"रमेश भाई": अवतरणों में अंतर
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15:36, 29 अप्रैल 2013 का अवतरण
रमेश भाई
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पूरा नाम | रमेश चन्द श्रीवास्तव |
अन्य नाम | रमेश भाई |
जन्म | 1 मई 1951 |
जन्म भूमि | थमरवा गांव, हरदोई (उत्तर प्रदेश) |
मृत्यु | 19 नवम्बर 2008 |
मृत्यु स्थान | सर्वोदय आश्रम टडियांवा, हरदोई |
पति/पत्नी | उर्मिला बहन |
संतान | अनुराग और स्व0 रश्मि |
गुरु | विनोबा भावे |
कर्म-क्षेत्र | समाज सुधारक |
प्रसिद्धि | सर्वोदय आश्रम टडियांवा के संस्थापक |
नागरिकता | भारतीय |
रमेश भाई (अंग्रेज़ी:Ramesh bhai, जन्म: 1 मई , 1951 - मृत्यु: 19 नवम्बर 2008) विनोबा भावे के आदरणीय अनुयायी, भारत के जाने-माने समाज सुधारक एवं सर्वोदय आश्रम टडियांवा के संस्थापक थे।
जीवन परिचय
रमेश भाई का जन्म हरदोई जनपद के थमरवा गांव में वर्ष 1951 को मजदूर दिवस (1 मई) के दिन हुआ था। रमेश भाई का मूल नाम रमेश चन्द श्रीवास्तव था।
- इनका सम्पूर्ण जीवन विनोवा जी की विचारधारा को समर्पित रहा।
- एक शिक्षक परिवार में जन्म लेकर उनको यह तो पता चल ही गया था कि समाज का जो स्वरूप आस-पास दिखाई देता है वह प्रयासपूर्वक बदला भी जा सकता है
- सर्वोदय कार्यकर्ता के लिए गाँधी विचार द्वारा जो खाका तैयार किया गया है, जिसमें उसके चिन्तनशील मष्तिष्क, करूणाशील हृदय एव सजृनशील हाथों की अपेक्षा की गयी है, पर रमेश भाई खरे उतरते हैं।
आश्रम की नीव
- इन्होंने आचार्य विनोबा भावे जी की मृत्यु के उपरांत 1983 में गांधीजी व विनोवा जी के दर्शन से प्रेरित सर्वोदय आश्रम टडियांवा की नींव रखी।
- वास्तव में यह आश्रम एक सामुदायिक सहजीवन की कल्पना करके बना जिसमें सामाजिक कार्य करने वाले लोग अपने अनुसार कार्य कर सकें।
- विनोबा जी के भूदान यज्ञ आन्दोलन से प्रेरित होकर उत्तर प्रदेश के 25 जनपदों में श्री रमेश भाई के नेतृत्व में उसर भूमि सुधार कार्यक्रम सफलता पूर्वक चलाया गया।
संगठन कुशलता
- उनकी संगठन कुशलता एवं संवेदनशील प्रशासन ने उन्हें बहुत अधिक लोकप्रिय बनाया। परमश्रद्धेय दीदी निर्मला देशपाण्डे जी को उनके अन्दर नेतृत्व क्षमता के दर्शन बहुत पहले हो गये थे। जब-जब दीदी से जुडे किसी राष्ट्रीय सम्मेलन का नेतृत्व उनको मिला तब-तब उनके धीर-गम्भीर संतुलित एवं सार्थक वक्तव्य कौशल को लोगों ने सराहा।
- अनेक मोर्चों पर रमेश भाई उनके विश्वस्ततम् साथी थे। दीदी को रमेश भाई में आन्दोलन को आगे ले जाने की क्षमता दिखाई देती थी।
मृत्यु
19 नवम्बर 2008 को इन्होंने सर्वोदय आश्रम टडियांवा परिसर में अपनी नश्वर देह त्याग दी। रमेश भाई परंपराओं और विद्यमान सामाजिक रूढियों के विरूद्ध अपनी मृत्यु के उपरांत भी खडे रहे तथा उनकी इच्छानुसार और पुत्र अनुराग के उपस्थित होने के बावजूद उनकी नश्वर देह को मुखाग्नि उनकी पुत्री रश्मि ने ही दी
इन्हें भी देखें: मजदूर दिवस एवं रमेश भाई -अशोक कुमार शुक्ला
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चित्र वीथिका
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आश्रम का प्रारम्भ,नवनिर्मित झोपडी में हुई पहली विनोबा जयन्ती
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रमेश भाई को मुखाग्नि देती उनकी पुत्री रश्मि
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वर्ष 1998 कुम्भ के अवसर पर रमेश भाई अलख भाई व निर्मला देशपाण्डे