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-[[अरस्तु]]
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||[[भरत मुनि]] (2-3 शती ई.) ने [[काव्य]] के आवश्यक तत्त्व के रूप में [[रस]] की प्रतिष्ठा करते हुए [[श्रृंगार रस|श्रृंगार]], [[हास्य रस|हास्य]], [[रौद्र रस|रौद्र]], [[करुण रस|करुण]], [[वीर रस|वीर]], [[अद्भुत रस|अद्‌भुत]], [[वीभत्स रस|वीभत्स]] तथा [[भयानक रस|भयानक]] नाम से उसके आठ भेदों का स्पष्ट उल्लेख किया है। उन्होंने अपनी कृति [[नाट्यशास्त्र]] में इसका विस्तारपूर्वक वर्णन किया है। कतिपय विद्वानों की कल्पना है कि उन्होंने [[शांत रस|शांत]] नामक नवें रस को भी स्वीकृति दी है।
||[[भरत मुनि]] (2-3 शती ई.) ने [[काव्य]] के आवश्यक तत्त्व के रूप में [[रस]] की प्रतिष्ठा करते हुए [[श्रृंगार रस|श्रृंगार]], [[हास्य रस|हास्य]], [[रौद्र रस|रौद्र]], [[करुण रस|करुण]], [[वीर रस|वीर]], [[अद्भुत रस|अद्‌भुत]], [[वीभत्स रस|वीभत्स]] तथा [[भयानक रस|भयानक]] नाम से उसके आठ भेदों का स्पष्ट उल्लेख किया है। उन्होंने अपनी कृति [[नाट्यशास्त्र]] में इसका विस्तारपूर्वक वर्णन किया है। कतिपय विद्वानों की कल्पना है कि उन्होंने [[शांत रस|शांत]] नामक नवें रस को भी स्वीकृति दी है।


{किन दो [[रंग|रंगों]] को मिलाकर [[काला रंग]] बनता है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-158,प्रश्न-7
{किन दो [[रंग|रंगों]] को मिलाकर [[काला रंग]] बनता है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-158,प्रश्न-7
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-देलाक्रा
-देलाक्रा
-इन्जर्स
-इन्जर्स
+जेरीकॉल्ट
+थियोडोर जेरीकॉल्ट
-माने
-माने
||थियोडोर जेरीकॉल्ट स्वच्छंदतावाद (रोमांसवाद) का चित्रकार था। वह चित्रण के लिए घर में लाशें रखा करता था।
||थियोडोर जेरीकॉल्ट स्वच्छंदतावाद (रोमांसवाद) का चित्रकार था। वह चित्रण के लिए घर में लाशें रखा करता था।
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+घनवाद
+घनवाद
-प्रभाववाद
-प्रभाववाद
||पिकासो व ब्राक ने घनवाद को विकसित किया। संभवत: घनवाद का उदय ([[1907]] ई.) पिकासो के सुविख्यात चित्र 'एविगनन की स्त्रियां' (सुंदरियां) (1907 ई..) से हुआ जो कि घनवाद का प्रथम चित्र माना जाता है। यह चित्र एविगनन के वेश्यालय से संबंधित हैं। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है- (1) पिकासो का चित्र 'बेंत की कुर्सी पर वस्तु समूह' ([[1912]]) घनवाद की प्रथम कोलाज कृति है। (2) आकारों के सामर्थ्य को बढ़ावा देने के उद्देश्य से पिकासो ने चमकीले रंगों को छोड़कर [[भूरा रंग|भूरे रंगों]] का प्रयोग किया। (3) पिकासो ने चित्रकला के अतिरिक्त मूर्तिकला, एंग्रेविंग, लीथोग्राफी, सरैमिक्स, कोलाज आदि भिन्न माध्यमों से उत्कृष्ट कलाकृतियों का निर्माण किया। (4) मजाकिया, मुर्गा, धातु की रचना, बिल्ली, बकरी तथा भेड़वाला आदमी आदि पिकासो के मूर्ति शिल्प हैं। (5) पिकासो के प्रमुख चित्र हैं- वायलिन, माता व बालक (मैटरनिटी), युद्ध, शांति आदि।
||पिकासो व ब्राक ने घनवाद को विकसित किया। संभवत: घनवाद का उदय ([[1907]] ई.) पिकासो के सुविख्यात चित्र 'एविगनन की स्त्रियां' (सुंदरियां) ([[1907]] ई.) से हुआ जो कि घनवाद का प्रथम चित्र माना जाता है। यह चित्र एविगनन के वेश्यालय से संबंधित हैं। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) पिकासो का चित्र 'बेंत की कुर्सी पर वस्तु समूह' ([[1912]]) घनवाद की प्रथम कोलाज कृति है। (2) आकारों के सामर्थ्य को बढ़ावा देने के उद्देश्य से पिकासो ने चमकीले रंगों को छोड़कर [[भूरा रंग|भूरे रंगों]] का प्रयोग किया। (3) पिकासो ने चित्रकला के अतिरिक्त मूर्तिकला, एंग्रेविंग, लीथोग्राफी, सरैमिक्स, कोलाज आदि भिन्न माध्यमों से उत्कृष्ट कलाकृतियों का निर्माण किया। (4) मजाकिया, मुर्गा, धातु की रचना, बिल्ली, बकरी तथा भेड़वाला आदमी आदि पिकासो के मूर्ति शिल्प हैं। (5) पिकासो के प्रमुख चित्र हैं- वायलिन, माता व बालक (मैटरनिटी), युद्ध, शांति आदि।


{[[भारत]] में प्रोफेसर रामचंद्र शुक्ल किस भारतीय समकालीन कला से संबंधित हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-139,प्रश्न-7
{[[भारत]] में प्रोफेसर रामचंद्र शुक्ल किस भारतीय समकालीन कला से संबंधित हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-139,प्रश्न-7
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+बंगाल शैली
+बंगाल शैली
-समीक्षावादी शैली
-समीक्षावादी शैली
||रामचंद्र शुक्ल एक प्रख्यात [[कला]] समीक्षक थे। इसके साथ ही शुक्ल जी एक चित्रकार और कला लेखक भी थे। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है- (1) रामचंद्र शुक्ल [[फ़्राँस]] द्वारा 'जीवन ऑनर फ्रैगानार्ड' सम्मान पाने वाले पहले भारतीय चित्रकार हैं। रामचंद्र शुल्क ने [[काशी हिंदू विश्वविद्यालय]] के चित्रकला विभाग में अध्यापन का कार्य किया तथा आगे चलकर इस विभाग के विभागाध्यक्ष भी हुए। (2) प्रो. रामचंद्र शुक्ल ने आधुनिक कला-समीक्षावाद, भारतीय चित्रकला शिक्षण पद्धति, रेखावली, कला दर्शन, कला-प्रसंग और पश्चिमी आधुनिक चित्रकार आदि पुस्तकों की भी रचना की। (3) कागज की नाव, आपात काल, अंतिम भोज, चंद्र यात्रा, बैलेट बॉक्स आदि रामचंद्र शुक्ल की प्रमुख चित्र कृतियां हैं।
||रामचंद्र शुक्ल एक प्रख्यात [[कला]] समीक्षक थे। इसके साथ ही शुक्ल जी एक चित्रकार और कला लेखक भी थे। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) रामचंद्र शुक्ल [[फ़्राँस]] द्वारा 'जीवन ऑनर फ्रैगानार्ड' सम्मान पाने वाले पहले भारतीय चित्रकार हैं। रामचंद्र शुल्क ने [[काशी हिंदू विश्वविद्यालय]] के चित्रकला विभाग में अध्यापन का कार्य किया तथा आगे चलकर इस विभाग के विभागाध्यक्ष भी हुए। (2) प्रो. रामचंद्र शुक्ल ने आधुनिक कला-समीक्षावाद, भारतीय चित्रकला शिक्षण पद्धति, रेखावली, कला दर्शन, कला-प्रसंग और पश्चिमी आधुनिक चित्रकार आदि पुस्तकों की भी रचना की। (3) काग़ज़ की नाव, आपात काल, अंतिम भोज, चंद्र यात्रा, बैलेट बॉक्स आदि रामचंद्र शुक्ल की प्रमुख चित्र कृतियां हैं।


 
{पाश्चात्य सौन्दर्यशास्त्र के 'अनुकृति सिद्धांत' (Mimesis Theory) के प्रणेता कौन हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-152,प्रश्न- 7
{पाश्चात्य सौन्दर्यशास्त्र के 'अनुकृति सिद्धांत' (Mimesis throty) के प्रणेता कौन है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-152,प्रश्न- 7
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-कांट
-कांट
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-[[प्लेटो]]
-[[प्लेटो]]
+अरिस्टॉटल
+अरिस्टॉटल
||अरिस्टॉटल ([[अरस्तू]]) के अनुसार, अनुकृति करना [[कला]] का परम पावन धर्म है। मानव में बाल्यकाल से ही अनुकरण करने की प्रवृत्ति होती है। संसार का सर्वश्रेंष्ट प्राणी सब कुछ नकल करके सीखता है। नकल में उसे आनंद आता है। उसने स्पष्ट लिखा है कि 'कला प्रकृति की अनुकृति करती है'। इससे सम्बधित अन्य अहत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है- (1) प्लेटो ने भी अपनी पुस्तक The Republic में 'अनुकृति' सिद्धांत का वर्णन किया है। (2) [[होमी भाभा]] ने भी 'अनुकृति' सिद्धांत पर लिखा है।
||अरिस्टॉटल ([[अरस्तू]]) के अनुसार, अनुकृति करना [[कला]] का परम पावन [[धर्म]] है। मानव में बाल्यकाल से ही अनुकरण करने की प्रवृत्ति होती है। संसार का सर्वश्रेष्ठ प्राणी सब कुछ नकल करके सीखता है। नकल में उसे आनंद आता है। उसने स्पष्ट लिखा है कि 'कला प्रकृति की अनुकृति करती है'। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) प्लेटो ने भी अपनी पुस्तक The Republic में 'अनुकृति' सिद्धांत का वर्णन किया है। (2) [[होमी भाभा]] ने भी 'अनुकृति' सिद्धांत पर लिखा है।


{[[नाट्यशास्त्र]] में [[भरत मुनि]] ने कितने भावों का विवेचन किया है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-155,प्रश्न-7
{[[नाट्यशास्त्र]] में [[भरत मुनि]] ने कितने भावों का विवेचन किया है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-154,प्रश्न-7
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-42
-42
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-ठंडे रंग
-ठंडे रंग
-जल रंग
-जल रंग
-तैल रंग
-तेल रंग
+गर्म रग
+गर्म रग
||रेखा तथा रूप के समान [[रंग|वर्णों]] में भी भार होता है। गहरे वर्णों में अधिक तथा हल्के वर्णों में कम भार होता है। इसी प्रकार उष्ण (गरम) वर्णों में अधिक तथा शीतल वर्णों में कम भार होता है।
||रेखा तथा रूप के समान [[रंग|वर्णों]] में भी भार होता है। गहरे वर्णों में अधिक तथा हल्के वर्णों में कम भार होता है। इसी प्रकार उष्ण (गर्म) वर्णों में अधिक तथा शीतल वर्णों में कम भार होता है।


{निम्न में से कौन रूपप्रद कला का तत्त्व नहीं है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-166,प्रश्न-7
{निम्न में से कौन रूपप्रद कला का तत्त्व नहीं है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-166,प्रश्न-7
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-अपराजितपृच्छा
-अपराजितपृच्छा
+[[जयमंगला]]
+[[जयमंगला]]
||ईसा पूर्व पहली शताब्दी के लगभग षडंग चित्रकला (छ: अंगों वाली कला) का विकास हुआ। यशोधर पंडित ने 'जयमंगला' नाम से टीका की। कामसूत्र के प्रथम अधिकरण के तीसरे अध्याय की टीका करते हुए पंडित यशोधर ने आलेख (चित्रकला) के छ: अंग बताए हैं- रूपभेदा: प्रमाणिनि भावलावण्ययोजनम्।यादृश्यं वर्णिकाभंग इति चित्र षडंगकम्॥ अर्थात रूपभेद, प्रमाण (सही नाप और संरचना आदि), भाव (भावना), लावण्ययोजना, सादृश्य विधान तथा वर्णिकाभंग ये छ: अंग हैं।
||ईसा पूर्व पहली शताब्दी के लगभग षडंग चित्रकला (छ: अंगों वाली कला) का विकास हुआ। यशोधर पंडित ने 'जयमंगला' नाम से टीका की। कामसूत्र के प्रथम अधिकरण के तीसरे अध्याय की टीका करते हुए पंडित यशोधर ने आलेख (चित्रकला) के छ: अंग बताए हैं- रूपभेदा: प्रमाणिनि भावलावण्ययोजनम्। यादृश्यं वर्णिकाभंग इति चित्र षडंगकम्॥ अर्थात रूपभेद, प्रमाण (सही नाप और संरचना आदि), भाव (भावना), लावण्ययोजना, सादृश्य विधान तथा वर्णिकाभंग ये छ: अंग हैं।


{लेजर प्रिंटिंग में रिजोल्यूशन की इकाई को क्या कहते हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-182,प्रश्न-7
{लेजर प्रिंटिंग में रिजोल्यूशन की इकाई को क्या कहते हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-182,प्रश्न-7
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-आईपीटी
-आई. पी. टी.
+डीपीआई
+डी. पी. आई.
-टीपीआई
-टी. पी. आई.
-एलपीआई
-एल. पी. आई.
||लेजर प्रिंटिंग में रिजोल्यूशन की इकाई को डीपीआई (Dost Per Inch) से प्रदर्शित करते हैं। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है- (1) IPT-Internet Packet Time (इंटरनेट पैकेट टाइम) (2) TPI-Tracks Per Inch (ट्रैक्स पर इंच) (3) LPI-Line Printer Interface (लाइन प्रिंटर इंटरफेस)
||लेजर प्रिंटिंग में रिजोल्यूशन की इकाई को डी. पी. आई. (Dost Per Inch) से प्रदर्शित करते हैं। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) IPT-Internet Packet Time (इंटरनेट पैकेट टाइम) (2) TPI- Tracks Per Inch (ट्रैक्स पर इंच) (3) LPI- Line Printer Interface (लाइन प्रिंटर इंटरफेस)


{किसने कहा था "मैं यह जानता हूं कि मैं कुछ नहीं जानता"? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-188,प्रश्न-38
{किसने कहा था "मैं यह जानता हूं कि मैं कुछ नहीं जानता"? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-188,प्रश्न-38
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-[[अरस्तू]]
-[[अरस्तू]]
-आगस्टाइन
-आगस्टाइन
||महान विचारक [[सुकरात]] का जन्म 470 ई.पू. में एथेंस (ग्रीस) में हुआ था। एथेंस के नवयुवकों को गुमराह करने का आरोप लगाकर 399 ई.पू. में सुकरात को ज़हर देकर मृत्युदंड की सजा दी गई। उसने कहा था- "मैं यह जानता हूं कि मैं कुछ नहीं जानता"।
||महान विचारक [[सुकरात]] का जन्म 470 ई. पू. में एथेंस (ग्रीस) में हुआ था। एथेंस के नवयुवकों को गुमराह करने का आरोप लगाकर 399 ई. पू. में सुकरात को ज़हर देकर मृत्युदंड की सजा दी गई। उसने कहा था- "मैं यह जानता हूं कि मैं कुछ नहीं जानता"।
 
 




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-मोने  
-मोने  
-सिसली  
-सिसली  
||जीन-लुइस आंद्रे थियोडोर जेरिकॉल्ट फ़्राँसीसी चित्रकार एवं लिथोग्राफर थे। वे 'समुद्री जहाज' की दुर्घटना पर बनी पेंटिग 'मेडुसा का बेड़ा' (The Raft of the Medusa) नामक चित्रण के लिए जाने जाते हैं। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है- (1) 'मेडुसा का बेड़ा' रोमांसवाद का सर्वप्रथम चित्र माना गया। (2) अपने चित्रों की [[रंग]] योजना पर जेरिकॉल्ट ने इटालियन चित्रकार काराद्ज्यो का अनुसरण किया है।
||जीन-लुइस आंद्रे थियोडोर जेरिकॉल्ट फ़्राँसीसी चित्रकार एवं लिथोग्राफर थे। वे 'समुद्री जहाज' की दुर्घटना पर बनी पेंटिग 'मेडुसा का बेड़ा' (The Raft of the Medusa) नामक चित्रण के लिए जाने जाते हैं। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) 'मेडुसा का बेड़ा' रोमांसवाद का सर्वप्रथम चित्र माना गया। (2) अपने चित्रों की [[रंग]] योजना पर जेरिकॉल्ट ने इटालियन चित्रकार काराद्ज्यो का अनुसरण किया है।


{'मुर्गा' किस कलाकार की मूर्ति है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-126,प्रश्न-8
{'मुर्गा' किस कलाकार की मूर्ति है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-126,प्रश्न-8
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-सेजां
-सेजां
+पिकासो
+पिकासो
||पिकासो व ब्राक ने घनवाद को विकसित किया। संभवत: घनवाद का उदय ([[1907]] ई.) पिकासो के सुविख्यात चित्र 'एविगनन की स्त्रियां' (सुंदरियां) (1907 ई..) से हुआ जो कि घनवाद का प्रथम चित्र माना जाता है। यह चित्र एविगनन के वेश्यालय से संबंधित हैं। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है- (1) पिकासो का चित्र 'बेंत की कुर्सी पर वस्तु समूह' ([[1912]]) घनवाद की प्रथम कोलाज कृति है। (2) आकारों के सामर्थ्य को बढ़ावा देने के उद्देश्य से पिकासो ने चमकीले रंगों को छोड़कर [[भूरा रंग|भूरे रंगों]] का प्रयोग किया। (3) पिकासो ने चित्रकला के अतिरिक्त मूर्तिकला, एंग्रेविंग, लीथोग्राफी, सरैमिक्स, कोलाज आदि भिन्न माध्यमों से उत्कृष्ट कलाकृतियों का निर्माण किया। (4) मजाकिया, मुर्गा, धातु की रचना, बिल्ली, बकरी तथा भेड़वाला आदमी आदि पिकासो के मूर्ति शिल्प हैं। (5) पिकासो के प्रमुख चित्र हैं- वायलिन, माता व बालक (मैटरनिटी), युद्ध, शांति आदि।
||पिकासो व ब्राक ने घनवाद को विकसित किया। संभवत: घनवाद का उदय ([[1907]] ई.) पिकासो के सुविख्यात चित्र 'एविगनन की स्त्रियां' (सुंदरियां) ([[1907]] ई.) से हुआ जो कि घनवाद का प्रथम चित्र माना जाता है। यह चित्र एविगनन के वेश्यालय से संबंधित हैं। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) पिकासो का चित्र 'बेंत की कुर्सी पर वस्तु समूह' ([[1912]]) घनवाद की प्रथम कोलाज कृति है। (2) आकारों के सामर्थ्य को बढ़ावा देने के उद्देश्य से पिकासो ने चमकीले रंगों को छोड़कर [[भूरा रंग|भूरे रंगों]] का प्रयोग किया। (3) पिकासो ने चित्रकला के अतिरिक्त मूर्तिकला, एंग्रेविंग, लीथोग्राफी, सरैमिक्स, कोलाज आदि भिन्न माध्यमों से उत्कृष्ट कलाकृतियों का निर्माण किया। (4) मजाकिया, मुर्गा, धातु की रचना, बिल्ली, बकरी तथा भेड़वाला आदमी आदि पिकासो के मूर्ति शिल्प हैं। (5) पिकासो के प्रमुख चित्र हैं- वायलिन, माता व बालक (मैटरनिटी), युद्ध, शांति आदि।


{ऑप आर्ट (Op) कला की शुरुआत किसने की? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-139,प्रश्न-8
{ऑप आर्ट (Op) कला की शुरुआत किसने की? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-139,प्रश्न-8
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-एंडी वारहोल
-एंडी वारहोल
-कीथ क्लुजनर
-कीथ क्लुजनर
+वासरली
+विक्टर वासरली
-रूबेन्स
-रूबेन्स
||आधुनिक कला में Op (ऑप आर्ट) की शुरुआत वर्ष [[1904]] में विक्टर वासरली ने की। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है- (1) ऑप आर्ट में ज्यामितीय आकार के कुछ छोटे टुकड़ों की पच्चीकारी करके चित्र बनाया जाता है जो हिलता हुआ प्रतीत होता है। इसे 'ऑप आर्ट' कहते हैं। ऑप आर्ट (Op) को 'नेत्रीय कला' भी कहा जाता है।
||आधुनिक कला में Op (ऑप आर्ट) की शुरुआत वर्ष [[1904]] में विक्टर वासरली ने की। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) ऑप आर्ट में ज्यामितीय आकार के कुछ छोटे टुकड़ों की पच्चीकारी करके चित्र बनाया जाता है जो हिलता हुआ प्रतीत होता है। इसे 'ऑप आर्ट' कहते हैं। ऑप आर्ट (Op) को 'नेत्रीय कला' भी कहा जाता है।


{[[अरस्तू]] के अनुसार कला क्या है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-152,प्रश्न-8
{[[अरस्तू]] के अनुसार कला क्या है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-152,प्रश्न-8
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-अभिव्यक्ति
-अभिव्यक्ति
-[[प्रकृति]]
-[[प्रकृति]]
||अरिस्टॉटल ([[अरस्तू]]) के अनुसार, अनुकृति करना [[कला]] का परम पावन धर्म है। मानव में बाल्यकाल से ही अनुकरण करने की प्रवृत्ति होती है। संसार का सर्वश्रेंष्ट प्राणी सब कुछ नकल करके सीखता है। नकल में उसे आनंद आता है। उसने स्पष्ट लिखा है कि 'कला प्रकृति की अनुकृति करती है'। इससे सम्बधित अन्य अहत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है- (1) प्लेटो ने भी अपनी पुस्तक The Republic में 'अनुकृति' सिद्धांत का वर्णन किया है। (2) [[होमी भाभा]] ने भी 'अनुकृति' सिद्धांत पर लिखा है।
||अरिस्टॉटल ([[अरस्तू]]) के अनुसार, अनुकृति करना [[कला]] का परम पावन [[धर्म]] है। मानव में बाल्यकाल से ही अनुकरण करने की प्रवृत्ति होती है। संसार का सर्वश्रेष्ठ प्राणी सब कुछ नकल करके सीखता है। नकल में उसे आनंद आता है। उसने स्पष्ट लिखा है कि 'कला प्रकृति की अनुकृति करती है'। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) प्लेटो ने भी अपनी पुस्तक The Republic में 'अनुकृति' सिद्धांत का वर्णन किया है। (2) [[होमी भाभा]] ने भी 'अनुकृति' सिद्धांत पर लिखा है।


{'[[रस]]' उत्पत्ति को सबसे पहले किसने परिभाषित किया? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-154,प्रश्न-8
{'[[रस]]' उत्पत्ति को सबसे पहले किसने परिभाषित किया? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-154,प्रश्न-8
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-[[अरस्तु]]
-[[अरस्तु]]
-[[अभिनवगुप्त|अभिनव गुप्त]]
-[[अभिनवगुप्त]]
+[[भरत मुनि]]
+[[भरत मुनि]]
-ब्रडले
-ब्रडले
||'[[रस]]' उत्पत्ति को सबसे पहले परिभाषित करने का श्रेय [[भरत मुनि]] को जाता है। उन्होंने अपने '[[नाट्यशास्त्र]]' में आठ प्रकार के रसों का वर्णन किया है। रस की व्याख्या करते हुए भरत मुनि कहते हैं कि सब नाट्य उपकरणों द्वारा प्रस्तुत एक भाव मूलक कलात्मक अनुभूति है। रस का केंद्र रंगमंच है। भाव रस नहीं, उसका आधार है किंतु भरत ने स्थायी भाव को ही रस माना है। भरत मुनि ने लिखा है- 'विभावानुभावव्यभिचारी- संयोगद्रसनिष्पत्ति अर्थात विभाव, अनुभाव तथा संचारी भावों के संयोग से रस की निष्पत्ति होती है। अत: भरत मुनि के 'रस तत्त्व' का आधारभूत विषय नाट्य में रस की निष्पत्ति है। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है- (1) काव्य शास्त्र के मर्मज्ञ विद्वानों ने [[काव्य]] की आत्मा को ही रस माना है। (2) आचार्य धनंजय के अनुसार, 'विभाव, अनुभाव, सात्त्विक, साहित्य भाव और व्यभिचारी भावों के संयोग से आस्वाद्यमान स्थायी भाव ही रस है। (3) साहित्य दर्पणकार [[आचार्य विश्वनाथ]] ने रस की परिभाषा इस प्रकार दी है-"विभावेनानुभावेन व्यक्त: सच्चारिणा तथा। रसतामेति रत्यादि: स्थायिभाव: सचेतसाम्॥ (3) डॉ. विश्वम्भर नाथ कहते हैं, "भावों के छंदात्मक समन्वय का नाम ही रस है।" (4) [[श्यामसुंदर दास|आचार्य श्याम सुंदर दास]] के अनुसार, "स्थायी भाव जब विभाव, अनुभाव एवं संचारी भावों के योग से आस्वादन करने योग्य हो जाता है, तब सहृदय प्रेक्षक के हृदय में रस रूप में उसका आस्वादन होता है। (5) आचार्य रामचंद्र शुक्ल के अनुसार, जिस प्रकार आत्मा की मुक्तावस्था ज्ञानदशा कहलाती है। उसी प्रकार हृदय की मुक्तावस्था रस दशा कहलाती है।"
||'[[रस]]' उत्पत्ति को सबसे पहले परिभाषित करने का श्रेय [[भरत मुनि]] को जाता है। उन्होंने अपने '[[नाट्यशास्त्र]]' में आठ प्रकार के रसों का वर्णन किया है। रस की व्याख्या करते हुए भरत मुनि कहते हैं कि सब नाट्य उपकरणों द्वारा प्रस्तुत एक भाव मूलक कलात्मक अनुभूति है। रस का केंद्र रंगमंच है। भाव रस नहीं, उसका आधार है किंतु भरत ने स्थायी भाव को ही रस माना है। भरत मुनि ने लिखा है- 'विभावानुभावव्यभिचारी- संयोगद्रसनिष्पत्ति अर्थात विभाव, अनुभाव तथा संचारी भावों के संयोग से रस की निष्पत्ति होती है। अत: भरत मुनि के 'रस तत्त्व' का आधारभूत विषय नाट्य में रस की निष्पत्ति है। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) काव्य शास्त्र के मर्मज्ञ विद्वानों ने [[काव्य]] की आत्मा को ही रस माना है। (2) आचार्य धनंजय के अनुसार, 'विभाव, अनुभाव, सात्त्विक, साहित्य भाव और व्यभिचारी भावों के संयोग से आस्वाद्यमान स्थायी भाव ही रस है। (3) साहित्य दर्पणकार [[आचार्य विश्वनाथ]] ने रस की परिभाषा इस प्रकार दी है- "विभावेनानुभावेन व्यक्त: सच्चारिणा तथा। रसतामेति रत्यादि: स्थायिभाव: सचेतसाम्॥ (3) डॉ. विश्वम्भर नाथ कहते हैं, "भावों के छंदात्मक समन्वय का नाम ही रस है।" (4) [[श्यामसुंदर दास|आचार्य श्याम सुंदर दास]] के अनुसार, "स्थायी भाव जब विभाव, अनुभाव एवं संचारी भावों के योग से आस्वादन करने योग्य हो जाता है, तब सहृदय प्रेक्षक के हृदय में रस रूप में उसका आस्वादन होता है। (5) आचार्य रामचंद्र शुक्ल के अनुसार, जिस प्रकार आत्मा की मुक्तावस्था ज्ञानदशा कहलाती है। उसी प्रकार हृदय की मुक्तावस्था रस दशा कहलाती है।"


{निम्नलिखित में से गरम रंग कौन-सा है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-158,प्रश्न-9
{निम्नलिखित में से गरम रंग कौन-सा है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-158,प्रश्न-9
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-[[राजा भोज]] कृत समरांगण सूत्र में
-[[राजा भोज]] कृत समरांगण सूत्र में
-[[बाणभट्ट]] कृत कादंबरी में
-[[बाणभट्ट]] कृत कादंबरी में
||ईसा पूर्व पहली शताब्दी के लगभग षडंग चित्रकला (छ: अंगों वाली कला) का विकास हुआ। यशोधर पंडित ने 'जयमंगला' नाम से टीका की। कामसूत्र के प्रथम अधिकरण के तीसरे अध्याय की टीका करते हुए पंडित यशोधर ने आलेख (चित्रकला) के छ: अंग बताए हैं- रूपभेदा: प्रमाणिनि भावलावण्ययोजनम्।यादृश्यं वर्णिकाभंग इति चित्र षडंगकम्॥ अर्थात रूपभेद, प्रमाण (सही नाप और संरचना आदि), भाव (भावना), लावण्ययोजना, सादृश्य विधान तथा वर्णिकाभंग ये छ: अंग हैं।
||ईसा पूर्व पहली शताब्दी के लगभग षडंग चित्रकला (छ: अंगों वाली कला) का विकास हुआ। यशोधर पंडित ने 'जयमंगला' नाम से टीका की। कामसूत्र के प्रथम अधिकरण के तीसरे अध्याय की टीका करते हुए पंडित यशोधर ने आलेख (चित्रकला) के छ: अंग बताए हैं- रूपभेदा: प्रमाणिनि भावलावण्ययोजनम्। यादृश्यं वर्णिकाभंग इति चित्र षडंगकम्॥ अर्थात रूपभेद, प्रमाण (सही नाप और संरचना आदि), भाव (भावना), लावण्ययोजना, सादृश्य विधान तथा वर्णिकाभंग ये छ: अंग हैं।


{एच.टी.एम.एल. इंगित करता है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-182,प्रश्न-8
{एच.टी.एम.एल. इंगित करता है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-182,प्रश्न-8
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-लोत्रेक
-लोत्रेक
-ज्वां ग्रीस  
-ज्वां ग्रीस  
||पिकासो व ब्राक ने घनवाद को विकसित किया। संभवत: घनवाद का उदय ([[1907]] ई.) पिकासो के सुविख्यात चित्र 'एविगनन की स्त्रियां' (सुंदरियां) (1907 ई..) से हुआ जो कि घनवाद का प्रथम चित्र माना जाता है। यह चित्र एविगनन के वेश्यालय से संबंधित हैं। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है- (1) पिकासो का चित्र 'बेंत की कुर्सी पर वस्तु समूह' ([[1912]]) घनवाद की प्रथम कोलाज कृति है। (2) आकारों के सामर्थ्य को बढ़ावा देने के उद्देश्य से पिकासो ने चमकीले रंगों को छोड़कर [[भूरा रंग|भूरे रंगों]] का प्रयोग किया। (3) पिकासो ने चित्रकला के अतिरिक्त मूर्तिकला, एंग्रेविंग, लीथोग्राफी, सरैमिक्स, कोलाज आदि भिन्न माध्यमों से उत्कृष्ट कलाकृतियों का निर्माण किया। (4) मजाकिया, मुर्गा, धातु की रचना, बिल्ली, बकरी तथा भेड़वाला आदमी आदि पिकासो के मूर्ति शिल्प हैं। (5) पिकासो के प्रमुख चित्र हैं- वायलिन, माता व बालक (मैटरनिटी), युद्ध, शांति आदि।
||पिकासो व ब्राक ने घनवाद को विकसित किया। संभवत: घनवाद का उदय ([[1907]] ई.) पिकासो के सुविख्यात चित्र 'एविगनन की स्त्रियां' (सुंदरियां) ([[1907]] ई.) से हुआ जो कि घनवाद का प्रथम चित्र माना जाता है। यह चित्र एविगनन के वेश्यालय से संबंधित हैं। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) पिकासो का चित्र 'बेंत की कुर्सी पर वस्तु समूह' ([[1912]]) घनवाद की प्रथम कोलाज कृति है। (2) आकारों के सामर्थ्य को बढ़ावा देने के उद्देश्य से पिकासो ने चमकीले रंगों को छोड़कर [[भूरा रंग|भूरे रंगों]] का प्रयोग किया। (3) पिकासो ने चित्रकला के अतिरिक्त मूर्तिकला, एंग्रेविंग, लीथोग्राफी, सरैमिक्स, कोलाज आदि भिन्न माध्यमों से उत्कृष्ट कलाकृतियों का निर्माण किया। (4) मजाकिया, मुर्गा, धातु की रचना, बिल्ली, बकरी तथा भेड़वाला आदमी आदि पिकासो के मूर्ति शिल्प हैं। (5) पिकासो के प्रमुख चित्र हैं- वायलिन, माता व बालक (मैटरनिटी), युद्ध, शांति आदि।


{किस कलाकार ने अपने चित्रों में [[बाइबिल]] के विषयों को मानवतावादी दृष्टि से अनूदित किया था?  (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-139,प्रश्न-9
{किस कलाकार ने अपने चित्रों में [[बाइबिल]] के विषयों को मानवतावादी दृष्टि से अनूदित किया था?  (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-139,प्रश्न-9
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-अंत:ज्ञान
-अंत:ज्ञान
-भावों की अभिव्यक्ति
-भावों की अभिव्यक्ति
||अरिस्टॉटल ([[अरस्तू]]) के अनुसार, अनुकृति करना [[कला]] का परम पावन धर्म है। मानव में बाल्यकाल से ही अनुकरण करने की प्रवृत्ति होती है। संसार का सर्वश्रेंष्ट प्राणी सब कुछ नकल करके सीखता है। नकल में उसे आनंद आता है। उसने स्पष्ट लिखा है कि 'कला प्रकृति की अनुकृति करती है'। इससे सम्बधित अन्य अहत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है- (1) [[प्लेटो]] ने भी अपनी पुस्तक The Republic में 'अनुकृति' सिद्धांत का वर्णन किया है। (2) [[होमी भाभा]] ने भी 'अनुकृति' सिद्धांत पर लिखा है।
||अरिस्टॉटल ([[अरस्तू]]) के अनुसार, अनुकृति करना [[कला]] का परम पावन [[धर्म]] है। मानव में बाल्यकाल से ही अनुकरण करने की प्रवृत्ति होती है। संसार का सर्वश्रेष्ठ प्राणी सब कुछ नकल करके सीखता है। नकल में उसे आनंद आता है। उसने स्पष्ट लिखा है कि 'कला प्रकृति की अनुकृति करती है'। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) प्लेटो ने भी अपनी पुस्तक The Republic में 'अनुकृति' सिद्धांत का वर्णन किया है। (2) [[होमी भाभा]] ने भी 'अनुकृति' सिद्धांत पर लिखा है।


{[[भरत मुनि]] के 'रस तत्त्व' के आधारभूत विषय क्या हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-155,प्रश्न-9
{[[भरत मुनि]] के 'रस तत्त्व' के आधारभूत विषय क्या हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-155,प्रश्न-9
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+यशोधर
+यशोधर
-[[शूद्रक]]
-[[शूद्रक]]
||ईसा पूर्व पहली शताब्दी के लगभग षडंग चित्रकला (छ: अंगों वाली कला) का विकास हुआ। यशोधर पंडित ने 'जयमंगला' नाम से टीका की। कामसूत्र के प्रथम अधिकरण के तीसरे अध्याय की टीका करते हुए पंडित यशोधर ने आलेख (चित्रकला) के छ: अंग बताए हैं- रूपभेदा: प्रमाणिनि भावलावण्ययोजनम्।यादृश्यं वर्णिकाभंग इति चित्र षडंगकम्॥ अर्थात रूपभेद, प्रमाण (सही नाप और संरचना आदि), भाव (भावना), लावण्ययोजना, सादृश्य विधान तथा वर्णिकाभंग ये छ: अंग हैं।
||ईसा पूर्व पहली शताब्दी के लगभग षडंग चित्रकला (छ: अंगों वाली कला) का विकास हुआ। यशोधर पंडित ने 'जयमंगला' नाम से टीका की। कामसूत्र के प्रथम अधिकरण के तीसरे अध्याय की टीका करते हुए पंडित यशोधर ने आलेख (चित्रकला) के छ: अंग बताए हैं- रूपभेदा: प्रमाणिनि भावलावण्ययोजनम्। यादृश्यं वर्णिकाभंग इति चित्र षडंगकम्॥ अर्थात रूपभेद, प्रमाण (सही नाप और संरचना आदि), भाव (भावना), लावण्ययोजना, सादृश्य विधान तथा वर्णिकाभंग ये छ: अंग हैं।


{'फ़ादर ऑफ़ कंम्यूटर' कौन हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-182,प्रश्न-9
{'फ़ादर ऑफ़ कंम्यूटर' कौन हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-182,प्रश्न-9
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+पाब्लो पिकासो
+पाब्लो पिकासो
-मातिस
-मातिस
||पिकासो व ब्राक ने घनवाद को विकसित किया। संभवत: घनवाद का उदय ([[1907]] ई.) पिकासो के सुविख्यात चित्र 'एविगनन की स्त्रियां' (सुंदरियां) (1907 ई..) से हुआ जो कि घनवाद का प्रथम चित्र माना जाता है। यह चित्र एविगनन के वेश्यालय से संबंधित हैं। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है- (1) पिकासो का चित्र 'बेंत की कुर्सी पर वस्तु समूह' ([[1912]]) घनवाद की प्रथम कोलाज कृति है। (2) आकारों के सामर्थ्य को बढ़ावा देने के उद्देश्य से पिकासो ने चमकीले रंगों को छोड़कर [[भूरा रंग|भूरे रंगों]] का प्रयोग किया। (3) पिकासो ने चित्रकला के अतिरिक्त मूर्तिकला, एंग्रेविंग, लीथोग्राफी, सरैमिक्स, कोलाज आदि भिन्न माध्यमों से उत्कृष्ट कलाकृतियों का निर्माण किया। (4) मजाकिया, मुर्गा, धातु की रचना, बिल्ली, बकरी तथा भेड़वाला आदमी आदि पिकासो के मूर्ति शिल्प हैं। (5) पिकासो के प्रमुख चित्र हैं- वायलिन, माता व बालक (मैटरनिटी), युद्ध, शांति आदि।
||पिकासो व ब्राक ने घनवाद को विकसित किया। संभवत: घनवाद का उदय ([[1907]] ई.) पिकासो के सुविख्यात चित्र 'एविगनन की स्त्रियां' (सुंदरियां) ([[1907]] ई.) से हुआ जो कि घनवाद का प्रथम चित्र माना जाता है। यह चित्र एविगनन के वेश्यालय से संबंधित हैं। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) पिकासो का चित्र 'बेंत की कुर्सी पर वस्तु समूह' ([[1912]]) घनवाद की प्रथम कोलाज कृति है। (2) आकारों के सामर्थ्य को बढ़ावा देने के उद्देश्य से पिकासो ने चमकीले रंगों को छोड़कर [[भूरा रंग|भूरे रंगों]] का प्रयोग किया। (3) पिकासो ने चित्रकला के अतिरिक्त मूर्तिकला, एंग्रेविंग, लीथोग्राफी, सरैमिक्स, कोलाज आदि भिन्न माध्यमों से उत्कृष्ट कलाकृतियों का निर्माण किया। (4) मजाकिया, मुर्गा, धातु की रचना, बिल्ली, बकरी तथा भेड़वाला आदमी आदि पिकासो के मूर्ति शिल्प हैं। (5) पिकासो के प्रमुख चित्र हैं- वायलिन, माता व बालक (मैटरनिटी), युद्ध, शांति आदि।


{'पेरिस का निर्णय' का कलाकार कौन था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-139,प्रश्न-10
{'पेरिस का निर्णय' का कलाकार कौन था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-139,प्रश्न-10
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-[[भास]]
-[[भास]]
-[[शुक्राचार्य]]
-[[शुक्राचार्य]]
||ईसा पूर्व पहली शताब्दी के लगभग षडंग चित्रकला (छ: अंगों वाली कला) का विकास हुआ। यशोधर पंडित ने 'जयमंगला' नाम से टीका की। कामसूत्र के प्रथम अधिकरण के तीसरे अध्याय की टीका करते हुए पंडित यशोधर ने आलेख (चित्रकला) के छ: अंग बताए हैं- रूपभेदा: प्रमाणिनि भावलावण्ययोजनम्।यादृश्यं वर्णिकाभंग इति चित्र षडंगकम्॥ अर्थात रूपभेद, प्रमाण (सही नाप और संरचना आदि), भाव (भावना), लावण्ययोजना, सादृश्य विधान तथा वर्णिकाभंग ये छ: अंग हैं।
||ईसा पूर्व पहली शताब्दी के लगभग षडंग चित्रकला (छ: अंगों वाली कला) का विकास हुआ। यशोधर पंडित ने 'जयमंगला' नाम से टीका की। कामसूत्र के प्रथम अधिकरण के तीसरे अध्याय की टीका करते हुए पंडित यशोधर ने आलेख (चित्रकला) के छ: अंग बताए हैं- रूपभेदा: प्रमाणिनि भावलावण्ययोजनम्। यादृश्यं वर्णिकाभंग इति चित्र षडंगकम्॥ अर्थात रूपभेद, प्रमाण (सही नाप और संरचना आदि), भाव (भावना), लावण्ययोजना, सादृश्य विधान तथा वर्णिकाभंग ये छ: अंग हैं।


{विश्व फोटोग्राफी दिवस कब मनाया जाता है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-182,प्रश्न-10
{विश्व फोटोग्राफी दिवस कब मनाया जाता है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-182,प्रश्न-10

13:10, 18 मई 2017 का अवतरण

1 निम्नलिखित कलाकारों में स्वच्छंदतावाद से किसका संबंध है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-114,प्रश्न-7

पिकासो
बेरनिनी
वरमीयर
देलाक्रा

2 पिकासो किसके समय में पैदा हुआ था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-125,प्रश्न-6

फासिज्म
रिनेसांस
घनचित्रण शैली (Cubism)
आभास चित्रण (Imprissionism)

3 भारत में समीक्षावाद किसने स्थापित किया? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-139,प्रश्न-6

आर. एस. बिष्ट
एम. एच. अंसारी
जी. बी. लाल
आ. सी. शुक्ल

4 "कला सहजानुभूति है", किस महान दार्शनिक ने इस तथ्य को स्पष्ट किया? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-152,प्रश्न-6

हीगल
कांट
क्रोचे
प्लेटो

5 नाट्यशास्त्र के प्रणेता कौन हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-154,प्रश्न-6

कालिदास
वात्स्यायन
भरत मुनि
अरस्तु

6 किन दो रंगों को मिलाकर काला रंग बनता है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-158,प्रश्न-7

लाल+नीला
हरा+लाल
कत्थई+नीला
कत्थई+हरा

7 जल रंगीय चित्रों (Wash Painting) को जल में कितनी बार डुबाना चाहिए? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-166,प्रश्न-6

8 बार
10 बार
आवश्यकतानुसार
11 बार

8 भारतीय चित्रकला के षडंग में अनुपात को किस शब्द से परिभाषित किया गया है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-177,प्रश्न-6

सादृश्य
लावण्ययोजना
वर्णिका भंग
प्रमाण

9 एल. सी. डी. मॉनिटर में एल. सी. डी. का क्या अर्थ है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-182,प्रश्न-6

लिक्विड क्रिस्टल डिस्पले
लो कॉस्ट डिजिट
लिक्विड कैडमियम डिस्पले
लो कंजाम्पशन डिस्पले

10 अंग्रेज़ी भाषा के लगभग सभी अक्षर किस अक्षर लिपि से आए हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-188,प्रश्न-37

लैटिन
रोमन लिपि
फ़्रेच
स्वीडिश

11 स्वच्छंदतावाद का वह कौन-सा चित्रकार था, जो चित्रण के लिए घर में लाशें रखा करता था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-115,प्रश्न-8

देलाक्रा
इन्जर्स
थियोडोर जेरीकॉल्ट
माने

12 ब्राक और पिकासो ने जिस शैली को जन्म दिया उसे किस नाम से पुकारा जाता है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-126,प्रश्न-7

फन्तासी
अति यथार्थवाद
घनवाद
प्रभाववाद

13 भारत में प्रोफेसर रामचंद्र शुक्ल किस भारतीय समकालीन कला से संबंधित हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-139,प्रश्न-7

मुग़ल शैली
अजंता शैली
बंगाल शैली
समीक्षावादी शैली

14 पाश्चात्य सौन्दर्यशास्त्र के 'अनुकृति सिद्धांत' (Mimesis Theory) के प्रणेता कौन हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-152,प्रश्न- 7

कांट
हीगेल
प्लेटो
अरिस्टॉटल

15 नाट्यशास्त्र में भरत मुनि ने कितने भावों का विवेचन किया है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-154,प्रश्न-7

42
36
49
45

16 कौन-से रंगों में अधिक भार होता है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-158,प्रश्न-8

ठंडे रंग
जल रंग
तेल रंग
गर्म रग

17 निम्न में से कौन रूपप्रद कला का तत्त्व नहीं है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-166,प्रश्न-7

रेखा
कोलाज
वर्ण
अंतराल

18 षडंग सिद्धान्त किस ग्रंथ में है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-177,प्रश्न-7

कामसूत्र
विष्णुधर्मोत्तर
अपराजितपृच्छा
जयमंगला

19 लेजर प्रिंटिंग में रिजोल्यूशन की इकाई को क्या कहते हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-182,प्रश्न-7

आई. पी. टी.
डी. पी. आई.
टी. पी. आई.
एल. पी. आई.

20 किसने कहा था "मैं यह जानता हूं कि मैं कुछ नहीं जानता"? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-188,प्रश्न-38

सुकरात
प्लेटो
अरस्तू
आगस्टाइन

21 'मेडुसा का बेड़ा' चित्र किसने चित्रित किया? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-115,प्रश्न-9

थियोडोर जेरिकॉल्ट
जांक दावि
मोने
सिसली

22 'मुर्गा' किस कलाकार की मूर्ति है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-126,प्रश्न-8

वान गॉग
एम.एफ. हुसैन
सेजां
पिकासो

23 ऑप आर्ट (Op) कला की शुरुआत किसने की? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-139,प्रश्न-8

एंडी वारहोल
कीथ क्लुजनर
विक्टर वासरली
रूबेन्स

24 अरस्तू के अनुसार कला क्या है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-152,प्रश्न-8

अनुकृति
प्रमाण
अभिव्यक्ति
प्रकृति

25 'रस' उत्पत्ति को सबसे पहले किसने परिभाषित किया? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-154,प्रश्न-8

अरस्तु
अभिनवगुप्त
भरत मुनि
ब्रडले

26 निम्नलिखित में से गरम रंग कौन-सा है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-158,प्रश्न-9

बैंगनी रंग
हरा रंग
लाल रंग
भूरा रंग

27 भारत के उस राज्य का नाम बताइए जहां बड़े आकार में कपड़े पर 'पबूजी का फड़' नामक चित्रकारी चित्रित की जाती है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-167,प्रश्न-8

बिहार
उड़ीसा
राजस्थान
हिमाचल प्रदेश

28 भारतीय चित्रकला के षडंग में अनुपात को किस शब्द से परिभाषित किया गया है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-177,प्रश्न-8

यशोधर कृत जयमंगला में
नारायण मुनि कृत चित्र सूत्र में
राजा भोज कृत समरांगण सूत्र में
बाणभट्ट कृत कादंबरी में

29 एच.टी.एम.एल. इंगित करता है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-182,प्रश्न-8

हाइपर टेक्स्ट मार्क-अप लैंग्विज
हाइपर टेक्स्ट मैनिपुलेशन लैंग्विज
हाइपर टेक्स्ट मैनेजिंग लिंक्स
हाइपर टेक्स्ट मैन्यूपुलेटिंग लिंक्स

30 कश्मीर का शालीमार बाग़ किसने बनवाया था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-188,प्रश्न-39

बाबर
हुमायूं
जहांगीर
शाहजहां

31 'समुद्री जहाज' की दुर्घटना पर बनी पेंटिंग 'मेडुसा का बेड़ा' के कलाकार का क्या नाम था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-115,प्रश्न-10

जेरिकॉल्ट
एलग्रेको
अ‍ॅग्र
गोया

32 'एविगनन सुंदरियां' चित्र किसने चित्रित किया? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-126,प्रश्न-9

मोदिग्लियानी
पिकासो
लोत्रेक
ज्वां ग्रीस

33 किस कलाकार ने अपने चित्रों में बाइबिल के विषयों को मानवतावादी दृष्टि से अनूदित किया था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-139,प्रश्न-9

रेम्ब्रां
रूबेन्स
वान आइक
पिकासो

34 अरस्तू ने कला को क्या कहा था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-152,प्रश्न-9

प्रकृति की नकल
सत्य की अनुकृति
अंत:ज्ञान
भावों की अभिव्यक्ति

35 भरत मुनि के 'रस तत्त्व' के आधारभूत विषय क्या हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-155,प्रश्न-9

रस-कोटि
रस-चेतना
रस-चिंतन
नाट्य में रस की निष्पत्ति

36 लाल रंग किसका प्रतीक है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-158,प्रश्न-10

घृणा
प्रेम
शांतु
पराक्रम

37 किसी संरचना के प्रमुख दो तत्त्व क्या है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-167,प्रश्न-9

रूप और स्थान
वर्ण एवं बनावट
रेखा एवं आकृति
छाया एवं प्रकाश

38 वात्स्यायन रचित कामशास्त्र की व्याख्या या टीका में कला के षडंग का उल्लेख किसने किया है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-178,प्रश्न-9

कालिदास
बाणभट्ट
यशोधर
शूद्रक

39 'फ़ादर ऑफ़ कंम्यूटर' कौन हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-182,प्रश्न-9

हर्मन हालरिथ
बिल गेट्स
मार्क जुकरबर्ग
चार्ल्स बैबेज

40 'संत रैदास' के गुरु का क्या नाम था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-188,प्रश्न-40

रामचंद्र
कबीर दास
शंकर देव
इनमें से कोई नहीं

41 घनवाद का प्रथम चित्र किसका था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-126,प्रश्न-10

एडवर्ड मंच
जॉर्ज रूओल
पाब्लो पिकासो
मातिस

42 'पेरिस का निर्णय' का कलाकार कौन था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-139,प्रश्न-10

रूबेन्स
रेम्ब्रां
डेविड
कुर्बे

43 भारतीय सौंदर्यशास्त्र के प्रथम दार्शनिक कौन थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-152,प्रश्न-10

भट्टलोल्लट
अभिनवगुप्त
भरत मुनि
आनन्दवर्धन

44 'शांत रस' पहली बार किसने प्रस्तुत किया? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-155,प्रश्न-10

भरत मुनि
वात्स्यायन
मार्कण्डेय मुनि
अभिनवगुप्त

45 A4 काग़ज़ का वास्तविक माप क्या है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-166,प्रश्न-10

201x297 मिमी.
297x420 मिमी.
210x287 मिमी.
228x287 मिमी.

46 भारतीय चित्र षडंग के सूत्रधार कौन हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-178,प्रश्न-10

पंडित यशोधर
बाणभट्ट
भास
शुक्राचार्य

47 विश्व फोटोग्राफी दिवस कब मनाया जाता है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-182,प्रश्न-10

5 सितंबर
19 अगस्त
14 नवंबर
7 दिसंबर

48 शेरशाह सूरी का प्रसिद्ध मक़बरा कहाँ है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-188,प्रश्न-41

कलकत्ता
दिल्ली
अजमेर
सासाराम

49 कला समीक्षा से कौन संबंधित हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-196,प्रश्न-81

के.एस. कुलकर्णी
रामेश्वर बरूटा
रतन परिमू
हिम्मत शाह

50 वास्तु-विद्या और सृजन के देवता कौन हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-196,प्रश्न-83

विष्णु
इन्द्र
विश्वकर्मा
गणेश