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     '''[[दिल्ली]]''' तो है दिल वालों की। [[दिल्ली का इतिहास|दिल्ली के इतिहास]] में सम्पूर्ण [[भारत]] की झलक सदैव मौजूद रही है। [[अमीर ख़ुसरो]] और [[ग़ालिब]] की रचनाओं को गुनगुनाती हुई दिल्ली [[नादिरशाह]] की लूट की चीख़ों से सहम भी जाती है। [[चाँदनी चौक]]-[[जामा मस्जिद]] की सकरी गलियों से गुज़रकर चौड़े राजपथ पर 26 जनवरी की परेड को निहारती हुई दिल्ली 30 जनवरी को उन तीन गोलियों की आवाज़ को नहीं भुला पाती जो राष्ट्रपिता [[महात्मा गाँधी]] के सीने में धँस गयी थी। नौ बार लूटे जाने से भी दिल्ली के श्रृंगार में कोई कमी नहीं आयी। आज भी दिल्ली विश्व के सुन्दरतम नगरों में गिनी जाती है। [[दिल्ली|... और पढ़ें]]</poem>
     [[अमीर ख़ुसरो]] और [[ग़ालिब]] की रचनाओं को गुनगुनाती हुई दिल्ली [[नादिरशाह]] की लूट की चीख़ों से सहम भी जाती है। [[चाँदनी चौक]]-[[जामा मस्जिद]] की सकरी गलियों से गुज़रकर चौड़े राजपथ पर 26 जनवरी की परेड को निहारती हुई दिल्ली 30 जनवरी को उन तीन गोलियों की आवाज़ को नहीं भुला पाती जो राष्ट्रपिता [[महात्मा गाँधी]] के सीने में धँस गयी थी। कभी रघुराय ने दिल्ली की रायसीना पहाड़ी को अपने कैमरे में क़ैद कर लिया तो कभी हुसैन के रंगों ने दिल्ली को रंग दिया। नौ बार लूटे जाने से भी दिल्ली के श्रृंगार में कोई कमी नहीं आयी। आज भी दिल्ली विश्व के सुन्दरतम नगरों में गिनी जाती है। [[दिल्ली|... और पढ़ें]]</poem>
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13:52, 17 जून 2012 का अवतरण

विशेष आलेख
भारत की राजधानी दिल्ली के विभिन्न दृश्य
भारत की राजधानी दिल्ली के विभिन्न दृश्य

     अमीर ख़ुसरो और ग़ालिब की रचनाओं को गुनगुनाती हुई दिल्ली नादिरशाह की लूट की चीख़ों से सहम भी जाती है। चाँदनी चौक-जामा मस्जिद की सकरी गलियों से गुज़रकर चौड़े राजपथ पर 26 जनवरी की परेड को निहारती हुई दिल्ली 30 जनवरी को उन तीन गोलियों की आवाज़ को नहीं भुला पाती जो राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के सीने में धँस गयी थी। कभी रघुराय ने दिल्ली की रायसीना पहाड़ी को अपने कैमरे में क़ैद कर लिया तो कभी हुसैन के रंगों ने दिल्ली को रंग दिया। नौ बार लूटे जाने से भी दिल्ली के श्रृंगार में कोई कमी नहीं आयी। आज भी दिल्ली विश्व के सुन्दरतम नगरों में गिनी जाती है। ... और पढ़ें


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