"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/3": अवतरणों में अंतर
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{निम्नलिखित में से कौन 'क्रिप्स मिशन' के साथ [[कांग्रेस]] के आधिकारिक वार्ताकार थे?(पृष्ठ संख्या-14) | |||
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-[[महात्मा गांधी]] एवं [[सरदार पटेल]] | |||
-[[जे. बी. कृपलानी|आचार्य जे. बी. कृपलानी]] एवं [[सी. राजगोपालाचारी]] | |||
+[[पंडित जवाहरलाल नेहरू]] एवं [[मौलाना अबुल कलाम आज़ाद|मौलाना आज़ाद]] | |||
-[[डॉ. राजेन्द्र प्रसाद]] एवं [[रफ़ी अहमद क़िदवई]] | |||
||[[चित्र:Jawahar-Lal-Nehru.jpg|right|100px|जवाहरलाल नेहरू]]पंडित जवाहरलाल नेहरू कश्मीरी ब्राह्मण परिवार के थे, जो अपनी प्रशासनिक क्षमताओं तथा विद्वत्ता के लिए विख्यात थे। वे 18वीं शताब्दी के आरंभ में [[इलाहाबाद]] आ गये थे। [[1931]] में [[पिता]] की मृत्यु के बाद जवाहरलाल [[कांग्रेस]] की केंद्रीय परिषद में शामिल हो गए और [[महात्मा गाँधी]] के अंतरंग बन गए। यद्यपि [[1942]] तक गांधीजी ने आधिकारिक रूप से उन्हें अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित नहीं किया था, किंतु [[1930]] के दशक के मध्य में ही देश को गाँधीजी के स्वाभाविक उत्तराधिकारी के रूप में [[जवाहरलाल नेहरू]] दिखाई देने लगे थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[पंडित जवाहरलाल नेहरू]], [[मौलाना अबुल कलाम आज़ाद|मौलाना आज़ाद]] | |||
{'आर्य महिला सभा' की स्थापना किसके द्वारा की गई थी? (पृ. सं. 25 | {'आर्य महिला सभा' की स्थापना किसके द्वारा की गई थी? (पृ. सं. 25 | ||
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-[[दुर्गाबाई देशमुख]] | -[[दुर्गाबाई देशमुख]] | ||
-[[पंडिता रमाबाई]] | -[[पंडिता रमाबाई]] | ||
{निम्नलिखित में से किसने 'विधवा विवाह मंडल' की स्थापना की थी? (पृ. सं. 25 | {निम्नलिखित में से किसने 'विधवा विवाह मंडल' की स्थापना की थी? (पृ. सं. 25 | ||
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||[[चित्र:Gopal-Krishna-Gokhle.jpg|right|80px|गोपाल कृष्ण गोखले]]गोपाल कृष्ण गोखले अपने समय के अद्वितीय संसदविद और राष्ट्रसेवी थे। यह एक स्वतंत्रता सेनानी, समाजसेवी, विचारक एवं सुधारक भी थे। न्यायमूर्ति [[महादेव गोविन्द रानाडे]] के संपर्क में आने से [[गोपाल कृष्ण गोखले]] सार्वजनिक कार्यों में बढ़-चढ़कर रुचि लेने लगे थे। उन दिनों [[पूना]] की 'सार्वजनिक सभा' एक प्रमुख राजनीतिक संस्था थी। गोखले ने उसके मंत्री के रूप में कार्य किया। इससे उनके सार्वजनिक कार्यों का भी विस्तार हुआ। [[कांग्रेस]] की स्थापना के बाद वे उस संस्था से जुड़ गए।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गोपाल कृष्ण गोखले]] | ||[[चित्र:Gopal-Krishna-Gokhle.jpg|right|80px|गोपाल कृष्ण गोखले]]गोपाल कृष्ण गोखले अपने समय के अद्वितीय संसदविद और राष्ट्रसेवी थे। यह एक स्वतंत्रता सेनानी, समाजसेवी, विचारक एवं सुधारक भी थे। न्यायमूर्ति [[महादेव गोविन्द रानाडे]] के संपर्क में आने से [[गोपाल कृष्ण गोखले]] सार्वजनिक कार्यों में बढ़-चढ़कर रुचि लेने लगे थे। उन दिनों [[पूना]] की 'सार्वजनिक सभा' एक प्रमुख राजनीतिक संस्था थी। गोखले ने उसके मंत्री के रूप में कार्य किया। इससे उनके सार्वजनिक कार्यों का भी विस्तार हुआ। [[कांग्रेस]] की स्थापना के बाद वे उस संस्था से जुड़ गए।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गोपाल कृष्ण गोखले]] | ||
{[[ | {निम्न में से 'स्ट्रेची आयोग' किससे संबंधित था? (पृ. सं. 25 | ||
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-[[वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट]] | |||
+अकाल | |||
-शिक्षा | |||
-स्थानीय स्वायत शासन | |||
{निम्नलिखित में से कौन-सा एक जोड़ा सही सुमेलित है? (पृ. सं. 20 | |||
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- | +[[सुल्तान महमूद]] – [[सोमनाथ मंदिर|सोमनाथ]] पर आक्रमण | ||
-[[मोहम्मद गौरी]] – [[सिन्ध]] की विजय | |||
- | -[[अलाउद्दीन ख़िलजी]] – [[बंगाल (आज़ादी से पूर्व)|बंगाल]] में विद्रोह | ||
- | -[[मोहम्मद बिन तुग़लक़]] – [[चंगेज़ ख़ाँ]] का आक्रमण | ||
||[[चित्र:Sultan-Mahmud-Ghaznawi.jpg|right|90px|महमूद ग़ज़नवी]]'सुल्तान महमूद' या '[[महमूद ग़ज़नवी]]' यमीनी वंश का तुर्क सरदार और [[ग़ज़नी]] के शासक [[सुबुक्तगीन]] का पुत्र था। महमूद बचपन से [[भारत]] की अपार समृद्धि और धन-दौलत के विषय में सुनता रहा था। उसके [[पिता]] ने एक बार [[हिन्दुशाही वंश|हिन्दुशाही]] राजा [[जयपाल]] के राज्य को लूट कर प्रचुर सम्पत्ति प्राप्त की थी। [[सुल्तान महमूद]] भारत की दौलत को लूटकर मालामाल होने के स्वप्न देखा करता था। उसने 17 बार भारत पर आक्रमण किया और यहाँ की अपार सम्पत्ति को वह लूटकर ग़ज़नी ले गया। उसका सबसे बड़ा आक्रमण 1026 ई. में [[काठियावाड़]] के [[सोमनाथ मंदिर]] पर था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[महमूद ग़ज़नवी]] | |||
{[[भारत]] में '[[दास प्रथा]]' का उन्मूलन किसके द्वारा हुआ? (पृ. सं. 24 | {[[भारत]] में '[[दास प्रथा]]' का उन्मूलन किसके द्वारा हुआ? (पृ. सं. 24 | ||
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||'दास प्रथा' [[भारत]] में प्राय: सभी युगों में विद्यमान रही है। यद्यपि चौथी शताब्दी ई. पू. में [[मेगस्थनीज]] ने लिखा था कि "भारतवर्ष में [[दास प्रथा]] नहीं है, तथापि [[कौटिल्य]] के '[[अर्थशास्त्र]]' तथा [[मौर्य]] सम्राट [[अशोक]] के [[अभिलेख|अभिलेखों]] में [[प्राचीन भारत]] में दास प्रथा प्रचलित होने के संकेत उपलब्ध होते हैं। यह प्रथा [[भारत]] में ब्रिटिश शासन स्थापित हो जाने के उपरान्त भी यथेष्ट दिनों तक चलती रही। वर्ष 1843 ई. में इसे बन्द करने के लिए एक अधिनियम पारित कर दिया गया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[दास प्रथा]] | ||'दास प्रथा' [[भारत]] में प्राय: सभी युगों में विद्यमान रही है। यद्यपि चौथी शताब्दी ई. पू. में [[मेगस्थनीज]] ने लिखा था कि "भारतवर्ष में [[दास प्रथा]] नहीं है, तथापि [[कौटिल्य]] के '[[अर्थशास्त्र]]' तथा [[मौर्य]] सम्राट [[अशोक]] के [[अभिलेख|अभिलेखों]] में [[प्राचीन भारत]] में दास प्रथा प्रचलित होने के संकेत उपलब्ध होते हैं। यह प्रथा [[भारत]] में ब्रिटिश शासन स्थापित हो जाने के उपरान्त भी यथेष्ट दिनों तक चलती रही। वर्ष 1843 ई. में इसे बन्द करने के लिए एक अधिनियम पारित कर दिया गया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[दास प्रथा]] | ||
{ | {[[विजयनगर साम्राज्य]] में सामाजिक एवं धार्मिक विषयों पर निर्णय कौन देते थे? (पृ. सं. 24 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-समयाचार्य अथवा देशरि | |||
- | +कबलकार अथवा अरसुकवलकार | ||
-धर्मोपंच अथवा धर्मदेश | |||
- | -पर्षोकाण अथवा ध्रुवराज | ||
{'[[भक्ति आंदोलन]]' से संबंधित [[मराठा]] [[संत|संतों]] का सही कालानुक्रम कौन-सा है? (पृ. सं. 120 | {'[[भक्ति आंदोलन]]' से संबंधित [[मराठा]] [[संत|संतों]] का सही कालानुक्रम कौन-सा है? (पृ. सं. 120 | ||
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-रामदास, तुकाराम, एकनाथ, नामदेव | -रामदास, तुकाराम, एकनाथ, नामदेव | ||
||[[चित्र:Sant-Namdev.jpg|right|100px|संत नामदेव]]नामदेव [[मध्यकालीन भारत]] के प्रमुख संत कवि थे, जिन्होंने [[मराठी भाषा]] में अपनी रचनाएँ लिखीं। यह कहा जाता है कि [[नामदेव]] अपनी युवावस्था में ख़ूनी लुटेरों के गिरोह के सदस्य थे, लेकिन एक दिन जब उन्होंने एक महिला का करुण विलाप सुना, जिसके पति की उन्होंने हत्या कर दी थी, तो उन्हें गहरा पश्चाताप हुआ। कहते है कि अपने इस घृणित कार्य के पश्चातापस्वरूप वह आत्महत्या करने ही वाले थे कि उन्हें भगवान [[विष्णु]] ने प्रकट होकर बचा लिया। इसके बाद नामदेव [[भक्ति]] की ओर मुड़ गए और वाराकरी के प्रमुख प्रतिपादक बने।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[नामदेव]], [[एकनाथ]], [[तुकाराम]], [[समर्थ रामदास|रामदास]] | ||[[चित्र:Sant-Namdev.jpg|right|100px|संत नामदेव]]नामदेव [[मध्यकालीन भारत]] के प्रमुख संत कवि थे, जिन्होंने [[मराठी भाषा]] में अपनी रचनाएँ लिखीं। यह कहा जाता है कि [[नामदेव]] अपनी युवावस्था में ख़ूनी लुटेरों के गिरोह के सदस्य थे, लेकिन एक दिन जब उन्होंने एक महिला का करुण विलाप सुना, जिसके पति की उन्होंने हत्या कर दी थी, तो उन्हें गहरा पश्चाताप हुआ। कहते है कि अपने इस घृणित कार्य के पश्चातापस्वरूप वह आत्महत्या करने ही वाले थे कि उन्हें भगवान [[विष्णु]] ने प्रकट होकर बचा लिया। इसके बाद नामदेव [[भक्ति]] की ओर मुड़ गए और वाराकरी के प्रमुख प्रतिपादक बने।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[नामदेव]], [[एकनाथ]], [[तुकाराम]], [[समर्थ रामदास|रामदास]] | ||
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07:53, 14 फ़रवरी 2013 का अवतरण
इतिहास सामान्य ज्ञान
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