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{किस देश में एक दलीय पद्धति है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-105,प्रश्न-6 | {किस देश में एक दलीय पद्धति है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-105,प्रश्न-6 | ||
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-भारतवर्ष | -[[भारत|भारतवर्ष]] | ||
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{हेयर प्रणाली का संबंध है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-110,प्रश्न-3 | {हेयर प्रणाली का संबंध है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-110,प्रश्न-3 | ||
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- | -सूची निर्वाचन पद्धति से | ||
-सार्वभौम मताधिकार से | -सार्वभौम मताधिकार से | ||
-कार्यात्मक प्रतिनिधित्व से | -कार्यात्मक प्रतिनिधित्व से | ||
+एकल संक्रमणीय पद्धति से | +एकल संक्रमणीय पद्धति से | ||
||एकल संक्रमणीय पद्धति को 'हेयर प्रणाली' के नाम से भी जाना जाता है। एकल संक्रमणीय मत प्रणाली में प्रत्येक | ||एकल संक्रमणीय पद्धति को 'हेयर प्रणाली' के नाम से भी जाना जाता है। एकल संक्रमणीय मत प्रणाली में प्रत्येक मतदाता वोट तो एक ही देगा किंतु वह मतदाता पत्र कर अपनी पसंद 1,2,3,4 लिखकर वरीयताक्रम में प्रदर्शित करेगा कि वह किस क्रम में उम्मीदवारों को पसंद करता है, चाहे कितने ही प्रत्याशी क्यों न खड़े हों। इसमें निर्वाचन क्षेत्र में न्यूनतम 3 सदस्य होने चाहिए। एकल संक्रमणीय प्रणाली अल्पसंख्यकों को प्रतिनिधित्व देने की पद्धतियों में से सबसे अच्छी मानी जाती है। | ||
{निम्न में से कौन-सा भारत का स्टाफ अभिकरण नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-133,प्रश्न-27 | {निम्न में से कौन-सा [[भारत]] का स्टाफ अभिकरण नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-133,प्रश्न-27 | ||
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-मंत्रिमंडलीय सचिवालय | -मंत्रिमंडलीय सचिवालय | ||
- | -प्रधानमंत्री कार्यालय | ||
-योजना आयोग | -योजना आयोग | ||
+रेल मंत्रालय | +रेल मंत्रालय | ||
{भारतीय संविधान के अनुसार संसद की बैठक एक साल में कम से कम कितनी बार होनी चाहिए? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-139,प्रश्न-16 | {[[भारतीय संविधान]] के अनुसार [[संसद]] की बैठक एक साल में कम से कम कितनी बार होनी चाहिए? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-139,प्रश्न-16 | ||
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-एक बारा | -एक बारा | ||
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+नगर निगम की | +नगर निगम की | ||
-सरकारी उद्योग की | -सरकारी उद्योग की | ||
||अनुच्छेद 149 के अनुसार, मुख्य लेखा अधिकारी (नियंत्रक महालेखा परीक्षक) के दो प्रमुख कर्त्तव्य हैं- (1) एकाउन्टेंट के रूप में वह भारत की संचित निधि से निकाली जाने वाली सभी रकमों पर नियंत्रण रखता है, (2) ऑडीटर के रूप में वह संघ और राज्यों के सभी खर्चों की लेखा- परीक्षा करता है। इनमें सरकारी उपक्रमों के आय-व्यय की लेखा-परीक्षा भी सम्मिलित है। | ||अनुच्छेद 149 के अनुसार, मुख्य लेखा अधिकारी (नियंत्रक महालेखा परीक्षक) के दो प्रमुख कर्त्तव्य हैं- (1) एकाउन्टेंट के रूप में वह [[भारत]] की संचित निधि से निकाली जाने वाली सभी रकमों पर नियंत्रण रखता है, (2) ऑडीटर के रूप में वह संघ और राज्यों के सभी खर्चों की लेखा- परीक्षा करता है। इनमें सरकारी उपक्रमों के आय-व्यय की लेखा-परीक्षा भी सम्मिलित है। | ||
{निर्वाचान के बाद, सरपंच के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत किया जा सकता है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-186,प्रश्न-6 | {निर्वाचान के बाद, सरपंच के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत किया जा सकता है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-186,प्रश्न-6 | ||
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-1 वर्ष बाद | -1 वर्ष बाद | ||
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||निर्वाचन के बाद, सरपंच के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव 2 वर्ष बाद ही प्रस्तुत किया जा सकता है। सरपंच के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत करने के लिए ग्राम पंचायत के कुल | ||निर्वाचन के बाद, सरपंच के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव 2 वर्ष बाद ही प्रस्तुत किया जा सकता है। सरपंच के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत करने के लिए [[ग्राम पंचायत]] के कुल मतदाताओं का न्यूनतम पांचवां भाग अर्थात 20% मतदाताओं के हस्ताक्षर से युक्त एक आवेदन पत्र जिला पंचायत राज अधिकारी को दिया जाता है। जिला पंचायत राज अधिकारी 15 दिन के भीतर ग्राम सभा की एक विशेष बैठक का आयोजन करते हैं जिसकी अध्यक्षता जिला पंचायत राज अधिकारी स्वयं करते हैं। इस बैठक में दो तिहाई बहुमत से अविश्वास प्रस्ताव पारित करके सरपंथ को हटाया जा सकता है परंतु अविश्वास प्रस्ताव पारित न होने की दशा में पुन: इस दिन से अगले एक वर्ष की अवधि तक सरपंथ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया सकता है। सरपंथ के कार्यकाल के अंतिम छ: माह की अवधि में भी अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता है। | ||
{निम्नलिखित में से कौन-से तत्व भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-189,प्रश्न-6 | {निम्नलिखित में से कौन-से तत्व भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-189,प्रश्न-6 | ||
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-जाति | -[[जाति]] | ||
-धर्म | -[[धर्म]] | ||
-क्षेत्र | -क्षेत्र | ||
+उपर्युक्त दोनों | +उपर्युक्त दोनों | ||
||भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में जाति, धर्म, भाषा एवं क्षेत्र महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये तत्व भारतीय राजनीतिक व्यवस्था को निर्धारित एवं प्रभावित करते हैं। | ||भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में जाति, [[धर्म]], [[भाषा]] एवं क्षेत्र महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये तत्व भारतीय राजनीतिक व्यवस्था को निर्धारित एवं प्रभावित करते हैं। | ||
{राजनीतिक अधिकारों में किसे सम्मिलित नहीं करते? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-91,प्रश्न-18 | {राजनीतिक अधिकारों में किसे सम्मिलित नहीं करते? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-91,प्रश्न-18 | ||
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-मतदान | -[[मतदान]] | ||
-सरकार का विरोध करना | -सरकार का विरोध करना | ||
-निर्वाचित होना | -निर्वाचित होना | ||
+काम पाना | +काम पाना | ||
||मतदान, सरकार का विरोध करना, विरोचित होना आदि राजनीतिक अधिकारों में सम्मिलित हैं जबकि 'काम पाना' इसमें सम्मिलित नहीं है। | ||[[मतदान]], सरकार का विरोध करना, विरोचित होना आदि राजनीतिक अधिकारों में सम्मिलित हैं जबकि 'काम पाना' इसमें सम्मिलित नहीं है। | ||
</quiz> | </quiz> | ||
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11:36, 29 नवम्बर 2017 का अवतरण
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