"तुलुव वंश": अवतरणों में अंतर

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*सदाशिव पेन्कोण्डा भाग गया, जहाँ वह 1570 ई. में मार डाला गया।  
*सदाशिव पेन्कोण्डा भाग गया, जहाँ वह 1570 ई. में मार डाला गया।  
*इस प्रकार विजयनगर और तुलुव वंश का अन्त हो गया।
*इस प्रकार विजयनगर और तुलुव वंश का अन्त हो गया।
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12:00, 14 अक्टूबर 2010 का अवतरण

  • तुलुव वंश की स्थापना 'नरस नायक' द्वारा 1503 ई. में विजयनगर में हुई थी।
  • इस वंश ने 1565 ई. तक शासन किया।
  • इसमें छ: राजा हुए–
  1. नरस नायक (1503-1505 ई.);
  2. नरस नायक का पुत्र नरसिंह (1505-1509 ई.);
  3. नरस नायक का भाई कृष्णदेव राय (1509-1529 ई.), जो कि अपने वंश का सबसे प्रतापी राजा था और उसके काल में राज्य अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँच गया।
  4. 1529 से 1542 ई. तक नरस नायक का भाई अच्युत और
  5. उसके बाद 1542 ई. में नरस नायक का पुत्र वेंकट प्रथम और
  6. फिर (1542-1565 ई. तक) नरस नायक का चचेरा भाई सदाशिव शासक रहा।
  • अन्तिम राजा के शासनकाल में बीजापुर, गोलकुण्डा और अहमदनगर के सुल्तानों ने मिलकर विजयनगर राज्य पर हमला किया और 1565 ई. में तालीकोट के युद्ध में राजा को परास्त कर दिया।
  • उन्होंने राजधानी में लूटपाट करने के पश्चात् उसे उजाड़ डाला।
  • सदाशिव पेन्कोण्डा भाग गया, जहाँ वह 1570 ई. में मार डाला गया।
  • इस प्रकार विजयनगर और तुलुव वंश का अन्त हो गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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