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-[[तक्षशिला]], [[पेशावर]] और [[काबुल]]
-[[तक्षशिला]], [[पेशावर]] और [[काबुल]]
-काबुल और [[बामियान]]
-काबुल और [[बामियान]]
||[[ख़ैबर दर्रा]] उत्तर-पश्चिमी [[पाकिस्तान]] की सीमा और [[अफ़ग़ानिस्तान]] के काबुलिस्तान मैदान के बीच [[हिन्दुकुश]] के [[सफ़ेद कोह|सफ़ेद कोह पर्वत शृंखला]] में स्थित एक प्रख्यात दर्रा है। यह 1070 मीटर (3510 फ़ुट) की ऊँचाई पर सफ़ेद कोह शृंखला में एक प्राकृतिक कटाव है। इस दर्रे के ज़रिये भारतीय उपमहाद्वीप और [[मध्य एशिया]] के बीच आवागमन किया जा सकता है और इसने दोनों क्षेत्रों के [[इतिहास]] पर गहरी छाप छोड़ी है। ख़ैबर दर्रा 33 मील {{मील|मील=33}} लम्बा है और इसका सबसे सँकरा भाग केवल 10 फ़ुट चौड़ा है। यह सँकरा मार्ग 600 से 1000 फ़ुट की ऊँचाई पर बल खाता हुआ बृहदाकार [[पर्वत|पर्वतों]] के बीच खो सा जाता है।{{point}}'''अधिक जानकारी के लिए देखें''':-[[ख़ैबर दर्रा]], [[काबुल]]


{[[गुप्त काल]] का प्रसिद्ध खगोलशास्त्री कौन था?  (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-230,प्रश्न-949
{[[गुप्त काल]] का प्रसिद्ध खगोलशास्त्री कौन था?  (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-230,प्रश्न-949
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-[[भास्कराचार्य]]
-[[भास्कराचार्य]]
-[[वराहमिहिर]]
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+[[आर्यभट्ट ]]
+[[आर्यभट्ट]]
-[[ब्रह्मगुप्त]]
-[[ब्रह्मगुप्त]]
||प्राचीन काल के ज्योतिर्विदों में [[आर्यभट्ट]], [[वराहमिहिर]], [[ब्रह्मगुप्त]], [[आर्यभट्ट द्वितीय]], [[भास्कराचार्य]], [[कमलाकर]]  जैसे प्रसिद्ध विद्वानों का इस क्षेत्र में अमूल्य योगदान है। इन सभी में आर्यभट्ट सर्वाधिक प्रख्यात हैं। वे [[गुप्त साम्राज्य|गुप्त काल]] के प्रमुख ज्योतिर्विद थे। आर्यभट्ट का जन्म ई.स. 476 में [[कुसुमपुर]] ([[पटना]]) में हुआ था। नालन्दा विश्वविद्यालय में उन्होंने शिक्षा प्राप्त की थी। 23 वर्ष की आयु में आर्यभट्ट ने 'आर्यभट्टीय ग्रंथ' लिखा था। उनके इस ग्रंथ को चारों ओर से स्वीकृति मिली थी, जिससे प्रभावित होकर राजा बुद्धगुप्त ने आर्यभट्ट को [[नालन्दा विश्वविद्यालय]] का प्रमुख बना दिया।{{point}}'''अधिक जानकारी के लिए देखें''':-[[आर्यभट्ट]]


{निम्नलिखित में से कौन-सा क्षेत्र [[राज्य]] की आय का एक स्रोत नहीं था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-225,प्रश्न-866
{निम्नलिखित में से कौन-सा क्षेत्र [[राज्य]] की आय का एक स्रोत नहीं था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-225,प्रश्न-866
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+[[श्रीगुप्त]]
+[[श्रीगुप्त]]
-[[रामगुप्त]]
-[[रामगुप्त]]
||[[कुषाण|कुषाण]] साम्राज्य के पतन के समय उत्तरी [[भारत]] में जो अव्यवस्था उत्पन्न हो गई थी, उससे लाभ उठाकर बहुत से प्रान्तीय सामन्त राजा स्वतंत्र हो गए थे। सम्भवतः इसी प्रकार का एक व्यक्ति '[[श्रीगुप्त]]' भी था। [[गुप्त राजवंश]] की स्थापना महाराजा गुप्त ने लगभग 240 ई. में की थी। उसका वास्तविक नाम श्रीगुप्त था। उसने [[मगध]] के कुछ पूर्व में चीनी यात्री [[इत्सिंग]] के अनुसार [[नालन्दा]] से प्रायः चालीस योजन पूर्व की तरफ़ अपने राज्य का विस्तार किया था।{{point}}'''अधिक जानकारी के लिए देखें''':-[[श्रीगुप्त]]


{[[गुप्तोत्तर काल|गुप्तोत्तरकालीन]] करों के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन असत्य है? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-234,प्रश्न-1007
{[[गुप्तोत्तर काल|गुप्तोत्तरकालीन]] करों के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन असत्य है? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-234,प्रश्न-1007
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1 भारत और पश्चिम एशिया के मध्य मुख्यत: स्थल मार्ग कहाँ से गुजरता था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-219,प्रश्न-764

खैबर दर्रा और काबुल
खैबर और बोलन दर्रा
तक्षशिला, पेशावर और काबुल
काबुल और बामियान

2 गुप्त काल का प्रसिद्ध खगोलशास्त्री कौन था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-230,प्रश्न-949

भास्कराचार्य
वराहमिहिर
आर्यभट्ट
ब्रह्मगुप्त

3 निम्नलिखित में से कौन-सा क्षेत्र राज्य की आय का एक स्रोत नहीं था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-225,प्रश्न-866

राजकीय सम्पत्ति तथा राजकोष
राज्य व्यापार
मार्ग-शुल्क और सीमा-शुल्क
दीवानी मुक़दमों पर (स्टाम्प) न्याय-शुल्क

4 गुप्त वंश का संस्थापक कौन था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-228,प्रश्न-920

घटोत्कच गुप्त
चंद्रगुप्त प्रथम
श्रीगुप्त
रामगुप्त

5 गुप्तोत्तरकालीन करों के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन असत्य है? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-234,प्रश्न-1007

परहीनक पशुओं द्वारा की गई हानि की क्षतिपूर्ति के रूप में लिया जाता था।
राजकीय भूमि पर कृषि कर सीता कहलाता था।
अवल्गक सेनाभक्त की तरह का ही एक कर था।
हलिराकर हलवाईयों पर लगने वाला कर था।

6 नगर प्रशासन के प्रसंग में नगर श्रेष्ठी एवं सार्थवाह का उल्लेख निम्नांकित स्थान से प्राप्त गुप्त अभिलेखों में हुआ है- (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-239,प्रश्न-1079

मध्य प्रदेश
पुंड्रवर्धन
अवंति
सौराष्ट्र

7 निम्नलिखित में से किस शासक को तमिल संरक्षक घोषित किया गया? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-242,प्रश्न-1118

राजराज प्रथम
राजराज द्वितीय
राजेंद्र प्रथम
कुलोत्तुंग

8 सेन वंश के शासक लक्ष्मण सेन (1178-1205) के सन्दर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन लागू होता है? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-247,प्रश्न-1174

उसने 60 वर्ष की अवस्था में जयचन्द पर आक्रमण कर उसे पराजित किया था।
उसने बनारस तथा प्रयाग तक सैन्य अभियान किया।
इख्तियारुद्दीन मुहम्मद बिन बख्तियार खिलजी के आक्रमण से भयभीत होकर पूर्वी बंगाल भाग गया।
उपर्युक्त सभी

9 अजंता के भित्तिचित्रों का मूल धार्मिक विषय क्या है? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-202,प्रश्न-491

जैन
बौद्ध
वैष्णव
शैव

10 चाणक्य के अर्थशास्त्र के अनुसार सेना में किस वर्ण के लोग सम्मिलित होने चाहिए? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-212,प्रश्न-659

क्षत्रिय
क्षत्रिय और शूद्र
क्षत्रिय, शूद्र और वैश्य
क्षत्रिय, शूद्र, वैश्य और ब्राह्मण