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+[[कुम्भनदास]] | +[[कुम्भनदास]] | ||
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||[[चित्र:Kumbhandas.jpg|right|100px|border|कुम्भनदास]]'गोस्वामी बिट्ठलनाथ ने सं.1602 के लगभग अपने पिता [[वल्लभाचार्य|वल्लभ]] के 84 शिष्यों में से चार और अपने 252 शिष्यों में से चार को लेकर अष्टछाप के प्रसिद्ध भक्त कवियों की मंडली की स्थापना की। इन आठ भक्त कवियों में चार वल्लभाचार्य के शिष्य थे। अष्टछाप के भक्त कवियों में सबसे ज्येष्ठ [[कुम्भनदास]] थे और सबसे कनिष्ठ [[नंददास]] थे परंतु काव्यसौष्ठव की दृष्टि से सर्वप्रथम स्थान [[सूरदास]] का है तथा द्वितीय स्थान नंददास का है। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अष्टछाप कवि]], [[कुम्भनदास]] | ||[[चित्र:Kumbhandas.jpg|right|100px|border|कुम्भनदास]]'गोस्वामी बिट्ठलनाथ ने सं.1602 के लगभग अपने पिता [[वल्लभाचार्य|वल्लभ]] के 84 शिष्यों में से चार और अपने 252 शिष्यों में से चार को लेकर अष्टछाप के प्रसिद्ध भक्त कवियों की मंडली की स्थापना की। इन आठ भक्त कवियों में चार वल्लभाचार्य के शिष्य थे। अष्टछाप के भक्त कवियों में सबसे ज्येष्ठ [[कुम्भनदास]] थे और सबसे कनिष्ठ [[नंददास]] थे परंतु काव्यसौष्ठव की दृष्टि से सर्वप्रथम स्थान [[सूरदास]] का है तथा द्वितीय स्थान नंददास का है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अष्टछाप कवि]], [[कुम्भनदास]] | ||
{किस शहर को 'भारत का प्रवेश द्वार' कहा जाता है? | {किस शहर को 'भारत का प्रवेश द्वार' कहा जाता है? | ||
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-[[लॉर्ड इरविन]] | -[[लॉर्ड इरविन]] | ||
||[[चित्र:Lord Curzon.jpg|right|100px|border|लॉर्ड कर्ज़न]]'बंगाल विभाजन पहली बार [[1905]] ई. में [[वाइसराय]] [[लॉर्ड कर्ज़न]] द्वारा किया गया था। विभाजन के सम्बन्ध में कर्ज़न का तर्क था कि तत्कालीन [[बंगाल]], जिसमें [[बिहार]] और [[उड़ीसा]] भी शामिल थे, काफ़ी विस्तृत है और अकेला लेफ्टिनेंट गवर्नर उसका प्रशासन भली-भाँति नहीं चला सकता है।विभाजन के समय बंगाल की कुल जनसंख्या 7 करोड़, 85 लाख थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बंगाल विभाजन]], [[लॉर्ड कर्ज़न]] | ||[[चित्र:Lord Curzon.jpg|right|100px|border|लॉर्ड कर्ज़न]]'बंगाल विभाजन पहली बार [[1905]] ई. में [[वाइसराय]] [[लॉर्ड कर्ज़न]] द्वारा किया गया था। विभाजन के सम्बन्ध में कर्ज़न का तर्क था कि तत्कालीन [[बंगाल]], जिसमें [[बिहार]] और [[उड़ीसा]] भी शामिल थे, काफ़ी विस्तृत है और अकेला लेफ्टिनेंट गवर्नर उसका प्रशासन भली-भाँति नहीं चला सकता है।विभाजन के समय बंगाल की कुल जनसंख्या 7 करोड़, 85 लाख थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बंगाल विभाजन]], [[लॉर्ड कर्ज़न]] | ||
{'मंगलौर की संधि' किस व्यक्ति से सम्बंधित है? | |||
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-[[मंसूर अली ख़ाँ]] | |||
+[[टीपू सुलतान]] | |||
-[[अकबर ख़ाँ]] | |||
-[[रणजीत सिंह ]] | |||
||[[चित्र:Tipu-Sultan-1.jpg|right|100px|border|टीपू सुल्तान]]'टीपू सुल्तान' भारतीय [[इतिहास]] के प्रसिद्ध योद्धा [[हैदर अली]] का पुत्र था। इनको इनकी वीरता के कारण ही 'शेर-ए-मैसूर' का ख़िताब अपने पिता से प्राप्त हुआ था। टीपू द्वारा कई युद्धों में हारने के बाद [[मराठा|मराठों]] एवं निज़ाम ने अंग्रेज़ों से संधि कर ली थी। ऐसी स्थिति में टीपू ने भी अंग्रेज़ों से संधि का प्रस्ताव किया और चूंकि अंग्रेज़ों को भी टीपू की शक्ति का अहसास हो चुका था, इसलिए छिपे मन से वे भी संधि चाहते थे। दोनों पक्षों में वार्ता [[मार्च]], 1784 में हुई और इसी के फलस्वरूप 'मंगलौर की संधि' सम्पन्न हुई।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[टीपू सुलतान]] | |||
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12:46, 14 दिसम्बर 2016 का अवतरण
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