"श्रवण देवी मंदिर हरदोई": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
No edit summary
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
[[चित्र:Sravan_devi.JPG|thumb|[[श्रवण देवी मंदिर हरदोई]]]]
[[चित्र:Sravan_devi.JPG|thumb|[[श्रवण देवी मंदिर हरदोई]]]]
श्रवण देवी मंदिर [[हरदोई]] जनपद मुख्यालय में हैं
श्रवण देवी मंदिर [[हरदोई]] जनपद के मुख्यालय में स्थित है।
==[[लोककथा]]==
==[[लोककथा]]==
[[चित्र:Srawan com.jpg|thumb|left|श्रवण देवी मूर्ति का श्रंगार]]लोककथा है कि प्रजापति के यज्ञ मे भगवान शंकर के अपमान को सहन न कर पाने पर सती जी ने प्राण त्याग दिये थे सती जी के पार्थिव शरीर को लेकर भगवान शंकर जी जब निकले उस समय सती जी का कर्ण भाग यहा पर गिरा इसी से इस स्थान का नाम श्रवण दामिनी देवी पड़ा । जिसका उल्लेख देवी भगवत मे 529 वे नाम के रूप मे मिलता है यहा पीपल का प्राचीन पेड़ था जिसकी खोह मे श्रवण देवी की प्राचीन मूर्ति प्राप्त हुई ऐसा कहा जाता है की उस पीपल मे स्वयम आकृति बना बिगड़ा करती थी इसका विकास स्वप्न होने पर सन 1880 ई. से पूर्व खजांची सेठ समलिया प्रसाद ने करवाया था इस स्थान पर प्रति वर्ष क्वार व चैत मास (नवरात्री) में तथा असाढ़-पूर्णिमा में मेला लगता है। -
[[चित्र:Srawan com.jpg|thumb|left|श्रवण देवी मूर्ति का श्रंगार]]लोककथा है कि प्रजापति के यज्ञ मे भगवान शंकर के अपमान को सहन न कर पाने पर सती जी ने प्राण त्याग दिये थे सती जी के पार्थिव शरीर को लेकर [[भगवान शंकर|शंकर]] जी निकले। जहां-जहां सती के अंग के टुकड़े, सती के धारण किए वस्त्र या आभूषण गिरे, वहां-वहां [[शक्तिपीठ]] अस्तित्व में आया।
ये अत्यंत पावन तीर्थ कहलाये। ये तीर्थ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर फैले हुए हैं।
उस समय सती जी का कर्ण भाग यहा पर गिरा इसी से इस स्थान का नाम श्रवण दामिनी देवी पड़ा ।  
====ऐतिहासिक तथ्य====
देवी भागवत में 108 शक्तिपीठों का ज़िक्र मिलता है, जिसमे 529 वे नाम के रूप मे श्रवण दामिनी देवी का उल्लेख मिलता है। यहाँ की [[जनश्रुति|जनश्रुतियाँ]] के अनुसार यहा पीपल का प्राचीन पेड़ था जिसकी खोह मे श्रवण देवी की प्राचीन मूर्ति प्राप्त हुई ऐसा कहा जाता है की उस पीपल मे स्वयम आकृति बना बिगड़ा करती थी। 1880 ई.में पूर्व खजांची सेठ समलिया प्रसाद को स्वप्न में मां का दर्शन होने पर उन्होंने इसका विकास करवाया था। इस स्थान पर प्रति वर्ष क्वार व चैत मास (नवरात्री) में तथा असाढ़-पूर्णिमा में मेला लगता है।  


{{लेख प्रगति|आधार=आधार1|प्रारम्भिक= |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=आधार1|प्रारम्भिक= |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
पंक्ति 11: पंक्ति 15:


==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
 
{{शक्तिपीठ}}
[[Category:नया पन्ना मार्च-2013]]
[[Category:नया पन्ना मार्च-2013]]


__INDEX__
__INDEX__

01:35, 9 अक्टूबर 2013 का अवतरण

श्रवण देवी मंदिर हरदोई

श्रवण देवी मंदिर हरदोई जनपद के मुख्यालय में स्थित है।

लोककथा

श्रवण देवी मूर्ति का श्रंगार

लोककथा है कि प्रजापति के यज्ञ मे भगवान शंकर के अपमान को सहन न कर पाने पर सती जी ने प्राण त्याग दिये थे सती जी के पार्थिव शरीर को लेकर शंकर जी निकले। जहां-जहां सती के अंग के टुकड़े, सती के धारण किए वस्त्र या आभूषण गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ अस्तित्व में आया।

ये अत्यंत पावन तीर्थ कहलाये। ये तीर्थ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर फैले हुए हैं। उस समय सती जी का कर्ण भाग यहा पर गिरा इसी से इस स्थान का नाम श्रवण दामिनी देवी पड़ा ।

ऐतिहासिक तथ्य

देवी भागवत में 108 शक्तिपीठों का ज़िक्र मिलता है, जिसमे 529 वे नाम के रूप मे श्रवण दामिनी देवी का उल्लेख मिलता है। यहाँ की जनश्रुतियाँ के अनुसार यहा पीपल का प्राचीन पेड़ था जिसकी खोह मे श्रवण देवी की प्राचीन मूर्ति प्राप्त हुई ऐसा कहा जाता है की उस पीपल मे स्वयम आकृति बना बिगड़ा करती थी। 1880 ई.में पूर्व खजांची सेठ समलिया प्रसाद को स्वप्न में मां का दर्शन होने पर उन्होंने इसका विकास करवाया था। इस स्थान पर प्रति वर्ष क्वार व चैत मास (नवरात्री) में तथा असाढ़-पूर्णिमा में मेला लगता है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ


बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख