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-[[लखनऊ]] | -[[लखनऊ]] | ||
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||'अमृता कला वीथिका' [[गोरखपुर]] में स्थित है। अमृता कला वीथिका गोरखपुर के दीन दयाल | ||'अमृता कला वीथिका' [[गोरखपुर]] में स्थित है। अमृता कला वीथिका गोरखपुर के दीन दयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय के ललित कला विभाग से संबंध है। | ||
{[[एन.एस. बेंद्रे]] का शिष्य कौन नहीं था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-94,प्रश्न-2 | {[[एन.एस. बेंद्रे]] का शिष्य कौन नहीं था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-94,प्रश्न-2 | ||
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+[[एम.एफ. हुसैन]] | +[[एम.एफ. हुसैन]] | ||
-पी.टी. रेड्डी | -पी.टी. रेड्डी | ||
||[[एम.एफ. हुसैन]] प्रसिद्ध चित्र 'नीली रात' के चित्रकार हैं। इनकी कला यथार्थवादी चित्रांकन से लेकर उन्नीसवीं शताब्दी की ब्रिटिश अकादमिक परंपरा से संभावित शैली का प्रतिनिधित्व करती है। इन्होंने कई फिल्में बनाई जिनमें मीनाक्षी, गजगामिनी,थ्रू द आइज ऑफ पेंटर आदि इनकी प्रमुख फिल्में हैं। साथ ही सुप्रसिद्ध चित्र शृंखलाएं भी बनाई जिसमें प्रमुख हैं- सरस्वती, [[मदर टेरेसा]], घोड़े, माधुरी, जमीन, लैंप और मकड़ी, दो स्त्रियों का संवाद, मुर्गा, अंतिम भोज, राइडर्ज, आपातकाल, ढोलकिया, नीला रात, जापान में प्रेमी, दुपट्टों में तीन औरतें, बनारस के घाट तथा भारतमाता (यह चित्र काफी विवादास्पद रहा) आदि। | ||[[एम.एफ. हुसैन]] प्रसिद्ध चित्र 'नीली रात' के चित्रकार हैं। इनकी कला यथार्थवादी चित्रांकन से लेकर उन्नीसवीं शताब्दी की ब्रिटिश अकादमिक परंपरा से संभावित शैली का प्रतिनिधित्व करती है। इन्होंने कई फिल्में बनाई जिनमें मीनाक्षी, गजगामिनी,थ्रू द आइज ऑफ पेंटर आदि इनकी प्रमुख फिल्में हैं। साथ ही सुप्रसिद्ध चित्र शृंखलाएं भी बनाई जिसमें प्रमुख हैं- सरस्वती, [[मदर टेरेसा]], घोड़े, माधुरी, जमीन, लैंप और मकड़ी, दो स्त्रियों का संवाद, मुर्गा, अंतिम भोज, राइडर्ज, आपातकाल, ढोलकिया, नीला रात, जापान में प्रेमी, दुपट्टों में तीन औरतें, बनारस के घाट तथा भारतमाता (यह चित्र काफी विवादास्पद रहा) आदि।{{point}} '''अधिक जानकारी के लिए देखें-:''' [[एम.एफ. हुसैन]] | ||
{भारतीय लद्यु चित्रों की [[बूंदी चित्रकला|बूंदी शैली]] का उत्कर्ष किसके समय से हुआ? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-53,प्रश्न-5 | {भारतीय लद्यु चित्रों की [[बूंदी चित्रकला|बूंदी शैली]] का उत्कर्ष किसके समय से हुआ? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-53,प्रश्न-5 | ||
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-राव भाव सिंह | -राव भाव सिंह | ||
-सवाई जय सिंह | -सवाई जय सिंह | ||
+राव | +राव उम्मेद सिंह | ||
||राव उमेद सिंह (1748-1771 ई.) के समय में [[बूंदी चित्रकला|बूंदी शैली]] का उत्कर्ष हुआ। राव उमेद सिंह ने बूंदी शैली के अंतर्गत रागमाला तथा बारहमासा शैली की चित्रकारी को भी प्रोत्साहन दिया। | ||राव उमेद सिंह (1748-1771 ई.) के समय में [[बूंदी चित्रकला|बूंदी शैली]] का उत्कर्ष हुआ। राव उमेद सिंह ने बूंदी शैली के अंतर्गत रागमाला तथा बारहमासा शैली की चित्रकारी को भी प्रोत्साहन दिया। | ||
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-जहांगीर सावकला | -जहांगीर सावकला | ||
-राजा देव वर्मन | -राजा देव वर्मन | ||
||[[राजा रवि वर्मा]] [[भारत]] के विख्यात चित्रकार थे। उन्होंने भारतीय साहित्य और संस्कृति के पात्रों का चित्रण किया। उनके चित्रों की सबसे बड़ी विशेषता हिन्दू महाकाव्यों और धर्म ग्रंथों पर बनाए गए चित्र हैं।{{point}} '''अधिक जानकारी के लिए देखें-:''' [[राजा रवि वर्मा]] | |||
{माइकल एंजिलो [[चित्रकार]] होने के साथ ही- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-106,प्रश्न-21 | {माइकल एंजिलो [[चित्रकार]] होने के साथ ही- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-106,प्रश्न-21 |
11:37, 7 दिसम्बर 2017 का अवतरण
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