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जन्म: 1957
जन्म: 19 नवंबर 1959


व्यवसाय/पद/कार्य: एचएसबीसी की भारत प्रमुख
व्यवसाय/पद: अमलगमेशंस ग्रुप की सिरमौर कंपनी टैफे की चेयरपर्सन-सीईओ।


नैना लाल किदवई एक वरिष्ठ भारतीय बैंक कर्मी हैं। वर्तमान में वह हांगकांग एंड शांघाई (एच एस बी सी) बैंक की भारतीय शाखा की मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं। प्रसिद्ध उद्योग पत्रिका ‘फोर्ब्स’ उन्हें 2000 से 2003 तक दुनिया की शीर्ष 50 कॉरपोरेट महिलाओं में शामिल कर चुकी है। फार्च्यून की ‘ग्लोबल लिस्ट ऑफ टॉप वुमेन’ में भी वह शामिल रह चुकी हैं। इसके अलावा ‘वॉल स्ट्रीट जर्नल’ इन्हें 2006 में ग्लोबल वुमेन लिस्ट में शामिल कर चुका है और भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया है। नैना हावर्ड बिजनेस स्कूल से एमबीए करने वाली पहली भारतीय महिला हैं। नैना के बचपन का एक दिलचस्प वाकया इस प्रकार है। बचपन में एक दिन एक प्रसिद्ध बीमा कंपनी में बतौर सीईओ कार्यरत अपने पिता की कुर्सी पर बैठीं नैना के दिमाग में भी किसी कंपनी का प्रमुख बनने की इच्छा जगी| इसी धुन का नतीजा है कि आज वे बैंकिंग क्षेत्र की अग्रणी कंपनी ‘एचएसबीसी’ (हांगकांग एंड शंघाई बैंकिंग कोरपोरेशन लिमिटेड) की भारत प्रमुख और डायरेक्टर हैं.
उपलब्धि: 2014 में पद्मश्री सम्मान, एशिया की 50 पावरफुल बिजनेस वुमन में शुमार, बीबीसी एवं इकोनामिक टाइम्स द्वारा बिजनेस वुमेन ऑफ द ईयर अवार्ड ।


प्रारंभिक जीवन
'''मल्लिका श्रीनिवासन''' ([[अंग्रेजी]]: Mallika Srinivasan, जन्म: [[19 नवंबर]], [[1959]], [[चेन्नई]]‌) ट्रैक्टरएंड फॉर्म इक्यूपमेंट (टैफे) लिमिटेड की चेयरमैन तथा भारत की सबसे प्रभावी महिला बिजनेस लीडर्स में से एक हैं। मल्लिका ने वाजिब दाम में क्वालिटी ट्रैक्टर बनाकर दुनिया भर में प्रसिद्धि अर्जित की है। व्हॉर्टन स्कूल ऑफ बिजनेस से एमबीए, मल्लिका AGCO कारपोरेशन और टाटा स्टील के साथ-साथ टाटा ग्लोबल बेवरेजेज के बोर्ड की सदस्य भी हैं। लीडरशिप और उद्यमिता के लिए उन्हें बीबीसी ने ‘फर्स्ट बिजनेस वूमेन ऑफ ईयर अवॉर्ड फॉर इंडिया’ से सम्मानित किया है। मशहूर पत्रिका फ़ोर्ब्स इंडिया ने उनको एशिया के टॉप-50 बिजनेस वीमेन की सूची में और फॉरच्यून इंडिया ने [[भारत]] की दूसरी सबसे शक्तिशाली महिलाओं की सूची में शामिल किया है। इसके अलावा इकोनॉमिक्स टाइम्स (बिजनेस वीमेन ऑफ ईयर), बिजनेस टुडे (पावरफुल वीमेन ऑफ इंडिया), और एनडीटीवी (बिजनेस थॉट लीडर) ने भी सम्मानित किया है। ‘टी वी इस मोटर्स’ के सी एम डी वेणु श्रीनिवासन उनके पति हैं।


नैना का जन्म वर्ष 1957 में भारत में हुआ। उनकी प्रारंभिक स्कूल की शिक्षा शिमला शहर में हुई। इसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातक की उपाधि प्राप्त किया और एम.बी.ए. करने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल गईं। हावर्ड बिजनेस स्कूल से एमबीए करने वाली पहली भारतीय महिला हैं। वह भारत में किसी विदेशी बैंक का मार्गदर्शन करने वाली प्रथम महिला हैं। वह एक अर्हताप्राप्त ‘चार्टर्ड अकाउंटेंट’ भी हैं। नैना सी ए जी (कैग) के ऑडिट एडवाइजरी बोर्ड में भी रह चुकी हैं।
==जीवन परिचय==
[[19 नवंबर]] [[1959]] को जन्मी, मल्लिका दक्षिण भारतीय उद्योगपति शिवशैलम की सबसे बड़ी बेटी हैं। [[मद्रास विश्वविद्यालय]] से एमए करने के बाद वह आगे की पढ़ाई करने के लिए विदेश चली गयीं। उन्होंने अमेरिका के पेनसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के व्हार्टन स्कूल से एमबीए किया। [[भारत]] वापस आने के बाद वह परिवार के व्यवसाय में शामिल हो गयीं।
==कॅरियर==
27 साल की उम्र में वर्ष 1986 में वह टैफे में शामिल हो गयीं। कंपनी में शामिल होने के बाद मल्लिका ने शुरू से ही सहज व सात्विक कारोबारी रणनीति अपनाई। जब उन्होंने ने टैफे ज्वाइन किया था उस समय कंपनी का टर्नओवर लगभग 85 करोड़ रूपए था और आज के समय में यह बढ़कर लगभग 160 करोड़ अमेरिकी डॉलर हो गया है। अपने पिता और टैफे टीम के समर्थन और मार्गदर्शन से मल्लिका एक के बाद एक सकारात्मक परिवर्तन लाती गयीं और धीरे-धीरे टैफे ने अपने कारोबार को बहुत क्षेत्रों में डाइवर्सिफाई कर लिया जिसमें प्रमुख हैं ट्रैक्टर, कृषि मशीनरी, डीजल इंजन, इंजीनियरिंग प्लास्टिक, हाइड्रोलिक पंपों और सिलेंडर, बैटरी, ऑटोमोबाइल फ्रेंचाइजी और वृक्षारोपण।
अपनी कड़ी मेहनत, विश्वास और लगन से मल्लिका ने टैफे को एक ऐसी कंपनी बना दिया जो उच्च तकनीक पर आधारित थी। हालाँकि ये सब उतना आसान नहीं था, जितना आज दिखाई देता है। एक समय ऐसा भी आया जब उनको चुनौतियों का सामना भी करना पड़ा।
उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती थी ट्रैक्टर की पुरानी तकनीक को बदलना। मल्लिका कहती हैं, “भारतीय किसान डिमांडिंग हैं और अपना पैसा खर्च करने के मामले में अत्यंत चतुर। हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती थी ट्रैक्टर की सालों पुरानी तकनीक, डिजाइन व मॉडल को बदलना। उनमें नए-नए फीचर्स जोड़ना, पर लागत व मूल्य न बढ़ने देना।’’
90 के दशक में ट्रैक्टर मार्केट भी मंदी की गिरफ्त में आ गया। ऐसे कठिन समय में मल्लिका ने  सूझ-बूझ का परिचय दिया और बिजनेस ग्रोथ, टर्न ओवर व मार्जिन को दांव पर लगाकर प्रोडक्शन घटा दिया। उन्होंने अपने डीलर्स को विश्वास दिलाया कि कंपनी प्रतिकूल परिस्थितियों में भी उनके साथ है। इस सोच ने टैफे की मार्केट में साख बढ़ाई।


कैरियर
वर्ष  [[2005]] में उन्होंने आयशर के ट्रैक्टर्स इंजन व गीयर्स कारोबार को खरीद लिया। इससे टैफे को दो फायदे हुए। एक, कम हॉर्स पावर के ट्रैक्टर मार्केट में एंट्री मिली और दूसरे, अमेरिकी बाजार में घुसपैठ हुई। इस अधिग्रहण के साथ कंपनी दक्षिण भारतीय न रहकर राष्ट्रीय बन गई और टैफे ट्रैक्टर मार्केट में दूसरे (प्रथम महिंद्रा एंड महिंद्रा) नंबर पर आ गया। कंपनी का कारोबार लगभग 67 देशों में पहुंचा। वन बिलियन डॉलर कंपनी बनने के साथ-साथ टैफे ट्रैक्टर व फार्म इक्विपमेंट उद्योग की ग्लोबल खिलाड़ी बन गई।


वर्ष 1982 से लेकर 1994 तक उन्होंने ‘एएनज़ेड ग्रिंडलेज’ में कार्य किया जहाँ नैना ने ‘इन्वेस्टमेंट बैंक’, ‘ग्लोबल एन आर ऑय सर्विसेज’ और ‘रिटेल बैंकिंग’ (पश्चिमी भारत) के प्रमुख के तौर पर कार्य किया। 1994 से लेकर 2002 तक उन्होंने  ‘मोर्गन स्टेनले’ और ‘जे एम मोर्गन स्टेनले’ में ‘इन्वेस्टमेंट बैंकिंग’ के प्रमुख के तौर पर कार्य किया| वर्ष 1982 से लेकर 1994 तक उन्होंने स्टैण्डर्ड चार्टर्ड बैंक में भी कार्य किया और 1984 से 1991 तक ‘रिटेल बैंकिंग’ में मुख्य प्रबंधक रहीं। वर्ष 1989  से 1991 तक नैना ने ‘इन्वेस्टमेंट बैंक इंडिया’ में मुख्य प्रबंधक और प्रमुख के तौर पर कार्य किया। सन 1987 से 1989 तक वो ‘इन्वेस्टमेंट बैंक’ के उत्तर भारत का प्रबंधक रहीं। उन्होंने ‘प्राइस वाटरहॉउस कूपर्स’ में भी 1977 से 1980 तक कार्य किया। इस प्रकार धीरे-धीरे नैना सफलता का पायदान चढ़ती रहीं।
मल्लिका ने उद्योग भारतीय उद्योग जगत के कई संघों जैसे ‘ट्रैक्टर मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया’ और ‘मद्रास चैंबर ऑफ़ कॉमर्स’ का नेतृत्व किया है और भारतीय उद्योग परिसंघ, भारतीय विदेश व्यापार संस्थान जैसे संघों में विभिन्न पदों पर कार्य किया है


इसके बाद वो एचएसबीसी से जुडीं और इनवैस्टमेंट बैंक को ऊपर उठाया। अपने मेहनत, लगन और प्रतिभा के बल पर नैना एचएसबीसी बैंक में एक के बाद एक नए मुकाम हासिल करती रहीं| ‘न्यू यॉर्क स्टॉक एक्सचेंज’ पर प्रसिद्ध भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनी ‘विप्रो’ की लिस्टिंग में भी उनका अहम योगदान रहा। उन्होंने भारत के दो प्रसिद्ध औद्योगिक घरानों ‘टाटा’ और ‘बिरला’ के मध्य समझौता कराकर संपूर्ण भारत में मोबाइल फ़ोन सेवा के प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
मल्लिका श्रीनिवासन के नेतृत्व में टैफे विश्व की शीर्ष तीन ट्रैक्टर विनिर्माता और भारत की सबसे बड़ी ट्रैक्टर निर्यातक कंपनी के रूप में उभरकर सामने आई है। भारतीय उद्योग और शैक्षणिक क्षेत्र में अपने योगदान के कारण सुश्री मल्लिका एक प्रतिष्ठित नाम है। उन्हें आपरेशंस में सर्वोत्कृष्टता, कृषि मशीनरी बिजनेस पुनर्परिभाषित करने और उच्च गुणवत्तायुक्त व प्रासंगिक उत्पाद प्रदान करने की टीएएफई की क्षमताओं का लाभ उठाकर भारतीय कृषि के क्षेत्र में परिवर्तन लाने व ग्राहक फोकस के लिए अपनी प्रतिबद्धता के लिए जाना जाता है।
 
==समाज सेवा के कार्य==
निजी जीवन
[[भारत]] में शिक्षा और स्वास्थ्य के विकास को सुनिश्चित करने में उनकी खास रुचि है और इसी दिशा में उन्होंने शंकर नेत्रालय, [[चेन्नई]], में कैंसर अस्पताल और तिरुनेलवेली जिले में शैक्षिक और स्वास्थ्य सुविधाओं से जुड़े हुए कई संगठनों की मदद की है।
 
==पुरस्कार और सम्मान==
नैना किदवई के पिता एक बीमा कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी थे और उनकी माँ उद्योगपति ललित मोहन थापर की बहन थीं। उनके पति राशिद किदवई हैं जो ‘ग्रासरूट ट्रेडिंग नेटवर्क फॉर वीमेन’ नामक एक NGO चलाते हैं। वे दो बच्चों की माँ हैं और संयुक्त परिवार में रहती हैं। नैना को भारतीय शास्त्रीय संगीत और पश्चिमी संगीत का बहुत शौक है। उन्हें ट्रेकिंग का भी शौक है और हिमालय में ट्रेकिंग पर जाना पसंद है। वो एक प्रकृति प्रेमी भी हैं और वन्य जीवन के अवलोकन में गहरी रुचि रखती हैं। अपने करियर के बारे में उनका कहना है, “मुझे अपने आप पर हमेशा विश्वास रहा है। फलस्वरूप मैं अपने उद्देश्य में हमेशा कामयाब रही हूँ। आप को अपने सपने के साथ अपने उद्देश्य को जोड़ देना चाहिए और परिणाम के बारे चिंता नहीं करनी चाहिए। यही वजह है की मैं अपने क्षेत्र में कामयाब रही।”
भारतीय  अर्थव्यवस्था में उनके योगदान के लिए उनको ढेर सारे पुरस्कार और सम्मान दिए गए हैं। वे इस प्रकार हैं:
 
*[[1999]] में बी बी सी द्वारा ‘फर्स्ट बिज़नेस वीमेन ऑफ़ द ईयर अवार्ड फॉर इंडिया’
सम्मान और पुरस्कार
*[[2005]] मे ज़ी अस्तित्व पुरस्कार
 
*[[2005]] में आईआईएम लखनऊ (विजयपत सिंघानिया पुरस्कार) द्वारा ‘नेशनल लीडरशिप पुरस्कार’
देश के आर्थिक परिदृश्य और अर्थव्यवस्था में उनके महत्त्वपूर्ण योगदान के लिए नैना को अनेकों पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।
*[[2005]]-[[2006]] में इकनोमिक टाइम्स द्वारा ‘बिज़नेस वुमन ऑफ़ थे ईयर’
*प्रसिद्ध पत्रिका ‘फोर्ब्स’ ने उन्हें 2000 से 2003 तक दुनिया की शीर्ष 50 कॉरपोरेट महिलाओं में शामिल किया।
*[[2007]] में पेनसिलवेनिया विश्वविद्यालय के व्हार्टन स्कूल ऑफ़ बिज़नेस ने उन्हें 125 सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों की सूचि में शामिल किया
*फार्च्यून ने ‘ग्लोबल लिस्ट ऑफ टॉप वुमेन’ में शामिल किया।
*[[2004]]-[[2010]]: बिज़नेस टुडे द्वारा ’25 मोस्ट पावरफुल वीमेन इन इंडियन बिज़नेस’ के सूचि में लगातार 7 साल तक रहीं
*फोर्च्यून’ पत्रिका ने उन्हें एशिया की तीसरी बिजनेस विमन का खिताब दिया।
*[[2010]] में [[मद्रास विश्वविद्यालय]] द्वारा ‘वीमेन’स डे अवार्ड’ दिया गया
*‘वॉल स्ट्रीट जर्नल’ ने इन्हें 2006 में ग्लोबल वुमेन लिस्ट में शामिल किया किया।
*[[2010]] में इंडिया टुडे द्वारा ’25 पावर वीमेन’ के सूचि में शामिल
*वर्ष 2007 भारत सरकार उन्हें पद्मश्री से सम्मानित कर चुकी है।
*[[2010]] में द इकनोमिक टाइम्स ने उन्हें ‘इंडिया इंक मोस्ट पावरफुल वीमेन लीडर्स’ चुना
*वर्ष 2012 में उन्हें फिक्की (फैडरेशन औफ इंडियन चैंबर्स औफ कौमर्स ऐंड इंडस्ट्री) का अध्यक्ष चुना गया।
*[[2011]] में अर्न्स्ट एंड यंग ने ‘एंट्रेप्रेनुएर ऑफ़ द ईयर’ चुना
*[[2012]] में फ़ोर्ब्स एशिया पत्रिका ने उन्हें एशिया के ’50 पावर वीमेन’ के सूचि में रखा
*[[2012]] में द इकनोमिक टाइम्स ने उन्हें ‘इंडिया इंक्स मोस्ट पावरफुल CEOs 2012′ और ‘टॉप वीमेन CEOs’ चुना
*[[2012]] में फ़ोर्ब्स इंडिया ने उन्हें ‘फ़ोर्ब्स इंडिया लीडरशिप अवार्ड्स 2012′ में ‘वीमेन लीडर ऑफ़ द ईयर’ चुना
*[[2012]] में फार्च्यून इंडिया ने उन्हें ‘इंडिया’ज़ मोस्ट पावरफुल वीमेन इन बिज़नेस’ की सूचि में दूसरे स्थान पर रखा
*[[2013]] में ‘एनडीटीवी प्रॉफिट बिज़नेस लीडरशिप अवार्ड्स’ में उन्हें ‘बिज़नेस थॉट लीडर ऑफ़ द ईयर 2012′ चुना गया
*[[2014]] में [[भारत सरकार]] ने उन्हें ‘[[पद्म श्री]]’ से सम्मानित किया

12:28, 2 दिसम्बर 2017 का अवतरण

जन्म: 19 नवंबर 1959

व्यवसाय/पद: अमलगमेशंस ग्रुप की सिरमौर कंपनी टैफे की चेयरपर्सन-सीईओ।

उपलब्धि: 2014 में पद्मश्री सम्मान, एशिया की 50 पावरफुल बिजनेस वुमन में शुमार, बीबीसी एवं इकोनामिक टाइम्स द्वारा बिजनेस वुमेन ऑफ द ईयर अवार्ड ।

मल्लिका श्रीनिवासन (अंग्रेजी: Mallika Srinivasan, जन्म: 19 नवंबर, 1959, चेन्नई‌) ट्रैक्टरएंड फॉर्म इक्यूपमेंट (टैफे) लिमिटेड की चेयरमैन तथा भारत की सबसे प्रभावी महिला बिजनेस लीडर्स में से एक हैं। मल्लिका ने वाजिब दाम में क्वालिटी ट्रैक्टर बनाकर दुनिया भर में प्रसिद्धि अर्जित की है। व्हॉर्टन स्कूल ऑफ बिजनेस से एमबीए, मल्लिका AGCO कारपोरेशन और टाटा स्टील के साथ-साथ टाटा ग्लोबल बेवरेजेज के बोर्ड की सदस्य भी हैं। लीडरशिप और उद्यमिता के लिए उन्हें बीबीसी ने ‘फर्स्ट बिजनेस वूमेन ऑफ ईयर अवॉर्ड फॉर इंडिया’ से सम्मानित किया है। मशहूर पत्रिका फ़ोर्ब्स इंडिया ने उनको एशिया के टॉप-50 बिजनेस वीमेन की सूची में और फॉरच्यून इंडिया ने भारत की दूसरी सबसे शक्तिशाली महिलाओं की सूची में शामिल किया है। इसके अलावा इकोनॉमिक्स टाइम्स (बिजनेस वीमेन ऑफ ईयर), बिजनेस टुडे (पावरफुल वीमेन ऑफ इंडिया), और एनडीटीवी (बिजनेस थॉट लीडर) ने भी सम्मानित किया है। ‘टी वी इस मोटर्स’ के सी एम डी वेणु श्रीनिवासन उनके पति हैं।

जीवन परिचय

19 नवंबर 1959 को जन्मी, मल्लिका दक्षिण भारतीय उद्योगपति शिवशैलम की सबसे बड़ी बेटी हैं। मद्रास विश्वविद्यालय से एमए करने के बाद वह आगे की पढ़ाई करने के लिए विदेश चली गयीं। उन्होंने अमेरिका के पेनसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के व्हार्टन स्कूल से एमबीए किया। भारत वापस आने के बाद वह परिवार के व्यवसाय में शामिल हो गयीं।

कॅरियर

27 साल की उम्र में वर्ष 1986 में वह टैफे में शामिल हो गयीं। कंपनी में शामिल होने के बाद मल्लिका ने शुरू से ही सहज व सात्विक कारोबारी रणनीति अपनाई। जब उन्होंने ने टैफे ज्वाइन किया था उस समय कंपनी का टर्नओवर लगभग 85 करोड़ रूपए था और आज के समय में यह बढ़कर लगभग 160 करोड़ अमेरिकी डॉलर हो गया है। अपने पिता और टैफे टीम के समर्थन और मार्गदर्शन से मल्लिका एक के बाद एक सकारात्मक परिवर्तन लाती गयीं और धीरे-धीरे टैफे ने अपने कारोबार को बहुत क्षेत्रों में डाइवर्सिफाई कर लिया जिसमें प्रमुख हैं ट्रैक्टर, कृषि मशीनरी, डीजल इंजन, इंजीनियरिंग प्लास्टिक, हाइड्रोलिक पंपों और सिलेंडर, बैटरी, ऑटोमोबाइल फ्रेंचाइजी और वृक्षारोपण। अपनी कड़ी मेहनत, विश्वास और लगन से मल्लिका ने टैफे को एक ऐसी कंपनी बना दिया जो उच्च तकनीक पर आधारित थी। हालाँकि ये सब उतना आसान नहीं था, जितना आज दिखाई देता है। एक समय ऐसा भी आया जब उनको चुनौतियों का सामना भी करना पड़ा। उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती थी ट्रैक्टर की पुरानी तकनीक को बदलना। मल्लिका कहती हैं, “भारतीय किसान डिमांडिंग हैं और अपना पैसा खर्च करने के मामले में अत्यंत चतुर। हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती थी ट्रैक्टर की सालों पुरानी तकनीक, डिजाइन व मॉडल को बदलना। उनमें नए-नए फीचर्स जोड़ना, पर लागत व मूल्य न बढ़ने देना।’’ 90 के दशक में ट्रैक्टर मार्केट भी मंदी की गिरफ्त में आ गया। ऐसे कठिन समय में मल्लिका ने सूझ-बूझ का परिचय दिया और बिजनेस ग्रोथ, टर्न ओवर व मार्जिन को दांव पर लगाकर प्रोडक्शन घटा दिया। उन्होंने अपने डीलर्स को विश्वास दिलाया कि कंपनी प्रतिकूल परिस्थितियों में भी उनके साथ है। इस सोच ने टैफे की मार्केट में साख बढ़ाई।

वर्ष 2005 में उन्होंने आयशर के ट्रैक्टर्स इंजन व गीयर्स कारोबार को खरीद लिया। इससे टैफे को दो फायदे हुए। एक, कम हॉर्स पावर के ट्रैक्टर मार्केट में एंट्री मिली और दूसरे, अमेरिकी बाजार में घुसपैठ हुई। इस अधिग्रहण के साथ कंपनी दक्षिण भारतीय न रहकर राष्ट्रीय बन गई और टैफे ट्रैक्टर मार्केट में दूसरे (प्रथम महिंद्रा एंड महिंद्रा) नंबर पर आ गया। कंपनी का कारोबार लगभग 67 देशों में पहुंचा। वन बिलियन डॉलर कंपनी बनने के साथ-साथ टैफे ट्रैक्टर व फार्म इक्विपमेंट उद्योग की ग्लोबल खिलाड़ी बन गई।

मल्लिका ने उद्योग भारतीय उद्योग जगत के कई संघों जैसे ‘ट्रैक्टर मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया’ और ‘मद्रास चैंबर ऑफ़ कॉमर्स’ का नेतृत्व किया है और भारतीय उद्योग परिसंघ, भारतीय विदेश व्यापार संस्थान जैसे संघों में विभिन्न पदों पर कार्य किया है

मल्लिका श्रीनिवासन के नेतृत्व में टैफे विश्व की शीर्ष तीन ट्रैक्टर विनिर्माता और भारत की सबसे बड़ी ट्रैक्टर निर्यातक कंपनी के रूप में उभरकर सामने आई है। भारतीय उद्योग और शैक्षणिक क्षेत्र में अपने योगदान के कारण सुश्री मल्लिका एक प्रतिष्ठित नाम है। उन्हें आपरेशंस में सर्वोत्कृष्टता, कृषि मशीनरी बिजनेस पुनर्परिभाषित करने और उच्च गुणवत्तायुक्त व प्रासंगिक उत्पाद प्रदान करने की टीएएफई की क्षमताओं का लाभ उठाकर भारतीय कृषि के क्षेत्र में परिवर्तन लाने व ग्राहक फोकस के लिए अपनी प्रतिबद्धता के लिए जाना जाता है।

समाज सेवा के कार्य

भारत में शिक्षा और स्वास्थ्य के विकास को सुनिश्चित करने में उनकी खास रुचि है और इसी दिशा में उन्होंने शंकर नेत्रालय, चेन्नई, में कैंसर अस्पताल और तिरुनेलवेली जिले में शैक्षिक और स्वास्थ्य सुविधाओं से जुड़े हुए कई संगठनों की मदद की है।

पुरस्कार और सम्मान

भारतीय अर्थव्यवस्था में उनके योगदान के लिए उनको ढेर सारे पुरस्कार और सम्मान दिए गए हैं। वे इस प्रकार हैं:

  • 1999 में बी बी सी द्वारा ‘फर्स्ट बिज़नेस वीमेन ऑफ़ द ईयर अवार्ड फॉर इंडिया’
  • 2005 मे ज़ी अस्तित्व पुरस्कार
  • 2005 में आईआईएम लखनऊ (विजयपत सिंघानिया पुरस्कार) द्वारा ‘नेशनल लीडरशिप पुरस्कार’
  • 2005-2006 में इकनोमिक टाइम्स द्वारा ‘बिज़नेस वुमन ऑफ़ थे ईयर’
  • 2007 में पेनसिलवेनिया विश्वविद्यालय के व्हार्टन स्कूल ऑफ़ बिज़नेस ने उन्हें 125 सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों की सूचि में शामिल किया
  • 2004-2010: बिज़नेस टुडे द्वारा ’25 मोस्ट पावरफुल वीमेन इन इंडियन बिज़नेस’ के सूचि में लगातार 7 साल तक रहीं
  • 2010 में मद्रास विश्वविद्यालय द्वारा ‘वीमेन’स डे अवार्ड’ दिया गया
  • 2010 में इंडिया टुडे द्वारा ’25 पावर वीमेन’ के सूचि में शामिल
  • 2010 में द इकनोमिक टाइम्स ने उन्हें ‘इंडिया इंक मोस्ट पावरफुल वीमेन लीडर्स’ चुना
  • 2011 में अर्न्स्ट एंड यंग ने ‘एंट्रेप्रेनुएर ऑफ़ द ईयर’ चुना
  • 2012 में फ़ोर्ब्स एशिया पत्रिका ने उन्हें एशिया के ’50 पावर वीमेन’ के सूचि में रखा
  • 2012 में द इकनोमिक टाइम्स ने उन्हें ‘इंडिया इंक्स मोस्ट पावरफुल CEOs 2012′ और ‘टॉप वीमेन CEOs’ चुना
  • 2012 में फ़ोर्ब्स इंडिया ने उन्हें ‘फ़ोर्ब्स इंडिया लीडरशिप अवार्ड्स 2012′ में ‘वीमेन लीडर ऑफ़ द ईयर’ चुना
  • 2012 में फार्च्यून इंडिया ने उन्हें ‘इंडिया’ज़ मोस्ट पावरफुल वीमेन इन बिज़नेस’ की सूचि में दूसरे स्थान पर रखा
  • 2013 में ‘एनडीटीवी प्रॉफिट बिज़नेस लीडरशिप अवार्ड्स’ में उन्हें ‘बिज़नेस थॉट लीडर ऑफ़ द ईयर 2012′ चुना गया
  • 2014 में भारत सरकार ने उन्हें ‘पद्म श्री’ से सम्मानित किया