"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/3": अवतरणों में अंतर
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-[[बड़गाँव की सन्धि]] | -[[बड़गाँव की सन्धि]] | ||
-[[पूना की सन्धि]] | -[[पूना की सन्धि]] | ||
||'बसई की सन्धि' अथवा 'बसीन की सन्धि' [[31 दिसम्बर]], 1802 में [[भारत]] में [[पूना]] के [[मराठा]] [[पेशवा]] [[बाजीराव द्वितीय]] और [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] के मध्य हुई थी। [[अक्टूबर]], 1802 में होल्कर ने सिंधिया और पेशवा को पराजित किया तथा धर्मभाई को पूना की गद्दी पर बैठाया। [[बाजीराव द्वितीय]] भागकर [[बसई]] चला गया और अंग्रेज़ों से मदद की गुहार की। [[बसई की सन्धि]] के तहत पेशवा अंग्रेज़ों की सेना की छह बटालियनों का ख़र्च वहन करने को राज़ी हुआ, जिसका ख़र्च उठाने के लिए एक इलाका प्रत्यर्पित किया गया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बसीन की सन्धि]] | |||
{[[पुलकेशिन द्वितीय]] की 'एहोल प्रशस्ति' का लेखक कौन था?(यूनीक सा.ज्ञा., पृ. 335, प्र. 336) | {[[पुलकेशिन द्वितीय]] की 'एहोल प्रशस्ति' का लेखक कौन था?(यूनीक सा.ज्ञा., पृ. 335, प्र. 336) | ||
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-[[गुजरात]] | -[[गुजरात]] | ||
-[[उज्जैन]] | -[[उज्जैन]] | ||
||[[चित्र:Tomb-Of-Sakhi-Sultan-Multan.jpg|right|100px|सखी सुल्तान का मक़बरा, मुल्तान]]'मुल्तान' अथवा 'मुलतान' आधुनिक पश्चिमी [[पाकिस्तान]] में [[चिनाब नदी]] के तट पर स्थित पश्चिमी पंजाब का एक महत्त्वपूर्ण प्राचीन नगर है। यह [[सिन्ध]] से [[पंजाब]] जाने वाले राजमार्ग पर स्थित है। सैनिक दृष्टि से भी इसकी स्थिति अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। 1175 ई. में [[मुहम्मद ग़ोरी]] का पहला आक्रमण मुल्तान पर हुआ था। इस पर उस समय 'करमाथी' लोग शासन करते थे। मुहम्मद ग़ोरी ने नगर पर अधिकार कर उसे अपने सूबेदार के सुपुर्द कर दिया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मुल्तान]] | |||
{प्रारम्भिक [[तुर्क]] या आदि तुर्क शासकों में किसे उसकी उदारता के कारण 'लाखबख्श' कहा गया?(यूनीक सा.ज्ञा., पृ. 340, प्र. 431) | {प्रारम्भिक [[तुर्क]] या आदि तुर्क शासकों में किसे उसकी उदारता के कारण 'लाखबख्श' कहा गया?(यूनीक सा.ज्ञा., पृ. 340, प्र. 431) | ||
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-[[बलबन]] | -[[बलबन]] | ||
-[[रज़िया सुल्तान]] | -[[रज़िया सुल्तान]] | ||
||[[चित्र:Tomb-Of-Qutb-Ud-Din-Aibak.jpg|right|120px|ऐबक का मक़बरा, लाहौर]]'कुतुबुद्दीन ऐबक' (1206-1210 ई.) तुर्क जनजाति का व्यक्ति था। 'ऐबक' एक तुर्की शब्द है, जिसका अर्थ होता है- "चन्द्रमा का देवता|" [[कुतुबुद्दीन ऐबक]] का जन्म तुर्किस्तान में हुआ था। ऐबक को अपनी उदारता एवं दानी प्रवृति के कारण 'लालबख्श' अर्थात 'लाखों का दानी' कहा गया है। इतिहासकार [[मिनहाजुद्दीन सिराज|मिनहाज]] ने उसकी दानशीलता के कारण ही उसे 'हातिम द्वितीय' की संज्ञा दी हैं। [[फ़रिश्ता (यात्री)]] के अनुसार उस समय केवल किसी दानशील व्यक्ति को ही ऐबक की उपाधि दी जाती थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कुतुबुद्दीन ऐबक]] | |||
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07:05, 30 जून 2012 का अवतरण
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