No edit summary |
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति 13: | पंक्ति 13: | ||
-खड़ी बोली | -खड़ी बोली | ||
{' | {'जनमेजय का नागयज्ञ' किसकी कृति हैं? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-सेठ गोविन्द दास | -सेठ गोविन्द दास | ||
पंक्ति 27: | पंक्ति 27: | ||
-[[रामायण]] | -[[रामायण]] | ||
-साकेत | -साकेत | ||
||[[चित्र:Kamayani.jpg | ||[[चित्र:Kamayani.jpg|100px|right|कामायनी]]'कामायनी' की कथा पन्द्रह सगों में विभक्त है, जिनका नामकरण चिंता, आशा, श्रद्धा, काम, वासना, लज्जा आदि मनोविकारों के नाम पर हुआ है। 'कामायनी' आदि मानव की कथा तो है ही, पर इसके माध्यम से कवि ने अपने युग के महत्त्वपूर्ण प्रश्नों पर विचार भी किया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कामायनी]] | ||
{[[हिन्दी]] नाटकों के मंचन में 'यक्षगान' का प्रयोग किसने किया है? | {[[हिन्दी]] नाटकों के मंचन में 'यक्षगान' का प्रयोग किसने किया है? | ||
पंक्ति 49: | पंक्ति 49: | ||
-[[तमिल भाषा]] | -[[तमिल भाषा]] | ||
-[[उर्दू भाषा]] | -[[उर्दू भाषा]] | ||
||[[चित्र: | ||[[चित्र:Hindi-Alphabhet.jpg|100px|right|महात्मा गाँधी अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय ]][[भारत]] में सर्वाधिक प्रचलित लिपि जिसमें संस्कृत, हिन्दी और मराठी भाषाएँ लिखी जाती हैं। इस शब्द का सबसे पहला उल्लेख 453 ई. में जैन ग्रंथों में मिलता है। 'नागरी' नाम के संबंध में मतैक्य नहीं है। कुछ लोग इसका कारण नगरों में प्रयोग को बताते हैं। यह अपने आरंभिक रूप में [[ब्राह्मी लिपि]] के नाम से जानी जाती थी। इसका वर्तमान रूप नवी-दसवीं शताब्दी से मिलने लगता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[हिन्दी भाषा]] | ||
{अधिकतर भारतीय भाषाओं का विकास किस लिपि से हुआ? | {अधिकतर भारतीय भाषाओं का विकास किस लिपि से हुआ? | ||
पंक्ति 66: | पंक्ति 66: | ||
+[[शौरसेनी]] | +[[शौरसेनी]] | ||
-ब्राचड़ | -ब्राचड़ | ||
{श्रृंगार रस का स्थायी भाव क्या है? | {श्रृंगार रस का स्थायी भाव क्या है? |
14:39, 25 अगस्त 2011 का अवतरण
हिन्दी
|