"इरोम शर्मिला": अवतरणों में अंतर
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इरोम शर्मिला | {| style="background:transparent; float:right; margin:5px;" | ||
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जन्म कोंगपाल, [[इम्फाल]], [[मणिपुर]] | | | ||
{{सूचना बक्सा साहित्यकार | |||
|चित्र= | |||
|पूरा नाम=इरोम शर्मिला | |||
|अन्य नाम= | |||
|जन्म= | |||
|जन्म भूमि= कोंगपाल, [[इम्फाल]], [[मणिपुर]] [[भारत]] | |||
|अविभावक=पिता इरोम नंदा और मां इरोम ओंग्बि सखी | |||
|पति/पत्नी= | |||
|संतान= | |||
|कर्म भूमि= | |||
|कर्म-क्षेत्र= | |||
|मृत्यु= | |||
|मृत्यु स्थान= | |||
|मुख्य रचनाएँ= | |||
|विषय= | |||
|भाषा= | |||
|विद्यालय= | |||
|शिक्षा= | |||
|पुरस्कार-उपाधि= रवींद्रनाथ टैगोर शांति पुरस्कार | |||
|प्रसिद्धि= | |||
|विशेष योगदान=एक्टिविस्ट, जर्नलिस्ट, कवयित्री | |||
|नागरिकता=भारतीय | |||
|संबंधित लेख= | |||
|शीर्षक 1= | |||
|पाठ 1= | |||
|शीर्षक 2= | |||
|पाठ 2= | |||
|अन्य जानकारी=आयरन लेडी ऑव मणिपुर | |||
|बाहरी कड़ियाँ= आधिकारिक वेबसाइट | |||
|अद्यतन= | |||
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मणिपुर को जानना है तो इरोम की कहानी जाननी होगी। आपको "आयरन लेडी ऑव मणिपुर" का खिताब हासिल है। इरोम की कहानी कुछ यूं है कि आजादी के बाद [[मणिपुर]] के महाराजा ने मणिपुर को संवैधानिक [[राजतंत्र]] घोषित किया, लेकिन कई घटनाक्रमों के बाद [[1949]] में मणिपुर का भारत में विलय हुआ और [[1958]] में नागा आंदोलन सक्रिय हुआ। इससे निपटने के लिए केंद्र सरकार ने एक कानून का इस्तेमाल किया जिसे सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून कहा जाता है। | |||
==सेना को मनमानी की छूट== | |||
इरोम का मानना है कि सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून अर्थ है सेना को मनमानी की छूट को समझना है तो मणिपुर का इतिहास खंगालना होगा और सेना के धर पकड़ अभियान में न जाने कितने मासूम लोग भी मारे जाते। सेना के द्वारा चलाए जा रहे एक ऎसे ही अभियान में 1 नवंबर, [[2000]] में लगभग 9-10 लोग मारे गए। सुबह कत्लेआम की तस्वीरें अखबारों में देख इरोम विचलित हो गईं। न्याय के लिए इरोम ने अनशन का रास्ता चुना। [[4 नवंबर]] 2000 से शुरू हुई उनकी भूख हड़ताल आज तक जारी है। इस साल 4 नवंबर को तेरह साल हो जाएंगे। | |||
==इरोम की मांग== | |||
इरोम की मांग है कि जब तक सेना के विशेष अधिकार समाप्त नहीं किए जाते, अनशन जारी रहेगा। गांधी के देश में इरोम के अनशन को आत्महत्या का प्रयास मान कुचला जा रहा है। | इरोम की मांग है कि जब तक सेना के विशेष अधिकार समाप्त नहीं किए जाते, अनशन जारी रहेगा। गांधी के देश में इरोम के अनशन को आत्महत्या का प्रयास मान कुचला जा रहा है। | ||
06:22, 29 मई 2013 का अवतरण
मणिपुर को जानना है तो इरोम की कहानी जाननी होगी। आपको "आयरन लेडी ऑव मणिपुर" का खिताब हासिल है। इरोम की कहानी कुछ यूं है कि आजादी के बाद मणिपुर के महाराजा ने मणिपुर को संवैधानिक राजतंत्र घोषित किया, लेकिन कई घटनाक्रमों के बाद 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ और 1958 में नागा आंदोलन सक्रिय हुआ। इससे निपटने के लिए केंद्र सरकार ने एक कानून का इस्तेमाल किया जिसे सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून कहा जाता है। सेना को मनमानी की छूटइरोम का मानना है कि सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून अर्थ है सेना को मनमानी की छूट को समझना है तो मणिपुर का इतिहास खंगालना होगा और सेना के धर पकड़ अभियान में न जाने कितने मासूम लोग भी मारे जाते। सेना के द्वारा चलाए जा रहे एक ऎसे ही अभियान में 1 नवंबर, 2000 में लगभग 9-10 लोग मारे गए। सुबह कत्लेआम की तस्वीरें अखबारों में देख इरोम विचलित हो गईं। न्याय के लिए इरोम ने अनशन का रास्ता चुना। 4 नवंबर 2000 से शुरू हुई उनकी भूख हड़ताल आज तक जारी है। इस साल 4 नवंबर को तेरह साल हो जाएंगे। इरोम की मांगइरोम की मांग है कि जब तक सेना के विशेष अधिकार समाप्त नहीं किए जाते, अनशन जारी रहेगा। गांधी के देश में इरोम के अनशन को आत्महत्या का प्रयास मान कुचला जा रहा है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँसंबंधित लेख
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