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-[[राजेंद्र नाथ]] | -[[राजेंद्र नाथ]] | ||
-[[कैलाश वाजपेयी]] | -[[कैलाश वाजपेयी]] | ||
||'[[गीतांजलि]]', [[रबीन्द्रनाथ टैगोर]] का [[काव्य संग्रह]] है। इस पर वर्ष [[1913]] में उन्हें साहित्य का [[नोबेल पुरस्कार]] प्राप्त हो चुका है। | ||'[[गीतांजलि]]', [[रबीन्द्रनाथ टैगोर]] का [[काव्य संग्रह]] है। इस पर वर्ष [[1913]] में उन्हें साहित्य का [[नोबेल पुरस्कार]] प्राप्त हो चुका है। {{point}} '''अधिक जानकारी के लिए देखें-:''' [[रबीन्द्रनाथ टैगोर]] | ||
{[[तंजौर कला |तंजावुर चित्रकला]] (तमिलनाडु) का मुख्य विषय है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-217,प्रश्न-234 | {[[तंजौर कला |तंजावुर चित्रकला]] (तमिलनाडु) का मुख्य विषय है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-217,प्रश्न-234 | ||
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+[[अवनीन्द्रनाथ ठाकुर|अबनीन्द्रनाथ ठाकुर]] | +[[अवनीन्द्रनाथ ठाकुर|अबनीन्द्रनाथ ठाकुर]] | ||
-[[नंदलाल बोस]] | -[[नंदलाल बोस]] | ||
||[[चित्रकला|भारतीय चित्रकला]] के पुनर्जागरण काल के संस्थापक शिल्पाचार्य अवनीन्द्रनाथ टैगोर ने भारतीय चित्रकला के उत्थान में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। इन्होंने 'इंडियन सोसायटी ऑफ़ ओरियंटल आर्ट' में 'षडंग' या 'द सिक्स लिम्बस ऑफ़ पेंटिंग' शीर्षक से वर्ष [[1921]] में प्रकाशित कराया। इसमें उन्होंने यशोधर पंडित के चित्र-षडांग की पुनर्व्याख्या प्रस्तुत की। | ||[[चित्रकला|भारतीय चित्रकला]] के पुनर्जागरण काल के संस्थापक शिल्पाचार्य अवनीन्द्रनाथ टैगोर ने भारतीय चित्रकला के उत्थान में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। इन्होंने 'इंडियन सोसायटी ऑफ़ ओरियंटल आर्ट' में 'षडंग' या 'द सिक्स लिम्बस ऑफ़ पेंटिंग' शीर्षक से वर्ष [[1921]] में प्रकाशित कराया। इसमें उन्होंने यशोधर पंडित के चित्र-षडांग की पुनर्व्याख्या प्रस्तुत की। {{point}} '''अधिक जानकारी के लिए देखें-:''' [[अवनीन्द्रनाथ ठाकुर|अबनीन्द्रनाथ ठाकुर]] | ||
{भारतीय ग्रंथ 'वृहत् संहिता' के रचयिता कौन है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-185,प्रश्न-22 | {भारतीय ग्रंथ 'वृहत् संहिता' के रचयिता कौन है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-185,प्रश्न-22 | ||
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-[[कालिदास]] | -[[कालिदास]] | ||
+[[वराहमिहिर|वराहमिहिर]] | +[[वराहमिहिर|वराहमिहिर]] | ||
||वराहमिहिर ने तीन महत्त्वपूर्ण ग्रंथों की रचना की। वे हैं- वृहज्जातक, वृहत्त् संहिता तथा पंचसिद्धांतिका। [[वराहमिहिर]] गणितज्ञ, खगोलशास्त्री और ज्योतिषशास्त्री थे। | ||वराहमिहिर ने तीन महत्त्वपूर्ण ग्रंथों की रचना की। वे हैं- वृहज्जातक, वृहत्त् संहिता तथा पंचसिद्धांतिका। [[वराहमिहिर]] गणितज्ञ, खगोलशास्त्री और ज्योतिषशास्त्री थे। {{point}} '''अधिक जानकारी के लिए देखें-:''' [[वराहमिहिर|वराहमिहिर]] | ||
{चट्टान काटकर बनाया गया द्रौपदी रथ कहां है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-194,प्रश्न-69 | {चट्टान काटकर बनाया गया द्रौपदी रथ कहां है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-194,प्रश्न-69 | ||
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-[[हम्पी]] | -[[हम्पी]] | ||
+[[महाबलीपुरम]] | +[[महाबलीपुरम]] | ||
||चट्टान काटकर बनाया गया द्रौपदी रथ मंदिर [[महाबलीपुरम]] में स्थित है। [[तमिलनाडु|तमिलनाडु राज्य]] के कांचीपुरम जनपद में पल्लव काल में पल्लव कला शैली में पहाड़ों को काटकर रथ मंदिर बनाए गए हैं। इनमें पांच मंदिर हैं जो पांचों पांडवों तथा द्रौपदी एवं एक भगवान गणेश से संबंधित है। | ||चट्टान काटकर बनाया गया द्रौपदी रथ मंदिर [[महाबलीपुरम]] में स्थित है। [[तमिलनाडु|तमिलनाडु राज्य]] के [[कांचीपुरम]] जनपद में पल्लव काल में पल्लव कला शैली में पहाड़ों को काटकर रथ मंदिर बनाए गए हैं। इनमें पांच मंदिर हैं जो पांचों पांडवों तथा [[द्रौपदी]] एवं एक [[गणेश|भगवान गणेश]] से संबंधित है। | ||
{भारतीय | {[[भारतीय फ़िल्म एंड टेलीविजन संस्थान]] कहां स्थित है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-206,प्रश्न-161 | ||
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-[[दिल्ली]] | -[[दिल्ली]] | ||
-कोलकाता | -[[कोलकाता]] | ||
+पुणे | +[[पुणे]] | ||
-मुंबई | -[[मुंबई]] | ||
||भारतीय फिल्म एंड टेलीविजन संस्थान (Film and Television Institute India-FTII) भारत के पुणे शहर में स्थित है। यह संस्थान भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अंतर्गत एक स्वशासी संस्था है। इसकी स्थापना वर्ष 1960 में पुणे के | ||भारतीय फिल्म एंड टेलीविजन संस्थान (Film and Television Institute India-FTII) [[भारत]] के [[पुणे]] शहर में स्थित है। यह संस्थान [[भारत सरकार]] के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अंतर्गत एक स्वशासी संस्था है। इसकी स्थापना वर्ष [[1960]] में पुणे के [[प्रभात फ़िल्म कंपनी|प्रभात स्टूडियो]] परिसर में भारतीय फ़िल्म संस्थान (Film Institute of India-FII) के रूप में की गई। वर्ष [[1971]] में इसका पुनर्नामकरण 'भारतीय फिल्म एंड टेलीविजन संस्थान' कर दिया गया। | ||
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11:51, 11 नवम्बर 2017 का अवतरण
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