"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/3": अवतरणों में अंतर
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-धर्मोपंच अथवा धर्मदेश | -धर्मोपंच अथवा धर्मदेश | ||
-पर्षोकाण अथवा ध्रुवराज | -पर्षोकाण अथवा ध्रुवराज | ||
||[[चित्र:Hampi-5.jpg|right|100px|हम्पी के अवशेष]]विजयनगर के शासकों ने स्वायत्त ग्राम-प्रशासन की [[चोल साम्राज्य|चोल]] परम्परा को बनाये रखा था, लेकिन वंशागत नायक होने की परम्परा ने उस स्वतंत्रता को सीमित अवश्य कर दिया। प्रान्तों के गवर्नर पहले राजकुमार हुआ करते थे। बाद में [[विजयनगर साम्राज्य]] के शासक वंशों और सामंतों में से भी इस पद पर नियुक्तियाँ होने लगीं। प्रान्तीय प्रशासक काफ़ी सीमा तक स्वतंत्र होते थे। वे अपना दरबार लगाते थे। अपने अधिकारी नियुक्त करते थे और अपनी सेना भी रखते थे। साम्राज्य में 'कबलकार' नाम का एक अधिकारी भी हुआ करता था, जो प्राय: सामाजिक एवं धार्मिक विषयों पर निर्णय देता था। इसे 'अरसुकवलकार' के नाम से भी जाना जाता था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[विजयनगर साम्राज्य]] | |||
{'[[भक्ति आंदोलन]]' से संबंधित [[मराठा]] [[संत|संतों]] का सही कालानुक्रम कौन-सा है? | {'[[भक्ति आंदोलन]]' से संबंधित [[मराठा]] [[संत|संतों]] का सही कालानुक्रम कौन-सा है? |
05:36, 17 फ़रवरी 2013 का अवतरण
इतिहास सामान्य ज्ञान
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