"प्रयोग:कविता बघेल 9": अवतरणों में अंतर
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-विलोबी | -विलोबी | ||
|| | ||राजनीतिक वैज्ञानिक सीले के अनुसार, "निश्चित भू-भाग या निश्चित प्रदेश [[राज्य]] का आवश्यक अंग नहीं हैं।" इसी प्रकार का विचार लियोन डिग्विट तथा अंतर्राष्ट्रीय क़ानून के विद्वान हॉल द्वारा भी व्यक्त किया गया है। इनके अनुसार क्षेत्र या निश्चित भू-भाग राज्य का अनिवार्य तत्त्व नहीं है। वर्तमान समय में राज्य के निम्नलिखित अनिवार्य तत्त्व माने जाते हैं- I.जनसंख्या, II.निश्चित प्रदेश, III.सरकार, IV.संप्रभुता। | ||
{लॉक के अनुसार लोगों ने समझौता किस कारण किया था?(नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-18,प्रश्न-11 | {लॉक के अनुसार लोगों ने समझौता किस कारण किया था?(नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-18,प्रश्न-11 | ||
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-राजा की बुद्धि के अनुसार भेदभाव किया जा सकता है। | -राजा की बुद्धि के अनुसार भेदभाव किया जा सकता है। | ||
-बहुमत के अनुसार भेदभाव किया जा सकता है। | -बहुमत के अनुसार भेदभाव किया जा सकता है। | ||
||सभी प्रकार के भेदभाव का अभाव ही न्याय है। ऑगस्टाइन के अनुसार, "न्याय एक व्यवस्थित और अनुशासित जीवन व्यतीत करने तथा उन कर्त्तव्यों का पालन करने में है जिनकी कि व्यवस्था मांग करती है।" वे आगे कहते हैं कि "जिन [[राज्य|राज्यों]] में न्याय नहीं रह जाता वे डाकुओं के झुंड मात्र कहे जा सकते हैं। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य है-(1) | ||सभी प्रकार के भेदभाव का अभाव ही न्याय है। ऑगस्टाइन के अनुसार, "न्याय एक व्यवस्थित और अनुशासित जीवन व्यतीत करने तथा उन कर्त्तव्यों का पालन करने में है जिनकी कि व्यवस्था मांग करती है।" वे आगे कहते हैं कि "जिन [[राज्य|राज्यों]] में न्याय नहीं रह जाता वे डाकुओं के झुंड मात्र कहे जा सकते हैं। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य है- (1) थ्रेसीमेकस के अनुसार, "न्याय शक्तिशाली का हित है"। (2) सैफालस के अनुसार, "न्याय सत्य बोलने तथा अपना कर्ज़ चुकाने में है"। (3) [[प्लेटो]] के अनुसार, "प्रत्येक व्यक्ति का अपना विशिष्ट कार्य करना तथा दूसरों के कार्य में हस्तक्षेप न करना ही न्याय है"। | ||
{निम्नलिखित में से व्यक्तिवादी विचारक कौन हैं? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-32,प्रश्न-11 | {निम्नलिखित में से व्यक्तिवादी विचारक कौन हैं? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-32,प्रश्न-11 | ||
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+[[हर्बर्ट स्पेंसर]] | +[[हर्बर्ट स्पेंसर]] | ||
-[[अरस्तू]] | -[[अरस्तू]] | ||
||[[हर्बर्ट स्पेंसर]] प्रमुख व्यक्तिवादी विचारक हैं। व्यक्तिवाद व्यक्ति की स्वतंत्रता को अधिकतम तथा [[राज्य]] के कार्यक्षेत्र को न्यूनतम रखने की वकालत करता है। स्पेंसर की प्रमुख कृति 'द मैन वर्सेज द स्टेट' (मनुष्य बनाम राज्य) है। स्पेंसर ने प्राकृतिक चयन के नियम को सामाजिक प्रगति की प्रक्रिया पर लागू किया। इनके अनुसार "सामाजिक विकास की मुक्त प्रतिस्पर्धा में योग्य यथा परिश्रमी लोगों को उत्तर जीविता का अधिकार है।" राज्य द्वारा योग्य एवं परिश्रमी लोगों का | ||[[हर्बर्ट स्पेंसर]] प्रमुख व्यक्तिवादी विचारक हैं। व्यक्तिवाद व्यक्ति की स्वतंत्रता को अधिकतम तथा [[राज्य]] के कार्यक्षेत्र को न्यूनतम रखने की वकालत करता है। स्पेंसर की प्रमुख कृति 'द मैन वर्सेज द स्टेट' (मनुष्य बनाम राज्य) है। स्पेंसर ने प्राकृतिक चयन के नियम को सामाजिक प्रगति की प्रक्रिया पर लागू किया। इनके अनुसार "सामाजिक विकास की मुक्त प्रतिस्पर्धा में योग्य यथा परिश्रमी लोगों को उत्तर जीविता का अधिकार है।" राज्य द्वारा योग्य एवं परिश्रमी लोगों का हक़ छीन कर अयोग्य लोगों को देना सामाजिक प्रगति को कुंठित करना है। इस प्रकार स्पेंसर ने सभी प्रकार के कल्याण कार्यक्रमों का खंडन किया। | ||
{निम्न में से कौन नव-उदारवाद का प्रमुख तर्क नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-36,प्रश्न-1 | {निम्न में से कौन नव-उदारवाद का प्रमुख तर्क नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-36,प्रश्न-1 | ||
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- | -बाज़ार संसाधनों का सर्वोत्तम इस्तेमाल करता है। | ||
+वरण के परास को | +वरण के परास को मज़बूत करने के लिए सक्षमकार संसाधन व्यक्तियों और समूहों को प्रदान किए जाने चाहिए। | ||
-एक योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था अकुशल और अपव्ययी होती है। | -एक योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था अकुशल और अपव्ययी होती है। | ||
-निजी क्षेत्र के प्रभुत्व वाली किसी अर्थव्यवस्था का उत्पादन और प्रयोग में ज्ञान और प्रौद्योगिकी का विनियोजन अव्यवहित और अपेक्षाकृत अधिक प्रभावी होता है। | -निजी क्षेत्र के प्रभुत्व वाली किसी अर्थव्यवस्था का उत्पादन और प्रयोग में ज्ञान और प्रौद्योगिकी का विनियोजन अव्यवहित और अपेक्षाकृत अधिक प्रभावी होता है। | ||
||नव-उदारवाद [[राज्य]] के कार्य-क्षेत्र को फिर से समेटने के लिए मुक्त | ||नव-उदारवाद [[राज्य]] के कार्य-क्षेत्र को फिर से समेटने के लिए मुक्त बाज़ारवाद तथा मुक्त बाज़ार समाज का समर्थन करता है। समकालीन विश्व में नव-उदारवाद की प्रेरणा से तीन नीतियों को अपनाया जा रहा है, उदारीकरण, निजीकरण और भूमंडलीकरण। नव-उदारवाद एक बार फिए से 'अहस्तक्षेप की नीति' का समर्थन करता है तथा बाज़ारोन्मुख अर्थव्यवस्था की बात करता है। यह संसाधनों को बाज़ार के हवाले करने का पक्षधर है न कि व्यक्तियों व समूहों को। | ||
{लोकतंत्र के बारे में निम्नलिखित कथन किस विचारक का है? "इस बात से कोई इंकार नहीं करता कि वर्तमान प्रतिनिधि सभाओं में अनेक त्रुटियां हैं। पर यदि मोटरगाड़ी खराब हो जाए तो उसकी जगह [[बैलगाड़ी]] का इस्तेमाल करने लगना मूर्खता होगी, चाहे इसकी अल्पना कितनी मधुर क्यों न लगे।" (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-43,प्रश्न-2 | {लोकतंत्र के बारे में निम्नलिखित कथन किस विचारक का है? "इस बात से कोई इंकार नहीं करता कि वर्तमान प्रतिनिधि सभाओं में अनेक त्रुटियां हैं। पर यदि मोटरगाड़ी खराब हो जाए तो उसकी जगह [[बैलगाड़ी]] का इस्तेमाल करने लगना मूर्खता होगी, चाहे इसकी अल्पना कितनी मधुर क्यों न लगे।" (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-43,प्रश्न-2 | ||
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+सी.डी. बर्न्स | +सी. डी. बर्न्स | ||
-लॉर्ड ब्राइस | -लॉर्ड ब्राइस | ||
-हेरल्ड जे.लास्की | -हेरल्ड जे.लास्की | ||
-वाल्टर बेजहाट | -वाल्टर बेजहाट | ||
||यद्यपि लोकतंत्र के व्यावहारिक स्वरूप में कुछ कमियां है लेकिन इन्हें दूर करके इसे और कार्यकुशल | ||यद्यपि लोकतंत्र के व्यावहारिक स्वरूप में कुछ कमियां है लेकिन इन्हें दूर करके इसे और कार्यकुशल बनाया जा सकता है। इसकी जगह पुरानी व्यवस्था राजतंत्र या अधिनायक तंत्र अपना लेना मूर्खता होगी। इसी संदर्भ में सी. डी. बर्न्स ने लिखा है कि "इस बात से कोई इनकार नहीं करता कि वर्तमान प्रतिनिधि सभाओं में अनेक त्रुटियां है। पर यदि मोटरगाड़ी खराब हो जाए तो उसकी जगह बैलगाड़ी का इस्तेमाल करने लगना मूर्खता होगी, इसकी कल्पना चाहे कितनी ही मधुर क्यो न लगे।" इसी प्रकार अल्फ्रेड स्मिथ ने लिखा है कि 'लोकतंत्र के सभी रोगों का निदान और अधिक लोकतंत्र के द्वारा ही हो सकता है।" इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है- (1). सी. डी. बर्न्स- "सभी प्रकार का शासन शिक्षा प्रदान करने की एक पद्धति है। पर आत्मा शिक्षा ही सबसे अच्छी शिक्षा है, इसलिए सबसे अच्छा शासन स्वशासन है जो लोकतंत्र है।" (2). [[जवाहर लाल नेहरू]]- "लोकतंत्र का अर्थ है सहिष्णुत्ता- न केवल उन लोगों के प्रति जिनसे हम सहमत हो, बल्कि उनके प्रति भी जिनसे हम असहमत हों।" (3). [[महात्मा गांधी]]- "लोकतंत्र वह [[कला]] एवं [[विज्ञान]] है जिसके अंतर्गत जनसाधारण के विभिन्न वर्गों के भौतिक, आर्थिक, और आध्यात्मिक संस्थानों को सबके सामान्य हित की सिद्धि के लिए नियोजित किया जाता है।" | ||
{मार्क्स ने पॅट्रीशियन- प्लेबियन और गिल्ड मास्टर जार्नीमेन का उल्लेख किस संदर्भ में किया था? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-52,प्रश्न-11 | {[[कार्ल मार्क्स]] ने पॅट्रीशियन- प्लेबियन और गिल्ड मास्टर जार्नीमेन का उल्लेख किस संदर्भ में किया था? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-52,प्रश्न-11 | ||
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+वर्ग संघर्ष के संदर्भ में | +वर्ग संघर्ष के संदर्भ में | ||
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-नस्लीय संघर्ष के संदर्भ में | -नस्लीय संघर्ष के संदर्भ में | ||
-नस्लीय सहयोग के संदर्भ में | -नस्लीय सहयोग के संदर्भ में | ||
||मार्क्स ने पॅट्रीशियन- प्लेबियन और गिल्ड मास्टर-जार्नीमेन का उल्लेख वर्ग संघर्ष के संदर्भ में किया है। कार्ल मार्क्स एवं फ्रेडरिक एंगेल्स द्वारा रचित पुस्तक कम्युनिस्ट मैनिफेस्टो (1848) के अनुसार सभी वर्तमान समाजों का [[इतिहास]] वर्ग-संघर्ष का इतिहास है। यह वर्ग-संघर्ष विभिन्न कालों में विभिन्न वर्गों जैसे फ्रीमैन-स्लेव, पॅट्रीशियन-प्लेबियन. लॉर्ड-सर्फ, गिल्डमास्टर-जार्नीमेन के मध्य हुआ था। शोषक एवं शोषित के मध्य का यह संघर्ष कभी दृश्य एवं कभी अदृश्य रूप में होता है। जिसके परिणामस्वरूप या तो समाज का पुनर्निर्माण होता है या दोनों ही वर्गों का विनाश होता है। | ||[[कार्ल मार्क्स]] ने पॅट्रीशियन- प्लेबियन और गिल्ड मास्टर-जार्नीमेन का उल्लेख वर्ग संघर्ष के संदर्भ में किया है। कार्ल मार्क्स एवं फ्रेडरिक एंगेल्स द्वारा रचित पुस्तक कम्युनिस्ट मैनिफेस्टो (1848) के अनुसार सभी वर्तमान समाजों का [[इतिहास]] वर्ग-संघर्ष का इतिहास है। यह वर्ग-संघर्ष विभिन्न कालों में विभिन्न वर्गों जैसे फ्रीमैन-स्लेव, पॅट्रीशियन-प्लेबियन. लॉर्ड-सर्फ, गिल्डमास्टर-जार्नीमेन के मध्य हुआ था। शोषक एवं शोषित के मध्य का यह संघर्ष कभी दृश्य एवं कभी अदृश्य रूप में होता है। जिसके परिणामस्वरूप या तो समाज का पुनर्निर्माण होता है या दोनों ही वर्गों का विनाश होता है। | ||
{अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में यथार्थवादियों को तामस-पुत्र और आदर्शवादियों को प्रकाश-पुत्र की संज्ञा किसने दी है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-65,प्रश्न-11 | {अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में यथार्थवादियों को तामस-पुत्र और आदर्शवादियों को प्रकाश-पुत्र की संज्ञा किसने दी है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-65,प्रश्न-11 | ||
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+नाइबहर | +नाइबहर | ||
-स्प्राउट | -स्प्राउट | ||
||राइनहोल्ड नाइबहर ने 'प्रकाश की संतान और 'अंधकार की संतान' की चर्चा की है। प्रकाश की संतान वे लोग हैं जो यह मानते हैं कि स्वहित को अधिक सार्वभौम नियमों के अधीन रखना चाहिए और विश्व कल्याण के साथ उसका मेल बैठाना चाहिए। दूसरी ओर अंधकार की संतान वे लोग हैं जो अपने संकल्प और हित के अलावा और कोई नियम नहीं जानते। इस आधार पर नाइबहर ने अंधकार की संतान (यथार्थवादी) को दुष्ट और बदमाश तथा प्रकाश की सन्तान (आदर्शवादी) को पुण्यात्मा मानता है। इसके अनुसार अंधकार की संतान समझदार है क्योंकि वह आत्मसंकल्प (स्वहित) की शक्ति को पहचानते हैं जबकि प्रकाश के संतान (आदर्शवादी) मूर्ख हैं क्योंकि वे आत्मसंकल्प (स्वहित) की शक्ति को ठीक से न पहचानने के कारण अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में अराजकता और अव्यवस्था के | ||राइनहोल्ड नाइबहर ने 'प्रकाश की संतान और 'अंधकार की संतान' की चर्चा की है। प्रकाश की संतान वे लोग हैं जो यह मानते हैं कि स्वहित को अधिक सार्वभौम नियमों के अधीन रखना चाहिए और विश्व कल्याण के साथ उसका मेल बैठाना चाहिए। दूसरी ओर अंधकार की संतान वे लोग हैं जो अपने संकल्प और हित के अलावा और कोई नियम नहीं जानते। इस आधार पर नाइबहर ने अंधकार की संतान (यथार्थवादी) को दुष्ट और बदमाश तथा प्रकाश की सन्तान (आदर्शवादी) को पुण्यात्मा मानता है। इसके अनुसार अंधकार की संतान समझदार है क्योंकि वह आत्मसंकल्प (स्वहित) की शक्ति को पहचानते हैं जबकि प्रकाश के संतान (आदर्शवादी) मूर्ख हैं क्योंकि वे आत्मसंकल्प (स्वहित) की शक्ति को ठीक से न पहचानने के कारण अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में अराजकता और अव्यवस्था के ख़तरे को बहुत छोटा करके देखते हैं। | ||
{हॉब्स के 'लेवियाथन' में प्रयुक्त 'कॉमनवेल्थ' शब्द का क्या अर्थ | {हॉब्स के 'लेवियाथन' में प्रयुक्त 'कॉमनवेल्थ' शब्द का क्या अर्थ है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-78,प्रश्न-90 | ||
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-सम्प्रभु | -सम्प्रभु | ||
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-प्राकृतिक अवस्था में रहने वाले लोगों का वर्ग | -प्राकृतिक अवस्था में रहने वाले लोगों का वर्ग | ||
-उपर्युक्त में से कोई नहीं | -उपर्युक्त में से कोई नहीं | ||
||हॉब्स ने अपनी कृति 'लेवायथन' में 'कॉमनवेल्थ' शब्द का प्रयोग किया है जो समाज, राज्य तथा शासन तीनों का सामूहिक नाम है। हॉब्स ने ज्यामितीय विधि से अपनी चिंतन का प्रारम्भ प्राकृतिक अवस्था से करता है जो समाज, राज्य तथा शासन से विहीन कल्पित युग है। यह अवस्था हर तरह युद्ध, निरंतर भय तथा [[मृत्यु]] का | ||हॉब्स ने अपनी कृति 'लेवायथन' में 'कॉमनवेल्थ' शब्द का प्रयोग किया है जो समाज, राज्य तथा शासन तीनों का सामूहिक नाम है। हॉब्स ने ज्यामितीय विधि से अपनी चिंतन का प्रारम्भ प्राकृतिक अवस्था से करता है जो समाज, राज्य तथा शासन से विहीन कल्पित युग है। यह अवस्था हर तरह युद्ध, निरंतर भय तथा [[मृत्यु]] का ख़तरा है। इस अवस्था में बल और छल ही मनुष्य के सद्गुण हैं। इस प्रकार इस अवस्था से मुक्ति पाने के लिए व्यक्ति कामनवेल्थ (समाज, राज्य तथा शासन) की स्थापना करने के लिए शक्तियों को लेवायथन को सौंप देता है। | ||
{"सतत जागरुकता ही स्वतंत्रता का मूल्य है।" यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-82,प्रश्न-1 | {"सतत जागरुकता ही स्वतंत्रता का मूल्य है।" यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-82,प्रश्न-1 | ||
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-मैकाइवर | -मैकाइवर | ||
+वाशिंगटन | +वाशिंगटन | ||
-मार्क्स | -[[कार्ल मार्क्स]] | ||
||"सतत जागरूकता ही स्वतंत्रता का मूल्य है।" यह कथन [[अमेरिका]] के प्रथम [[राष्ट्रपति]] वाशिंगटन का है। जे.एस. मिल ने अपनी पुस्तक 'On Liderty' में स्वतंत्रता को मानव जीवन का मूल आधार बताया है। सी.डी. बर्न्स ने कहा है कि स्वतंत्रता न केवल सभ्य जीवन का आधार है, वरन सभ्यता का विकास भी व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर ही निर्भर करता है।" इसी संदर्भ में [[राधाकृष्णन|डॉ. राधाकृष्णन]] ने कहा है कि स्वतंत्रता किसी अन्य साध्य की प्राप्ति का साधन नहीं, वरन यह सर्वोच्च साध्य है। | ||"सतत जागरूकता ही स्वतंत्रता का मूल्य है।" यह कथन [[अमेरिका]] के प्रथम [[राष्ट्रपति]] वाशिंगटन का है। जे. एस. मिल ने अपनी पुस्तक 'On Liderty' में स्वतंत्रता को मानव जीवन का मूल आधार बताया है। सी. डी. बर्न्स ने कहा है कि स्वतंत्रता न केवल सभ्य जीवन का आधार है, वरन सभ्यता का विकास भी व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर ही निर्भर करता है।" इसी संदर्भ में [[राधाकृष्णन|डॉ. राधाकृष्णन]] ने कहा है कि स्वतंत्रता किसी अन्य साध्य की प्राप्ति का साधन नहीं, वरन यह सर्वोच्च साध्य है। | ||
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{निम्न में से कौन-सा विद्वान 'भूमि को राज्य का आवश्यक तत्त्व' नहीं मानता है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-6,प्रश्न-12 | {निम्न में से कौन-सा विद्वान 'भूमि को राज्य का आवश्यक तत्त्व' नहीं मानता है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-6,प्रश्न-12 | ||
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- | -हॉल | ||
- | -डुग्वी | ||
+उपर्युक्त दोनों | +उपर्युक्त दोनों | ||
-उपर्युक्त में दे कोई नहीं | -उपर्युक्त में दे कोई नहीं | ||
||राज्य के चार प्रमुख आवश्यक तत्त्व- जनसंख्या, सरकार, निश्चित भू-भाग तथा प्रभुसत्ता है। लेकिन कुछ विद्वान जैसे सीले, डुग्वी अथवा डिग्विट तथा हॉल आदि ने भूमि को राज्य का आवश्यक तत्त्व नहीं माना | ||राज्य के चार प्रमुख आवश्यक तत्त्व- [[जनसंख्या]], सरकार, निश्चित भू-भाग तथा प्रभुसत्ता है। लेकिन कुछ विद्वान जैसे सीले, डुग्वी अथवा डिग्विट तथा हॉल आदि ने भूमि को राज्य का आवश्यक तत्त्व नहीं माना है। | ||
{हॉब्स के सामाजिक समझौते में लोगों ने लेवियाथन को कौन-कौन से अधिकार सौंपे थे? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-18,प्रश्न- 12 | {हॉब्स के सामाजिक समझौते में लोगों ने लेवियाथन को कौन-कौन से अधिकार सौंपे थे? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-18,प्रश्न- 12 | ||
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-बार्कर | -बार्कर | ||
+सीले | +सीले | ||
||''स्वतंत्रता सभी बंधनों का अभाव है" यह कथन सीले का है। स्वतंत्रता उदारवादी चिंतन का केंद्रीय तत्व तथा सार है। स्वतंत्रता को नकारात्मक स्वतंत्रता तथा सकारात्मक स्वतंत्रता में वर्गीकृत किया गया है। सीले की यह परिभाषा नकारात्मक स्वतंत्रता को व्यक्त करती है। आरंभिक उदारवादी विचारक हॉब्स, लॉक, बेंथम, मिल, सिजविक, स्पेंशर, माण्टेस्क्यू तथा नवा उदारवादी विचारक जैसे हेयक, फ्रीडमैन, वर्लिन आदि नकारात्मक स्वतंत्रता के समर्थन है। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है- (1) स्वतंत्रता का [[अंग्रेज़ी]] रूपांतर लिबर्टी 'लैटिन' भाषा के शब्द लिबर से लिया गया है जिसका अर्थ होता बंधनों का अभाव। (2) सीले के अनुसार, "स्वतंत्रता अतिशासन का विरोधी है।" (3) हॉब्स के अनुसार, "स्वतंत्रता वाह्य बाधाओं की अनुपस्थिति है वे बाधाएं जो व्यक्ति का कोई भी कार्य करने की शक्ति घटाती है।" (4) रूसो के अनुसार, "स्वतंत्रता सामान्य इच्छा के पालन में है।" (5) हीगल के अनुसार, "स्वतंत्रता राज्य के | ||''स्वतंत्रता सभी बंधनों का अभाव है" यह कथन सीले का है। स्वतंत्रता उदारवादी चिंतन का केंद्रीय तत्व तथा सार है। स्वतंत्रता को नकारात्मक स्वतंत्रता तथा सकारात्मक स्वतंत्रता में वर्गीकृत किया गया है। सीले की यह परिभाषा नकारात्मक स्वतंत्रता को व्यक्त करती है। आरंभिक उदारवादी विचारक हॉब्स, लॉक, बेंथम, मिल, सिजविक, स्पेंशर, माण्टेस्क्यू तथा नवा उदारवादी विचारक जैसे हेयक, फ्रीडमैन, वर्लिन आदि नकारात्मक स्वतंत्रता के समर्थन है। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है- (1) स्वतंत्रता का [[अंग्रेज़ी]] रूपांतर लिबर्टी 'लैटिन' भाषा के शब्द लिबर से लिया गया है जिसका अर्थ होता बंधनों का अभाव। (2) सीले के अनुसार, "स्वतंत्रता अतिशासन का विरोधी है।" (3) हॉब्स के अनुसार, "स्वतंत्रता वाह्य बाधाओं की अनुपस्थिति है वे बाधाएं जो व्यक्ति का कोई भी कार्य करने की शक्ति घटाती है।" (4) रूसो के अनुसार, "स्वतंत्रता सामान्य इच्छा के पालन में है।" (5) हीगल के अनुसार, "स्वतंत्रता राज्य के क़ानूनों का पालन करने में है।" (6) मैकेन्जी के अनुसार, "स्वतंत्रता सभी प्रकार के प्रतिबंधों का अभाव नहीं, अपितु अनुचित प्रतिबंधों के स्थान पर उचित प्रतिबंधों की व्यवस्था है। | ||
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-[[अरस्तू]] | -[[अरस्तू]] | ||
-जॉन लॉक | -जॉन लॉक | ||
||"स्वतंत्रता का मतलब सभी प्रकार के बंधनों का अभाव है।" यह कथन सीले का है। स्वतंत्रता उदारवादी चिंतन का केंद्रीय तत्व तथा सार है। स्वतंत्रता को नकारात्मक स्वतंत्रता तथा सकारात्मक स्वतंत्रता में वर्गीकृत किया गया है। सीले की यह परिभाषा नकारात्मक स्वतंत्रता को व्यक्त करती है। आरंभिक उदारवादी विचारक हॉब्स, लॉक, बेंथम, मिल, सिजविक, स्पेंशर, माण्टेस्क्यू तथा नवा उदारवादी विचारक जैसे हेयक, फ्रीडमैन, वर्लिन आदि नकारात्मक स्वतंत्रता के समर्थन है। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है- (1) स्वतंत्रता का [[अंग्रेज़ी]] रूपांतर लिबर्टी 'लैटिन' भाषा के शब्द लिबर से लिया गया है जिसका अर्थ होता बंधनों का अभाव। (2) सीले के अनुसार, "स्वतंत्रता अतिशासन का विरोधी है।" (3) हॉब्स के अनुसार, "स्वतंत्रता वाह्य बाधाओं की अनुपस्थिति है वे बाधाएं जो व्यक्ति का कोई भी कार्य करने की शक्ति घटाती है।" (4) रूसो के अनुसार, "स्वतंत्रता सामान्य इच्छा के पालन में है।" (5) हीगल के अनुसार, "स्वतंत्रता राज्य के | ||"स्वतंत्रता का मतलब सभी प्रकार के बंधनों का अभाव है।" यह कथन सीले का है। स्वतंत्रता उदारवादी चिंतन का केंद्रीय तत्व तथा सार है। स्वतंत्रता को नकारात्मक स्वतंत्रता तथा सकारात्मक स्वतंत्रता में वर्गीकृत किया गया है। सीले की यह परिभाषा नकारात्मक स्वतंत्रता को व्यक्त करती है। आरंभिक उदारवादी विचारक हॉब्स, लॉक, बेंथम, मिल, सिजविक, स्पेंशर, माण्टेस्क्यू तथा नवा उदारवादी विचारक जैसे हेयक, फ्रीडमैन, वर्लिन आदि नकारात्मक स्वतंत्रता के समर्थन है। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है- (1) स्वतंत्रता का [[अंग्रेज़ी]] रूपांतर लिबर्टी 'लैटिन' भाषा के शब्द लिबर से लिया गया है जिसका अर्थ होता बंधनों का अभाव। (2) सीले के अनुसार, "स्वतंत्रता अतिशासन का विरोधी है।" (3) हॉब्स के अनुसार, "स्वतंत्रता वाह्य बाधाओं की अनुपस्थिति है वे बाधाएं जो व्यक्ति का कोई भी कार्य करने की शक्ति घटाती है।" (4) रूसो के अनुसार, "स्वतंत्रता सामान्य इच्छा के पालन में है।" (5) हीगल के अनुसार, "स्वतंत्रता राज्य के क़ानूनों का पालन करने में है।" (6) मैकेन्जी के अनुसार, "स्वतंत्रता सभी प्रकार के प्रतिबंधों का अभाव नहीं, अपितु अनुचित प्रतिबंधों के स्थान पर उचित प्रतिबंधों की व्यवस्था है। | ||
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-कांट | -कांट | ||
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||''स्वतंत्रता समस्त प्रतिबंधों का अभाव है" यह कथन सीले का है। स्वतंत्रता उदारवादी चिंतन का केंद्रीय तत्व तथा सार है। स्वतंत्रता को नकारात्मक स्वतंत्रता तथा सकारात्मक स्वतंत्रता में वर्गीकृत किया गया है। सीले की यह परिभाषा नकारात्मक स्वतंत्रता को व्यक्त करती है। आरंभिक उदारवादी विचारक हॉब्स, लॉक, बेंथम, मिल, सिजविक, स्पेंशर, माण्टेस्क्यू तथा नवा उदारवादी विचारक जैसे हेयक, फ्रीडमैन, वर्लिन आदि नकारात्मक स्वतंत्रता के समर्थन है। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है- (1) स्वतंत्रता का [[अंग्रेज़ी]] रूपांतर लिबर्टी 'लैटिन' भाषा के शब्द लिबर से लिया गया है जिसका अर्थ होता बंधनों का अभाव। (2) सीले के अनुसार, "स्वतंत्रता अतिशासन का विरोधी है।" (3) हॉब्स के अनुसार, "स्वतंत्रता वाह्य बाधाओं की अनुपस्थिति है वे बाधाएं जो व्यक्ति का कोई भी कार्य करने की शक्ति घटाती है।" (4) रूसो के अनुसार, "स्वतंत्रता सामान्य इच्छा के पालन में है।" (5) हीगल के अनुसार, "स्वतंत्रता राज्य के | ||''स्वतंत्रता समस्त प्रतिबंधों का अभाव है" यह कथन सीले का है। स्वतंत्रता उदारवादी चिंतन का केंद्रीय तत्व तथा सार है। स्वतंत्रता को नकारात्मक स्वतंत्रता तथा सकारात्मक स्वतंत्रता में वर्गीकृत किया गया है। सीले की यह परिभाषा नकारात्मक स्वतंत्रता को व्यक्त करती है। आरंभिक उदारवादी विचारक हॉब्स, लॉक, बेंथम, मिल, सिजविक, स्पेंशर, माण्टेस्क्यू तथा नवा उदारवादी विचारक जैसे हेयक, फ्रीडमैन, वर्लिन आदि नकारात्मक स्वतंत्रता के समर्थन है। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है- (1) स्वतंत्रता का [[अंग्रेज़ी]] रूपांतर लिबर्टी 'लैटिन' भाषा के शब्द लिबर से लिया गया है जिसका अर्थ होता बंधनों का अभाव। (2) सीले के अनुसार, "स्वतंत्रता अतिशासन का विरोधी है।" (3) हॉब्स के अनुसार, "स्वतंत्रता वाह्य बाधाओं की अनुपस्थिति है वे बाधाएं जो व्यक्ति का कोई भी कार्य करने की शक्ति घटाती है।" (4) रूसो के अनुसार, "स्वतंत्रता सामान्य इच्छा के पालन में है।" (5) हीगल के अनुसार, "स्वतंत्रता राज्य के क़ानूनों का पालन करने में है।" (6) मैकेन्जी के अनुसार, "स्वतंत्रता सभी प्रकार के प्रतिबंधों का अभाव नहीं, अपितु अनुचित प्रतिबंधों के स्थान पर उचित प्रतिबंधों की व्यवस्था है। | ||
12:59, 9 अप्रैल 2017 का अवतरण
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