"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/3": अवतरणों में अंतर
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||'काशी नागरी प्रचारिणी सभा' [[हिन्दी भाषा]] और [[साहित्य]] तथा [[देवनागरी लिपि]] की उन्नति तथा प्रचार और प्रसार करने वाली देश की अग्रणी संस्था है। इसकी स्थापना 'क्वीन्स कॉलेज', [[वाराणसी]] के नौवीं कक्षा के तीन छात्रों- [[श्यामसुंदर दास]], पं. रामनारायण मिश्र और शिवकुमार सिंह ने कॉलेज के छात्रावास के बरामदे में बैठकर की थी। बाद में [[16 जुलाई]], [[1893]] को इसकी स्थापना की तिथि इन्हीं महानुभावों ने निर्धारित की और आधुनिक हिन्दी के जनक [[भारतेन्दु हरिश्चंद्र]] के फुफेरे भाई बाबू राधाकृष्ण दास इसके पहले अध्यक्ष हुए। [[काशी]] के 'सप्तसागर मुहल्ले' के घुड़साल में इसकी बैठक होती थी। बाद में इस संस्था का एक स्वतंत्र भवन बना।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[काशी नागरी प्रचारिणी सभा]] | ||[[चित्र:Dr. Shyam Sunder Das.jpg|right|100px|श्यामसुंदर दास]]'काशी नागरी प्रचारिणी सभा' [[हिन्दी भाषा]] और [[साहित्य]] तथा [[देवनागरी लिपि]] की उन्नति तथा प्रचार और प्रसार करने वाली देश की अग्रणी संस्था है। इसकी स्थापना 'क्वीन्स कॉलेज', [[वाराणसी]] के नौवीं कक्षा के तीन छात्रों- [[श्यामसुंदर दास]], पं. रामनारायण मिश्र और शिवकुमार सिंह ने कॉलेज के छात्रावास के बरामदे में बैठकर की थी। बाद में [[16 जुलाई]], [[1893]] को इसकी स्थापना की तिथि इन्हीं महानुभावों ने निर्धारित की और आधुनिक हिन्दी के जनक [[भारतेन्दु हरिश्चंद्र]] के फुफेरे भाई बाबू राधाकृष्ण दास इसके पहले अध्यक्ष हुए। [[काशी]] के 'सप्तसागर मुहल्ले' के घुड़साल में इसकी बैठक होती थी। बाद में इस संस्था का एक स्वतंत्र भवन बना।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[काशी नागरी प्रचारिणी सभा]] | ||
{'पहल पत्रिका' के सम्पादक कौन हैं? (पृ.सं. 17 | {'पहल पत्रिका' के सम्पादक कौन हैं? (पृ.सं. 17 |
06:57, 3 मार्च 2013 का अवतरण
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