"पार्श्व": अवतरणों में अंतर
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'''पार्श्व''' का अर्थ [[उत्तर भारत]] में 'प्राचीन भारतीय कृषिजन्य व्यवस्था एवं राजस्व संबंधी पारिभाषिक शब्दावली' के अनुसार लाभकर है। अन्य उत्पादन में राजा के हिस्से एवं भूमिकर के अतिरिक्त, नैमित्तिक (अथवा आपाती) या विविद्ध आय स्त्रोतों पर आरपित शुल्क या प्रभार को पार्श्व कहते हैं। | '''पार्श्व''' का अर्थ [[उत्तर भारत]] में 'प्राचीन भारतीय कृषिजन्य व्यवस्था एवं राजस्व संबंधी पारिभाषिक शब्दावली' के अनुसार लाभकर है। अन्य उत्पादन में राजा के हिस्से एवं भूमिकर के अतिरिक्त, नैमित्तिक (अथवा आपाती) या विविद्ध आय स्त्रोतों पर आरपित शुल्क या प्रभार को पार्श्व कहते हैं। | ||
{{seealso|सल्तनत काल की शब्दावली|भूगोल शब्दावली}} | |||
{{शब्द संदर्भ नया | |||
|अर्थ=शरीर का दाहिनी या बांयी ओर का, पसलियों वाला भाग, बग़ल जैसे- बाएँ पार्श्व का घाव। ओर, तरफ़, निकटता, समीपता, किसी घन की आकृति के सिरों को छोड़कर अन्य फलकों में से प्रत्येक। जैसे- त्रिपार्श्व में तीन पार्श्व होते हैं। | |||
|व्याकरण=[[पुल्लिंग]] | |||
|उदाहरण=सेना के दाहिने पार्श्व पर आक्रमण हुआ | |||
|विशेष= | |||
|विलोम= | |||
|पर्यायवाची= | |||
|संस्कृत=[(धातु) स्पर्श+स्वण्, पृ आदेश] | |||
|अन्य ग्रंथ= | |||
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|संबंधित लेख= | |||
|सभी लेख= | |||
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13:38, 27 फ़रवरी 2015 का अवतरण
पार्श्व का अर्थ उत्तर भारत में 'प्राचीन भारतीय कृषिजन्य व्यवस्था एवं राजस्व संबंधी पारिभाषिक शब्दावली' के अनुसार लाभकर है। अन्य उत्पादन में राजा के हिस्से एवं भूमिकर के अतिरिक्त, नैमित्तिक (अथवा आपाती) या विविद्ध आय स्त्रोतों पर आरपित शुल्क या प्रभार को पार्श्व कहते हैं। इन्हें भी देखें: सल्तनत काल की शब्दावली एवं भूगोल शब्दावली
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