"भारती का सपूत -रांगेय राघव": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
No edit summary
पंक्ति 28: पंक्ति 28:
*उन्नीसवीं शताब्दी के मध्य में जब भारतेन्दु हरिश्चन्द्र हुए, तब [[अवधी]] और [[ब्रजभाषा]] से बाहर निकलकर दैनंदनि प्रयोग की सरल [[खड़ी बोली]] का निर्माण हो रहा था।
*उन्नीसवीं शताब्दी के मध्य में जब भारतेन्दु हरिश्चन्द्र हुए, तब [[अवधी]] और [[ब्रजभाषा]] से बाहर निकलकर दैनंदनि प्रयोग की सरल [[खड़ी बोली]] का निर्माण हो रहा था।
*भारतेन्दु ने विविध प्रकार की रचनाएँ देकर इसको गति प्रदान की और इसका भावी स्वरूप सुनिश्चित किया।
*भारतेन्दु ने विविध प्रकार की रचनाएँ देकर इसको गति प्रदान की और इसका भावी स्वरूप सुनिश्चित किया।
*धनी परिवार की सन्तान भारतेन्दु सामन्ती जीवन की सभी अच्छाइयों और बुराइयों का शिकार थे। वे 34 वर्ष की अल्प आयु में तपेदिक से दिवंगत हो गए, परन्तु इतने समय में ही उन्होंने इतना कुछ कर दिया जो आज तक चला आ रहा है।
*धनी परिवार की सन्तान भारतेन्दु सामन्ती जीवन की सभी अच्छाइयों और बुराइयों का शिकार थे। वे 34 वर्ष की अल्प आयु में [[तपेदिक]] से दिवंगत हो गए, परन्तु इतने समय में ही उन्होंने इतना कुछ कर दिया जो आज तक चला आ रहा है।
*[[भारतेन्दु हरिशचंद्र|भारतेन्दु]] का व्यक्तित्व भी बड़ा रंगीला और रोचक था। लेखक रांगेय राघव [[इतिहास]] के गहरे विद्वान और आग्रही थे, इसलिए उनका उपन्यास 'भारती का सपूत' अपना चित्रण पठनीय होने के साथ ही इतिहास सम्मत और सत्य के बहुत समीप है।<ref name="ab"/>
*[[भारतेन्दु हरिशचंद्र|भारतेन्दु]] का व्यक्तित्व भी बड़ा रंगीला और रोचक था। लेखक रांगेय राघव [[इतिहास]] के गहरे विद्वान और आग्रही थे, इसलिए उनका उपन्यास 'भारती का सपूत' अपना चित्रण पठनीय होने के साथ ही इतिहास सम्मत और सत्य के बहुत समीप है।<ref name="ab"/>



07:31, 17 मई 2014 का अवतरण

भारती का सपूत -रांगेय राघव
'भारती का सपूत' उपन्यास का आवरण पृष्ठ
'भारती का सपूत' उपन्यास का आवरण पृष्ठ
लेखक रांगेय राघव
प्रकाशक राजपाल एंड संस
ISBN 81-7028-504-6
देश भारत
पृष्ठ: 128
भाषा हिन्दी
प्रकार उपन्यास

भारती का सपूत प्रसिद्ध उपन्यासकार और साहित्यकार रांगेय राघव द्वारा लिखा गया उपन्यास है। यह उपन्यास 'राजपाल एंड संस' प्रकाशन द्वारा प्रकाशित किया गया था। 'भारती का सपूत' नामक यह उपन्यास हिन्दी भाषा तथा साहित्य के आरंभिक निर्माता भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के जीवन पर आधारित है।[1]

भारती का सपूत का प्रथम संस्करण 1954 में प्रकाशित हुआ। यह हिन्दी साहित्य क्षेत्र का प्रथम जीवनी परक उपन्यास है। इसका प्रकाशन का काल सन् 1950-53 ई. के बीच माना जाता है। इस उपन्यास में डॉ. रांगेय राघव ने भारतेन्दु हरिश्चंद्र की जीवनी को आधार बनाया है। इनके जीवन से संबंधित विभिन्न व्यक्तियों को विभिन्न पात्रों की संस्था दी है। 'भारती का सपूत' में भारतेन्दु हरिश्चंद्र की प्रेमकथा का सविस्तार वर्णन है। शिवाले के रईस लाला गुलाबराय की सुपुत्री 'मन्नादेवी' से भारतेन्दु का विवाह संपन्न होता है। तब भारतेन्दु की आयु लगभग तेरह वर्ष की थी। बाल-विवाह जैसी कुरीति को प्रकाश में लाना भी शायद उपन्यासकार का उद्देश्य था। भारतेन्दु के परिवार में दो पुत्र और एक पुत्री होती है। भारतेन्दु पत्नी के अतिरिक्त और दो स्त्रियों का भी वर्णन करते हैं- माधवी और मल्लिका।[2]

  • हिन्दी के प्रख्यात साहित्यकार रांगेय राघव ने विशिष्ट कवियों, कलाकारों और चिन्तकों के जीवन पर आधारित उपन्यासों की एक माला लिखकर साहित्य की एक बड़ी आवश्यकता को पूर्ण किया है। उनका उपन्यास 'भारती का सपूत' हिन्दी निर्माताओं में से एक भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के जीवन पर आधारित अत्यन्त रोचक और मौलिक रचना है।[1]
  • भारतेन्दु हरिश्चन्द्र को आधुनिक हिन्दी का पितामह माना जाता है। महाकवि जगन्नाथ दास 'रत्नाकर' ने उन्हें 'भारती का सपूत' कहा था।
  • उन्नीसवीं शताब्दी के मध्य में जब भारतेन्दु हरिश्चन्द्र हुए, तब अवधी और ब्रजभाषा से बाहर निकलकर दैनंदनि प्रयोग की सरल खड़ी बोली का निर्माण हो रहा था।
  • भारतेन्दु ने विविध प्रकार की रचनाएँ देकर इसको गति प्रदान की और इसका भावी स्वरूप सुनिश्चित किया।
  • धनी परिवार की सन्तान भारतेन्दु सामन्ती जीवन की सभी अच्छाइयों और बुराइयों का शिकार थे। वे 34 वर्ष की अल्प आयु में तपेदिक से दिवंगत हो गए, परन्तु इतने समय में ही उन्होंने इतना कुछ कर दिया जो आज तक चला आ रहा है।
  • भारतेन्दु का व्यक्तित्व भी बड़ा रंगीला और रोचक था। लेखक रांगेय राघव इतिहास के गहरे विद्वान और आग्रही थे, इसलिए उनका उपन्यास 'भारती का सपूत' अपना चित्रण पठनीय होने के साथ ही इतिहास सम्मत और सत्य के बहुत समीप है।[1]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 भारती का सपूत (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 24 जनवरी, 2013।
  2. जीवनीपरक साहित्यकारों में डॉ. रांगेय राघव (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 24 जनवरी, 2013।

संबंधित लेख