"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/3": अवतरणों में अंतर
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-विन्सटन चर्चिल | -विन्सटन चर्चिल | ||
-विलियम हन्टर | -विलियम हन्टर | ||
||[[चित्र:Lord Curzon.jpg|right|100px|लॉर्ड कर्ज़न]][[लॉर्ड एलगिन द्वितीय]] के बाद [[1899]] ई. में [[लॉर्ड कर्ज़न]] [[भारत]] का [[वाइसराय]] बनकर आया। भारत का वाइसराय बनने के पूर्व भी कर्ज़न चार बार भारत आ चुका था। भारत में वाइसराय के रूप में उसका कार्यकाल काफ़ी उथल-पुथल का रहा। शैक्षिक सुधारों के अन्तर्गत कर्ज़न ने [[1902]] ई. में 'सर टॉमस रैले' की अध्यक्षता में 'विश्वविद्यालय आयोग' का गठन किया। आयोग द्वारा दिये गए सुझावों के आधार पर विश्वविद्यालय अधिनियम, 1904 ई. पारित किया गया। इस अधिनियम के आधार पर विश्वविद्यालय पर सरकारी नियन्त्रण बढ़ गया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[लॉर्ड कर्ज़न]] | |||
{'[[कैबिनेट मिशन]]' की नियुक्ति [[क्लीमेंट एटली]] के मंत्रिमंडल द्वारा [[1946]] में की गई थी। इसका अध्यक्ष कौन था?(यूनीक सा.ज्ञा., पृ. 371, प्र. 1006) | {'[[कैबिनेट मिशन]]' की नियुक्ति [[क्लीमेंट एटली]] के मंत्रिमंडल द्वारा [[1946]] में की गई थी। इसका अध्यक्ष कौन था?(यूनीक सा.ज्ञा., पृ. 371, प्र. 1006) | ||
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+[[देवेन्द्रनाथ ठाकुर]] | +[[देवेन्द्रनाथ ठाकुर]] | ||
-[[मदन मोहन मालवीय]] | -[[मदन मोहन मालवीय]] | ||
||देवेन्द्रनाथ ठाकुर [[कलकत्ता]] निवासी श्री [[द्वारकानाथ ठाकुर]] के पुत्र थे, जो प्रख्यात विद्वान और धार्मिक नेता थे। अपनी दानशीलता के कारण उन्होंने 'प्रिंस' की उपाधि प्राप्त की थी। [[पिता]] से उन्होंने ऊँची सामाजिक प्रतिष्ठा तथा ऋण उत्तराधिकार में प्राप्त किया था। नोबेल पुरस्कार विजेता [[रबीन्द्रनाथ ठाकुर]], देवेंद्रनाथ ठाकुर के पुत्र थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[देवेन्द्रनाथ ठाकुर]] | |||
{'[[मुस्लिम लीग]]' ने अपने किस अधिवेशन में 'डिवाइड एण्ड क्विट' का नारा दिया?(यूनीक सा.ज्ञा., पृ. 372, प्र. 1019) | {'[[मुस्लिम लीग]]' ने अपने किस अधिवेशन में 'डिवाइड एण्ड क्विट' का नारा दिया?(यूनीक सा.ज्ञा., पृ. 372, प्र. 1019) | ||
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-[[कैबिनेट मिशन]] | -[[कैबिनेट मिशन]] | ||
-[[क्रिप्स प्रस्ताव|क्रिप्स योजना]] | -[[क्रिप्स प्रस्ताव|क्रिप्स योजना]] | ||
||'अगस्त प्रस्ताव' की घोषणा [[8 अगस्त]], [[1940]] ई. को [[भारत]] के तत्कालीन [[वायसराय]] [[लॉर्ड लिनलिथगो]] ने की थी। इन प्रस्तावों के द्वारा भारत में रहने वाले अल्प-संख्यकों को अधिकांशत: वे चीज़े प्राप्त हो गईं, जिनकी उन्हें अपेक्षा भी नहीं थी। [[अगस्त प्रस्ताव]] के अंतर्गत ही सर्वप्रथम यह बात भी कही गई कि भारतीयों के लिए स्वयं का संविधान होना चाहिए।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अगस्त प्रस्ताव]] | |||
{किस घटना के पश्चात [[महात्मा गाँधी]] ने ब्रिटिश सरकार को 'शैतानी लोग' कहा था?(यूनीक सा.ज्ञा., पृ. 376, प्र. 1089) | {किस घटना के पश्चात [[महात्मा गाँधी]] ने ब्रिटिश सरकार को 'शैतानी लोग' कहा था?(यूनीक सा.ज्ञा., पृ. 376, प्र. 1089) | ||
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-[[साम्प्रदायिक निर्णय]] के पश्चात | -[[साम्प्रदायिक निर्णय]] के पश्चात | ||
-[[1942]] में क्रांतिकारियों पर हवाई हमलों के बाद | -[[1942]] में क्रांतिकारियों पर हवाई हमलों के बाद | ||
||'रौलट एक्ट' [[8 मार्च]], [[1919]] ई. को लागू किया गया था। इस एक्ट के विरोध में राष्ट्रपिता [[महात्मा गाँधी]] ने [[6 अप्रैल]], 1919 ई. को एक देशव्यापी हड़ताल करवायी। [[दिल्ली]] में इस आन्दोलन की बागडोर स्वामी श्रद्धानंदजी ने संभाली। वहाँ भीड़ पर चलाई गई गोली में पाँच आन्दोलनकारी आहत हुए। [[लाहौर]] एवं [[पंजाब]] में भी भीड़ पर गोलियाँ चलायी गईं। स्वामी श्रद्धानंद एवं डॉक्टर सत्यपाल के निमंत्रण पर महात्मा गांधी दिल्ली की ओर चले।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[रौलट एक्ट]] | |||
{[[द्वैध शासन पद्धति|द्वैध शासन प्रणाली]] का प्रारम्भ किस वर्ष में हुआ?(यूनीक सा.ज्ञा., पृ. 358, प्र. 805) | {[[द्वैध शासन पद्धति|द्वैध शासन प्रणाली]] का प्रारम्भ किस वर्ष में हुआ?(यूनीक सा.ज्ञा., पृ. 358, प्र. 805) | ||
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+[[मलिक अम्बर]] | +[[मलिक अम्बर]] | ||
-इनमें से कोई नहीं | -इनमें से कोई नहीं | ||
||'मलिक अम्बर' एक हब्शी ग़ुलाम था, जो अपनी योग्यता के बल पर तरक्की करके वज़ीर के पद तक पहुँचा था। [[मलिक अम्बर]] ने काफ़ी बड़ी [[मराठा]] सेना इकट्ठी की थी। मराठे तेज़ गति वाले थे और दुश्मन की रसद काटने में काफ़ी होशियार थे। मलिक अम्बर ने मराठों को गुरिल्ला युद्ध में भी निपुणता प्रदान कर दी थी। यह गुरिल्ला युद्ध प्रणाली [[दक्कन सल्तनत|दक्कन]] के मराठों के लिए परम्परागत थी और अम्बर के सहयोग से वे इसमें और भी निपुण हो गए थे। किंतु मुग़ल इससे अपरिचित ही थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मलिक अम्बर]] | |||
{[[फ़र्रुख़सियर]] किसके सहयोग से [[मुग़ल]] बादशाह बना था?(यूनीक सा.ज्ञा., पृ. 354, प्र. 732) | {[[फ़र्रुख़सियर]] किसके सहयोग से [[मुग़ल]] बादशाह बना था?(यूनीक सा.ज्ञा., पृ. 354, प्र. 732) | ||
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-मुहम्मद अमीर ख़ाँ | -मुहम्मद अमीर ख़ाँ | ||
-मीर जुमला | -मीर जुमला | ||
||[[भारतीय इतिहास]] में हुसैन अली और उसका भाई अब्दुल्ला, [[सैयद बन्धु|सैयद बन्धुओं]] के नाम से प्रसिद्ध हैं। सैयद बन्धु भारतीय इतिहास में 'राजा बनाने वाले' के नाम से प्रसिद्ध थे। वे [[अवध]] के एक उच्च परिवार में उत्पन्न हुए और सम्राट [[बहादुरशाह प्रथम]] के राज्यकाल के अन्तिम वर्षों में उच्च पदाधिकारी हो गए थे। ये लोग 'हिन्दुस्तानी दल' के नेता थे। इन्होंने चार [[मुग़ल]] बादशाहों- [[फ़र्रुख़सियर]], [[रफ़ीउद्दाराजात]], रफ़ीउद्दौलत और [[मुहम्मदशाह रौशन अख़्तर|मुहम्मद शाह]] को सत्तारूढ़ करने में उनकी सहायता की।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सैय्यद बन्धु]] | |||
{किस सन्धि के बाद [[पेशवा]] [[बाजीराव द्वितीय]] [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] के पूर्ण अधीन हो गया?(यूनीक सा.ज्ञा., पृ. 354, प्र. 728) | {किस सन्धि के बाद [[पेशवा]] [[बाजीराव द्वितीय]] [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] के पूर्ण अधीन हो गया?(यूनीक सा.ज्ञा., पृ. 354, प्र. 728) |
06:47, 30 जून 2012 का अवतरण
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