"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/3": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
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<quiz display=simple> | <quiz display=simple> | ||
{सिद्धों की उद्धृत रचनाओं की काव्य भाषा है-(प्रतियो.द.,जनवरी-2011,पृ.सं.-1126 | {सिद्धों की उद्धृत रचनाओं की काव्य [[भाषा]] है-(प्रतियो.द.,जनवरी-2011,पृ.सं.-1126 | ||
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+देशभाषा मिश्रित अपभ्रंश अर्थात पुरानी हिन्दी | +देशभाषा मिश्रित [[अपभ्रंश]] अर्थात पुरानी [[हिन्दी]] | ||
-प्राकृत भाषा | -[[प्राकृत भाषा]] | ||
- | -[[अवहट्ट भाषा]] | ||
-पालि भाषा | -[[पालि भाषा]] | ||
{हिन्दी भाषा के इतिहास को प्राय: कितने कालों में वर्गीकृत किया गया है?(प्रतियो.द.,जनवरी-2011,पृ.सं.-1126 | {[[हिन्दी भाषा]] के इतिहास को प्राय: कितने कालों में वर्गीकृत किया गया है?(प्रतियो.द.,जनवरी-2011,पृ.सं.-1126 | ||
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+3 | +3 | ||
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-6 | -6 | ||
{साहित्य के इतिहास की अवधारणा से सम्बन्धित एक पुस्तक लिखी गई थी 'साहित्य का इतिहास-दर्शन'। इसके लेखक कौन थे?(प्रतियो.द.,जनवरी-2011,पृ.सं.-1127 | {[[साहित्य]] के इतिहास की अवधारणा से सम्बन्धित एक पुस्तक लिखी गई थी 'साहित्य का इतिहास-दर्शन'। इसके लेखक कौन थे?(प्रतियो.द.,जनवरी-2011,पृ.सं.-1127 | ||
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-श्यामसुन्दर दास | -[[श्यामसुन्दर दास]] | ||
-रामचन्द्र शुक्ल | -[[रामचन्द्र शुक्ल]] | ||
+नलिन विलोचन शर्मा | +नलिन विलोचन शर्मा | ||
-गुलाब राय | -[[गुलाब राय]] | ||
{निम्नलिखित में से कौन-सा अयोगवाह है?(ल्युसेन्ट सा.हि.,पृ.सं-24 | {निम्नलिखित में से कौन-सा 'अयोगवाह' है?(ल्युसेन्ट सा.हि.,पृ.सं-24 | ||
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+विसर्ग | +विसर्ग | ||
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-अल्पप्राण | -अल्पप्राण | ||
{दयानन्द में प्रयुक्त संधि का नाम है-(ल्युसेन्ट सा.हि.,पृ.सं-44 | {'दयानन्द' में प्रयुक्त [[संधि]] का नाम है-(ल्युसेन्ट सा.हि.,पृ.सं-44 | ||
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-गुण संधि | -गुण संधि | ||
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-यण संधि | -यण संधि | ||
{जॉर्ज ग्रियर्सन का इतिहास ग्रन्थ 'मॉडर्न वर्नाक्यूलर लिटरेचर ऑफ़ नॉर्दर्न हिन्दुस्तान' का प्रकाशन किस वर्ष हुआ था?(प्रतियो.द.,जनवरी-2011,पृ.सं.-1127 | {[[जॉर्ज ग्रियर्सन]] का [[इतिहास]] ग्रन्थ 'मॉडर्न वर्नाक्यूलर लिटरेचर ऑफ़ नॉर्दर्न हिन्दुस्तान' का प्रकाशन किस [[वर्ष]] हुआ था?(प्रतियो.द.,जनवरी-2011,पृ.सं.-1127 | ||
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-1887 | -[[1887]] | ||
+1888 | +[[1888]] | ||
-1889 | -[[1889]] | ||
-1890 | -[[1890]] | ||
{'नायक' में प्रयुक्त संधि का नाम है-(ल्युसेन्ट सा.हि.,पृ.सं-45 | {'नायक' में प्रयुक्त [[संधि]] का नाम है-(ल्युसेन्ट सा.हि.,पृ.सं-45 | ||
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-दीर्घ संधि | -दीर्घ संधि | ||
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-बहुव्रीहि | -बहुव्रीहि | ||
{"जिस तर्क का कोई जवाब न हो", इस वाक्य के लिए सही शब्द चुनिए?(ल्युसेन्ट सा.हि.,पृ.सं-105 | {"जिस तर्क का कोई जवाब न हो", इस वाक्य के लिए सही [[शब्द (व्याकरण)|शब्द]] चुनिए?(ल्युसेन्ट सा.हि.,पृ.सं-105 | ||
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-जोरदार | -जोरदार | ||
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+अकाट्य | +अकाट्य | ||
{'मजदूरी और प्रेम' नामक निबन्ध के रचनाकार कौन हैं?(ल्युसेन्ट सा.हि.,पृ.सं-226 | {'मजदूरी और प्रेम' नामक [[निबन्ध]] के रचनाकार कौन हैं?(ल्युसेन्ट सा.हि.,पृ.सं-226 | ||
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+सरदार पूर्ण सिंह | +सरदार पूर्ण सिंह | ||
-बालकृष्ण भट्ट | -[[बालकृष्ण भट्ट]] | ||
-प्रताप नारायण मिश्र | -[[प्रताप नारायण मिश्र]] | ||
-रामचन्द्र शुक्ल | -[[रामचन्द्र शुक्ल]] | ||
{अमीर ख़ुसरो ने जिन मुकरियों, पहेलियों और सुखनों की रचना की है, उसकी मुख्य भाषा है-(प्रतियो.द.,जनवरी-2011,पृ.सं.-1126 | {[[अमीर ख़ुसरो]] ने जिन 'मुकरियों', 'पहेलियों' और 'सुखनों' की रचना की है, उसकी मुख्य [[भाषा]] है-(प्रतियो.द.,जनवरी-2011,पृ.सं.-1126 | ||
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-दक्खिनी हिन्दी | -[[दक्खिनी हिन्दी]] | ||
+खड़ी बोली | +[[खड़ी बोली]] | ||
-बुन्देली | -[[बुन्देली बोली|बुन्देली]] | ||
-बघेली | -[[बघेली बोली|बघेली]] | ||
{अर्द्धमागधी अपभ्रंश से इनमें से किस बोली का विकास हुआ है?(प्रतियो.द.,जनवरी-2011,पृ.सं.-1126 | {अर्द्धमागधी अपभ्रंश से इनमें से किस बोली का विकास हुआ है?(प्रतियो.द.,जनवरी-2011,पृ.सं.-1126 | ||
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-पश्चिमी हिन्दी | -पश्चिमी हिन्दी | ||
-बिहारी | -[[बिहारी भाषा|बिहारी]] | ||
-बंगाली | -[[बंगाली भाषा|बंगाली]] | ||
+पूर्वी हिन्दी | +पूर्वी हिन्दी | ||
{देवनागरी लिपि है-(प्रतियो.द.,जनवरी-2011,पृ.सं.-1127 | {[[देवनागरी लिपि]] है-(प्रतियो.द.,जनवरी-2011,पृ.सं.-1127 | ||
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-वर्णात्मक | -वर्णात्मक | ||
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-उपरोक्त में से कोई नहीं | -उपरोक्त में से कोई नहीं | ||
{दिये गए शब्दों में से शुद्ध वर्तनी का चयन कीजिए?(ल्युसेन्ट सा.हि.,पृ.सं-28 | {दिये गए [[शब्द (व्याकरण)|शब्दों]] में से शुद्ध वर्तनी का चयन कीजिए?(ल्युसेन्ट सा.हि.,पृ.सं-28 | ||
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-अस्प्रस्यता | -अस्प्रस्यता | ||
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-निर: + आशा | -निर: + आशा | ||
{आचार्य रामचन्द्र शुक्ल कृत 'हिन्दी साहित्य का इतिहास' की अधिकांश सामग्री पुस्तकाकार प्रकाशन के पूर्व 'हिन्दी शब्द-सागर' की भूमिका में छपी थी। इस भूमिका में उसका शीर्षक क्या था?(प्रतियो.द.,जनवरी-2011,पृ.सं.-1127 | {[[आचार्य रामचन्द्र शुक्ल]] कृत 'हिन्दी साहित्य का इतिहास' की अधिकांश सामग्री पुस्तकाकार प्रकाशन के पूर्व 'हिन्दी शब्द-सागर' की भूमिका में छपी थी। इस भूमिका में उसका शीर्षक क्या था?(प्रतियो.द.,जनवरी-2011,पृ.सं.-1127 | ||
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-हिन्दी साहित्य का उद्भव और विकास | -हिन्दी साहित्य का उद्भव और विकास | ||
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-हिन्दी साहित्य की विकास-यात्रा | -हिन्दी साहित्य की विकास-यात्रा | ||
{जो धातु या शब्द के अन्त में जोड़ा जाता है, उसे क्या कहते हैं?(ल्युसेन्ट सा.हि.,पृ.सं-52 | {जो धातु या [[शब्द (व्याकरण)|शब्द]] के अन्त में जोड़ा जाता है, उसे क्या कहते हैं?(ल्युसेन्ट सा.हि.,पृ.सं-52 | ||
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-समास | -समास | ||
-अव्यय | -अव्यय | ||
-उपसर्ग | -[[उपसर्ग]] | ||
+प्रत्यय | +[[प्रत्यय]] | ||
{निम्नलिखित में से कौन-सा शब्द व्यक्तिवाचक संज्ञा है?(ल्युसेन्ट सा.हि.,पृ.सं-75 | {निम्नलिखित में से कौन-सा [[शब्द (व्याकरण)|शब्द]] व्यक्तिवाचक संज्ञा है?(ल्युसेन्ट सा.हि.,पृ.सं-75 | ||
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-गाय | -[[गाय]] | ||
+यमुना | +[[यमुना]] | ||
-पहाड़ | -पहाड़ | ||
-आम | -[[आम]] | ||
{इनमें से किस इतिहासकार ने सर्वप्रथम रीतिकालीन कवियों के सर्वाधिक परिचयात्मक विवरण दिए हैं?(प्रतियो.द.,जनवरी-2011,पृ.सं.-1127 | {इनमें से किस [[इतिहासकार]] ने सर्वप्रथम [[रीतिकाल|रीतिकालीन]] [[कवि|कवियों]] के सर्वाधिक परिचयात्मक विवरण दिए हैं?(प्रतियो.द.,जनवरी-2011,पृ.सं.-1127 | ||
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-विश्वनाथ प्रसाद मिश्र | -विश्वनाथ प्रसाद मिश्र | ||
-डॉ. नगेन्द्र | -[[डॉ. नगेन्द्र]] | ||
-रामशंकर शुक्ल 'रसाल' | -रामशंकर शुक्ल 'रसाल' | ||
+मिश्रबन्धु | +मिश्रबन्धु | ||
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{'ब्रजबुलि' नाम से जानी जाती है-(ल्युसेन्ट सा.हि.,पृ.सं-19 | {'ब्रजबुलि' नाम से जानी जाती है-(ल्युसेन्ट सा.हि.,पृ.सं-19 | ||
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-पंजाबी | -[[पंजाबी भाषा|पंजाबी]] | ||
-मराठी | -[[मराठी भाषा|मराठी]] | ||
-गुजराती | -[[गुजराती भाषा|गुजराती]] | ||
+पुरानी बांग्ला | +[[बांग्ला भाषा|पुरानी बांग्ला]] | ||
{'भक्तमाल' भक्तिकाल के कवियों की प्राथमिक जानकारी देता है। इसके रचयिता कौन थे?(प्रतियो.द.,जनवरी-2011,पृ.सं.-1127 | {'[[भक्तमाल]]' [[भक्तिकाल]] के [[कवि|कवियों]] की प्राथमिक जानकारी देता है। इसके रचयिता कौन थे?(प्रतियो.द.,जनवरी-2011,पृ.सं.-1127 | ||
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-वल्लभाचार्य | -[[वल्लभाचार्य]] | ||
+नाभादास | +[[नाभादास]] | ||
-रामानन्द | -[[रामानन्द]] | ||
-नन्ददास | -[[नन्ददास]] | ||
{भारत में सर्वाधिक बोली जानी वाली भाषा कौन-सी है?(ल्युसेन्ट सा.हिन्दी,पृ.सं.-19) | {[[भारत]] में सर्वाधिक बोली जानी वाली [[भाषा]] कौन-सी है?(ल्युसेन्ट सा.हिन्दी,पृ.सं.-19) | ||
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+हिन्दी | +[[हिन्दी]] | ||
-संस्कृत | -[[संस्कृत]] | ||
-तमिल | -[[तमिल]] | ||
-उर्दू | -[[उर्दू]] | ||
{वर्णमाला किसे कहते हैं?(ल्युसेन्ट सा.हिन्दी,पृ.सं.-23) | {[[वर्णमाला (व्याकरण)|वर्णमाला]] किसे कहते हैं?(ल्युसेन्ट सा.हिन्दी,पृ.सं.-23) | ||
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-शब्द समूह को | -[[शब्द (व्याकरण)|शब्द]] समूह को | ||
-वर्णों के संकलन को | -वर्णों के संकलन को | ||
-शब्द गणना को | -[[शब्द (व्याकरण)|शब्द]] गणना को | ||
+वर्णों के व्यवस्थित समूह को | +वर्णों के व्यवस्थित समूह को | ||
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+उन्नति | +उन्नति | ||
{निरर्थक' का सही संधि विच्छेद क्या है?(ल्युसेन्ट सा.हि.,पृ.सं-44 | {'निरर्थक' का सही संधि विच्छेद क्या है?(ल्युसेन्ट सा.हि.,पृ.सं-44 | ||
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-निर् + अर्थक | -निर् + अर्थक | ||
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-निरा + अर्थक | -निरा + अर्थक | ||
{'प्रख्यात' में प्रयुक्त उपसर्ग है | {'प्रख्यात' में प्रयुक्त [[उपसर्ग]] है-(ल्युसेन्ट सा.हि.,पृ.सं-52 | ||
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+प्र | +प्र | ||
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{दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए नये सार्थक शब्द को क्या कहते हैं?(ल्युसेन्ट सा.हि.,पृ.सं-75 | {दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए नये सार्थक शब्द को क्या कहते हैं?(ल्युसेन्ट सा.हि.,पृ.सं-75 | ||
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-सन्धि | -[[सन्धि]] | ||
+समास | +समास | ||
-अव्यय | -अव्यय | ||
-छन्द | -[[छन्द]] | ||
{निम्न में से किसके भक्तिपरक गीतों का संकलन 'अभंग' के नाम से प्रसिद्ध है?(ल्युसेन्ट सा.हि.,पृ.सं-308 | {निम्न में से किसके भक्तिपरक गीतों का संकलन '[[अभंग]]' के नाम से प्रसिद्ध है?(ल्युसेन्ट सा.हि.,पृ.सं-308 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+नामदेव | +[[नामदेव]] | ||
-कबीरदास | -[[कबीरदास]] | ||
-तुलसीदास | -[[तुलसीदास]] | ||
-मलिक मुहम्मद जायसी | -[[मलिक मुहम्मद जायसी]] | ||
{'सूर्य' शब्द का स्त्रीलिंग क्या होगा?(ल्युसेन्ट सा.हि.,पृ.सं-74 | {'[[सूर्य]]' [[शब्द (व्याकरण)|शब्द]] का स्त्रीलिंग क्या होगा?(ल्युसेन्ट सा.हि.,पृ.सं-74 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-सूर्याणी | -सूर्याणी | ||
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-सूर्यो | -सूर्यो | ||
{"छाती पर मूँग दलना" का क्या | {"छाती पर मूँग दलना" का क्या अर्थ है?(ल्युसेन्ट सा.हि.,पृ.सं-136 | ||
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-कठिन काम करना | -कठिन काम करना |
09:31, 3 दिसम्बर 2013 का अवतरण
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