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रंगमंच के गुजरे जमाने के कलाकार और निर्देशक दिनेश ठाकुर का लम्बी बीमारी के बाद [[20 सितंबर]], [[2012]]) को [[मुबंई]] में निधन हो गया। वे 65 वर्ष के थे। दिनेश 70 के दशक में हिंदी सिनेमा में अपने कैरेक्टर रोल्स के लिए जाने जाते हैं। | रंगमंच के गुजरे जमाने के कलाकार और निर्देशक दिनेश ठाकुर का लम्बी बीमारी के बाद [[20 सितंबर]], [[2012]]) को [[मुबंई]] में निधन हो गया। वे 65 वर्ष के थे। दिनेश 70 के दशक में हिंदी सिनेमा में अपने कैरेक्टर रोल्स के लिए जाने जाते हैं।<ref>{{cite web |url=http://www.khaskhabar.com/hindi-news/Entertainment-dinesh-thakur-is-no-more-22520733.html |title=अभिनेता-निर्देशक दिनेश ठाकुर का निधन |accessmonthday=30 मई |accessyear=2017 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=www.khaskhabar.com |language= हिंदी}}</ref> |
12:30, 30 मई 2017 का अवतरण
कविता बघेल 7
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पूरा नाम | दिनेश ठाकुर |
जन्म | 1947 |
जन्म भूमि | जयपुर, राजस्थान |
मृत्यु | 20 सितंबर, 2012 |
मृत्यु स्थान | मुंबई |
पति/पत्नी | प्रीता माथुर |
कर्म भूमि | मुम्बई |
कर्म-क्षेत्र | सिनेमा |
मुख्य फ़िल्में | मेरे अपने, घर, रजनीगंधा, *परिणय, घर (1978), मधु मालती (1978), गीतांजलि |
शिक्षा | स्नातक |
विद्यालय | दिल्ली विश्वविद्यालय |
पुरस्कार-उपाधि | फ़िल्म फेयर पुरस्कार |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | दिनेश ठाकुर एक पटकथा लेखक और कहानी लेखक के रूप में, वह फ़िल्म 'घर' (1978) की कहानी और पटकथा लिखने के लिए जाने जाते हैं। |
दिनेश ठाकुर (अंग्रेज़ी: Dinesh Thakur, जन्म: 1947, जयपुर, राजस्थान; मृत्यु: 20 सितंबर, 2012 रंगमंच निर्देशक, टेलीविजन, रंगमंच और हिन्दी फ़िल्म अभिनेता थे। बासु चटर्जी की फ़िल्म रजनीगंधा के लिये उन्हें फ़िल्म फेयर पुरस्कार मिला था।
परिचय
दिनेश ठाकुर का जन्म 1947 में जयपुर, राजस्थान, भारत में हुआ था। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोरी मल कॉलेज (केएमसी) से स्नातक किया, जहां वह केएमसी के नाटकीय समाज में सम्मिलित हुए थे। वह ए.एन.के प्रोडक्शन के संस्थापक-निर्देशक थे, जो मुंबई में एक थिएटर कंपनी है, जिसकी स्थापना 1976 में हुयी थी। उनके परिवार में केवल उनकी पत्नी एक्टर प्रीता माथुर हैं।
प्रसिद्धि
दिनेश ठाकुर ने मेरे 'अपने', 'रजनीगंधा' और 'घर' जैसी कई सफल फ़िल्मों में काम किया है। पिछले तीन दशकों से वे ए.एन.के प्रोडक्शन्स के नाम से एक थिएटर ग्रुप चला रहे थे। दिनेश ठाकुर मुख्य रूप से हिंदी फ़िल्मों में किरदार भूमिकाओं के रूप में दिखाई दिए। एक पटकथा लेखक और कहानी लेखक के रूप में, वह फ़िल्म 'घर' (1978) की कहानी और पटकथा लिखने के लिए जाने जाते हैं, जिसने उन्हें 1979 की फ़िल्मफेयर बेस्ट स्टोरी अवार्ड जीता था।
प्रमुख फ़िल्में
- मेरे अपने (1971)
- अनुभ
- जलते बदन (1973)
- रजनीगंधा (1974)
- परिणय
- घर (1978)
- मधु मालती (1978)
- मीरा (1979) जैमल राठोड
- गीतांजलि
- ग्रेह प्रवेश (1979)
टीवी धारावाहिक
- शांति (1994), टी वी श्रृंखला-
- क्योंकि सास भी कभी बहू थी
नाटक
मेरा दिल, जिन लाहौर नई देकिया, तुगलक, खामोश! अदालत जारी है, कमला आदि।
निधन
रंगमंच के गुजरे जमाने के कलाकार और निर्देशक दिनेश ठाकुर का लम्बी बीमारी के बाद 20 सितंबर, 2012) को मुबंई में निधन हो गया। वे 65 वर्ष के थे। दिनेश 70 के दशक में हिंदी सिनेमा में अपने कैरेक्टर रोल्स के लिए जाने जाते हैं।[1]
- ↑ अभिनेता-निर्देशक दिनेश ठाकुर का निधन (हिंदी) www.khaskhabar.com। अभिगमन तिथि: 30 मई, 2017।