"प्रयोग:कविता बघेल 9": अवतरणों में अंतर
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-शिथिल द्विध्रुवीय व्यवस्था | -शिथिल द्विध्रुवीय व्यवस्था | ||
-दृढ़ द्विध्रुवीय व्यवस्था | -दृढ़ द्विध्रुवीय व्यवस्था | ||
||अंतर्राष्ट्रीय राजनीति को समझने, उसके विश्लेषण एवं भविष्य की चुनौतियों के समाधान के लिए मॉर्टन कैप्लान की [[1957]] की कृति System and Process in International Politics विश्व राजनीति का संरचनात्मक विश्लेषण के रूप में एक महत्त्वपूर्ण प्रयास था। कैप्लन ने अपनी इस पुस्तक में अंतर्राष्ट्रीय व्यवहार के निम्न छ: मॉडल प्रस्तुत किए हैं- 1. शक्ति संतुलन व्यवस्था, 2. ढीली द्विध्रुवीय व्यवस्था, 3. कठोर द्विध्रुवीय व्यवस्था, 4. सार्वभौमिक व्यवस्था | ||अंतर्राष्ट्रीय राजनीति को समझने, उसके विश्लेषण एवं भविष्य की चुनौतियों के समाधान के लिए मॉर्टन कैप्लान की [[1957]] की कृति 'System and Process in International Politics' विश्व राजनीति का संरचनात्मक विश्लेषण के रूप में एक महत्त्वपूर्ण प्रयास था। कैप्लन ने अपनी इस पुस्तक में अंतर्राष्ट्रीय व्यवहार के निम्न छ: मॉडल प्रस्तुत किए हैं- 1. शक्ति संतुलन व्यवस्था, 2. ढीली द्विध्रुवीय व्यवस्था, 3. कठोर द्विध्रुवीय व्यवस्था, 4. सार्वभौमिक व्यवस्था, 5. पदसोपानीय व्यवस्था, 6. इकाई निषेधाधिकार व्यवस्था | ||
5. पदसोपानीय व्यवस्था, 6. इकाई निषेधाधिकार व्यवस्था | |||
{राजनीतिक संस्कृति का प्रयोग सर्वप्रथम किसने किया? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-79,प्रश्न-93 | {राजनीतिक संस्कृति का प्रयोग सर्वप्रथम किसने किया? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-79,प्रश्न-93 | ||
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||वर्ष [[1963]] में अमेरिकी राजनीति वैज्ञानिक आमंड ने राजनीतिक संस्कृति का सबसे पहले प्रयोग किया। राजनीतिक संस्कृति का तात्पर्य संस्कृति के उन पक्षों से है जो राजनीति को प्रभावित करते हैं। | ||वर्ष [[1963]] में अमेरिकी राजनीति वैज्ञानिक आमंड ने राजनीतिक संस्कृति का सबसे पहले प्रयोग किया। राजनीतिक संस्कृति का तात्पर्य संस्कृति के उन पक्षों से है जो राजनीति को प्रभावित करते हैं। | ||
{किसने कहा स्वतंत्रता समस्त प्रतिबंधों का अभाव है"? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-83,प्रश्न-4 | {किसने कहा "स्वतंत्रता समस्त प्रतिबंधों का अभाव है"? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-83,प्रश्न-4 | ||
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-बैंथम | -बैंथम | ||
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-कांट | -कांट | ||
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|| | ||"स्वतंत्रता का मतलब सभी प्रकार के बंधनों का अभाव है।" यह कथन सीले का है। स्वतंत्रता उदारवादी चिंतन का केंद्रीय तत्त्व तथा सार है। स्वतंत्रता को नकारात्मक स्वतंत्रता तथा सकारात्मक स्वतंत्रता में वर्गीकृत किया गया है। सीले की यह परिभाषा नकारात्मक स्वतंत्रता को व्यक्त करती है। आरंभिक उदारवादी विचारक हॉब्स, जॉन लॉक, बेंथम, मिल, सिजविक, स्पेंशर, माण्टेस्क्यू तथा नव उदारवादी विचारक जैसे हेयक, फ्रीडमैन, वर्लिन आदि नकारात्मक स्वतंत्रता के समर्थन है। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) स्वतंत्रता का [[अंग्रेज़ी]] रूपांतर लिबर्टी 'लैटिन' भाषा के शब्द लिबर से लिया गया है जिसका अर्थ होता बंधनों का अभाव। (2) सीले के अनुसार, "स्वतंत्रता अतिशासन का विरोधी है।" (3) हॉब्स के अनुसार, "स्वतंत्रता वाह्य बाधाओं की अनुपस्थिति है वे बाधाएं जो व्यक्ति की कोई भी कार्य करने की शक्ति घटाती है।" (4) रूसो के अनुसार, "स्वतंत्रता सामान्य इच्छा के पालन में है।" (5) हीगल के अनुसार, "स्वतंत्रता राज्य के क़ानूनों का पालन करने में है।" (6) मैकेन्जी के अनुसार, "स्वतंत्रता सभी प्रकार के प्रतिबंधों का अभाव नहीं, अपितु अनुचित प्रतिबंधों के स्थान पर उचित प्रतिबंधों की व्यवस्था है। | ||
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+आशीर्वादम | +आशीर्वादम | ||
-[[गिलक्राइस्ट | -[[जॉन गिलक्राइस्ट]] | ||
-गेटेल | -गेटेल | ||
-गार्नर | -गार्नर | ||
||आशीर्वादम ने समाज को ईंट तथा राज्य को सीमेंट कहा है। डॉ. आशीर्वादम ने अपनी पुस्तक 'राजनीति विज्ञान' में 'राज्य का स्वरूप' अध्याय में राज्य और समाज के मध्य | ||आशीर्वादम ने समाज को ईंट तथा [[राज्य]] को सीमेंट कहा है। डॉ. आशीर्वादम ने अपनी पुस्तक 'राजनीति विज्ञान' में 'राज्य का स्वरूप' अध्याय में राज्य और समाज के मध्य संबंधों पर विस्तृत चर्चा किया है। इसमें टिप्पणी करते हुए इन्होंने लिखा है कि ईंटों की दीवार में ईंटें यदि समाज हैं तो उनके बीच लगी सीमेंट राज्य, जो ईंटों को अपनी जगह पर बनाये रखती है ताकि दीवार ज्यों-की-त्यों कायम रहे। इसी प्रकार राज्य एवं समाज के मध्य संबंधों पर बार्कर ने लिखा है कि "समाज राज्य द्वारा कायम रखा जाता है औद यदि समाज इस प्रकार कायम न रखा जाए तो इसका अस्तित्व ही नहीं रहे।" | ||
{वर्तमान समय में [[राज्य]] की उत्पत्ति का कौन-सा सिद्धांत सबसे अधिक मान्य है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-19,प्रश्न-15 | {वर्तमान समय में [[राज्य]] की उत्पत्ति का कौन-सा सिद्धांत सबसे अधिक मान्य है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-19,प्रश्न-15 | ||
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-लॉर्ड एक्टन | -लॉर्ड एक्टन | ||
-टॉनी | -टॉनी | ||
-जे.एस. मिल | -जे. एस. मिल | ||
||"एक बेहतर न्यायिक समाज की प्रकृति तथा उद्देश्य न्याय सिद्धान्त का मौलिक अंग है", यह कथन जॉन राल्स का है। जॉन राल्स ने अपनी कृति 'ए थ्योरी ऑफ़ जस्टिस' में सामाजिक संविदा और कांट के विधि-दर्शन को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया है। जॉन राल्स ने अपने न्याय सिद्धांत को 'शुद्ध प्रक्रियात्मक न्याय' की संज्ञा प्रदान की है। | ||"एक बेहतर न्यायिक समाज की प्रकृति तथा उद्देश्य न्याय सिद्धान्त का मौलिक अंग है", यह कथन जॉन राल्स का है। जॉन राल्स ने अपनी कृति 'ए थ्योरी ऑफ़ जस्टिस' में सामाजिक संविदा और कांट के विधि-दर्शन को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया है। जॉन राल्स ने अपने न्याय सिद्धांत को 'शुद्ध प्रक्रियात्मक न्याय' की संज्ञा प्रदान की है। | ||
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+सीले | +सीले | ||
-पॉल जेनेट | -पॉल जेनेट | ||
इतिहास में व्यक्ति, समाज और [[राज्य]] के भूतकालीन जीवन का लेखा-जोखा होता है। राजनीति विज्ञान में राज्य के भूत, वर्तमान तथा भविष्य का अध्ययन। इन दोनों के बीच संबंधों को दर्शाते हुए सीले ने कहा है कि "राजनीति के बिना [[इतिहास]] निष्फल है, इतिहास के बिना राजनीति निर्मूल है।" सीले पुन: कहते | ||इतिहास में व्यक्ति, समाज और [[राज्य]] के भूतकालीन जीवन का लेखा-जोखा होता है। राजनीति विज्ञान में [[राज्य]] के भूत, वर्तमान तथा भविष्य का अध्ययन। इन दोनों के बीच संबंधों को दर्शाते हुए सीले ने कहा है कि "राजनीति के बिना [[इतिहास]] निष्फल है, इतिहास के बिना राजनीति निर्मूल है।" सीले पुन: कहते हैं, "राजनीति उच्छृंखल हो जाती है, यदि इतिहास द्वारा उसे उदार नहीं बनाया जाता तथा इतिहास कोरा साहित्य रह जाता है, यदि राजनीति से उसका विच्छेद हो जाता है।" | ||
{'सामाजिक अभियांत्रिकी' का सिद्धांत' प्रस्तुत करने वाले उदारवादी विचारक | {'सामाजिक अभियांत्रिकी' का सिद्धांत' प्रस्तुत करने वाले उदारवादी विचारक कौन हैं? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-36,प्रश्न-5 | ||
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-सी.बी. मैक्फर्सन | -सी. बी. मैक्फर्सन | ||
+कार्ल जे. पॉपर | +कार्ल जे. पॉपर | ||
-जॉन राल्स | -जॉन राल्स | ||
-एल.टी. हॉब हाऊस | -एल. टी. हॉब हाऊस | ||
||'सामाजिक अभियांत्रिकी का सिद्धांत' कार्ल पॉपर ने प्रस्तुत किया था। कार्ल पॉपर को राजनीतिक चिंतन और व्यवहार के क्षेत्र में वैज्ञानिक विधि का प्रयोग करने के लिए जाना जाता है। अपनी कृति 'द ओपेन सोसाइटी एंड इट्स एनिमीज' के अंतर्गत पॉपर ने विशेष रूप से तीन विचारकों की मान्यताओं पर प्रहार किया। ये तीन विचारक [[प्लेटो]], हेगेल व [[कार्ल मार्क्स|मार्क्स]] हैं। पॉपर ने 'पद्धति वैज्ञानिक व्यक्तिवाद' तथा 'उत्तरोत्तर परिवर्तन व्यक्तिवाद का सिद्धांत' भी प्रतिपादित किया। | ||'सामाजिक अभियांत्रिकी का सिद्धांत' कार्ल पॉपर ने प्रस्तुत किया था। कार्ल पॉपर को राजनीतिक चिंतन और व्यवहार के क्षेत्र में वैज्ञानिक विधि का प्रयोग करने के लिए जाना जाता है। अपनी कृति 'द ओपेन सोसाइटी एंड इट्स एनिमीज' के अंतर्गत पॉपर ने विशेष रूप से तीन विचारकों की मान्यताओं पर प्रहार किया। ये तीन विचारक [[प्लेटो]], हेगेल व [[कार्ल मार्क्स|मार्क्स]] हैं। पॉपर ने 'पद्धति वैज्ञानिक व्यक्तिवाद' तथा 'उत्तरोत्तर परिवर्तन व्यक्तिवाद का सिद्धांत' भी प्रतिपादित किया। | ||
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-उदारवादी सिद्धांत | -उदारवादी सिद्धांत | ||
+क्रांतिकारी सिद्धांत | +क्रांतिकारी सिद्धांत | ||
||प्रतिनिधित्व का क्रांतिकारी सिद्धांत प्रत्यक्ष लोकतंत्र को प्रतिष्ठा देता | ||प्रतिनिधित्व का क्रांतिकारी सिद्धांत प्रत्यक्ष लोकतंत्र को प्रतिष्ठा देता है। रूसो ने प्रतिनिध्यात्मक लोकतंत्र की अलोचना करते हुए प्रत्यक्ष लोकतंत्र का समर्थन किया था। रूसो के अनुसार जनता केवल निर्वाचन के समय ही स्वतंत्र होती है। 'प्रत्यक्ष लोकतंत्र' स्विट्जरलैंड की शासन प्रणाली की विशिष्टता है। | ||
{'श्रमिकों की तानाशाही' के सिद्धांत को किसने सुपरिष्कृत किया? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-53,प्रश्न-15 | {'श्रमिकों की तानाशाही' के सिद्धांत को किसने सुपरिष्कृत किया? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-53,प्रश्न-15 | ||
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-[[कार्ल मार्क्स]] ने 'दास-कैपिटल' में | -[[कार्ल मार्क्स]] ने 'दास-कैपिटल' में | ||
-कार्ल मार्क्स | -कार्ल मार्क्स एवं ऐंजिल्स ने 'कम्युनिस्ट मैनीफेस्टो' में | ||
-ऐंजिल्स ने 'आरिजिन ऑफ़ फैमिली प्राइवेट प्रॉपर्टी एंड स्टेट' में | -ऐंजिल्स ने 'आरिजिन ऑफ़ फैमिली प्राइवेट प्रॉपर्टी एंड स्टेट' में | ||
+लेनिन ने 'स्टे एंड रिवोल्यूशन' में | +लेनिन ने 'स्टे एंड रिवोल्यूशन' में | ||
||लेनिन ने वर्ष [[1917]] में लिखी अपनी पुस्तक '[[राज्य]] और क्रांति' में 'श्रमिक की तानाशाही' को स्पष्ट करने का प्रयास किया, लेकिन [[1918]] में लिखी अपनी पुस्तक 'प्रोलेलरिएड रेवोल्यूशन एंड रेनीगेड काउत्स्की' में उन्होंने सर्वहारा | ||लेनिन ने वर्ष [[1917]] में लिखी अपनी पुस्तक '[[राज्य]] और क्रांति' में 'श्रमिक की तानाशाही' को स्पष्ट करने का प्रयास किया, लेकिन [[1918]] में लिखी अपनी पुस्तक 'प्रोलेलरिएड रेवोल्यूशन एंड रेनीगेड काउत्स्की' में उन्होंने सर्वहारा अधिनायकवाद या श्रमिक वर्ग की तानाशाही संबंधी विस्तृत विवेचन की। | ||
{संरचनात्मक- | {संरचनात्मक-प्रकार्यात्मक उपागम किसके नाम से जुड़ा है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-66,प्रश्न-15 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+आमंड और पावेल | +आमंड और पावेल | ||
-डेविड ईस्टन | -डेविड ईस्टन | ||
-राबर्ट | -राबर्ट डाहल | ||
-ओ.आर. यंग | -ओ. आर. यंग | ||
||तुलनात्मक राजनीति के क्षेत्र में व्यवस्था विश्लेषण का संरचात्मक प्रकार्यात्मक उपागम ईस्टन के निवेश निर्गत विश्लेषण से उत्पन्न असंतोष के कारण अस्तित्व में आया। इस उपागम का प्रयोग आमंड एवं पॉवेल ने किया है, इन्होंने राजनीतिक व्यवस्था के चार लक्षण माने हैं- (1) राजनीतिक व्यवस्था के भागों में | ||तुलनात्मक राजनीति के क्षेत्र में व्यवस्था विश्लेषण का संरचात्मक प्रकार्यात्मक उपागम ईस्टन के निवेश निर्गत विश्लेषण से उत्पन्न असंतोष के कारण अस्तित्व में आया। इस उपागम का प्रयोग आमंड एवं पॉवेल ने किया है, इन्होंने राजनीतिक व्यवस्था के चार लक्षण माने हैं- (1) राजनीतिक व्यवस्था के भागों में अंतर्निर्भरता (2) राजनीतिक व्यवस्था की सीमा। (3) राजनीतिक व्यवस्था का पर्यावरण (4) राजनीतिक व्यवस्था द्वारा बाध्यकारी शक्ति का प्रयोग। | ||
{कौन-सी सत्ता प्रत्यायोजित नहीं की जानी चाहिए? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-79,प्रश्न-94 | {कौन-सी सत्ता प्रत्यायोजित नहीं की जानी चाहिए? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-79,प्रश्न-94 |
13:02, 20 अप्रैल 2017 का अवतरण
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