अन्त:स्थ व्यंजन अन्त:करण से उच्चारित होने वाले व्यंजनों को कहा जाता है। जैसे- य’, ‘र’, ‘ल’ और ‘व’।
अन्त:स्थ का अर्थ
अर्थ |
भीतर रहने वाला, अंदर का, भीतरी, बीच में स्थित, अन्त:करण में स्थित, मन में होने/रहने वाला, हृदयस्थ। | | व्याकरण | | | विशेष |
अन्त:स्थ ध्वनियों / वर्णों को ‘अर्धस्वर’ भी कहा जाता है। अन्त:स्थ (अंत:स्थ) राज्य- पुल्लिंग = (राज) दो बड़े देशों के बीच में स्थित बहुत छोटा देश जिससे दोनों देशों में प्रत्यक्ष युद्ध की सम्भावना कम होती है। अन्तर्रोधी राज्य। ( अंग्रेज़ी- बफ़र स्टेट) | | संस्कृत |
[अन्त:+ स्थ] | | सभी लेख | |
|
टीका-टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख