"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/3": अवतरणों में अंतर
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{प्रसिद्ध [[विजय विट्ठल मंदिर]], जिसके 56 तक्षित स्तंभ संगीतमय स्वर निकालते हैं, कहाँ अवस्थित है? | {प्रसिद्ध [[विजय विट्ठल मंदिर]], जिसके 56 तक्षित स्तंभ संगीतमय स्वर निकालते हैं, कहाँ अवस्थित है? | ||
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||[[चित्र:Hampi-3.jpg|right|150px|हम्पी के अवशेष]]'हम्पी' मध्यकालीन [[हिन्दू]] राज्य [[विजयनगर साम्राज्य]] की राजधानी था। [[तुंगभद्रा नदी]] के तट पर स्थित इस नगर के अब केवल खंडहर ही शेष हैं। इन्हें देखने से प्रतीत होता है कि किसी समय में [[हम्पी]] में एक समृद्धशाली सभ्यता निवास करती थी। [[भारत]] के [[कर्नाटक]] राज्य में स्थित यह नगर यूनेस्को द्वारा [[विश्व विरासत स्थल|विश्व विरासत स्थलों]] की सूची में शामिल है। यहाँ [[कृष्णदेवराय]] के शासनकाल में बनाया गया प्रसिद्ध हज़ाराराम मन्दिर हिन्दू मन्दिरों की [[वास्तुकला]] के पूर्णतम नमूनों में से एक है। मन्दिर की दीवारों पर [[रामायण]] के सभी प्रमुख दृश्य बड़ी सुन्दरता से उकेरे गये हैं। विट्ठल स्वामी मन्दिर भी विजयनगर शैली का एक सुन्दर नमूना है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[हम्पी]] | ||[[चित्र:Hampi-3.jpg|right|150px|हम्पी के अवशेष]]'हम्पी' मध्यकालीन [[हिन्दू]] राज्य [[विजयनगर साम्राज्य]] की राजधानी था। [[तुंगभद्रा नदी]] के तट पर स्थित इस नगर के अब केवल खंडहर ही शेष हैं। इन्हें देखने से प्रतीत होता है कि किसी समय में [[हम्पी]] में एक समृद्धशाली सभ्यता निवास करती थी। [[भारत]] के [[कर्नाटक]] राज्य में स्थित यह नगर यूनेस्को द्वारा [[विश्व विरासत स्थल|विश्व विरासत स्थलों]] की सूची में शामिल है। यहाँ [[कृष्णदेवराय]] के शासनकाल में बनाया गया प्रसिद्ध हज़ाराराम मन्दिर हिन्दू मन्दिरों की [[वास्तुकला]] के पूर्णतम नमूनों में से एक है। मन्दिर की दीवारों पर [[रामायण]] के सभी प्रमुख दृश्य बड़ी सुन्दरता से उकेरे गये हैं। विट्ठल स्वामी मन्दिर भी विजयनगर शैली का एक सुन्दर नमूना है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[हम्पी]] | ||
{निम्नलिखित में से कौन-सा एक युग्म सही सुमेलित है? | {निम्नलिखित में से कौन-सा एक युग्म सही सुमेलित है? | ||
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+[[चिश्ती सम्प्रदाय|चिश्ती]] - शेख़ हमीदुद्दीन नागौरी | +[[चिश्ती सम्प्रदाय|चिश्ती]] - शेख़ हमीदुद्दीन नागौरी | ||
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||चिश्ती सम्प्रदाय [[भारत]] का सबसे प्राचीन सिलसिला है। यह 'बा-शर सिलसिला' की एक शाखा था। भारत में यह सम्प्रदाय सबसे अधिक प्रसिद्ध है। इनके आध्यात्मिक केन्द्र भारत, [[पाकिस्तान]] और [[बांग्लादेश]] में फैले हुए हैं। ख़्वाजा अबू ईसहाक़ सामी चिश्ती (मृत्यु 940 ई.) या उनके शिष्य ख़्वाजा अबू अहमद अब्दाल चिश्त (874-965 ई.) का नाम इस सम्प्रदाय के प्रवर्तक के रूप में लिया जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[चिश्ती सम्प्रदाय]] | ||चिश्ती सम्प्रदाय [[भारत]] का सबसे प्राचीन सिलसिला है। यह 'बा-शर सिलसिला' की एक शाखा था। भारत में यह सम्प्रदाय सबसे अधिक प्रसिद्ध है। इनके आध्यात्मिक केन्द्र भारत, [[पाकिस्तान]] और [[बांग्लादेश]] में फैले हुए हैं। ख़्वाजा अबू ईसहाक़ सामी चिश्ती (मृत्यु 940 ई.) या उनके शिष्य ख़्वाजा अबू अहमद अब्दाल चिश्त (874-965 ई.) का नाम इस सम्प्रदाय के प्रवर्तक के रूप में लिया जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[चिश्ती सम्प्रदाय]] | ||
{[[मंगोल]] आक्रमणकारी कुतलुग ख़्वाजा ने [[भारत]] पर किसके शासन काल में आक्रमण किया? | {[[मंगोल]] आक्रमणकारी कुतलुग ख़्वाजा ने [[भारत]] पर किसके शासन काल में आक्रमण किया? | ||
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-[[बलबन]] | -[[बलबन]] | ||
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||अलाउद्दीन ख़िलजी के समय में हुए [[मंगोल]] आक्रमण का उद्देश्य [[भारत]] की विजय और प्रतिशोध की भावना थी। 1297-98 ई. में मंगोल सेना ने अपने नेता कादर के नेतृत्व में [[पंजाब]] एवं [[लाहौर]] पर आक्रमण किया। [[जालंधर]] के निकट इन आक्रमणकारियों को [[अलाउद्दीन ख़िलजी]] की सेना ने परास्त कर दिया। मंगोलों का दूसरा आक्रमण सलदी के नेतृत्व में 1298 ई. में सेहबान पर हुआ। इसके बाद वर्ष 1299 में कुतलुग ख़्वाजा के नेतृत्व में [[मंगोल]] सेना के आक्रमण को जफ़र ख़ाँ ने असफल कर दिया। इसी युद्ध के दौरान जफ़र ख़ाँ मारा गया, क्योंकि अलाउद्दीन एवं उलूग ख़ाँ वाली सेना से उसे कोई सहायता नहीं मिल सकी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अलाउद्दीन ख़िलजी]] | ||अलाउद्दीन ख़िलजी के समय में हुए [[मंगोल]] आक्रमण का उद्देश्य [[भारत]] की विजय और प्रतिशोध की भावना थी। 1297-98 ई. में मंगोल सेना ने अपने नेता कादर के नेतृत्व में [[पंजाब]] एवं [[लाहौर]] पर आक्रमण किया। [[जालंधर]] के निकट इन आक्रमणकारियों को [[अलाउद्दीन ख़िलजी]] की सेना ने परास्त कर दिया। मंगोलों का दूसरा आक्रमण सलदी के नेतृत्व में 1298 ई. में सेहबान पर हुआ। इसके बाद वर्ष 1299 में कुतलुग ख़्वाजा के नेतृत्व में [[मंगोल]] सेना के आक्रमण को जफ़र ख़ाँ ने असफल कर दिया। इसी युद्ध के दौरान जफ़र ख़ाँ मारा गया, क्योंकि अलाउद्दीन एवं उलूग ख़ाँ वाली सेना से उसे कोई सहायता नहीं मिल सकी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अलाउद्दीन ख़िलजी]] | ||
{[[बौद्ध धर्म]] की किस शाखा ने [[मंत्र]], हठयोग, तांत्रिक आचारों को प्रधानता दी? | {[[बौद्ध धर्म]] की किस शाखा ने [[मंत्र]], हठयोग, तांत्रिक आचारों को प्रधानता दी? | ||
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-[[महायान]] | -[[महायान]] | ||
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||[[चित्र:Buddhism-Symbol.jpg|right|80px|बौद्ध धर्म का प्रतीक चिह्न]]'वज्रयान' [[संस्कृत]] शब्द, अर्थात हीरा या तड़ित का वाहन है। यह 'तांत्रिक बौद्ध धर्म' भी कहलाता है तथा [[भारत]] व पड़ोसी देशों में, विशेषकर [[तिब्बत]] में [[बौद्ध धर्म]] का महत्त्वपूर्ण विकास समझा जाता है। बौद्ध धर्म के इतिहास में [[वज्रयान]] का उल्लेख [[महायान]] के आनुमानिक चिंतन से व्यक्तिगत जीवन में [[बौद्ध]] विचारों के पालन तक की यात्रा के लिये किया गया है। वज्रयान के अनुसार तांत्रिक दृष्टि से ज्ञान का प्रकाश इस अनुभव से आता है कि विपरीत लगने वाले दो सिद्धांत वास्तव में एक ही हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[वज्रयान]] | ||[[चित्र:Buddhism-Symbol.jpg|right|80px|बौद्ध धर्म का प्रतीक चिह्न]]'वज्रयान' [[संस्कृत]] शब्द, अर्थात हीरा या तड़ित का वाहन है। यह 'तांत्रिक बौद्ध धर्म' भी कहलाता है तथा [[भारत]] व पड़ोसी देशों में, विशेषकर [[तिब्बत]] में [[बौद्ध धर्म]] का महत्त्वपूर्ण विकास समझा जाता है। बौद्ध धर्म के इतिहास में [[वज्रयान]] का उल्लेख [[महायान]] के आनुमानिक चिंतन से व्यक्तिगत जीवन में [[बौद्ध]] विचारों के पालन तक की यात्रा के लिये किया गया है। वज्रयान के अनुसार तांत्रिक दृष्टि से ज्ञान का प्रकाश इस अनुभव से आता है कि विपरीत लगने वाले दो सिद्धांत वास्तव में एक ही हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[वज्रयान]] | ||
{'मद्रास महाजन सभा' अस्तित्व में कब आयी? | {'मद्रास महाजन सभा' अस्तित्व में कब आयी? | ||
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-[[1885]] | -[[1885]] | ||
{सन [[1942]] के '[[भारत छोड़ो आन्दोलन]]' के उपरान्त राष्ट्रीय सरकार की स्थापना कहाँ नहीं हुई थी? | {सन [[1942]] के '[[भारत छोड़ो आन्दोलन]]' के उपरान्त राष्ट्रीय सरकार की स्थापना कहाँ नहीं हुई थी? | ||
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+[[तामलुक]] | +[[तामलुक]] | ||
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||[[चित्र:Gandhi-Ji-Statue.jpg|right|90px|गाँधीजी की प्रतिमा]]तामलुक पूर्वी [[मिदनापुर ज़िला]], [[पश्चिम बंगाल]] का मुख्यालय है। यह कलकत्ता (वर्तमान [[कोलकाता]]) से सड़क द्वारा जुड़ा हुआ है, यहाँ से यह लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। [[महात्मा गाँधी]] ने अपनी कई गतिविधियाँ यहाँ से संचालित की थीं। '[[भारत छोड़ो आन्दोलन]]' के समय संयुक्त प्रांत में [[बलिया]] एवं [[बस्ती ज़िला|बस्ती]], [[बम्बई]] में [[सतारा]], [[बंगाल (आज़ादी से पूर्व)|बंगाल]] में [[मिदनापुर ज़िला|मिदनापुर]] एवं [[बिहार]] के कुछ भागों में अस्थायी सरकारों की स्थापना की गयी थी। इन स्वाशासित समानान्तर सरकारों में सर्वाधिक लम्बे समय तक सरकार सतारा में थी। बंगाल के मिदनापुर ज़िले में तामलुक अथवा [[ताम्रलिप्ति]] में गठिन राष्ट्रीय सरकार [[1944]] ई. तक चलती रही।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[तामलुक]] | ||[[चित्र:Gandhi-Ji-Statue.jpg|right|90px|गाँधीजी की प्रतिमा]]तामलुक पूर्वी [[मिदनापुर ज़िला]], [[पश्चिम बंगाल]] का मुख्यालय है। यह कलकत्ता (वर्तमान [[कोलकाता]]) से सड़क द्वारा जुड़ा हुआ है, यहाँ से यह लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। [[महात्मा गाँधी]] ने अपनी कई गतिविधियाँ यहाँ से संचालित की थीं। '[[भारत छोड़ो आन्दोलन]]' के समय संयुक्त प्रांत में [[बलिया]] एवं [[बस्ती ज़िला|बस्ती]], [[बम्बई]] में [[सतारा]], [[बंगाल (आज़ादी से पूर्व)|बंगाल]] में [[मिदनापुर ज़िला|मिदनापुर]] एवं [[बिहार]] के कुछ भागों में अस्थायी सरकारों की स्थापना की गयी थी। इन स्वाशासित समानान्तर सरकारों में सर्वाधिक लम्बे समय तक सरकार सतारा में थी। बंगाल के मिदनापुर ज़िले में तामलुक अथवा [[ताम्रलिप्ति]] में गठिन राष्ट्रीय सरकार [[1944]] ई. तक चलती रही।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[तामलुक]] | ||
{निम्नलिखित में से कौन-सा एक औजार पुरापाषाण संस्कृति से संबंधित नहीं है? | {निम्नलिखित में से कौन-सा एक औजार पुरापाषाण संस्कृति से संबंधित नहीं है? | ||
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{निम्नलिखित में से कौन 'क्रिप्स मिशन' के साथ [[कांग्रेस]] के आधिकारिक वार्ताकार थे? | {निम्नलिखित में से कौन 'क्रिप्स मिशन' के साथ [[कांग्रेस]] के आधिकारिक वार्ताकार थे? | ||
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-[[महात्मा गांधी]] एवं [[सरदार पटेल]] | -[[महात्मा गांधी]] एवं [[सरदार पटेल]] | ||
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||[[चित्र:Jawahar-Lal-Nehru.jpg|right|100px|जवाहरलाल नेहरू]]पंडित जवाहरलाल नेहरू कश्मीरी ब्राह्मण परिवार के थे, जो अपनी प्रशासनिक क्षमताओं तथा विद्वत्ता के लिए विख्यात थे। वे 18वीं शताब्दी के आरंभ में [[इलाहाबाद]] आ गये थे। [[1931]] में [[पिता]] की मृत्यु के बाद जवाहरलाल [[कांग्रेस]] की केंद्रीय परिषद में शामिल हो गए और [[महात्मा गाँधी]] के अंतरंग बन गए। यद्यपि [[1942]] तक गांधीजी ने आधिकारिक रूप से उन्हें अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित नहीं किया था, किंतु [[1930]] के दशक के मध्य में ही देश को गाँधीजी के स्वाभाविक उत्तराधिकारी के रूप में [[जवाहरलाल नेहरू]] दिखाई देने लगे थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[पंडित जवाहरलाल नेहरू]], [[मौलाना अबुल कलाम आज़ाद|मौलाना आज़ाद]] | ||[[चित्र:Jawahar-Lal-Nehru.jpg|right|100px|जवाहरलाल नेहरू]]पंडित जवाहरलाल नेहरू कश्मीरी ब्राह्मण परिवार के थे, जो अपनी प्रशासनिक क्षमताओं तथा विद्वत्ता के लिए विख्यात थे। वे 18वीं शताब्दी के आरंभ में [[इलाहाबाद]] आ गये थे। [[1931]] में [[पिता]] की मृत्यु के बाद जवाहरलाल [[कांग्रेस]] की केंद्रीय परिषद में शामिल हो गए और [[महात्मा गाँधी]] के अंतरंग बन गए। यद्यपि [[1942]] तक गांधीजी ने आधिकारिक रूप से उन्हें अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित नहीं किया था, किंतु [[1930]] के दशक के मध्य में ही देश को गाँधीजी के स्वाभाविक उत्तराधिकारी के रूप में [[जवाहरलाल नेहरू]] दिखाई देने लगे थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[पंडित जवाहरलाल नेहरू]], [[मौलाना अबुल कलाम आज़ाद|मौलाना आज़ाद]] | ||
{'आर्य महिला सभा' की स्थापना किसके द्वारा की गई थी? | {'आर्य महिला सभा' की स्थापना किसके द्वारा की गई थी? | ||
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-[[राजकुमारी अमृत कौर]] | -[[राजकुमारी अमृत कौर]] | ||
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-[[पंडिता रमाबाई]] | -[[पंडिता रमाबाई]] | ||
{निम्नलिखित में से किसने 'विधवा विवाह मंडल' की स्थापना की थी? | {निम्नलिखित में से किसने 'विधवा विवाह मंडल' की स्थापना की थी? | ||
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-[[बाल गंगाधर तिलक]] | -[[बाल गंगाधर तिलक]] | ||
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||[[चित्र:Gopal-Krishna-Gokhle.jpg|right|80px|गोपाल कृष्ण गोखले]]गोपाल कृष्ण गोखले अपने समय के अद्वितीय संसदविद और राष्ट्रसेवी थे। यह एक स्वतंत्रता सेनानी, समाजसेवी, विचारक एवं सुधारक भी थे। न्यायमूर्ति [[महादेव गोविन्द रानाडे]] के संपर्क में आने से [[गोपाल कृष्ण गोखले]] सार्वजनिक कार्यों में बढ़-चढ़कर रुचि लेने लगे थे। उन दिनों [[पूना]] की 'सार्वजनिक सभा' एक प्रमुख राजनीतिक संस्था थी। गोखले ने उसके मंत्री के रूप में कार्य किया। इससे उनके सार्वजनिक कार्यों का भी विस्तार हुआ। [[कांग्रेस]] की स्थापना के बाद वे उस संस्था से जुड़ गए।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गोपाल कृष्ण गोखले]] | ||[[चित्र:Gopal-Krishna-Gokhle.jpg|right|80px|गोपाल कृष्ण गोखले]]गोपाल कृष्ण गोखले अपने समय के अद्वितीय संसदविद और राष्ट्रसेवी थे। यह एक स्वतंत्रता सेनानी, समाजसेवी, विचारक एवं सुधारक भी थे। न्यायमूर्ति [[महादेव गोविन्द रानाडे]] के संपर्क में आने से [[गोपाल कृष्ण गोखले]] सार्वजनिक कार्यों में बढ़-चढ़कर रुचि लेने लगे थे। उन दिनों [[पूना]] की 'सार्वजनिक सभा' एक प्रमुख राजनीतिक संस्था थी। गोखले ने उसके मंत्री के रूप में कार्य किया। इससे उनके सार्वजनिक कार्यों का भी विस्तार हुआ। [[कांग्रेस]] की स्थापना के बाद वे उस संस्था से जुड़ गए।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गोपाल कृष्ण गोखले]] | ||
{निम्न में से 'स्ट्रेची आयोग' किससे संबंधित था? | {निम्न में से 'स्ट्रेची आयोग' किससे संबंधित था? | ||
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-[[वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट]] | -[[वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट]] | ||
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-स्थानीय स्वायत शासन | -स्थानीय स्वायत शासन | ||
{निम्नलिखित में से कौन-सा एक जोड़ा सही सुमेलित है? | {निम्नलिखित में से कौन-सा एक जोड़ा सही सुमेलित है? | ||
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+[[सुल्तान महमूद]] – [[सोमनाथ मंदिर|सोमनाथ]] पर आक्रमण | +[[सुल्तान महमूद]] – [[सोमनाथ मंदिर|सोमनाथ]] पर आक्रमण | ||
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||[[चित्र:Sultan-Mahmud-Ghaznawi.jpg|right|90px|महमूद ग़ज़नवी]]'सुल्तान महमूद' या '[[महमूद ग़ज़नवी]]' यमीनी वंश का तुर्क सरदार और [[ग़ज़नी]] के शासक [[सुबुक्तगीन]] का पुत्र था। महमूद बचपन से [[भारत]] की अपार समृद्धि और धन-दौलत के विषय में सुनता रहा था। उसके [[पिता]] ने एक बार [[हिन्दुशाही वंश|हिन्दुशाही]] राजा [[जयपाल]] के राज्य को लूट कर प्रचुर सम्पत्ति प्राप्त की थी। [[सुल्तान महमूद]] भारत की दौलत को लूटकर मालामाल होने के स्वप्न देखा करता था। उसने 17 बार भारत पर आक्रमण किया और यहाँ की अपार सम्पत्ति को वह लूटकर ग़ज़नी ले गया। उसका सबसे बड़ा आक्रमण 1026 ई. में [[काठियावाड़]] के [[सोमनाथ मंदिर]] पर था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[महमूद ग़ज़नवी]] | ||[[चित्र:Sultan-Mahmud-Ghaznawi.jpg|right|90px|महमूद ग़ज़नवी]]'सुल्तान महमूद' या '[[महमूद ग़ज़नवी]]' यमीनी वंश का तुर्क सरदार और [[ग़ज़नी]] के शासक [[सुबुक्तगीन]] का पुत्र था। महमूद बचपन से [[भारत]] की अपार समृद्धि और धन-दौलत के विषय में सुनता रहा था। उसके [[पिता]] ने एक बार [[हिन्दुशाही वंश|हिन्दुशाही]] राजा [[जयपाल]] के राज्य को लूट कर प्रचुर सम्पत्ति प्राप्त की थी। [[सुल्तान महमूद]] भारत की दौलत को लूटकर मालामाल होने के स्वप्न देखा करता था। उसने 17 बार भारत पर आक्रमण किया और यहाँ की अपार सम्पत्ति को वह लूटकर ग़ज़नी ले गया। उसका सबसे बड़ा आक्रमण 1026 ई. में [[काठियावाड़]] के [[सोमनाथ मंदिर]] पर था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[महमूद ग़ज़नवी]] | ||
{[[भारत]] में '[[दास प्रथा]]' का उन्मूलन किसके द्वारा हुआ? | {[[भारत]] में '[[दास प्रथा]]' का उन्मूलन किसके द्वारा हुआ? | ||
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-1829 के अधिनियम द्वारा | -1829 के अधिनियम द्वारा | ||
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||'दास प्रथा' [[भारत]] में प्राय: सभी युगों में विद्यमान रही है। यद्यपि चौथी शताब्दी ई. पू. में [[मेगस्थनीज]] ने लिखा था कि "भारतवर्ष में [[दास प्रथा]] नहीं है, तथापि [[कौटिल्य]] के '[[अर्थशास्त्र]]' तथा [[मौर्य]] सम्राट [[अशोक]] के [[अभिलेख|अभिलेखों]] में [[प्राचीन भारत]] में दास प्रथा प्रचलित होने के संकेत उपलब्ध होते हैं। यह प्रथा [[भारत]] में ब्रिटिश शासन स्थापित हो जाने के उपरान्त भी यथेष्ट दिनों तक चलती रही। वर्ष 1843 ई. में इसे बन्द करने के लिए एक अधिनियम पारित कर दिया गया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[दास प्रथा]] | ||'दास प्रथा' [[भारत]] में प्राय: सभी युगों में विद्यमान रही है। यद्यपि चौथी शताब्दी ई. पू. में [[मेगस्थनीज]] ने लिखा था कि "भारतवर्ष में [[दास प्रथा]] नहीं है, तथापि [[कौटिल्य]] के '[[अर्थशास्त्र]]' तथा [[मौर्य]] सम्राट [[अशोक]] के [[अभिलेख|अभिलेखों]] में [[प्राचीन भारत]] में दास प्रथा प्रचलित होने के संकेत उपलब्ध होते हैं। यह प्रथा [[भारत]] में ब्रिटिश शासन स्थापित हो जाने के उपरान्त भी यथेष्ट दिनों तक चलती रही। वर्ष 1843 ई. में इसे बन्द करने के लिए एक अधिनियम पारित कर दिया गया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[दास प्रथा]] | ||
{[[विजयनगर साम्राज्य]] में सामाजिक एवं धार्मिक विषयों पर निर्णय कौन देते थे? | {[[विजयनगर साम्राज्य]] में सामाजिक एवं धार्मिक विषयों पर निर्णय कौन देते थे? | ||
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-समयाचार्य अथवा देशरि | -समयाचार्य अथवा देशरि | ||
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-पर्षोकाण अथवा ध्रुवराज | -पर्षोकाण अथवा ध्रुवराज | ||
{'[[भक्ति आंदोलन]]' से संबंधित [[मराठा]] [[संत|संतों]] का सही कालानुक्रम कौन-सा है? | {'[[भक्ति आंदोलन]]' से संबंधित [[मराठा]] [[संत|संतों]] का सही कालानुक्रम कौन-सा है? | ||
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-[[नामदेव]], [[तुकाराम]], [[एकनाथ]], [[समर्थ रामदास|रामदास]] | -[[नामदेव]], [[तुकाराम]], [[एकनाथ]], [[समर्थ रामदास|रामदास]] |
13:00, 14 फ़रवरी 2013 का अवतरण
इतिहास सामान्य ज्ञान
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