"प्रयोग:रिंकू10": अवतरणों में अंतर
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{सर्वाधिक संख्या में रोमन सिक्के कहाँ से पाए गए हैं? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-218,प्रश्न-760 | {सर्वाधिक संख्या में रोमन सिक्के कहाँ से पाए गए हैं?(यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-218,प्रश्न-760 | ||
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-[[केरल]] | -[[केरल]] | ||
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{गुप्त संवत् (319-320) को | {गुप्त संवत् (319-320) को प्रारम्भ करने का श्रेय किसे दिया जाता है?(यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-230,प्रश्न-945 | ||
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-[[श्रीगुप्त]] | -[[श्रीगुप्त]] | ||
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-[[समुद्रगुप्त]] | -[[समुद्रगुप्त]] | ||
-कुमारगुप्त | -कुमारगुप्त | ||
||[[चन्द्रगुप्त प्रथम]] (319-335 ई.) [[भारतीय इतिहास]] के सर्वाधिक प्रसिद्ध राजाओं में से एक था। वह गुप्त शासक [[घटोत्कच (गुप्त काल)|घटोत्कच]] का पुत्र था। चन्द्रगुप्त ने एक 'गुप्त संवत' (319-320 ई.) चलाया, कदाचित इसी तिथि को चंद्रगुप्त प्रथम का राज्याभिषेक हुआ था। चंद्रगुप्त ने, जिसका शासन पहले [[मगध]] के कुछ भागों तक सीमित था, अपने राज्य का विस्तार [[इलाहाबाद]] तक किया। 'महाराजाधिराज' की उपाधि धारण करके इसने [[पाटलिपुत्र]] को अपनी राजधानी बनाया था।{{point}}:-'''अधिक जानकारी के लिए देखें''':-[[चन्द्रगुप्त प्रथम]] | |||
{निम्नलिखित में से कौन-सा स्थल 'त्रिमूर्ति' के लिए विख्यात है? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-225,प्रश्न-862 | {निम्नलिखित में से कौन-सा स्थल 'त्रिमूर्ति' के लिए विख्यात है? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-225,प्रश्न-862 | ||
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+[[एलिफेंटा की गुफ़ाएँ|एलिफेंटा]] | +[[एलिफेंटा की गुफ़ाएँ|एलिफेंटा]] | ||
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||[[एलिफेंटा की गुफ़ाएँ]] [[महाराष्ट्र]] राज्य के [[मुंबई]] शहर में पौराणिक [[देवता|देवताओं]] की अत्यन्त भव्य मूर्तियों के लिए विख्यात है। इन मूर्तियों में त्रिमूर्ति [[शिव]] की मूर्ति सर्वाधिक लोकप्रिय है। ये गुफ़ाएँ मुंबई से 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। एलिफेंटा की गुफ़ाएँ मुम्बई महानगर के पास स्थित पर्यटकों का एक बड़ा आकर्षण केन्द्र हैं।{{point}}:-'''अधिक जानकारी के लिए देखें''':-[[एलिफेंटा की गुफ़ाएँ]] | |||
{[[संगम युग]] में 'वेत्वी' का अर्थ निम्न में से क्या था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-228,प्रश्न-916 | {[[संगम युग]] में 'वेत्वी' का अर्थ निम्न में से क्या था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-228,प्रश्न-916 | ||
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+[[गाय]] का हरण | +[[गाय]] का हरण | ||
-गाय के लिए युद्ध | -गाय के लिए युद्ध | ||
||सुदूर [[दक्षिण भारत]] में [[कृष्णा नदी|कृष्णा]] एवं [[तुंगभद्रा नदी|तुंगभद्रा]] नदियों के बीच के क्षेत्र को '[[तमिल नाडु|तमिल प्रदेश]]' कहा जाता था। इस प्रदेश में अनेक छोटे-छोटे राज्यों का अस्तित्व था, जिनमें [[चेर वंश|चेर]], [[चोल साम्राज्य|चोल]] और [[पांड्य साम्राज्य|पांड्य]] प्रमुख थे। [[दक्षिण भारत]] के इस प्रदेश में [[तमिल भाषा|तमिल]] कवियों द्वारा सभाओं तथा गोष्ठियों का आयोजन किया जाता था। इन गोष्ठियों में विद्वानों के मध्य विभिन्न विषयों पर विचार-विमर्श किया जाता था, इसे ही 'संगम' के नाम से जाना जाता है। 100 ई. से 250 ई. के मध्य दक्षिण भारत में तीन संगमों को आयोजित किया गया। इस युग को ही [[इतिहास]] में "संगम युग" के नाम से जाना जाता है।{{point}}:-'''अधिक जानकारी के लिए देखें''':-[[संगम युग]] | |||
{[[गुप्त काल]] के 18 करों में वह प्रमुख कर कौन-सा था, जो 16 से 25 प्रतिशत तक वसूला जाता था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-234,प्रश्न-1002 | {[[गुप्त काल]] के 18 करों में वह प्रमुख कर कौन-सा था, जो 16 से 25 प्रतिशत तक वसूला जाता था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-234,प्रश्न-1002 | ||
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-तटटोपाट्टम | -तटटोपाट्टम | ||
-चेविकरै | -चेविकरै | ||
||[[चोल साम्राज्य]] का अभ्युदय नौवीं शताब्दी में हुआ और दक्षिण प्राय:द्वीप का अधिकांश भाग इसके अधिकार में था। [[चोल राजवंश|चोल शासकों]] ने [[श्रीलंका]] पर भी विजय प्राप्त कर ली थी और [[मालदीव]] द्वीपों पर भी इनका अधिकार था। कुछ समय तक इनका प्रभाव [[कलिंग]] और [[तुंगभद्रा नदी|तुंगभद्र]] [[दोआब]] पर भी छाया था। इनके पास शक्तिशाली नौसेना थी और ये दक्षिण पूर्वी [[एशिया]] में अपना प्रभाव क़ायम करने में सफल हो सके। चोल साम्राज्य दक्षिण [[भारत]] का निःसन्देह सबसे शक्तिशाली साम्राज्य था। {{point}}:-'''अधिक जानकारी के लिए देखें''':-[[चोल साम्राज्य]] | |||
{निम्नलिखित में से किस शासक को [[बंगाल]] के [[पाल वंश|पालों]] की श्रेष्ठता को नष्ट करने का श्रेय जाता है? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-247,प्रश्न-1170 | {निम्नलिखित में से किस शासक को [[बंगाल]] के [[पाल वंश|पालों]] की श्रेष्ठता को नष्ट करने का श्रेय जाता है? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-247,प्रश्न-1170 | ||
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+[[विजय सेन]] | +[[विजय सेन]] | ||
-[[कुलोत्तुंग प्रथम|कुलोत्तुंग]] | -[[कुलोत्तुंग प्रथम|कुलोत्तुंग]] | ||
||सामंतसेन का पुत्र एवं उत्तराधिकारी [[विजय सेन]] [[सेन वंश]] का पराक्रमी शासक हुआ। उसने [[बंगाल]] को पुनः पूर्ण राजनीतिक एकता प्रदान की। [[कलिंग]], कामरूप एवं [[मगध]] को जीत कर विजय सेन ने अपने राज्य की सीमाओं का विस्तार किया। उसका सबसे महत्त्वपूर्ण अभिलेख 'देवपाड़ा अभिलेख' है जिसमें उसके सीमा विस्तार तथा विजयों का उल्लेख मिलता है। | |||
{निम्नलिखित में से कौन-सा [[ग्रंथ]] पाली धर्मग्रंथ नहीं हैं? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-202,प्रश्न-487 | {निम्नलिखित में से कौन-सा [[ग्रंथ]] पाली धर्मग्रंथ नहीं हैं? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-202,प्रश्न-487 |
12:30, 11 नवम्बर 2017 का अवतरण
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