 2011 का अवतरण
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