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-[[पश्चिमी घाट पर्वत]] | -[[पश्चिमी घाट पर्वत]] | ||
||[[चित्र:Aravalli-Mountains-1.jpg|right|100px|border|अरावली पर्वतमाला]]'[[अरावली]] या 'अर्वली' उत्तर भारतीय पर्वतमाला है। [[राजस्थान|राजस्थान राज्य]] के पूर्वोत्तर क्षेत्र से गुज़रती हुई 560 किलोमीटर लम्बी इस पर्वतमाला की कुछ चट्टानी पहाड़ियाँ दिल्ली के दक्षिण हिस्से तक चली गई हैं। अरावली पर्वतमाला प्राकृतिक संसाधनों एवं खनिज पदार्थों से परिपूर्ण है और पश्चिमी मरुस्थल के विस्तार को रोकने का कार्य करती है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अरावली पर्वतमाला]] | ||[[चित्र:Aravalli-Mountains-1.jpg|right|100px|border|अरावली पर्वतमाला]]'[[अरावली]] या 'अर्वली' उत्तर भारतीय पर्वतमाला है। [[राजस्थान|राजस्थान राज्य]] के पूर्वोत्तर क्षेत्र से गुज़रती हुई 560 किलोमीटर लम्बी इस पर्वतमाला की कुछ चट्टानी पहाड़ियाँ दिल्ली के दक्षिण हिस्से तक चली गई हैं। अरावली पर्वतमाला प्राकृतिक संसाधनों एवं खनिज पदार्थों से परिपूर्ण है और पश्चिमी मरुस्थल के विस्तार को रोकने का कार्य करती है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अरावली पर्वतमाला]] | ||
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{[[अष्टछाप कवि|अष्टछाप कवियों]] में सबसे ज्येष्ठ [[कवि]] कौन थे? | |||
|type="()"} | |||
-[[कृष्णदास]] | |||
-[[सूरदास]] | |||
+[[कुम्भनदास]] | |||
-[[नंददास]] | |||
||[[चित्र:Kumbhandas.jpg|right|100px|border|कुम्भनदास]]'गोस्वामी बिट्ठलनाथ ने सं.1602 के लगभग अपने पिता [[वल्लभाचार्य|वल्लभ]] के 84 शिष्यों में से चार और अपने 252 शिष्यों में से चार को लेकर अष्टछाप के प्रसिद्ध भक्त कवियों की मंडली की स्थापना की। इन आठ भक्त कवियों में चार वल्लभाचार्य के शिष्य थे। अष्टछाप के भक्त कवियों में सबसे ज्येष्ठ [[कुम्भनदास]] थे और सबसे कनिष्ठ [[नंददास]] थे परंतु काव्यसौष्ठव की दृष्टि से सर्वप्रथम स्थान [[सूरदास]] का है तथा द्वितीय स्थान नंददास का है। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अष्टछाप कवि]], [[कुम्भनदास]] | |||
{किस अनुच्छेद के तहत [[राष्ट्रपति]] पर महाभियोग की प्रक्रिया संचालित की जा सकती है? | |||
|type="()"} | |||
-अनुच्छेद 74 | |||
+अनुच्छेद 61 | |||
-अनुच्छेद 32 | |||
-अनुच्छेद 64 | |||
||[[चित्र:Rashtrapati-Bhavan-1.jpg|right|100px|border|राष्ट्रपति भवन]]'[[राष्ट्रपति]] को उसके पद से अनुच्छेद 61 के तहत महाभियोग की प्रक्रिया के द्वारा हटाया जा सकता है। राष्ट्रपति के विरुद्ध महाभियोग की प्रक्रिया तब संचालित की जा सकती है, जब उसने [[संविधान]] के प्रावधानों का उल्लंघन किया हो। राष्ट्रपति के विरुद्ध महाभियोग चलाने का संकल्प [[संसद]] के किसी भी सदन में पेश किया जा सकता है, लेकिन जिस सदन में महाभियोग का संकल्प पेश किया जाना हो, उसके एक चौथाई सदस्यों के द्वारा हस्ताक्षरित आरोप पत्र राष्ट्रपति को 14 दिन पूर्व दिया जाना आवश्यक है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[राष्ट्रपति]]</quiz> | |||
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08:52, 4 दिसम्बर 2016 का अवतरण
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