"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/2": अवतरणों में अंतर
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<quiz display=simple> | <quiz display=simple> | ||
{वह प्रथम भारतीय शासक, जिसने रोमन मुद्रा प्रणाली के अनुरूप अपने सिक्कों का प्रसारण किया, का सम्बन्ध किस साम्राज्य से था? | {वह प्रथम भारतीय शासक, जिसने रोमन मुद्रा प्रणाली के अनुरूप अपने सिक्कों का प्रसारण किया, का सम्बन्ध किस साम्राज्य से था? | ||
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-[[शुंग]] | -[[शुंग]] | ||
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{[[एनी बेसेन्ट|श्रीमती एनी बेसेन्ट]] और [[बाल गंगाधर तिलक]] दोनों ने अलग-अलग '[[इंडियन होमरूल लीग|होमरूल लीग]]' स्थापित कीं, किंतु दोनों लीग किस वर्ष में एक साथ संयुक्त हो गईं? | {[[एनी बेसेन्ट|श्रीमती एनी बेसेन्ट]] और [[बाल गंगाधर तिलक]] दोनों ने अलग-अलग '[[इंडियन होमरूल लीग|होमरूल लीग]]' स्थापित कीं, किंतु दोनों लीग किस वर्ष में एक साथ संयुक्त हो गईं? | ||
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-[[1914]] | -[[1914]] | ||
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-[[1918]] | -[[1918]] | ||
{[[तमिलनाडु|तमिल]] राष्ट्र में [[दुर्गा]] का तादात्म्य तमिल देवी 'कोरवई' से किया गया है; वे किस [[तत्व]] की तमिल देवी थीं? | {[[तमिलनाडु|तमिल]] राष्ट्र में [[दुर्गा]] का तादात्म्य तमिल देवी 'कोरवई' से किया गया है; वे किस [[तत्व]] की तमिल देवी थीं? | ||
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-मातृत्व | -मातृत्व | ||
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-[[पृथ्वी]] | -[[पृथ्वी]] | ||
{[[ऋग्वेद]] में जिस अपराध का सबसे अधिक उल्लेख किया गया है, वह है- | {[[ऋग्वेद]] में जिस अपराध का सबसे अधिक उल्लेख किया गया है, वह है- | ||
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-हत्या | -हत्या | ||
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||[[ऋग्वेद]] सिर्फ़ [[भारत]] की ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व की प्राचीनतम रचना है। इसकी तिथि 1500 से 1000 ई. पू. मानी जाती है। सम्भवतः इसकी रचना [[सप्त सैंधव]] प्रदेश में हुयी थी। ऋग्वेद और ईरानी [[ग्रन्थ]] 'जेंद अवेस्ता' में समानता पाई जाती है। इस ग्रन्थ के अधिकांश भाग में देवताओं की स्तुतिपरक ऋचाएँ हैं, यद्यपि उनमें ठोस ऐतिहासिक सामग्री बहुत कम मिलती है, फिर भी इसके कुछ [[मन्त्र]] ठोस ऐतिहासिक सामग्री उपलब्ध कराते हैं, जैसे- 'दाशराज्ञ युद्ध' जो [[भरत (क़बीला)|भरत कबीले]] के राजा [[सुदास]] एवं पुरू कबीले के मध्य हुआ था, का वर्णन किया गया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ऋग्वेद]] | ||[[ऋग्वेद]] सिर्फ़ [[भारत]] की ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व की प्राचीनतम रचना है। इसकी तिथि 1500 से 1000 ई. पू. मानी जाती है। सम्भवतः इसकी रचना [[सप्त सैंधव]] प्रदेश में हुयी थी। ऋग्वेद और ईरानी [[ग्रन्थ]] 'जेंद अवेस्ता' में समानता पाई जाती है। इस ग्रन्थ के अधिकांश भाग में देवताओं की स्तुतिपरक ऋचाएँ हैं, यद्यपि उनमें ठोस ऐतिहासिक सामग्री बहुत कम मिलती है, फिर भी इसके कुछ [[मन्त्र]] ठोस ऐतिहासिक सामग्री उपलब्ध कराते हैं, जैसे- 'दाशराज्ञ युद्ध' जो [[भरत (क़बीला)|भरत कबीले]] के राजा [[सुदास]] एवं पुरू कबीले के मध्य हुआ था, का वर्णन किया गया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ऋग्वेद]] | ||
{निम्नलिखित में से कौन-सा एक सिक्का नहीं था? | {निम्नलिखित में से कौन-सा एक सिक्का नहीं था? | ||
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-मुजफ्फरी | -मुजफ्फरी | ||
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+दो दामी | +दो दामी | ||
{निम्नलिखित में से कौन एक समाज सुधार आंदोलन से जुड़ा हुआ नहीं था? | {निम्नलिखित में से कौन एक समाज सुधार आंदोलन से जुड़ा हुआ नहीं था? | ||
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-ब्रह्मरामजी मालाबारी | -ब्रह्मरामजी मालाबारी | ||
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+आर. सी. दत्त | +आर. सी. दत्त | ||
{निम्नांकित [[संस्कार|संस्कारों]] में से किसका शिक्षा की समाप्ति से सम्बन्ध है? | {निम्नांकित [[संस्कार|संस्कारों]] में से किसका शिक्षा की समाप्ति से सम्बन्ध है? | ||
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-[[चूड़ाकरण संस्कार|ड़ाकरण]] | -[[चूड़ाकरण संस्कार|ड़ाकरण]] | ||
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||[[चित्र:Vedic-Tradition-1.jpg|right|100px|वेद-वेदांग का अध्ययन]][[हिन्दू धर्म]] में मान्य [[सोलह संस्कार|सोलह संस्कारों]] में '[[समावर्तन संस्कार]]' द्वादश संस्कार है। यह संस्कार विद्याध्ययन पूर्ण हो जाने पर किया जाता है। पाँच वर्ष की अवस्था तक ब्रह्मचर्यपूर्वज गुरुकुल में रहकर गुरु से समस्त [[वेद]]-[[वेदांग|वेदांगों]] की शिक्षा प्राप्त करके, शिष्य जब गुरु की कसौटी पर खरा उतर जाता थ, तब गुरु उसकी शिक्षा पूर्ण होने के प्रतीकस्वरूप उसका 'समावर्तन-संस्कार' करते थे। यह [[संस्कार]] एक या अनेक शिष्यों का एक साथ भी होता था। वर्तमान युग में भी यह संस्कार विश्वविद्यालयों में होता है, किंतु उसका रूप व उद्देश्य बदल गया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[समावर्तन संस्कार]] | ||[[चित्र:Vedic-Tradition-1.jpg|right|100px|वेद-वेदांग का अध्ययन]][[हिन्दू धर्म]] में मान्य [[सोलह संस्कार|सोलह संस्कारों]] में '[[समावर्तन संस्कार]]' द्वादश संस्कार है। यह संस्कार विद्याध्ययन पूर्ण हो जाने पर किया जाता है। पाँच वर्ष की अवस्था तक ब्रह्मचर्यपूर्वज गुरुकुल में रहकर गुरु से समस्त [[वेद]]-[[वेदांग|वेदांगों]] की शिक्षा प्राप्त करके, शिष्य जब गुरु की कसौटी पर खरा उतर जाता थ, तब गुरु उसकी शिक्षा पूर्ण होने के प्रतीकस्वरूप उसका 'समावर्तन-संस्कार' करते थे। यह [[संस्कार]] एक या अनेक शिष्यों का एक साथ भी होता था। वर्तमान युग में भी यह संस्कार विश्वविद्यालयों में होता है, किंतु उसका रूप व उद्देश्य बदल गया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[समावर्तन संस्कार]] | ||
{निम्नलिखित में से किसने [[भारत]] के भागों से कर संग्रह किया? | {निम्नलिखित में से किसने [[भारत]] के भागों से कर संग्रह किया? | ||
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-साइरस | -साइरस | ||
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-कैम्बिसेस द्वितीय | -कैम्बिसेस द्वितीय | ||
{निम्नलिखित में से कौन-सा एक सही सुमेलित नहीं है? | {निम्नलिखित में से कौन-सा एक सही सुमेलित नहीं है? | ||
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+[[सुरेन्द्रनाथ बनर्जी]] - [[इंडिया टुडे]] | +[[सुरेन्द्रनाथ बनर्जी]] - [[इंडिया टुडे]] | ||
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-[[पट्टाभि सीतारमैया]]- हिस्ट्री ऑफ़ इंडियन नेशनल कांग्रेस | -[[पट्टाभि सीतारमैया]]- हिस्ट्री ऑफ़ इंडियन नेशनल कांग्रेस | ||
{किसके [[अभिलेख|अभिलेखों]] से 'जल कर' का साक्ष्य प्राप्त होता है? | {किसके [[अभिलेख|अभिलेखों]] से 'जल कर' का साक्ष्य प्राप्त होता है? | ||
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+[[गुप्त साम्राज्य|गुप्त]] | +[[गुप्त साम्राज्य|गुप्त]] | ||
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||'गुप्त साम्राज्य' का उदय तीसरी सदी के अन्त में [[प्रयाग]] के निकट [[कौशाम्बी]] में हुआ। [[गुप्त वंश|गुप्त]] [[कुषाण|कुषाणों]] के सामन्त थे। इस वंश का आरंभिक राज्य [[उत्तर प्रदेश]] और [[बिहार]] में था। गुप्त सम्राटों के समय में गणतंत्रीय राजव्यवस्था का ह्रास हुआ। गुप्त प्रशासन राजतंत्रात्मक व्यवस्था पर आधारित था। देवत्व का सिद्वान्त गुप्तकालीन शासकों में प्रचलित था। राजपद वंशानुगत सिद्धान्त पर चलता था। राजा अपने बड़े पुत्र को युवराज घोषित करता था। अपने उत्कर्ष के समय में [[गुप्त साम्राज्य]] उत्तर में [[हिमालय]] से लेकर दक्षिण में [[विंध्य पर्वत]] तक एवं पूर्व में [[बंगाल की खाड़ी]] से लेकर पश्चिम में [[सौराष्ट्र]] तक फैला हुआ था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गुप्त साम्राज्य]] | ||'गुप्त साम्राज्य' का उदय तीसरी सदी के अन्त में [[प्रयाग]] के निकट [[कौशाम्बी]] में हुआ। [[गुप्त वंश|गुप्त]] [[कुषाण|कुषाणों]] के सामन्त थे। इस वंश का आरंभिक राज्य [[उत्तर प्रदेश]] और [[बिहार]] में था। गुप्त सम्राटों के समय में गणतंत्रीय राजव्यवस्था का ह्रास हुआ। गुप्त प्रशासन राजतंत्रात्मक व्यवस्था पर आधारित था। देवत्व का सिद्वान्त गुप्तकालीन शासकों में प्रचलित था। राजपद वंशानुगत सिद्धान्त पर चलता था। राजा अपने बड़े पुत्र को युवराज घोषित करता था। अपने उत्कर्ष के समय में [[गुप्त साम्राज्य]] उत्तर में [[हिमालय]] से लेकर दक्षिण में [[विंध्य पर्वत]] तक एवं पूर्व में [[बंगाल की खाड़ी]] से लेकर पश्चिम में [[सौराष्ट्र]] तक फैला हुआ था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गुप्त साम्राज्य]] | ||
{निम्नलिखित में से किसका सम्बन्ध [[वैदिक काल|वैदिक युग]] से नहीं है? | {निम्नलिखित में से किसका सम्बन्ध [[वैदिक काल|वैदिक युग]] से नहीं है? | ||
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-सभा | -सभा | ||
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-विद्थ | -विद्थ | ||
{निम्नलिखित युग्मों में से कौन-सा एक सही सुमेलित नहीं है? | {निम्नलिखित युग्मों में से कौन-सा एक सही सुमेलित नहीं है? | ||
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+चौसा का युद्ध - [[जून]], 1535 ई. | +चौसा का युद्ध - [[जून]], 1535 ई. | ||
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-[[पुरन्दर की सन्धि]] - 1665 ई. | -[[पुरन्दर की सन्धि]] - 1665 ई. | ||
{प्रथम [[मुग़ल]] सम्राट [[बाबर]] द्वारा जो सूफ़ी सिलसिला [[भारत]] में लोकप्रिय हुआ, वह था- | {प्रथम [[मुग़ल]] सम्राट [[बाबर]] द्वारा जो सूफ़ी सिलसिला [[भारत]] में लोकप्रिय हुआ, वह था- | ||
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+[[नक़्शबन्दिया]] | +[[नक़्शबन्दिया]] | ||
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||नक़्शबन्दिया [[भारत]], [[बांग्लादेश]], [[पाकिस्तान]], [[चीन]], मध्य एशियाई गणराज्यों एवं [[मलेशिया]] में पाई जाने वाली [[मुस्लिम]] [[सूफ़ी सम्प्रदाय|सूफ़ियों]] की रूढ़िवादी बिरादरी है। यह बिरादरी अपनी वंशावली को पहले ख़लीफ़ा अबुबक्र से जोड़ती है। बुख़ारा, [[तुर्कमेनिस्तान]] में इस संप्रदाय के संस्थापक बहाउद्दिन (मृत्यु 1384) को अन-नक़्शबंद (चित्रकार) कहा जाता था, क्योंकि मान्यता के अनुसार, उनके द्वारा निर्धारित अनुष्ठान से [[हृदय]] पर ख़ुदा की छाप पड़ती थी और इसलिए उनके अनुयायी नक़्शबन्दिया कहलाने लगे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[नक़्शबन्दिया]] | ||नक़्शबन्दिया [[भारत]], [[बांग्लादेश]], [[पाकिस्तान]], [[चीन]], मध्य एशियाई गणराज्यों एवं [[मलेशिया]] में पाई जाने वाली [[मुस्लिम]] [[सूफ़ी सम्प्रदाय|सूफ़ियों]] की रूढ़िवादी बिरादरी है। यह बिरादरी अपनी वंशावली को पहले ख़लीफ़ा अबुबक्र से जोड़ती है। बुख़ारा, [[तुर्कमेनिस्तान]] में इस संप्रदाय के संस्थापक बहाउद्दिन (मृत्यु 1384) को अन-नक़्शबंद (चित्रकार) कहा जाता था, क्योंकि मान्यता के अनुसार, उनके द्वारा निर्धारित अनुष्ठान से [[हृदय]] पर ख़ुदा की छाप पड़ती थी और इसलिए उनके अनुयायी नक़्शबन्दिया कहलाने लगे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[नक़्शबन्दिया]] | ||
{'खम्स' से क्या अभिप्राय है- | {'खम्स' से क्या अभिप्राय है- | ||
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-[[मुस्लिम|मुस्लिमों]] से लिया जाने वाला एक कर | -[[मुस्लिम|मुस्लिमों]] से लिया जाने वाला एक कर | ||
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+युद्ध में लूटे गए धन का 1/5वाँ राज्य भाग | +युद्ध में लूटे गए धन का 1/5वाँ राज्य भाग | ||
{1605 ई. में किन लोगों ने [[मछलीपट्टनम]] में अपना पहला कारख़ाना स्थापित किया? | {1605 ई. में किन लोगों ने [[मछलीपट्टनम]] में अपना पहला कारख़ाना स्थापित किया? | ||
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+[[डच]] | +[[डच]] |
12:53, 18 जनवरी 2013 का अवतरण
इतिहास सामान्य ज्ञान
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