कालेश्वर राव

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
राधिका सोनी (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:53, 4 सितम्बर 2016 का अवतरण (''''कालेश्वर राव''' (अंग्रेज़ी: ''Kaleshwar Rao''),आंध्र प्रदेश...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें

कालेश्वर राव (अंग्रेज़ी: Kaleshwar Rao),आंध्र प्रदेश राज्य विधानसभा के पहले वक्ता और प्रसिद्ध राजनैतिज्ञ, स्वतंत्रत सेनानी और ए. कलेश्वर राव का जन्म आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में 1881 में हुआ था।

प्रारंंभिक जीवन

उन्होंंने मद्रास मेंं शिक्षा पुरी की और तभी से सार्वजनीक कार्यो में भी रूचि लेने लगे। उन्होने बंग-भंग का विरोध किया। 1920 मे जब गांधीजी ने असहयोग आंदोलन आरम्भ किया तो कलेश्वर राव ने अपनी चलती वकालत छोड दी थी। वे आंध्र प्रदेश मेंं स्वदेशी का प्रचार करने वाले प्रमुख व्यक्ति थे। 1925 मेंं जब वे विजयवड़ा नगरपालिका के अध्यक्ष चुने गये तो सरकारी अधिकारी कि परवाह किए बिना उन्होंंने शिक्षा संस्थाओ में राष्ट्रगान, चर्खा चलाना और हिन्दी पढना अनिर्वाय कर दिया था।

राजनीतिक मतभेद

कुशल वक्ता और लेखक

कालेश्वर राव कुशल वक्ता और अच्छे लेखक भी थे। उन्होंने विभिन्न देशों के राष्ट्रीय और क्रांतिकरी आंदोलन पर अनेक पुस्तकें लिखीं। उनकी लिखी अत्मकथा भी बहुत प्रसिद्ध हुई। बचपन से ही ब्रह्म समाज के विचरों के संपर्क के कारण उनका दृष्टिकोण बहुत उदार था।

देहान्त

1962 ई. में कालेश्वर राव का देहान्त हो गया।